नई दिल्ली । भिवानी में आयोजित हुई डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डीके अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट में नियमानुसार कामकाज न होने की जो शिकायत मंच से सार्वजनिक रूप से की, उसे लेकर डिस्ट्रिक्ट के लोगों में एक दिलचस्प किस्म की बहस तेजी से छिड़ गई है । बहस इस बात की कि यह कहने के पीछे डीके अग्रवाल का असली इरादा आखिर क्या था ?
कुछ लोगों का कहना है कि यह कह कर डीके अग्रवाल ने दरअसल डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर विजय शिरोहा को निशाना बनाया और लोगों के बीच उन्हें नीचा दिखाने की
कोशिश की; कुछेक अन्य लोगों का कहना लेकिन यह है कि डीके अग्रवाल इस तरह
की टुच्ची हरकतें नहीं करते हैं और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट में उन्हें उन लोगों
का भी सम्मान प्राप्त है जो खेमेबाजी के लिहाज से दूसरे खेमे के माने जाते
हैं और इसी कारण से मल्टीपल में भी उन्हें अहमियत मिलती है - भिवानी में
आयोजित कैबिनेट मीटिंग में उन्होंने जो कहा उसमें उन्होंने अपनी एक सामान्य चिंता ही प्रकट की थी । यह कहने वालों का तर्क है कि इस
समय डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर चूँकि विजय शिरोहा हैं और उनके गवर्नर-काल
में कुछेक काम तो ऐसे हुए ही हैं जो न हुए होते तो डीके अग्रवाल ने जो कहा
उसे कहने की जरूरत उन्हें न पड़ती - इसलिए डीके अग्रवाल के कहे हुए को विजय
शिरोहा पर आरोपित के रूप में देखा जाना स्वाभाविक ही है; लेकिन इसके पीछे डीके अग्रवाल की बदनियती को नहीं देखा/पहचाना जाना चाहिए । उनका कहना है कि डीके अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट के चार्टर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते सबसे वरिष्ठ हैं और इसलिए उनके कहे हुए को एक वरिष्ठ की पीड़ा के उद्गार के रूप में लिया जाना चाहिए और उसे सकारात्मक भाव से देखना चाहिए ।
भिवानी में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में डीके अग्रवाल के कहे हुए में जो लोग लेकिन बदनियती देख/पहचान रहे हैं, उनका
तर्क है कि डीके अग्रवाल ने पिछले लायन वर्ष में राकेश त्रेहन के
गवर्नर-काल में तो कभी इस तरह की शिकायत नहीं की थी - तब उन्हें क्या सभी
कुछ ठीक और नियमानुसार होता हुआ दिखा था क्या ? इनका कहना है कि डीके
अग्रवाल 'जिन' लोगों के साथ हैं उन लोगों की कारस्तानियों पर जिस तरह से
चुप्पी साधे रहते हैं उससे भी यही साबित होता है कि कैबिनेट मीटिंग में
उन्होंने जो कहा उसके पीछे उनका उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को निशाना बनाना ही था । अगर
ऐसा नहीं है - इनका कहना है कि - तो डीके अग्रवाल 'अपने' साथियों द्धारा
की जा रही अभी की हरकतों पर भी चुप क्यों हैं ? 'अभी की हरकतों' से आशय 17
क्लब्स में अभी हाल ही में बढ़ाई गई फर्जी सदस्यता से है । इस मामले में
डीके अग्रवाल की चुप्पी ने सभी को हैरान किया हुआ है - क्योंकि डीके
अग्रवाल फर्जी क्लब्स और फर्जी वोटों को ख़त्म करने पर लगातार जोर देते रहे हैं ।
डीके अग्रवाल फर्जी क्लब्स और फर्जी वोटों को ख़त्म करने पर लगातार जोर देते रहने के बावजूद 17
क्लब्स में अभी हाल ही में बढ़ाई गईं फर्जी सदस्यता को लेकर क्या सिर्फ
इसलिए चुप हैं, क्योंकि यह काम उनके 'अपने' लोगों ने किया है ?
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में दिल्ली आनंद निकेतन में 13, दिल्ली अशोक
फोर्ट में 20, दिल्ली भगवान नगर में 26, दिल्ली जेपी कैम्पस में 15, दिल्ली
किरण गैलेक्सी में 20, दिल्ली कृष्णा में 22, दिल्ली महानगर रॉयल में 27,
दिल्ली मंथन में 10, दिल्ली नारायण विहार में 24, दिल्ली राइजिंग सन में
18, दिल्ली सहयोग में 19, दिल्ली समर्पण में 20, दिल्ली सुविधाकुंज में 20,
हाँसी प्रेरणा में 13, हाँसी युवा में 20, जींद एक्टिव में 23 और नई
दिल्ली गीतांजली में 21 सदस्य फर्जी तरीके से जोड़े गए हैं । यहाँ यह गौर करना प्रासंगिक होगा कि इन क्लब्स में से अधिकतर फर्जी किस्म के क्लब ही हैं । नए बने
इन कुल 331 सदस्यों में से अधिकतर फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश
गुप्ता के उत्तर प्रदेश के गजरौला स्थित शिक्षण संस्थान के छात्र हैं -
क्योंकि छात्रों को सदस्य बनाने में कुछ कम पैसे लगते हैं । इनमें से अधिकतर को हर्ष बंसल ने स्पॉन्सर किया है । समझने
की बात है कि जो छात्र दिल्ली से करीब दो सौ किलोमीटर दूर पढ़ता/रहता है,
वह दिल्ली के क्लब में क्या करेगा - जाहिर है कि वह तो डिस्ट्रिक्ट 321 ए
थ्री के चुनावी खिलाड़ियों की राजनीति का मोहरा बना है । इन नए सदस्यों की तरफ से अभी तक किसी भी तरह के ड्यूज जमा नहीं किए गए हैं ।
अगले
लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी सँभालने की तैयारी कर
रहे नरेश गुप्ता और हर्ष बंसल की जोड़ी का प्लान यह बताया जा रहा है कि अभी
यह इन नए बने सदस्यों को ड्रॉप दिखायेंगे ताकि डिस्ट्रिक्ट में सदस्यता
वृद्धि का फायदा विजय शिरोहा को न मिल सके । इन फर्जी सदस्यों की पुनःसदस्यता अगले लायन वर्ष में
तब ली जाएगी जब किसी उम्मीदवार से इनके ड्यूज खसोटने का मौका बनेगा । जाहिर
है कि इन नए सदस्यों के इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ड्यूज तो बट्टे-खाते में
ही गए । हर्ष बंसल तो इस तरह की हरकतों को ही लायनिज्म समझता है, इसलिए
उसकी तो बात ही क्या करना; लेकिन सवाल यहाँ यह है कि नरेश गुप्ता उसके साथ
मिल गए हैं तो भी डीके अग्रवाल चुपचाप तमाशा क्यों देख रहे हैं - वह डीके अग्रवाल जो फर्जी क्लब्स और
फर्जी वोटों को ख़त्म करने की लगातार वकालत करते हैं और जो कैबिनेट मीटिंग
में बाकायदा कुछ कहने की अनुमति लेकर नियमानुसार कामकाज न होने की शिकायत
करते हैं । कैबिनेट मीटिंग में नियमानुसार कामकाज न होने की शिकायत करने
वाले डीके अग्रवाल यदि सचमुच चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में नियमानुसार
कामकाज हों तो क्या उन्हें यह जरूरी नहीं लगता कि वह इन नए सदस्यों के
ड्यूज तो कम से कम तुरंत जमा करवाने की माँग करें और व्यवस्था करवाएँ ?
इस
मामले में डीके अग्रवाल की चुप्पी ने कुछेक लोगों को यह कहने का मौका दिया
है कि नरेश गुप्ता और हर्ष बंसल की जोड़ी ने यह जो फर्जीवाड़ा किया है, उसके
पीछे 'दिमाग' डीके अग्रवाल का ही है । हालाँकि कई लोगों का कहना/मानना
है कि हर्ष बंसल और नरेश गुप्ता की जोड़ी ने यह जो फर्जीवाड़ा किया है, डीके
अग्रवाल उससे खुश नहीं हैं - किंतु राजनीतिक मजबूरी के चलते उन्हें चुप
रहना पड़ रहा है । इन्हीं लोगों का साथ ही लेकिन यह भी मानना और कहना है कि राजनीतिक मजबूरियों के कारण डीके अग्रवाल को यदि अपने पक्ष की बेईमानियों पर चुप रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है तो फिर उन्हें कैबिनेट मीटिंग में यह शिकायत नहीं करना चाहिए थी कि डिस्ट्रिक्ट में नियमानुसार कामकाज नहीं होता है । विजय शिरोहा का गवर्नर-काल तो पूरा हो चला है, उसमें जो होना था वह हो चुका है - डीके अग्रवाल को यदि सचमुच नियमानुसार काम न होने को लेकर चिंता है तो उन्हें नरेश गुप्ता के कामकाज पर निगाह रखना चाहिए । नरेश
गुप्ता की हरकतों पर तो डीके अग्रवाल ने लेकिन चुप्पी साध ली है । इसीलिए
कैबिनेट मीटिंग में व्यक्त की गई डीके अग्रवाल की चिंता संदेह के घेरे में
है ।