Saturday, June 7, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में नरेश गुप्ता द्धारा छात्रों को फर्जी तरीके से अपने फर्जी लायंस क्लबों का सदस्य बनाये जाने को लेकर इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों व उनके अभिभावकों के बीच अफरातफरी और गुस्सा भड़का हुआ है; पीके अग्रवाल और उमा शंकर गोयल मामले को रफादफा करने के चक्कर में

नई दिल्ली । लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के कई एक क्लब्स में फर्जी तरीके से सदस्य बनाने के मामले ने उत्तर प्रदेश टेक्नीकल यूनीवर्सिटी से संबद्ध इंस्टीट्यूट - इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में खासा बबाल पैदा कर दिया है । इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पीके अग्रवाल तथा सचिव उमा शंकर गोयल से कई छात्रों तथा उनके अभिभावकों ने शिकायत की है कि उनके/उनके बच्चों के नाम उनसे पूछे या उन्हें बताये बिना किन्हीं किन्हीं क्लब्स में क्यों और कैसे दर्ज कर लिए गए हैं । इंस्टीट्यूट के छात्रों के बीच यह खबर दरअसल जंगल में आग की तरह फैली कि उनमें से कइयों को फर्जी तरीके से दिल्ली के कुछेक लायंस क्लबों में सदस्य बना लिया गया है । छात्रों को बेचारों को तो यह भी नहीं पता कि लायंस क्लब में सदस्य बनकर उन्हें करना क्या होगा और ऐसा क्यों हुआ कि उनसे बिना पूछे या उन्हें बिना बताये ही उन्हें लायंस क्लब का सदस्य बना लिया गया । अभिभावकों की चिंता और शिकायत यह है कि उन्होंने अपने बच्चों को जिस इंस्टीट्यूट में पढ़ने भेजा है - उस इंस्टीट्यूट में ऐसा कौन है जो उनके बच्चों के नाम उनसे बिना पूछे और उन्हें बताये बिना इधर-उधर इस्तेमाल कर रहा है ? 
इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुए इस फर्जीवाड़े से परेशान छात्रों और उनके अभिभावकों ने महसूस किया है कि उन्होंने इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पीके अग्रवाल तथा सचिव उमा शंकर गोयल से जो शिकायत की है, उस पर इन दोनों का रवैया गंभीर नहीं है । इससे उन्हें शक हुआ है कि जो फर्जीवाड़ा हुआ है, उसमें या तो इन दोनों की भी मिलीभगत है और या ये किसी को बचा रहे हैं । पीके अग्रवाल और उमा शंकर गोयल के रवैये से निराश छात्रों और उनके अभिभावकों ने कहा है कि उन्हें यदि यहाँ न्याय नहीं मिला तो वह यूनीवर्सिटी के उपकुलपति से तथा अन्य संबद्ध अधिकारियों से इस मामले की शिकायत करेंगे । छात्रों और उनके अभिभावकों की चिंता यह है कि जिस गुपचुप तरीके से, उनसे पूछे बिना और उन्हें बताये बिना उन्हें दिल्ली के लायंस क्लबों का सदस्य बना दिया गया है, उसके कारण वह कहीं किसी मुसीबत में न फँस जाएँ ? पहली बात तो उनको यही समझ में नहीं आ रही है कि उन्हें डेढ़ सौ-दो सौ किलोमीटर दूर दिल्ली के क्लबों का सदस्य क्यों बनाया गया; और फिर सदस्य बनाने के नाम पर उनसे न जाने कितने पैसे बाद में ऐंठे जाएँ ? जिस तरीके से यह काम हुआ है उससे छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच इस बात को लेकर भी भारी अफरातफरी मची हुई है कि किन्हें सदस्य बनाया गया है और किन्हें नहीं । मजे की बात यह है कि न गजरौला स्थित इंस्टीट्यूट के परिसर में और न दिल्ली में मधु विहार स्थित इंस्टीट्यूट के प्रमुख कार्यालय में कोई यह बताने को तैयार है कि किस किस छात्र को लायंस क्लब का सदस्य बनाया गया है । इस कारण से छात्रों तथा उनके अभिभावकों के बीच भारी खलबली और नाराजगी फैली हुई है ।
इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों और उनके अभिभावकों की इस परेशानी के लिए इंस्टीट्यूट की प्रवर्तक आईपैक्स एजुकेशनल सोसायटी के सदस्य नरेश गुप्ता को जिम्मेदार माना/ठहराया जा रहा है । नरेश गुप्ता लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं और वह एक जुलाई से शुरू होने वाले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होंगे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में नरेश गुप्ता को 'अपने' इंस्टीट्यूट के छात्रों के नामों का फर्जी तरीके से इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं है । किंतु चूँकि वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति की टुच्ची और षड्यंत्रपूर्ण तरकीबों के हिस्सेदार भी बन गए हैं, इसलिए उन्होंने अपने इंस्टीट्यूट में पढ़ने आए छात्रों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी की है । नरेश गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि नरेश गुप्ता को तो ज्यादा षड्यंत्र करना आता नहीं है; उनकी स्थिति लेकिन वैसी हो गई है जिसके लिए 'रजिया फँस गई गुंडों में' वाला जुमला कहा जाता है । यहाँ यह जरूर कहा जा सकता है कि 'रजिया' अपनी पूरी सक्रियता और संलग्नता के साथ 'गुंडों में' फँसी है । इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र यदि फर्जी तरीके से कई एक लायंस क्लब्स के सदस्य बने हैं तो यह नरेश गुप्ता की मिलीभगत से ही संभव हुआ है । इस खेल का मास्टरमाइंड तो हालाँकि लायंस राजनीति का माफिया हर्ष बंसल बताया जा रहा है; लेकिन हर्ष बंसल के लिए भी इस खेल को जमाना नरेश गुप्ता की मदद से ही संभव हुआ है ।
इस मामले का तानाबाना खासा दिलचस्प है । फर्जी सदस्यता के नाम पर जो नाम जोड़े गए हैं, वह नरेश गुप्ता के इंस्टीट्यूट के छात्र हैं; जिन क्लबों में यह फर्जी सदस्यता जोड़ी गई है उनमें से अधिकतर नरेश गुप्ता के खाते के फर्जी क्लब्स के रूप में पहचाने जाते हैं - इन सदस्यों को स्पॉन्सर लेकिन हर्ष बंसल ने किया है । चर्चा है कि नरेश गुप्ता के फर्जी क्लब्स के पासवर्ड हर्ष बंसल के पास ही हैं, और वही उन फर्जी क्लब्स में जोड़-घटाव करते रहते हैं । इस तरह फर्जी कामों के लिए नरेश गुप्ता ने हर्ष बंसल के साथ न सिर्फ गठजोड़ बना लिया है, बल्कि उनके सामने पूरी तरह से समर्पण भी कर दिया है । इस गठजोड़ और समर्पण के चलते नरेश गुप्ता लेकिन 'अपने' इंस्टीट्यूट के छात्रों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए भी तैयार हो जायेंगे - यह उनके नजदीकियों ने भी नहीं सोचा था ।
नरेश गुप्ता और हर्ष बंसल की इस कारस्तानी के चलते इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों व उनके अभिभावकों के बीच जो अफरातफरी और गुस्सा है, वह आगे और क्या गुल खिलायेगा - यह देखना दिलचस्प होगा ।