नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा की इसे बदकिस्मती ही कहेंगे कि वह तो
किसी के भले की सोचें, लेकिन उनके हाथ बदनामी ही लगे । उनके साथ लगता है
कि वही कहावत चरितार्थ हो रही है जिसमें कहा गया है कि - 'किस्मत ख़राब हो
तो हाथी पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट जाता है ।' मुकेश अरनेजा ने तो
कुछेक लोगों को सिर्फ यह सलाह भर दी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के
लिए अगले रोटरी वर्ष में संभव है कि चार चुनाव हों, इसलिए उक्त पद के लिए
उम्मीदवार बनने की इच्छा हो तो अगले वर्ष से अच्छा मौका नहीं मिलेगा; लोगों
ने कहना शुरू कर दिया कि मुकेश अरनेजा ने शरत जैन और शरत जैन के जरिये
रमेश अग्रवाल की जड़ें खोदने का काम शुरू दिया है । दरअसल इसमें लोगों
की भी गलती नहीं है । मुकेश अरनेजा की (कु)ख्याति ही ऐसी है कि वह लोगों से
हवन करने को कहें और लोग शिकायत करने लगते हैं कि अरनेजा ने उनके हाथ जलवा
दिए । इसी तर्ज पर, मुकेश अरनेजा के क्लब के ललित खन्ना को अगले रोटरी
वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी में दिलचस्पी लेते
देखा/पाया गया तो लोगों ने कहने/बताने में देर नहीं लगाई कि ललित खन्ना को
उकसाने में मुकेश अरनेजा का ही हाथ है ।
ललित खन्ना हालाँकि पहले भी एक बार मुकेश अरनेजा के कहने में
आकर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर चुके हैं और मुकेश अरनेजा से धोखा खाकर
फजीहत का शिकार हो चुके हैं । इसलिए लोगों के लिए यह विश्वास कर पाना भी
मुश्किल बना हुआ है कि वह दोबारा मुकेश अरनेजा की बातों में आयेंगे । कुछेक
लोगों को लेकिन लगता है कि बदले हुए हालात में ललित खन्ना भी शायद यह समझ
रहे होंगे कि मुकेश अरनेजा अबकी बार उनके साथ पहले की तरह धोखा न करें; और
फिर अगले रोटरी वर्ष में यदि सचमुच चार चुनाव होते हैं तो मौका अच्छा होने
की मुकेश अरनेजा की बात में दम तो है ही । एक अच्छी और सही बात यदि किसी 'शैतान' के मुँह से भी निकल रही है, तो उसे अच्छी और सही मानने में एतराज क्यों करना चाहिए ?
ललित खन्ना की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी में
प्रकट हुई दिलचस्पी में जो लोग मुकेश अरनेजा की रमेश अग्रवाल से निपटने की
कोशिश को देख रहे हैं उनका तर्क है कि रमेश अग्रवाल ने जिस तरह से मुकेश
अरनेजा से आगे निकलने और उन्हें अपने से पीछे धकेलने की कोशिश की है, उससे
मुकेश अरनेजा को झटका लगा है और वह रमेश अग्रवाल की बढ़त को रोकने के मौके
की तलाश में हैं । सीओएल के चुनाव में हुई रमेश अग्रवाल की पराजय तथा
डिस्ट्रिक्ट में रमेश अग्रवाल की बढ़ती हुई बदनामी ने मुकेश अरनेजा को उक्त
मौका दिया है । रमेश अग्रवाल से दुखी लोगों के मुँह से यह सुन सुन कर भी
मुकेश अरनेजा को उत्साह मिला है कि रमेश से तो अच्छा अरनेजा ही है ।
राजनीतिक रूप से रमेश अग्रवाल मुकेश अरनेजा को पछाड़ पायेंगे या नहीं, यह तो
बाद में पता चलेगा; लेकिन घटियापने में रमेश अग्रवाल ने मुकेश अरनेजा को
अभी ही पछाड़ दिया है । जो लोग मुकेश अरनेजा के घटियापने की सख्त आलोचना
करते रहे हैं, उनका सामना जब रमेश अग्रवाल के घटियापने से हुआ तो वह भी कह
उठे कि रमेश से तो अरनेजा ही अच्छा था । इस सर्टीफ़िकेट से मुकेश अरनेजा
को उत्साह मिला है । इस सर्टीफ़िकेट में जो संदेश छिपा है, उसमें मुकेश
अरनेजा को दरअसल वह मौका नजर आया है कि वह रमेश अग्रवाल की बलि ले सकते हैं
।
विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोगों में रमेश अग्रवाल के प्रति विरोध
के जो तेवर हैं, और जेके गौड़ जिस तरह से अपने ही 'इलाके' में घिरे हुए दिख
रहे हैं उससे मुकेश अरनेजा को यह आभास हुआ हो सकता है कि शरत जैन के
मुकाबले यदि ललित खन्ना उम्मीदवार बनते हैं तो ललित खन्ना के लिए आसानी हो
सकती है । शरत जैन की पराजय रमेश अग्रवाल के लिए झटका होगी और रमेश
अग्रवाल को मिलने वाला झटका मुकेश अरनेजा की नेतागिरी को बनाये रखने में
मदद करेगा । लोगों के बीच जो चर्चा है उसमें मुकेश अरनेजा द्धारा दीपक
गुप्ता को भी अपने पाले में रखने की बात हो रही है । रमेश अग्रवाल और जेके
गौड़ के प्रति गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में जिस तरह का विरोध है, उसे
देखते/पहचानते हुए दीपक गुप्ता की तरफ से शरत जैन के साथ पैनल बनाने को
लेकर हिचक हालाँकि बनी दिखती है; किंतु मुकेश अरनेजा को लगता है कि ललित
खन्ना के साथ पैनल बनाने को दीपक गुप्ता भी तैयार हो जायेंगे - और इस पैनल
के प्रति गाजियाबाद के लोगों का भी वैसा विरोध नहीं होगा, जैसा कि अभी दिख
रहा है ।
यह सारी बातें यूँ तो अभी कयास भर हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा की हर बात में लोग चूँकि उनकी कोई न कोई तिकड़म देखते/पहचानते हैं, इसलिए
ललित खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी में दिलचस्पी
लेते देख लोगों ने मुकेश अरनेजा को लेकर बातें बनाना शुरू कर दिया है और इस
बात पर नजर रखना शुरू कर दिया है कि मुकेश अरनेजा अगली 'सवारी' किसकी करते
हैं ।