गाजियाबाद । जेके गौड़ और उनके क्लब में चलने वाली कारस्तानियों
की शहर के अख़बारों में रोज-रोज जो ख़बरें आ रही हैं, उन्हें पढ़-पढ़ कर क्लब
के पुराने सदस्य और शहर के वरिष्ठ रोटेरियन शर्मसार हो रहे हैं । रोटरी की और या किसी क्लब की शहर के अख़बारों में एकसाथ इतनी बदनामी इससे पहले
शायद ही कभी हुई हो । जेके गौड़ के क्लब के कई एक सदस्य तथा शहर के प्रमुख
रोटेरियंस इस स्थिति के लिए जेके गौड़ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । जेके गौड़ के क्लब के सदस्यों का ही कहना है कि क्लब में अपनी चौधराहट
ज़माने के उद्देश्य से क्लब के वरिष्ठ सदस्यों को किनारे लगाने के लिए जेके गौड़ ने शहर के नेताओं, दबंगों तथा लफंगों तक को अपने क्लब का सदस्य बना लिया था । इसके चलते क्लब में फैमिली मीटिंग होना तक बंद हो गईं । इसी का नतीजा रहा कि क्लब के कई जेनुइन सदस्यों ने या तो अपनी सक्रियता को सीमित कर लिया और या क्लब व रोटरी ही छोड़ दी । संजय खन्ना तथा रवि चौधरी के बीच हुए चुनाव में रवि चौधरी के लिए कराई गई पार्टी में जेके गौड़ के क्लब के कुछेक सदस्यों ने पार्टी में गाना गाने आई लड़की को लेकर जो उत्पात मचाया था, और जिसके चलते खून-खच्चर तक हो गया था और पुलिस तक को बुलाना पड़ गया था उसकी याद शहर व डिस्ट्रिक्ट के लोगों में अभी भी ताजा बनी हुई है । उसके बाद, जेके गौड़ ने अपना चुनाव जीतने के लिए जिस-जिस तरह की 'सेवाएँ' उपलब्ध करवाईं उन्हें बताने तक में वरिष्ठ रोटेरियंस को हिचक होती है ।
ज़माने के उद्देश्य से क्लब के वरिष्ठ सदस्यों को किनारे लगाने के लिए जेके गौड़ ने शहर के नेताओं, दबंगों तथा लफंगों तक को अपने क्लब का सदस्य बना लिया था । इसके चलते क्लब में फैमिली मीटिंग होना तक बंद हो गईं । इसी का नतीजा रहा कि क्लब के कई जेनुइन सदस्यों ने या तो अपनी सक्रियता को सीमित कर लिया और या क्लब व रोटरी ही छोड़ दी । संजय खन्ना तथा रवि चौधरी के बीच हुए चुनाव में रवि चौधरी के लिए कराई गई पार्टी में जेके गौड़ के क्लब के कुछेक सदस्यों ने पार्टी में गाना गाने आई लड़की को लेकर जो उत्पात मचाया था, और जिसके चलते खून-खच्चर तक हो गया था और पुलिस तक को बुलाना पड़ गया था उसकी याद शहर व डिस्ट्रिक्ट के लोगों में अभी भी ताजा बनी हुई है । उसके बाद, जेके गौड़ ने अपना चुनाव जीतने के लिए जिस-जिस तरह की 'सेवाएँ' उपलब्ध करवाईं उन्हें बताने तक में वरिष्ठ रोटेरियंस को हिचक होती है ।
जेके गौड़ की इन हरकतों को लेकर पहले लोगों को यही लगा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने के लिए ही उन्होंने 'ऐसा' किया है, और इसीलिए उनकी करतूतों को जानने/देखने के बावजूद लोगों ने उन्हें अनदेखा ही किया । लोगों
को उम्मीद थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने के बाद जेके गौड़ ठीक रास्ते
पर आ जायेंगे । जेके गौड़ ने लेकिन लोगों की इस उम्मीद के विपरीत काम किया ।
जेके गौड़ के साथ समस्या यह हुई कि अपनी हरकतों के चलते एक तरफ तो वह डिस्ट्रिक्ट में लोगों का निशाना बने और
अलग-थलग से पड़े; तथा दूसरी तरफ जिन लोगों के भरोसे उन्होंने क्लब में अपनी
चौधराहट जमाई थी उनकी 'डिमांड्स' बढ़ती जा रही थीं । उनकी डिमांड्स पूरी
नहीं हो रही थीं, तो पहले तो उन्होंने आपस में लड़ना शुरू कर दिया और फिर उन्होंने जेके गौड़ को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया । समझा
जाता है कि शहर के अख़बारों में जेके गौड़ और उनके क्लब को लेकर हाल ही में
लगातार जो ख़बरें प्रकाशित हुई हैं उसके पीछे वही लोग हैं जिनकी मदद से जेके
गौड़ ने क्लब में अपनी चौधराहट जमाई है । यानि जेके गौड़ ने जो काँटे दूसरों के लिए बोये थे, उन काँटों ने अब जेके गौड़ को ही काटना शुरू कर दिया है ।
शहर
के और डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस की चिंता और शिकायत लेकिन यह है कि जेके
गौड़ द्धारा बोये गए काँटे जेके गौड़ को काटे तो काटे, डिस्ट्रिक्ट को और
रोटरी को क्यों काट रहे हैं - जेके गौड़ की और उनके क्लब में होने वाली कारस्तानियों की जो ख़बरें अख़बारों में प्रकाशित हो रही हैं उनसे डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की भी तो बदनामी हो रही है न !
मजे की बात यह है कि अख़बारों में प्रकाशित ख़बरों से डिस्ट्रिक्ट व रोटरी
की जो बदनामी हो रही है उससे जेके गौड़ पर तो कोई असर पड़ता हुआ नहीं दिख रहा
है, लेकिन दूसरे लोग ज्यादा परेशान दिख रहे हैं । इससे भी ज्यादा मजे की
बात यह हो रही है कि परेशान दिख रहे दूसरे लोगों को लेकिन यह समझ नहीं आ
रहा कि वह करें तो क्या करें ? कुछेक लोगों ने यह भी सोचा कि जेके गौड़
की जैसी हरकते हैं, उन्हें देखते हुए जेके गौड़ का बहिष्कार करना चाहिए और
जेके गौड़ को अपने क्लब के आयोजनों में आमंत्रित करने से बचना चाहिए तथा
जेके गौड़ के आयोजनों के निमंत्रण स्वीकार करने से इंकार करना चाहिए । कुछेक लोगों ने ऐसा सोचा तो जरूर है, लेकिन अपनी इस सोच को वह क्रियान्वित कर सकेंगे इसमें खुद उन्हें भी शक है ।
दरअसल
इसीलिए जेके गौड़ के हौंसले बुलंद हैं । वह कई एक लोगों से कह भी चुके हैं
कि वह जानते हैं कि कौन लोग उनके खिलाफ मीटिंग बुलाते हैं और उनके खिलाफ
बातें करते हैं; वह उन्हें और उनकी औकात को अच्छी तरह जानते/पहचानते हैं; वह
जानते हैं कि जो लोग उनके बहिष्कार की बातें करते हैं वही लोग उनके
आयोजनों का निमंत्रण पाकर पहले पहुँचने के लिए गाड़ी दौड़ा लेंगे । जेके गौड़
कहते हैं कि क्लब में, शहर में, डिस्ट्रिक्ट में उनके खिलाफ बातें करने
वाले लोगों की कमी नहीं है, लेकिन फिर भी उनके आयोजनों में वह सभी
आते/जुटते हैं ही । वास्तव में, इसीलिए जेके गौड़ को अपने आलोचकों की,
अपने खिलाफ बातें करने और मीटिंग्स करने वाले लोगों की जरा भी परवाह नहीं
है । जेके गौड़ के इन बुलंद हौंसलों के बावजूद, उनकी कारस्तानियों के चर्चे
अब जिस तरह शहर के अख़बारों में प्रकाशित होने लगे हैं, उससे जेके गौड़ के
घिरने के संकेत मिले हैं और इससे उनके विरोधियों को भी बल मिला है । इस मामले से दरअसल यह 'दिखा' है कि जेके गौड़ अभी तक बाहर के 'दुश्मनों' के निशाने पर ही थे, लेकिन अब उनके भीतर के दुश्मनों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । उनकी करतूतों की चर्चा चूँकि अब डिस्ट्रिक्ट और रोटरी को भी लपेटे में लेने लगी है, इसलिए लगता है कि जेके गौड़ के 'पापों के घड़े' के फूटने का वक्त अब आ ही गया है । यह देखना दिलचस्प होगा कि जेके गौड़ अपने 'पापों के घड़े' को फूटने से कैसे बचाते हैं ?