गाजियाबाद । कुछ लोग थुक्काफजीहत के बाद भी सुधरने का प्रयास नहीं करते हैं । लगता है कि जेके गौड़ अपने आप को उनमें से एक साबित करने में जुटे हुए हैं । इसका संकेत इस बात से मिला है कि जेके गौड़ एक बार फिर वही हरकत कर रहे हैं जो उन्होंने सीओएल के चुनाव में की थी और जिसके लिए उनकी बड़ी भारी थुक्काफजीहत हुई थी । लगता था कि सीओएल के
चुनाव में की गई उनकी हरकतों के चलते उनकी जो चौतरफा बदनामी हुई है, उससे
सबक लेकर वह आगे ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिसके बदले में उन्हें सिर्फ बदनामी
ही मिले । लेकिन डिस्ट्रिक्ट विभाजन के मुद्दे पर गाजियाबाद और उत्तर
प्रदेश के रोटेरियंस के बीच जो हलचल है, उसे ख़त्म करवाने के लिए जेके
गौड़ ने एक तरफ गाजियाबाद के रोटेरियंस को पदों का लालच देने की तथा दूसरी
तरफ इस हलचल को नियंत्रित करने वाले वरिष्ठ रोटेरियंस को बदनाम करने की जो
चाल चली है - उससे जाहिर हुआ है कि जेके गौड़ जैसे न सुधरने का ऐलान कर रहे हैं ।
मजे
की बात है कि जेके गौड़ खुद ही लोगों को बता रहे हैं कि उन्होंने कैसे अपने
गवर्नर-काल में पदों का ऑफर देकर अजय सिन्हा और पवन कोहली को अपनी तरफ
मिला लिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन के मुद्दे पर
गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों की भावनाओं को स्वर देने वाला पत्र
तैयार करने का काम जिन तीन लोगों को सौंपा गया था, उन तीन में दो लोग -
अजय सिन्हा और पवन कोहली थे; लेकिन इनके द्धारा तैयार किए गए पत्र को
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को भेजने की कार्रवाई करने के बाबत जो मीटिंग हुई उसमें
अजय सिन्हा तो आये ही नहीं और पवन कोहली ने उक्त पत्र को डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर को भेजे जाने का विरोध किया । अजय सिन्हा और पवन कोहली के इस अचानक से बदले रवैये ने दूसरे
लोगों को खासा हैरान किया । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल ही रहा कि
इन्होंने अचानक से अपने सुर क्यों बदल लिए हैं ? इस मुश्किल को हल किया
जेके गौड़ ने । उन्होंने ही कुछेक लोगों को बताया कि उन्होंने अजय सिन्हा और पवन कोहली के साथ-साथ अन्य कुछेक लोगों को फोन करके साफ साफ चेता दिया कि इस तरह की गतिविधियों में वह यदि शामिल रहे तो उनके गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में उनका नाम नहीं छप सकेगा । उनकी धमकी काम आई और अजय सिन्हा व पवन कोहली ने तुरंत से यू-टर्न ले लिया ।
विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने/बनाने के लिए जिन योगेश गर्ग और राजीव वशिष्ठ का नाम सामने आया है, जेके गौड़ ने यह कहते हुए उनकी भी खिल्ली उड़ाई है कि इनके बस की होगा क्या चुनाव लड़ना ?
जेके गौड़ ने दावा किया कि डिस्ट्रिक्ट विभाजन को लेकर गाजियाबाद में जो
हलचल हुई है वह सब उमेश चोपड़ा का किया-धरा है लेकिन उमेश चोपड़ा के प्रयास
सफल नहीं होंगे । इस तरह से, जेके गौड़ ने गाजियाबाद में कई लोगों की इज्जत
उतारने की कोशिश की । यह कोशिश उन्होंने पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के प्रति अपनी स्वामीभक्ति दिखाने के उद्देश्य से की ।
दरअसल डिस्ट्रिक्ट विभाजन के मुद्दे पर गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश
में जो हलचल है, वह रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के कारण ही है ।
गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में लोगों को आपत्ति इस बात पर है कि रमेश
अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के क्लब्स को उनके साथ क्यों जोड़ दिया गया है ? इस 'जानकारी' ने उन्हें और भड़काया हुआ है कि उन दोनों के क्लब्स को उनके साथ जोड़ने में जेके गौड़ का हाथ है ।
रमेश अग्रवाल को जेके गौड़ के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना है,
इसलिए तिकड़म करके और अपने ही क्लब के लोगों को धोखे में रख कर रमेश अग्रवाल
ने अपने क्लब को उत्तर प्रदेश वाले डिस्ट्रिक्ट में करवा लिया है । वैसे भी रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को लगता है कि 'दूसरे' डिस्ट्रिक्ट में उनकी कोई पूछ होगी नहीं, इसलिए उनकी जेके गौड़ वाले डिस्ट्रिक्ट में ही रहने में भलाई है । उन्हें भरोसा है कि यहाँ जेके गौड़ पूरी तरह से उनकी सेवा में रहेगा ही ।
गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों की जेके गौड़ से शिकायत है कि उनसे
उम्मीद की जाती है कि वह गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों की भावनाओं को
समझेंगे और उनके साथ रहेंगे, लेकिन वह रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा की
चाकरी में लगे हुए हैं ।
डिस्ट्रिक्ट विभाजन के मुद्दे पर
गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच जो हलचल है, उसे लोगों के बीच
फूट डाल कर और पदों का लालच देकर ठंडा करने की जेके गौड़ ने जो चाल चली है -
उसे पहचाने जाने के कारण उनके प्रति रोष और बढ़ा ही है । जेके गौड़ लेकिन
अभी खासे जोश में हैं और इसी जोश में वह गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के
लोगों के बीच अपने प्रति बढ़ते हुए रोष को लेकर जरा भी चिंतित नहीं हैं -
इसी जोश में वह एक तरफ योगेश गर्ग, राजीव वशिष्ठ और उमेश चोपड़ा जैसे वरिष्ठ
रोटेरियंस को हड़काने का और दूसरी तरफ अजय सिन्हा व पवन कोहली जैसे रोटेरियंस को पदों का लालच देकर फुसलाने का काम कर रहे हैं ।
जेके गौड़ को लग रहा है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल जब उनके साथ हैं
तो उन्हें और किसी की परवाह करने की कोई जरूरत ही नहीं है ।