Saturday, June 28, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नए नए उम्मीदवारों के मैदान में उतरने की संभावना को देख कर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों को अपना असमंजस जल्दी से दूर कर लेने की जरूरत महसूस होने लगी है; ताकि बढ़त की जो स्थिति अभी उनके पक्ष में दिख रही है, उसको नुकसान न हो

गाजियाबाद । दीपक गुप्ता की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी को लेकर उनके समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच जो असमंजसता पैदा हो गई है, उसे दूर करने के लिए उन्होंने जल्दी ही एक मीटिंग करने की तैयारी की है । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के एक समर्थक की मानें तो उक्त मीटिंग सोमवार, 30 जून को हो सकती है । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों के सामने समस्या दरअसल यह बनी है कि एक तरफ तो अरनेजा गिरोह ने विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लिए होने वाले दो चुनावों के लिए दीपक गुप्ता को शरत जैन के साथ अपने उम्मीदवार के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है, तो दूसरी तरफ विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने अरनेजा गिरोह के खिलाफ लामबंद होना शुरू कर दिया है । ऐसे में, दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों के सामने यह तय करने की चुनौती आ गई है कि दीपक गुप्ता किस वर्ष के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करें - अरनेजा गिरोह द्धारा तय किए गए फार्मूले के अनुसार पहले वह शरत जैन को मौका दें और दीपक गुप्ता को उनके पीछे खड़ा करें; या पहले मौके पर ही वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का दावा करें ?
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों को लगता है कि उन्हें यदि अरनेजा गिरोह के साथ ही जुड़ना है, तो वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए पहला मौका ही क्यों न मानें, पहले मौके को वह शरत जैन के लिए क्यों छोड़ दें ? तर्कपूर्ण तरीके से उनका पूछना है कि अविभाजित डिस्ट्रिक्ट में शरत जैन और दीपक गुप्ता को साथ-साथ ही तो उम्मीदवार होना था, तब फिर विभाजित डिस्ट्रिक्ट में शरत जैन को पहला नंबर आखिर किस बिना पर मिलना चाहिए ? दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों का दावा है कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच शरत जैन के मुकाबले दीपक गुप्ता की पहचान और परिचय ज्यादा है; विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोगों को तो शरत जैन अभी जानते/पहचानते भी नहीं हैं - विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोग भी शरत जैन को अभी नहीं जानते/पहचानते हैं । यही कारण है कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में शरत जैन की उम्मीदवारी की वकालत करने वाला कोई नहीं है । पिछले दिनों शरत जैन जब गाजियाबाद के दौरे पर आये थे, तब उन्होंने जिन लोगों से मिलने के लिए फोन पर संपर्क साधा था उनमें से कई बहानेबाजी करके उनसे मिलने से बच निकले थे । शरत जैन के प्रति विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोगों में जो बेगानापन-सा देखा जा रहा है, उसे अरनेजा गिरोह के खिलाफ लामबंदी की अभिव्यक्ति के नतीजे के रूप में ही व्याख्यायित किया जा रहा है । इसी व्याख्या ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों को यह 'तय' करने का हौंसला दिया है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को पहला नंबर ही मिलना चाहिए ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों का मानना और कहना है कि दीपक गुप्ता को अरनेजा गिरोह का समर्थन यदि मिल रहा है तो उसे ले लेना चाहिए; उन्हें कोशिश करना चाहिए कि शरत जैन की बजाये उन्हें पहला नंबर मिले - कोशिश करने के बाद भी उन्हें यदि दूसरा नंबर ही मिले तो उन्हें उसे ही ले लेना चाहिए, और ज्यादा झंझट में नहीं पड़ना चाहिए । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अन्य कुछेक समर्थकों के अनुसार, दीपक गुप्ता को अरनेजा गिरोह के नेताओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए और उन्हें विभाजित डिस्ट्रिक्ट के लोगों के मूड को समझना/पहचानना चाहिए और उन्हें पहली बार के लिए ही अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करनी चाहिए । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों की इसी मत-भिन्नता के कारण दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर असमंजस बन गया है ।
यह असमंजस संभावित उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने की आहट से और बना/बढ़ा है । दरअसल जैसे जैसे डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की बात सच होती दिखती जा रही है वैसे वैसे नए नए उम्मीदवारों के मैदान में उतरने की बात भी सामने आ रही है । जिन नए नए उम्मीदवारों के मैदान में उतरने की चर्चा है वह अपने अपने भौगोलिक और राजनीतिक समीकरण बैठा रहे हैं । इन संभावित समीकरणों के चलते अरनेजा गिरोह के बिखर जाने का और या अप्रभावी हो जाने का अनुमान भी लगाया जा रहा है । यह देख/जान कर ही दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों को यह डर सताने लगा है कि उन्होंने अपना असमंजस यदि जल्दी ही दूर नहीं किया तो बढ़त की जो स्थिति अभी उनके पक्ष में दिख रही है, उसको नुकसान हो सकता है । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों का कहना है कि जो भी समीकरण बनने की प्रक्रिया में हैं और या जो भी नए उम्मीदवार मैदान में कूदने की तैयारी कर रहे हैं वह पहले दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की 'पोजीशन' को देख/समझ लेना चाहते हैं - लेकिन इसके लिए वह ज्यादा दिन इंतजार नहीं करेंगे । इसीलिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों को लगता है कि उन्हें दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी पर पड़े असमंजस के बादलों को जल्दी से जल्दी हटा लेना चाहिए ।