Wednesday, June 11, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में रमेश अग्रवाल की छाया में जकड़े हुए शरत जैन को रमेश अग्रवाल के प्रति लोगों के विरोध को देखते हुए अपनी उम्मीदवारी के समर्थन वास्ते गाजियाबाद के लोगों के बीच अंततः खुद हाजिर होना पड़ा

गाजियाबाद । शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच आखिर खुद आना ही पड़ा । गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच शरत जैन के आने की टाइमिंग गौर करने वाला तथ्य है । यहाँ खुद आने की जरूरत उन्होंने दरअसल तब महसूस की जब डिस्ट्रिक्ट के विभाजन के संदर्भ में हुई गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश तथा उससे सटे दिल्ली के क्लब्स के प्रमुख लोगों की मीटिंग में रमेश अग्रवाल, मुकेश अरनेजा और जेके गौड़ के प्रति प्रकट हुए विरोध के स्वरों की बात जगजाहिर हुई । इस मीटिंग में एक तो इस बात पर गहरी नाराजगी सामने आई कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन का फार्मूला बनाने वालों ने रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा जैसे डिस्ट्रिक्ट के 'कचरे' को इधर क्यों भेज दिया; और जेके गौड़ के प्रति इसलिए नाराजगी व्यक्त हुई कि उन्होंने इस फार्मूले का विरोध क्यों नहीं किया । मजे की बात यह है कि रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को विभाजन के बाद जो डिस्ट्रिक्ट मिलना तय हुआ है, उससे वह तो बहुत खुश हैं - लेकिन उनके क्लब के लोग नाराज हैं । उनके क्लब के लोग दूसरे डिस्ट्रिक्ट में रहना चाहते हैं । रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा इसलिए खुश हैं कि जो डिस्ट्रिक्ट उन्हें मिलना तय हुआ है, उसमें तो उन्हें अपनी टुच्ची हरकतों को करने/दिखाने का मौका फिर भी मिल जायेगा; दूसरे डिस्ट्रिक्ट में तो उन्हें अलग-थलग ही रहना पड़ेगा । रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के लिए चुनौती और बिडंवना की बात लेकिन यह है कि जिस विभाजित डिस्ट्रिक्ट में उन्हें अपनी 'काली दाल' के गलने की उम्मीद है, उसी विभाजित डिस्ट्रिक्ट में उनका खुला और मुखर विरोध भी है ।
इसी खुले और मुखर विरोध की अभिव्यक्ति गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश तथा उससे सटे दिल्ली के क्लब्स के प्रमुख लोगों की मीटिंग में देखने को मिली - जिसमें उपस्थित लोगों ने रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली । रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के प्रति विरोध और नाराजगी के इन तेवरों ने शरत जैन को गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच खुद आने और सक्रिय होने के लिए मजबूर किया । अभी तक ऐसा लग रहा था जैसे कि 'इस क्षेत्र' का जिम्मा शरत जैन ने रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को ही दिया हुआ था । इसीलिए उन्होंने 'इस क्षेत्र' को पूरी तरह से इग्नोर किया हुआ था । हालाँकि इसके लिए वह बिटिया की शादी की तैयारी में व्यस्त होने का तर्क दे रहे थे । इस तर्क को कोई भी स्वीकार नहीं कर रहा था, क्योंकि उक्त व्यस्तता के बावजूद शरत जैन दिल्ली के क्लब्स के लोगों के बीच पहुँचने का समय तो निकाल ही रहे थे । जाहिर है कि शरत जैन ने खुद उस क्षेत्र का जिम्मा संभाला हुआ था जो विभाजन के बाद दूसरे डिस्ट्रिक्ट का हिस्सा हो जायेगा । शरत जैन की बी-टीम के जो लोग हैं, उनमें भी अधिकतर उन क्लब्स के हैं जो दूसरे डिस्ट्रिक्ट में चले जायेंगे । ऐसे में, शरत जैन के सामने वही नौबत आ गई जिससे कि वह बच रहे थे ।
शरत जैन के लिए यह नौबत गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश तथा उससे सटे दिल्ली के क्लब्स के प्रमुख लोगों की मीटिंग में प्रकट हुए रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा विरोधी तेवरों के सामने आने के बाद और जरूरी हो गई । शरत जैन के लिए मुसीबत की बात दरअसल यह है कि वह रमेश अग्रवाल की छाया में बुरी तरह जकड़े हुए हैं । उनसे लोगों को कोई शिकायत नहीं है - लेकिन फिर भी वह लोगों के बीच अपने लिए स्वीकार्यता नहीं बना पा रहे हैं तो इसका कारण सिर्फ यही है कि उन्हें रमेश अग्रवाल के आदमी के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है - और रमेश अग्रवाल से बहुत लोगों का विरोध है । इसीलिए शरत जैन को लगा है कि वह सिर्फ रमेश अग्रवाल के भरोसे नहीं रह सकते और उन्हें खुद ही चल कर कुछ करना होगा । लोगों के बीच रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को लेकर जो विरोध के तेवर हैं, उनके मुखर तरीके से सामने आने के बाद शरत जैन को लगा है कि ऐसे में उन्हें खुद ही अपनी उम्मीदवारी के लिए काम करना होगा ।
शरत जैन ने अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के भरोसे रहकर पिछले दिनों काफी नुकसान उठाया है । उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के जिन क्लब्स ने खास आयोजन किए, उन्होंने अकेले दीपक गुप्ता को ही तवज्जो दी । रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने शरत जैन के लिए मौके बनाने की कोशिश तो की, लेकिन उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हो सकीं । जेके गौड़ से भी उन्हें मदद नहीं मिल सकी । रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा का दावा तो है कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में दीपक गुप्ता के लिए नहीं, बल्कि उनके कहने पर शरत जैन के लिए काम करेंगे; जेके गौड़ लेकिन अभी तक शरत जैन के लिए कुछ करते हुए दिखे नहीं हैं । दरअसल सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के कारण जेके गौड़ की जो फजीहत हुई, उसके चलते जेके गौड़ शायद कुछ सावधान हुए हैं । इसके अलावा, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा का पिछलग्गू बने रहने के कारण जेके गौड़ की गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच जो किरकिरी हो रही है, उसके कारण भी जेके गौड़ के लिए शरत जैन के लिए कुछ कर पाना संभव नहीं हुआ है । शरत जैन को रमेश अग्रवाल, मुकेश अरनेजा और जेके गौड़ का समर्थन होने के बावजूद गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों कोई भाव ही नहीं मिला और प्रायः सभी मौकों का लाभ अकेले दीपक गुप्ता को मिला । इसलिए ही शरत जैन को गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच खुद उपस्थित होने की जरूरत महसूस हुई है ।
इस जरूरत को महसूस करने के बाद शरत जैन ने गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच दौड़ तो लगाई है, लेकिन उनकी यह दौड़ उन्हें रमेश अग्रवाल की छाया से कैसे मुक्त करा सकेगी - और मुक्त न करा सकने की स्थिति में कैसे उन्हें लोगों के बीच स्वीकार्य करा सकेगी, यह देखने की बात होगी ।