Saturday, December 1, 2012

संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में गिरीश आहुजा की सक्रियता ने सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में खासी खलबली पैदा कर दी है

नई दिल्ली । गिरीश आहुजा ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के लिए होने वाले चुनाव में संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करके चुनावी माहौल को खासा गर्मा दिया है । संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में गिरीश आहुजा ने जिस तरह निरंतर अभियान चलाया है, उसे और उसके प्रभाव को देख/जान कर दूसरे उम्मीदवार हक्के-बक्के रह गए हैं, और उनके लिए यह समझ पाना मुश्किल हुआ है कि संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में लगे इस मास्टर स्ट्रोक से बने राजनीतिक माहौल में वह क्या करें ? कुछेक उम्मीदवारों ने कोशिश की कि गिरीश आहुजा उनके समर्थन में भी कहीं कुछ अच्छा कह दें, ताकि लोगों को यह बताया/दिखाया जा सके कि गिरीश आहुजा अकेले संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के साथ ही नहीं हैं - बल्कि उनके साथ भी हैं । गिरीश आहुजा को इसके लिए राजी करने में असफल रहने के बाद उन्होंने चाल चली कि गिरीश आहुजा लोगों के बीच यह कह दें कि संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के साथ उन्होंने पिछले दिनों जो प्लेटफॉर्म शेयर किया, वह उनकी एक बिजनेस और इंस्टीट्यूशनल एक्सरसाइज थी और उस एक्सरसाइज का सेंट्रल काउंसिल के चुनाव से या संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी से कोई संबंध नहीं था । गिरीश आहुजा ने लेकिन ऐसा कुछ भी करने से साफ इंकार कर दिया और उनके इस इंकार ने स्पष्ट कर दिया कि संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में चलाया गया उनका अभियान एक सोचा-समझा अभियान है जिसे उन्होंने प्रोफेशनल तैयारी के साथ क्रियान्वित किया है ।
उल्लेखनीय है कि गिरीश आहुजा पहले भी सेंट्रल काउंसिल के चुनावों में कभी इस तो कभी उस उम्मीदवार का समर्थन करते और उन्हें जिताते रहे हैं - लेकिन अभी तक उन्होंने कभी भी सघन रूप से किसी उम्मीदवार के पक्ष में चुनावी अभियान नहीं चलाया । पहली बार, इस बार गिरीश आहुजा ने संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के समर्थन में जैसा अभियान संयोजित किया है - उसने सभी को हैरान और सेंट्रल काउंसिल के दूसरे उम्मीदवारों को परेशान किया है । पंजाब के विभिन्न प्रमुख शहरों में गिरीश आहुजा ने संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के साथ जो साझा मीटिंग्स कीं और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को संबोधित किया, उसने पूरे रीजन में अपना प्रभाव डाला । पूरे रीजन में प्रभाव इसलिए पड़ा, क्योंकि गिरीश आहुजा और संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के साझा कार्यक्रम का फायदा उठाने के उद्देश्य से नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कई उम्मीदवार उन मीटिंग्स में शामिल हुए । मजे की बात यह हुई कि सेंट्रल काउंसिल के दूसरे-दूसरे उम्मीदवारों के साथ 'जुड़े' हुए रीजनल काउंसिल के उम्मीदवार इन मीटिंग्स में शामिल होने के लिए संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के साथ जुड़ने की कोशिश करते देखे/सुने गए । रीजनल काउंसिल के उम्मीदवारों की भागीदारी के चलते संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में होने वाली गिरीश आहुजा की मीटिंग्स को जोरदार प्रचार मिला ।
संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल के समर्थन में गिरीश आहुजा ने जो मीटिंग्स कीं, उसके साथ-साथ उन्होंने चूँकि अपनी क्लासेस के लिए भी कैम्पेन किया - जिसके चलते जिन भी शहरों में उनके आयोजन हुए वहाँ वह बहुत गहमागहमी के साथ हुए और उनके आयोजनों को अच्छा-खासा प्रचार मिला । गिरीश आहुजा की छात्रों के बीच जो लोकप्रियता और प्रतिष्ठा है, उसका संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल ने जमकर फायदा उठाया । दरअसल गिरीश आहुजा के बहुत से पुराने छात्र जो अब चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के रूप में काम कर रहे हैं, गिरीश आहुजा के शहर में आने/होने की बात सुनकर उनके कार्यक्रमों में आये, जिसका फायदा सेंट्रल काउंसिल उम्मीदवार के रूप में संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल को मिला । गिरीश आहुजा की डायरेक्ट टैक्सेस में खास विशेषज्ञता है, जिसके चलते डायरेक्ट टैक्सेस में काम करने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स भी उनके कार्यक्रम में जुटे । गिरीश आहुजा से अलग-अलग कारणों से प्रभावित होने/रहने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने गिरीश आहुजा को जब संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा - तो संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी के प्रति उनके बीच भी समर्थन का भाव पैदा हुआ । गिरीश आहुजा के समर्थन के कारण संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी को एक अलग तरह का ऑरा (आभामंडल), एक अलग तरह की विश्वसनीयता और एक अलग तरह की स्वीकार्यता मिली । दरअसल इसीलिये संजय वॉयस ऑफ सीए अग्रवाल की उम्मीदवारी को मिले गिरीश आहुजा के समर्थन ने चुनाव में खासी खलबली पैदा कर दी है ।