नई दिल्ली । रवि भाटिया के जरिये रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल की अगले
रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत
करने की खबरों ने अगले रोटरी वर्ष की चुनावी राजनीति को दिलचस्प बना दिया
है । दिलचस्प इसलिए क्योंकि रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल ने मौजूदा रोटरी
वर्ष में डॉक्टर सुब्रमणियन के जरिये अपनी जो उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी,
उसमें उसे सफलता नहीं मिली; लिहाजा हर किसी के लिए उत्सुकता का विषय यह
है कि मौजूदा रोटरी वर्ष के अनुभव से रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल के लोगों
ने क्या सबक सीखा है और उस सीखे हुए सबक से वह रवि भाटिया की उम्मीदवारी को
किस तरह लोगों के बीच समर्थन दिलवाते हैं और स्वीकार्य बनाते/बनवाते हैं ।
क्लब के एक वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के
चुनाव में यूँ तो उम्मीदवार की अपनी सक्रियता ही काम आती है और क्लब की कोई
बहुत भूमिका नहीं होती है - लेकिन फिर भी कोई उम्मीदवार यदि क्लब के लोगों
को अपने अभियान में प्रभावी तरीके से शामिल करता है; क्लब के लोगों की मदद
लेता है तो निश्चित ही उसे इसका फायदा मिलता है । रवि भाटिया चूँकि
क्लब के पुराने सदस्य हैं, इसलिए क्लब के पुराने और प्रमुख लोगों के साथ
उनके गहरे विश्वास के संबंध हैं । जाहिर है की यह संबंध चुनाव में व्यावहारिक तरीके से उनके काम आयेंगे । यूँ
तो क्लब के लोगों के साथ डॉक्टर सुब्रमणियन के भी अच्छे संबंध थे; और क्लब
के लोगों ने उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में काम भी किया - लेकिन क्लब के
लोगों का काम डॉक्टर सुब्रमणियन के काम इसलिए नहीं आ सका, क्योंकि क्लब के
लोगों के साथ उनका बहुत जुड़ाव नहीं था; और जो लोग डॉक्टर सुब्रमणियन के
साथ सक्रिय थे, उनका न डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ और न डिस्ट्रिक्ट की
चुनावी राजनीति के साथ कोई परिचय रहा है ।
रवि भाटिया के मामले में संबंधों का ‘गणित’ और संबंधों की 'केमिस्ट्री’ लेकिन बिल्कुल अलग है । रवि भाटिया ने कई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के साथ काम किया है; और इस कारण से वह कई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं । इस नाते से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच रवि भाटिया की पहचान तो है ही, लोग उनकी कार्य-क्षमताओं और रोटरी में तथा डिस्ट्रिक्ट में उनकी सक्रिय संलग्नता से भी परिचित हैं । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच रवि भाटिया के इस परिचय के चलते क्लब के लोगों के लिए भी रवि भाटिया की उम्मीदवारी के लिए अभियान चलाना सुविधाजनक हो जाता है । उल्लेखनीय है कि रवि भाटिया की उम्मीदवारी के संदर्भ में इन्हीं ‘सुविधाओं’ का वास्ता देकर क्लब के कुछेक प्रमुख लोग मौजूदा वर्ष में ही रवि भाटिया की उम्मीदवारी की वकालत कर रहे थे; किंतु पिछली डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस में निभाई गई अपनी सक्रिय भूमिका से लाभ मिलने का वास्ता देकर डॉक्टर सुब्रमणियन ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का प्रस्ताव रखा, तो रवि भाटिया की उम्मीदवारी की वकालत करने वालों ने डॉक्टर सुब्रमणियन को मौका दे देने की बात मान ली । डॉक्टर सुब्रमणियन के चुनावी मुकाबले से बाहर होने के बाद रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल के तथा डिस्ट्रिक्ट के कई एक नेताओं का मानना और कहना रहा कि रवि भाटिया यदि उम्मीदवार होते तो इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के चुनाव का परिदृश्य कुछ और होता । किंतु जो हुआ, उसे खिलाड़ीभावना के साथ स्वीकार करते हुए रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल के प्रमुख लोगों ने अगले रोटरी वर्ष में रवि भाटिया की उम्मीदवारी के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है ।
रवि भाटिया के समर्थक व शुभचिंतक अब की बार वह गलती नहीं करना चाहते हैं, जो पिछली बार हो जाने के कारण उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का मौका उनसे छिन गया था । पिछली बार रवि भाटिया के समर्थक व शुभचिंतक रवि भाटिया की उम्मीदवारी की घोषणा करने की टाइमिंग को लेकर गच्चा खा गये थे । वह रवि भाटिया की उम्मीदवारी को जब तक सामने लाते, उससे पहले ही डॉक्टर सुब्रमणियन ने चूँकि अपनी उम्मीदवारी के लिए लॉबीइंग शुरू कर दी - जिस कारण रवि भाटिया की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने का मौका जाता रहा । अगले रोटरी वर्ष के लिए चूँकि अभी तक किसी ने भी अपनी उम्मीदवारी की बात नहीं की है, इसलिए रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों ने अभी से उनकी उम्मीदवारी की बात करना शुरू करके बढ़त बनाने का लाभ लेने की होशियारी चली है । अगले रोटरी वर्ष के लिए उम्मीदवार के रूप में कुछेक नाम बीच-बीच में सुने तो गये हैं, लेकिन जितने अचानक तरीके से वह नाम सामने आये उतने ही रहस्यपूर्ण ढंग से वह गुम भी हो गये हैं । पिछले दो-तीन वर्षों का नजारा देखें तो एक बात कॉमन दिखती है और वह यह कि जिस उम्मीदवार ने पहले से अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की, चुनावी बाजी उसके हाथ लगी । इस वर्ष जेके गौड़ चुने गये हैं, तो उनकी उम्मीदवारी की चर्चा दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में पहले से थी । उनसे पहले संजय खन्ना और उनसे भी पहले विनोद बंसल जीते तो उनकी उम्मीदवारी भी अपने-अपने प्रतिद्धंद्धियों से पहले सामने आई थी । यह कोई टोटके का मामला नहीं है - पहले से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने से आम लोगों के बीच यह संदेश जाता है कि पहले से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाला उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से ले रहा है । जब कोई उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से लेता नजर आता है, तो दूसरे लोग भी उसकी उम्मीदवारी को गंभीरता से लेते हैं । देर से उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के मामले में इम्प्रेशन यही पड़ता है कि उक्त उम्मीदवार लगता है कि अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही कन्फ्यूज रहा होगा, इसलिए देर से अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत कर रहा है । अब जो उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही कन्फ्यूज रहा हो, उसके लिए अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों के कन्फ्यूजन को दूर कर पाना मुश्किल ही होता है । चुनावी नतीजों से भी यही बात साबित होती रही है । इसलिए ही रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों को अभी से ही रवि भाटिया की उम्मीदवारी को प्रस्तुत करना जरूरी भी लगा और उपयोगी भी ।
रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों को अगले रोटरी वर्ष में स्थितियाँ यदि रवि भाटिया के अनुकूल लग रही हैं तो इसका एक बड़ा कारण राजेश बत्रा का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद पर होना है । राजेश बत्रा यूँ तो चुनावी राजनीति में कोई सक्रिय भूमिका निभाते हुए नहीं देखे/पाये गये हैं, लेकिन रवि भाटिया के साथ उनके नजदीकी संबंधों को देखते हुए यह विश्वास तो किया ही जा सकता है कि उनके नजदीकी संबंधों के चलते मनोवैज्ञानिक फायदा तो रवि भाटिया को मिलेगा ही । राजेश बत्रा के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल के लिए भी ऐसा कुछ कर पाना संभव नहीं होगा, जिससे कि रवि भाटिया की उम्मीदवारी को नुकसान पहुंचे । रवि भाटिया से विनोद बंसल के कोई विरोध के संबंध नहीं हैं; लेकिन मुकेश अरनेजा के साथ विनोद बंसल की जो निकटता है उसे देखते हुए रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों को विनोद बंसल के रवैये को लेकर कुछ आशंका है । रवि भाटिया हालाँकि इस नाते से खुशकिस्मत हैं कि जिन लोगों के विनोद बंसल के भरोसे उम्मीदवार बनने की चर्चा/संभावना थी, वह पीछे हटते दिख रहे हैं; और अभी तक ऐसे किसी नाम की चर्चा नहीं है जिसे विनोद बंसल के उम्मीदवार के तौर पर देखा/पहचाना जाये । रवि भाटिया के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों को ही नहीं, दूसरे अन्य लोगों को यह विश्वास भी है कि राजेश बत्रा के ‘कनेक्शन’ के कारण रवि भाटिया ही हो सकता है कि विनोद बंसल के उम्मीदवार हो जायें । यह विश्वास इसलिए बना और बढ़ा है क्योंकि रवि भाटिया की उम्मीदवारी की चर्चा शुरू होते ही कुछेक संभावनाशील उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी उम्मीदवारी से इंकार करना शुरू कर दिया है । ऐसा ही नजारा रहा तो नेताओं के पास और डिस्ट्रिक्ट के पास ज्यादा विकल्प ही नहीं होंगे - और तब रवि भाटिया को हो सकता है कि किसी खास चुनौती का सामना ही न करना पड़े । हालाँकि यह सोचना/मानना थोड़ा जल्दबाजी करना भी होगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए आक्रामक तरीके से अभियान चला सकने की क्षमता रखने वाले कुछेक रोटेरियंस को उम्मीदवारी प्रस्तुत करने को लेकर उत्सुक देखा/सुना जा रहा है । हालाँकि उनके बारे में अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि वह अगले वर्ष उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे या और आगे आने वाले वर्षों में ? जो होगा, वह तो आगे पता चलेगा - फ़िलहाल तो रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों ने रवि भाटिया की उम्मीदवारी की चर्चा चला कर अगले वर्ष होने वाली चुनावी दौड़ में रवि भाटिया की उम्मीदवारी को आगे तो बढ़ा ही दिया है ।
रवि भाटिया के मामले में संबंधों का ‘गणित’ और संबंधों की 'केमिस्ट्री’ लेकिन बिल्कुल अलग है । रवि भाटिया ने कई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के साथ काम किया है; और इस कारण से वह कई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं । इस नाते से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच रवि भाटिया की पहचान तो है ही, लोग उनकी कार्य-क्षमताओं और रोटरी में तथा डिस्ट्रिक्ट में उनकी सक्रिय संलग्नता से भी परिचित हैं । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच रवि भाटिया के इस परिचय के चलते क्लब के लोगों के लिए भी रवि भाटिया की उम्मीदवारी के लिए अभियान चलाना सुविधाजनक हो जाता है । उल्लेखनीय है कि रवि भाटिया की उम्मीदवारी के संदर्भ में इन्हीं ‘सुविधाओं’ का वास्ता देकर क्लब के कुछेक प्रमुख लोग मौजूदा वर्ष में ही रवि भाटिया की उम्मीदवारी की वकालत कर रहे थे; किंतु पिछली डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस में निभाई गई अपनी सक्रिय भूमिका से लाभ मिलने का वास्ता देकर डॉक्टर सुब्रमणियन ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का प्रस्ताव रखा, तो रवि भाटिया की उम्मीदवारी की वकालत करने वालों ने डॉक्टर सुब्रमणियन को मौका दे देने की बात मान ली । डॉक्टर सुब्रमणियन के चुनावी मुकाबले से बाहर होने के बाद रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल के तथा डिस्ट्रिक्ट के कई एक नेताओं का मानना और कहना रहा कि रवि भाटिया यदि उम्मीदवार होते तो इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के चुनाव का परिदृश्य कुछ और होता । किंतु जो हुआ, उसे खिलाड़ीभावना के साथ स्वीकार करते हुए रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल के प्रमुख लोगों ने अगले रोटरी वर्ष में रवि भाटिया की उम्मीदवारी के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है ।
रवि भाटिया के समर्थक व शुभचिंतक अब की बार वह गलती नहीं करना चाहते हैं, जो पिछली बार हो जाने के कारण उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का मौका उनसे छिन गया था । पिछली बार रवि भाटिया के समर्थक व शुभचिंतक रवि भाटिया की उम्मीदवारी की घोषणा करने की टाइमिंग को लेकर गच्चा खा गये थे । वह रवि भाटिया की उम्मीदवारी को जब तक सामने लाते, उससे पहले ही डॉक्टर सुब्रमणियन ने चूँकि अपनी उम्मीदवारी के लिए लॉबीइंग शुरू कर दी - जिस कारण रवि भाटिया की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने का मौका जाता रहा । अगले रोटरी वर्ष के लिए चूँकि अभी तक किसी ने भी अपनी उम्मीदवारी की बात नहीं की है, इसलिए रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों ने अभी से उनकी उम्मीदवारी की बात करना शुरू करके बढ़त बनाने का लाभ लेने की होशियारी चली है । अगले रोटरी वर्ष के लिए उम्मीदवार के रूप में कुछेक नाम बीच-बीच में सुने तो गये हैं, लेकिन जितने अचानक तरीके से वह नाम सामने आये उतने ही रहस्यपूर्ण ढंग से वह गुम भी हो गये हैं । पिछले दो-तीन वर्षों का नजारा देखें तो एक बात कॉमन दिखती है और वह यह कि जिस उम्मीदवार ने पहले से अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की, चुनावी बाजी उसके हाथ लगी । इस वर्ष जेके गौड़ चुने गये हैं, तो उनकी उम्मीदवारी की चर्चा दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में पहले से थी । उनसे पहले संजय खन्ना और उनसे भी पहले विनोद बंसल जीते तो उनकी उम्मीदवारी भी अपने-अपने प्रतिद्धंद्धियों से पहले सामने आई थी । यह कोई टोटके का मामला नहीं है - पहले से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने से आम लोगों के बीच यह संदेश जाता है कि पहले से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाला उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से ले रहा है । जब कोई उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से लेता नजर आता है, तो दूसरे लोग भी उसकी उम्मीदवारी को गंभीरता से लेते हैं । देर से उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के मामले में इम्प्रेशन यही पड़ता है कि उक्त उम्मीदवार लगता है कि अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही कन्फ्यूज रहा होगा, इसलिए देर से अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत कर रहा है । अब जो उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही कन्फ्यूज रहा हो, उसके लिए अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों के कन्फ्यूजन को दूर कर पाना मुश्किल ही होता है । चुनावी नतीजों से भी यही बात साबित होती रही है । इसलिए ही रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों को अभी से ही रवि भाटिया की उम्मीदवारी को प्रस्तुत करना जरूरी भी लगा और उपयोगी भी ।
रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों को अगले रोटरी वर्ष में स्थितियाँ यदि रवि भाटिया के अनुकूल लग रही हैं तो इसका एक बड़ा कारण राजेश बत्रा का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद पर होना है । राजेश बत्रा यूँ तो चुनावी राजनीति में कोई सक्रिय भूमिका निभाते हुए नहीं देखे/पाये गये हैं, लेकिन रवि भाटिया के साथ उनके नजदीकी संबंधों को देखते हुए यह विश्वास तो किया ही जा सकता है कि उनके नजदीकी संबंधों के चलते मनोवैज्ञानिक फायदा तो रवि भाटिया को मिलेगा ही । राजेश बत्रा के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल के लिए भी ऐसा कुछ कर पाना संभव नहीं होगा, जिससे कि रवि भाटिया की उम्मीदवारी को नुकसान पहुंचे । रवि भाटिया से विनोद बंसल के कोई विरोध के संबंध नहीं हैं; लेकिन मुकेश अरनेजा के साथ विनोद बंसल की जो निकटता है उसे देखते हुए रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों को विनोद बंसल के रवैये को लेकर कुछ आशंका है । रवि भाटिया हालाँकि इस नाते से खुशकिस्मत हैं कि जिन लोगों के विनोद बंसल के भरोसे उम्मीदवार बनने की चर्चा/संभावना थी, वह पीछे हटते दिख रहे हैं; और अभी तक ऐसे किसी नाम की चर्चा नहीं है जिसे विनोद बंसल के उम्मीदवार के तौर पर देखा/पहचाना जाये । रवि भाटिया के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों को ही नहीं, दूसरे अन्य लोगों को यह विश्वास भी है कि राजेश बत्रा के ‘कनेक्शन’ के कारण रवि भाटिया ही हो सकता है कि विनोद बंसल के उम्मीदवार हो जायें । यह विश्वास इसलिए बना और बढ़ा है क्योंकि रवि भाटिया की उम्मीदवारी की चर्चा शुरू होते ही कुछेक संभावनाशील उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी उम्मीदवारी से इंकार करना शुरू कर दिया है । ऐसा ही नजारा रहा तो नेताओं के पास और डिस्ट्रिक्ट के पास ज्यादा विकल्प ही नहीं होंगे - और तब रवि भाटिया को हो सकता है कि किसी खास चुनौती का सामना ही न करना पड़े । हालाँकि यह सोचना/मानना थोड़ा जल्दबाजी करना भी होगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए आक्रामक तरीके से अभियान चला सकने की क्षमता रखने वाले कुछेक रोटेरियंस को उम्मीदवारी प्रस्तुत करने को लेकर उत्सुक देखा/सुना जा रहा है । हालाँकि उनके बारे में अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि वह अगले वर्ष उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे या और आगे आने वाले वर्षों में ? जो होगा, वह तो आगे पता चलेगा - फ़िलहाल तो रवि भाटिया के समर्थकों व शुभचिंतकों ने रवि भाटिया की उम्मीदवारी की चर्चा चला कर अगले वर्ष होने वाली चुनावी दौड़ में रवि भाटिया की उम्मीदवारी को आगे तो बढ़ा ही दिया है ।