नई दिल्ली । मंजीत साहनी को लेकर सुधीर मंगला ने जो 'राजनीति' की वह
मंजीत साहनी के स्पष्टीकरण के कारण सुधीर मंगला को उल्टी पड़ गई है ।
उल्लेखनीय है कि मंजीत साहनी के लिए तब बड़ी अजीब स्थिति पैदा हो गई जब
उन्हें दूसरों से सुनने को मिला कि सुधीर मंगला प्रचारित कर रहे हैं कि
उन्होंने अपने क्लब का समर्थन सुधीर मंगला को दिलवा दिया है । मंजीत साहनी
को कई लोगों के फोन आये कि सुधीर मंगला का यह दावा क्या सच है ? मंजीत
साहनी ने हर किसी से यही कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि सुधीर मंगला इस तरह
का दावा कर रहे हैं । दूसरों के साथ-साथ मंजीत साहनी के लिए भी हैरानी की
बात यह थी कि सुधीर मंगला अपनी राजनीती में उनका नाम क्यों बदनाम कर रहे
हैं ? आश्चर्य और हैरानी के बीच मंजीत साहनी ने जो कहा उससे स्पष्ट हुआ
कि मंजीत साहनी द्धारा अपने क्लब का समर्थन सुधीर मंगला को दिलवाने की बात
सफ़ेद झूठ है । मंजीत साहनी ने बताया कि वह चूंकि लगातार बाहर रहे हैं,
इसलिए अपने क्लब की गतिविधियों से ज्यादा परिचित नहीं हैं; लेकिन उन्हें
इतना अवश्य पता है कि क्लब के बोर्ड ने चुनाव को लेकर फैसला करने का अधिकार
क्लब के अध्यक्ष को दे दिया है और ऐन मौके पर अध्यक्ष जो ठीक समझेंगे, वह
फैसला करेंगे ।
मंजीत साहनी ने हालाँकि यह बताने/जताने में कोई परहेज नहीं किया कि सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति उनकी शुरू से ही सहानुभूति थी और इस बात को उन्होंने हमेशा ही स्पष्ट रूप से लोगों से कहा/बताया है । उन्होंने यहाँ तक कहा/बताया कि सुधीर मंगला के साथ उनके वर्षों पुराने संबंध हैं और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में भी उन्हें सुधीर मंगला का सहयोग और समर्थन मिलता रहा है - इसलिए उनकी सहानुभूति सुधीर मंगला के प्रति होना स्वाभाविक ही है । लेकिन इसके साथ ही मंजीत साहनी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि चूंकि उनके क्लब की यह परंपरा रही है कि नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने का समर्थन वह नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि इस वर्ष के क्लब के पदाधिकारी भी इस परंपरा का पालन करेंगे । मंजीत साहनी जानते हैं कि उनके क्लब का फैसला रोटरी में उनकी अपनी साख और प्रतिष्ठा पर भी असर डालेगा तथा उनकी 'राजनीति' पर भी - इसलिए वह संभल कर ही फैसला करना चाहते हैं । संभल कर फैसला करने का एक पेंच यह भी है कि उनके क्लब में जिस तरह फैसला करने का अधिकार अध्यक्ष को दे दिया गया है, और अध्यक्ष मनमाने तरीके से फैसला करे - जिसे तकनीकी आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निरस्त कर दे, तब क्लब की तो चलिए जाने दीजिये - मंजीत साहनी की साख और प्रतिष्ठा के लिए तो यह एक बड़ा आघात होगा ।
मंजीत साहनी के क्लब के ही कई लोगों का कहना है कि मंजीत साहनी अपने लिए - या क्लब उनकी साख का ध्यान रखते हुए यह 'खतरा' क्यों उठाये ? क्या मंजीत साहनी ने सुधीर मंगला की उम्मीदवारी को अपने तईं कोई मुद्दा बनाया हुआ है ? यह सच है कि वर्षों के संबंधों के चलते मंजीत साहनी के मन में सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति सहानुभूति का भाव रहा है - कुछ लोग उनके इस 'भाव' को हालाँकि विनोद बंसल के प्रति उनकी नाराजगी 'दिखाने' के रूप में भी देखते/पहचानते हैं । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल द्धारा की जा रही अपनी उपेक्षा से मंजीत साहनी काफी आहत हैं; और चूँकि वह जानते हैं कि विनोद बंसल का विरोध सुधीर मंगला की उम्मीदवारी से है; इसलिए विनोद बंसल के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट करने के लिए ही उन्होंने अपने आप को सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के साथ खड़ा दिखाना शुरू किया । यहाँ इस बात पर गौर करना महत्वपूर्ण है कि मंजीत साहनी ने चाहे किसी भी कारण से सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की हो - लेकिन वह सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के समर्थन में सक्रिय कभी भी नहीं नज़र आये हैं । जेके गौड़ की उम्मीदवारी के खिलाफ खड़े दिखने से बचने की भी उन्होंने हर संभव कोशिश की है ।
जेके गौड़ ने दरअसल उनके साथ रोटरी का काफी काम किया है, जिसके लिए मंजीत साहनी कई कई बार सार्वजानिक रूप से जेके गौड़ की प्रशंसा करते रहे हैं । सुधीर मंगला उनके साथ रोटरी का कोई काम करते हुए तो कभी दिखाई नहीं दिए हैं । ऐसे में मंजीत साहनी के लिए यह फैसला करना सचमुच चुनौतीपूर्ण बना कि वह रोटरी के काम में मिले सहयोग को तरजीह दें या व्यक्तिगत संबधों को ? मंजीत साहनी ने - अभी तक तो - दोनों के बीच सामंजस्य बैठाने का अद्भुत कौशल दिखाया है : सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाने में उन्होंने कोई परहेज नहीं किया, लेकिन साथ ही जेके गौड़ की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने वाला कोई काम भी उन्होंने नहीं किया है । सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति सहानुभूति का भाव होने के बावजूद उन्होंने सुधीर मंगला की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने की उन्होंने कहीं कोई कोशिश नहीं की है ।
इसीलिये मंजीत साहनी ने जब सुना कि सुधीर मंगला लोगों के बीच दावा कर रहे हैं कि मंजीत साहनी ने अपने क्लब का समर्थन उन्हें दिलवा दिया है, तब मंजीत साहनी ने सुधीर मंगला के रवैये पर आश्चर्य और हैरानी व्यक्त की और साफ कहा कि सुधीर मंगला को अपनी 'राजनीति' में उनका नाम बदनाम नहीं करना चाहिए । लोगों को दिए मंजीत साहनी के इस जबाव ने सुधीर मंगला की तिकड़मों को तगड़ा झटका दिया है । सुधीर मंगला ने सोचा तो यह होगा कि वह मंजीत साहनी का नाम लेकर इस तरह की बात कहेंगे तो उन्हें दूसरे क्लब्स का समर्थन जुटाने में आसानी होगी - लेकिन मंजीत साहनी के दो-टूक जबाव ने सब गड़बड़ कर दिया; और सुधीर मंगला की राजनीतिक चाल को न सिर्फ फेल कर दिया बल्कि सुधीर मंगला का ही नुकसान करवा दिया । इस तरह सुधीर मंगला को अपनी ही होशियारी भारी पड़ी है ।
मंजीत साहनी ने हालाँकि यह बताने/जताने में कोई परहेज नहीं किया कि सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति उनकी शुरू से ही सहानुभूति थी और इस बात को उन्होंने हमेशा ही स्पष्ट रूप से लोगों से कहा/बताया है । उन्होंने यहाँ तक कहा/बताया कि सुधीर मंगला के साथ उनके वर्षों पुराने संबंध हैं और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में भी उन्हें सुधीर मंगला का सहयोग और समर्थन मिलता रहा है - इसलिए उनकी सहानुभूति सुधीर मंगला के प्रति होना स्वाभाविक ही है । लेकिन इसके साथ ही मंजीत साहनी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि चूंकि उनके क्लब की यह परंपरा रही है कि नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने का समर्थन वह नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि इस वर्ष के क्लब के पदाधिकारी भी इस परंपरा का पालन करेंगे । मंजीत साहनी जानते हैं कि उनके क्लब का फैसला रोटरी में उनकी अपनी साख और प्रतिष्ठा पर भी असर डालेगा तथा उनकी 'राजनीति' पर भी - इसलिए वह संभल कर ही फैसला करना चाहते हैं । संभल कर फैसला करने का एक पेंच यह भी है कि उनके क्लब में जिस तरह फैसला करने का अधिकार अध्यक्ष को दे दिया गया है, और अध्यक्ष मनमाने तरीके से फैसला करे - जिसे तकनीकी आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निरस्त कर दे, तब क्लब की तो चलिए जाने दीजिये - मंजीत साहनी की साख और प्रतिष्ठा के लिए तो यह एक बड़ा आघात होगा ।
मंजीत साहनी के क्लब के ही कई लोगों का कहना है कि मंजीत साहनी अपने लिए - या क्लब उनकी साख का ध्यान रखते हुए यह 'खतरा' क्यों उठाये ? क्या मंजीत साहनी ने सुधीर मंगला की उम्मीदवारी को अपने तईं कोई मुद्दा बनाया हुआ है ? यह सच है कि वर्षों के संबंधों के चलते मंजीत साहनी के मन में सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति सहानुभूति का भाव रहा है - कुछ लोग उनके इस 'भाव' को हालाँकि विनोद बंसल के प्रति उनकी नाराजगी 'दिखाने' के रूप में भी देखते/पहचानते हैं । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल द्धारा की जा रही अपनी उपेक्षा से मंजीत साहनी काफी आहत हैं; और चूँकि वह जानते हैं कि विनोद बंसल का विरोध सुधीर मंगला की उम्मीदवारी से है; इसलिए विनोद बंसल के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट करने के लिए ही उन्होंने अपने आप को सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के साथ खड़ा दिखाना शुरू किया । यहाँ इस बात पर गौर करना महत्वपूर्ण है कि मंजीत साहनी ने चाहे किसी भी कारण से सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की हो - लेकिन वह सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के समर्थन में सक्रिय कभी भी नहीं नज़र आये हैं । जेके गौड़ की उम्मीदवारी के खिलाफ खड़े दिखने से बचने की भी उन्होंने हर संभव कोशिश की है ।
जेके गौड़ ने दरअसल उनके साथ रोटरी का काफी काम किया है, जिसके लिए मंजीत साहनी कई कई बार सार्वजानिक रूप से जेके गौड़ की प्रशंसा करते रहे हैं । सुधीर मंगला उनके साथ रोटरी का कोई काम करते हुए तो कभी दिखाई नहीं दिए हैं । ऐसे में मंजीत साहनी के लिए यह फैसला करना सचमुच चुनौतीपूर्ण बना कि वह रोटरी के काम में मिले सहयोग को तरजीह दें या व्यक्तिगत संबधों को ? मंजीत साहनी ने - अभी तक तो - दोनों के बीच सामंजस्य बैठाने का अद्भुत कौशल दिखाया है : सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाने में उन्होंने कोई परहेज नहीं किया, लेकिन साथ ही जेके गौड़ की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने वाला कोई काम भी उन्होंने नहीं किया है । सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के प्रति सहानुभूति का भाव होने के बावजूद उन्होंने सुधीर मंगला की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने की उन्होंने कहीं कोई कोशिश नहीं की है ।
इसीलिये मंजीत साहनी ने जब सुना कि सुधीर मंगला लोगों के बीच दावा कर रहे हैं कि मंजीत साहनी ने अपने क्लब का समर्थन उन्हें दिलवा दिया है, तब मंजीत साहनी ने सुधीर मंगला के रवैये पर आश्चर्य और हैरानी व्यक्त की और साफ कहा कि सुधीर मंगला को अपनी 'राजनीति' में उनका नाम बदनाम नहीं करना चाहिए । लोगों को दिए मंजीत साहनी के इस जबाव ने सुधीर मंगला की तिकड़मों को तगड़ा झटका दिया है । सुधीर मंगला ने सोचा तो यह होगा कि वह मंजीत साहनी का नाम लेकर इस तरह की बात कहेंगे तो उन्हें दूसरे क्लब्स का समर्थन जुटाने में आसानी होगी - लेकिन मंजीत साहनी के दो-टूक जबाव ने सब गड़बड़ कर दिया; और सुधीर मंगला की राजनीतिक चाल को न सिर्फ फेल कर दिया बल्कि सुधीर मंगला का ही नुकसान करवा दिया । इस तरह सुधीर मंगला को अपनी ही होशियारी भारी पड़ी है ।