Sunday, December 2, 2012

आलोक गुप्ता ने रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के धोखे का बदला लेने के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है क्या ?

गाजियाबाद/नई दिल्ली । आलोक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत करके सभी को चौंका दिया है । उनकी दावेदारी से सबसे ज्यादा आश्चर्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा को हुआ है । आलोक गुप्ता इन दोनों को ही अपना बहुत खास मानते रहे हैं और इन्हीं दोनों के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की मुहीम में कूदे थे । नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला आने से पहले तक आलोक गुप्ता जो भी करते थे, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा से पूछ कर या उन्हें बता कर ही करते थे । नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले ने लेकिन संबंधों की इस केमिस्ट्री को पूरी तरह से बदल दिया है । नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला आने के बाद आलोक गुप्ता ने जो पहला फैसला किया - जेके गौड़ के रूप में नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चुनौती देने का और अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का फैसला; उसके बाबत उन्होंने रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को भी पूरी तरह अँधेरे में रखा । इसीलिये उनकी उम्मीदवारी के कागज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय में पहुँचे तो रमेश अग्रवाल भी हैरान रह गए ।
आलोक गुप्ता के इस फैसले ने सभी को हैरान किया है - क्योंकि वह जोर-शोर के साथ घोषणा कर चुके थे कि यदि जेके गौड़ अधिकृत उम्मीदवार चुने गए तो वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं करेंगे । जिन भी लोगों को उनकी इस घोषणा पर भरोसा नहीं होता था और जो उनकी इस घोषणा को एक स्टंट के रूप में देखते/बताते थे, उन्हें वह आश्वस्त करते थे कि वह उसूलों वाले व्यक्ति हैं और भले ही हालात उनकी उम्मीदवारी के कितने भी अनुकूल दिखते हों, लेकिन वह जेके गौड़ की अधिकृत उम्मीदवारी का विरोध नहीं करेंगे । इतनी साफ घोषणा के बावजूद आलोक गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की तो सभी का हैरान होना स्वाभाविक ही है । आलोक गुप्ता अपनी ही घोषणा से क्यों मुकरे हैं - इसे लेकर रहस्य आलोक गुप्ता की चुप्पी के कारण और भी गहरा गया है । राजनीतिक शब्दावली में कहें तो अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के बाद से आलोक गुप्ता जैसे अंडरग्राउंड हो गए हैं, और फोन पर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं ।
आलोक गुप्ता का यह व्यवहार किसी की भी समझ से बाहर है - हर कोई मान रहा है कि आलोक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को लेकर यदि वास्तव में गंभीर हैं, तो अंडरग्राउंड रह कर - लोगों से बात करने से बच कर भला कैसे अपनी उम्मीदवारी के लिए काम कर सकेंगे ? इसी कारण से, लोगों का अनुमान है कि उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के पीछे आलोक गुप्ता का उद्देश्य रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा की धोखाधढ़ी का बदला लेना है । आलोक गुप्ता नोमीनेटिंग कमेटी में अधिकृत उम्मीदवार चुनने के तौर-तरीके को लेकर पहले ही आपत्ति दर्ज करा चुके हैं । उन आपत्तियों को हालाँकि इसलिए गंभीरता से नहीं लिया गया है क्योंकि उन्होंने अपनी आपत्तियाँ नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला आने के बाद दर्ज कराई हैं । नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला आने के बाद आलोक गुप्ता की जिन भी लोगों से बातें हुईं हैं, उनसे उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश अग्रवाल की भूमिका को लेकर अपनी नाराजगी खासी तल्खी के साथ व्यक्त की है । इसी आधार पर समझा जाता है कि आलोक गुप्ता ने रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा से अपने आप को ठगा हुआ पाया है ।
आलोक गुप्ता अक्सर ही दावा किया करते थे कि रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा किसी भी कीमत पर जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनता हुआ नहीं देखना चाहते हैं । जेके गौड़ के प्रति रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के विरोध की बातें आलोक गुप्ता जिस विश्वास के साथ बताते/कहते थे, उन पर इसलिए विश्वास किया जाता था क्योंकि उस समय आलोक गुप्ता की नजदीकी रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के साथ सार्वजानिक रूप से देखी जाती थी । मजे की बात यह है कि उन दिनों जेके गौड़ भी कहा/बताया करते थे कि आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पीछे रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा हैं, जिनका उद्देश्य उनके सामने बाधा खड़ी करना है । जेके गौड़ के प्रति रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के रवैये से आलोक गुप्ता खासे उत्साहित थे - लेकिन नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले के बाद उन्होंने पाया/समझा कि रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने उन्हें लगातार धोखे में रखा और उन्हें इस्तेमाल किया । आलोक गुप्ता को पता नहीं क्यों यह विश्वास था कि रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने दूसरों के साथ भले ही धोखा किया हो, लेकिन उनके साथ धोखा नहीं करेंगे । किंतु अब उन्हें विश्वास हो चला है कि रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा किसी के भी सगे नहीं हो सकते हैं और अपने स्वार्थ के सामने किसी को भी धोखा दे सकते हैं ।
आलोक गुप्ता ने नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला आने के बाद जिन भी लोगों से बात की है उनका अनुमान है कि आलोक गुप्ता अब रमेश अग्रवाल को बदनाम और परेशान करने के अभियान में जुटेंगे - जैसा कि ललित खन्ना ने और सरोज जोशी ने किया । आलोक गुप्ता को भी इस बात का आभास है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के चुनाव में अब उनके लिए कुछ नहीं बचा है - इसके बावजूद उन्होंने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है; जाहिर है कि उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के पीछे उनका उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद का चुनाव नहीं, बल्कि रमेश अग्रवाल की ऐसी-तैसी करना है । इस मामले में भी, आलोक गुप्ता सचमुच कुछ कर पायेंगे या नहीं, और करेंगे तो क्या और कैसे - यह देखना दिलचस्प होगा ।