Sunday, December 9, 2012

समर्थन में समझे जाने वाले क्लब्स और नेताओं के पीछे हटने से सुधीर मंगला के लिए जरूरी क्लब्स का समर्थन जुटाना मुश्किल हुआ

नई दिल्ली । सुधीर मंगला को यह देख/जान कर झटके पर झटके लग रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद की उम्मीदवारी के संदर्भ में जिन लोगों ने उन्हें समर्थन और सहयोग का भरोसा दिया था, वह अब उनका समर्थन करने से बचने लगे हैं । सुधीर मंगला के लिए हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि उन्होंने जिन क्लब के समर्थन की खुली घोषणा की थी, उनमें से कई ने उनका समर्थन करने से साफ इंकार कर दिया है । सुधीर मंगला के लिए सबसे बड़ा झटका उन पूर्व गवर्नर्स का रवैया रहा जिन्होंने उनके समर्थन का सिर्फ वायदा ही नहीं किया था, बल्कि खुले तौर पर समर्थन का ऐलान भी किया था । सुधीर मंगला के नजदीकियों का कहना है कि सुधीर मंगला ने जिन पूर्व गवर्नर्स पर भरोसा करके अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की, वही पूर्व गवर्नर्स अब उनकी मदद करने के बजाये बहानेबाजी कर रहे हैं । समर्थन की घोषणा करने वाले पूर्व गवर्नर्स के रवैये को देख कर सुधीर मंगला अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा जेके गौड़ को अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने का फैसला करने के बाद, जेके गौड़ के मुकाबले खड़े होने की घोषणा करते हुए सुधीर मंगला ने कई पूर्व गवर्नर्स का समर्थन मिलने का दावा किया था । उन्होंने लोगों को बताया था कि फलाँ फलाँ पूर्व गवर्नर अपने अपने क्लब का समर्थन तो दिलवायेंगे ही, साथ ही अपने समर्थकों के क्लब से भी समर्थन दिलवायेंगे । सुधीर मंगला की इसी तरह की बातें अब उनके लिए मुसीबत बन गईं हैं । सुधीर मंगला जिस भी क्लब से समर्थन की बात करते हैं, उस क्लब के पदाधिकारी उनसे कहते हैं कि पहले अपने समर्थक पूर्व गवर्नर के क्लब का समर्थन दिखाओ, तब हम समर्थन देंगे । समर्थक पूर्व गवर्नर अपने क्लब का समर्थन देने/दिलवाने से यह कह कर बच रहे हैं कि पहले कुछेक क्लब्स का समर्थन तो जुटाओ, हम तब अपने क्लब का समर्थन देंगे/दिलवायेंगे । इस तरह सुधीर मंगला दोनों तरफ से ही 'मारे' जा रहे हैं - 'पहले उनसे' 'पहले उनसे' के चक्कर में सुधीर मंगला को किसी का भी समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है ।
सुधीर मंगला को सबसे तगड़ा झटका विनोद बंसल के रवैये से लगा है । विनोद बंसल ने पिछले रोटरी वर्ष के अनुभव से सबक लेकर इस बार होशियारी से काम लिया, और बदनाम हुए बिना अपनी राजनीति जमाई । विनोद बंसल के लिए सुधीर मंगला को सबक सिखाना जरूरी था - क्योंकि सुधीर मंगला ने उस समय विनोद बंसल को बहुत तंग किया था जब विनोद बंसल उम्मीदवार थे । उस समय, विनोद बंसल की उम्मीदवारी को बाधित करने और नुकसान पहुँचाने के लिए सुधीर मंगला ने हर संभव प्रयास किया था । सुधीर मंगला के उस समय के किये-धरे को विनोद बंसल भूले नहीं हैं और बदला लेने के लिए पूरी तरह से तैयारी किये हुए रहे । पिछले रोटरी वर्ष के अनुभव से सबक लेकर विनोद बंसल इस वर्ष खुल कर कुछ करने से बचे हैं, लेकिन अंदर-खाने उन्होंने उन क्लब्स के पदाधिकारियों को 'अपना' संदेश भिजवा दिया जिन पर सुधीर मंगला का समर्थन करने का शक था । विनोद बंसल चूंकि आने वाले रोटरी वर्ष में गवर्नर होंगे इसलिए लोगों को उनसे डिस्ट्रिक्ट टीम में पद पाने की उम्मीद है । ऐसे में कोई भी नहीं चाहेगा कि वह ऐसा कुछ करे जो विनोद बंसल को बुरा लगे और अगले रोटरी वर्ष में पद पाने की उसकी उम्मीद मारी जाये । इसी कारण से कई क्लब्स ने - जो सुधीर मंगला के समर्थन में देखे/पहचाने जा रहे थे - सुधीर मंगला का समर्थन करने से साफ इंकार कर दिया है ।
सुधीर मंगला और उनके समर्थकों के लिए हैरानी की बात यह बनी हुई है कि जो पूर्व गवर्नर्स उनके प्रति हमदर्दी भी रखते हैं, या विभिन्न कारणों से जेके गौड़ से खुश नहीं हैं - वह भी उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए कुछ कर क्यों नहीं रहे हैं ? मोटे तौर पर इसके दो कारण समझ में आ रहे हैं - एक कारण तो यह है कि पूर्व गवर्नर्स को रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं के बीच अपनी बदनामी का डर है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के चुनाव में पक्षपातपूर्ण धांधलियों की शिकायतों को लेकर रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेता काफी गंभीर हैं और धांधलियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से जो पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है - उसके पालन पर उनकी नज़र है । पायलट प्रोजेक्ट के पीछे जो भावना है उसमें नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने की प्रक्रिया को हतोत्साहित करने की बात है । ऐसे में, कोई भी पूर्व गवर्नर नहीं चाहेगा कि अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने/करवाने की प्रक्रिया में उसकी सक्रियता या मिलीभगत सामने आये । इसे स्वाभाविक रूप से उसके रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं के खिलाफ खड़े होने के रूप में देखा/पहचाना जायेगा - जिसका प्रतिकूल असर रोटरी इंटरनेशनल से उसे मिल सकने वाले ऐसाइनमेंट पर पड़ सकता है । दूसरा कारण यह है कि अधिकतर पूर्व गवर्नर्स को - जो विभिन्न कारणों से जेके गौड़ से खुश नहीं भी हैं उन्हें भी - विश्वास हो चला है कि लोगों के बीच जेके गौड़ ने जैसी जो पैठ बनाई हुई है उसके कारण जीतना/बनना जेके गौड़ को ही है - इसलिए सुधीर मंगला के पक्ष में सक्रिय दिख कर वह यह बदनामी मोल क्यों लें कि उनकी सक्रियता के बाद भी सुधीर मंगला का कुछ नहीं हुआ । कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने इन पक्तियों के लेखक से अलग अलग बात करते हुए साफ कहा कि उन्होंने जेके गौड़ को पहले ही बता दिया है कि वर्षों के परिचय के कारण उनकी हमदर्दी तो सुधीर मंगला के साथ है, लेकिन वह सुधीर मंगला की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए कुछ करेंगे नहीं - और रोटरी इंटरनेशनल के पायलट प्रोजेक्ट के उद्देश्य तथा उसकी पीछे की भावना का सम्मान रखेंगे । समर्थन में दिखने/समझे जाने वाले पूर्व गवर्नर्स के इस रवैये ने सुधीर मंगला की उम्मीदवारी के सामने कठिन मुश्किलें खड़ी कर दी हैं और उनके लिए जरूरी क्लब्स का समर्थन जुटाना लोहे के चने चबाना जैसा हो गया है ।