Tuesday, January 1, 2013

सुशील गुप्ता के सामने मुकेश अरनेजा और विनोद बंसल की मिलीजुली राजनीति के सामने समर्पण करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा लगता है

नई दिल्ली । सुशील गुप्ता की इंटरनेशनल डायरेक्टरी की हेकड़ी की नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव को लेकर मुकेश अरनेजा ने जैसी रेड़ मारी है, उसके चलते सुशील गुप्ता की खासी किरकिरी हो रही है । सुशील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के और डिस्ट्रिक्ट के बाहर के नेताओं के बीच रुतबा तो यह जताया/दिखाया था कि उनके डिस्ट्रिक्ट में नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उसका नाम जायेगा जिसे वह चाहेंगे/कहेंगे - लेकिन मुकेश अरनेजा के रवैये के चलते उनके लिए अपने रुतबे की घोषणा को कार्यरूप दे पाना मुश्किल हो रहा है । सुशील गुप्ता की इस 'दुर्गति' के एक गवाह का कहना है कि सुशील गुप्ता चाहते हैं कि रंजन ढींगरा नोमीनेट कमेटी में शामिल हों, लेकिन मुकेश अरनेजा ने उन्हें ऐसी टंगड़ी मारी है कि उनके लिए अपनी इज्ज़त बचाना मुश्किल हो गया है । दरअसल सुशील गुप्ता को विश्वास था कि वह मुकेश अरनेजा से उम्मीदवारी छोड़ने को कहेंगे तो मुकेश अरनेजा तुरंत से अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लेंगे । मुकेश अरनेजा ने लेकिन उन्हें ठेंगा दिखा दिया है । जिन लोगों ने मुकेश अरनेजा को समझाने की कोशिश की कि सुशील गुप्ता ने चूँकि सीओएल के चुनाव में उनकी मदद की थी इसलिए भी अब उन्हें सुशील गुप्ता की बात को मान लेना चाहिए । लेकिन मुकेश अरनेजा ने इस समझाईश को मानने से साफ इंकार कर दिया है ।
मुकेश अरनेजा का कहना है कि सीओएल के चुनाव में सुशील गुप्ता ने उनकी मदद तो इसलिए की थी ताकि कहीं अशोक घोष सीओएल में न पहुँच जाएँ । इस तरह से, मुकेश अरनेजा का तर्क है कि सीओएल के चुनाव में सुशील गुप्ता ने उनकी मदद नहीं की थी, बल्कि उन्होंने सुशील गुप्ता की मदद की थी । नोमीनेटिंग कमेटी को लेकर मुकेश अरनेजा ने खुली घोषणा की है कि सुशील गुप्ता यदि रंजन ढींगरा को नोमीनेटिंग कमेटी में भेजना चाहते हैं तो उन्हें चुनाव लड़वायें और जितवा लें । मुकेश अरनेजा के इन तेवरों के बाद सुशील गुप्ता की सिट्टी-पिट्टी गुम है । सिट्टी-पिट्टी इसलिए गुम है, क्योंकि सुशील गुप्ता इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के संभावित उम्मीदवारों को और उन उम्मीदवारों के सिपहसालारों को बता चुके हैं कि वह रंजन ढींगरा को नोमीनेटिंग कमेटी में भिजवा रहे हैं; लेकिन मुकेश अरनेजा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उन्हीं संभावित उम्मीदवारों को और उन उम्मीदवारों के सिपहसालारों को बताया हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट के चौधरी बनते भले ही सुशील गुप्ता हों, किन्तु उनके बस की कुछ है नहीं; रंजन ढींगरा को नोमीनेटिंग कमेटी में भिजवाना तो उनके बस की बात बिलकुल भी नहीं है ।
मुकेश अरनेजा के हाथों हो रही सुशील गुप्ता की इस किरकिरी के लिए कुछेक लोग सुशील गुप्ता को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । उनका कहना है कि सुशील गुप्ता को पहले ही समझ लेना चाहिए था कि मुकेश अरनेजा धोखेबाज व्यक्ति हैं और उन पर विश्वास करके वह कभी भी मुसीबत में फँस जायेंगे । कई एक लोगों ने सुशील गुप्ता को आगाह भी किया था कि मुकेश अरनेजा भरोसा करने लायक व्यक्ति नहीं हैं - लेकिन सुशील गुप्ता ने किसी की नहीं सुनी, और नतीजे में अब उन्हें मुँह छिपाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । मजे की बात यह हो रही है कि मुकेश अरनेजा ने ही यह उपाय भी सुझाया है कि सुशील गुप्ता रोटरी नेताओं के बीच अपनी इज्जत कैसे बचा सकते हैं ? मुकेश अरनेजा ने उपाय सुझाया है कि सुशील गुप्ता के सामने अब इसके आलावा कोई चारा नहीं है कि वह लोगों को यह कहने/बताने लगें कि वह तो मुकेश अरनेजा को ही नोमीनेटिंग कमेटी में भेजना चाहते हैं । सुशील गुप्ता को यह उपाय जँच तो रहा है, लेकिन उनकी समस्या यह है कि वह अभी तक चूँकि रंजन ढींगरा का नाम लेते रहे हैं इसलिए अब अचानक से मुकेश अरनेजा का नाम लेंगे तो लोगों के बीच और ज्यादा हँसी होगी । रोटरी नेताओं के बीच रंजन ढींगरा को सुशील गुप्ता के 'ब्ल्यू आइड ब्यॉय' के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए कोई भी इस उपाय की बात पर विश्वास नहीं करेगा और यही माना जायेगा कि मुकेश अरनेजा का नाम सुशील गुप्ता मजबूरी में ही ले रहे हैं ।
विनोद बंसल ने जब रंजन ढींगरा के लिए लॉबिइंग शुरू की थी तो कुछ लोगों को लगा था कि विनोद बंसल के जरिये सुशील गुप्ता ने मुकेश अरनेजा को अलग-थलग करने/दिखाने के लिए कोई जाल बिछाया है; लेकिन अब उन्हीं लोगों को लग रहा है कि वह जाल सुशील गुप्ता के लिए नहीं बल्कि मुकेश अरनेजा का काम आसान बनाने के लिए बिछाया गया था । विनोद बंसल की उस लॉबिइंग ने पहले तो मंजीत साहनी को नोमीनेटिंग कमेटी की चुनावी दौड़ से बाहर किया, और ऐसा करते हुए रंजन ढींगरा को लेकर सुशील गुप्ता के दावे को विश्वसनीय-सा बनाया । इसके बाद जब सुशील गुप्ता जोर-शोर से रंजन ढींगरा का नाम लेने लगे तो अगली चाल मुकेश अरनेजा ने यह घोषणा करते हुए चली कि वह सुशील गुप्ता के कहने में आकर अपनी उम्मीदवारी बिलकुल भी नहीं छोड़ेंगे और सुशील गुप्ता चाहें तो रंजन ढींगरा को चुनाव लड़वा लें । मुकेश अरनेजा ने यह दावा करके कि चुनाव होने की स्थिति में विनोद बंसल उनका समर्थन करेंगे, न कि रंजन ढींगरा का - लोगों को यह अनुमान लगाने के लिए प्रेरित किया है कि कहीं मुकेश अरनेजा और विनोद बंसल ने मिलकर तो सुशील गुप्ता को 'पोपट' नहीं बनाया है ? खुद को डिस्ट्रिक्ट का चौधरी समझने वाले पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के सामने वास्तव में बड़ी विकट स्थिति है - उनके लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि वह रंजन ढींगरा के लिए कुछ करें या मुकेश अरनेजा और विनोद बंसल की मिलीजुली राजनीति के सामने समर्पण करें ?