Wednesday, January 2, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए राकेश त्रेहन का समर्थन यदि ओंकार सिंह रेनु के लिए वरदान की तरह है तो साथ ही यह मुश्किलों का कारण भी है

नई दिल्ली । ओंकार सिंह रेनु का नाम सुभाष गुप्ता के आकस्मिक निधन से खाली हुए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आने के बाद से डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक माहौल में खासी गर्मी पैदा हो गई है । इस 'गर्मी' में उनके लिए शुभकामनाएँ व्यक्त करने वाले लोग भी हैं, तो उनकी राह में कांटे बिछाने की तैयारी करते हुए लोग भी हैं । ओंकार सिंह रेनु को यूँ तो लायनिज्म में ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन मौजूदा लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश त्रेहन के साथ उनकी सक्रियता के चलते उनका नाम लोगों के बीच तेजी से उभरा है । डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में उनकी सक्रियता और संलग्नता को देखते हुए ही उन्हें अगले लायन वर्ष में - दिल्ली का नंबर आने के समय - सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाने लगा था । दरअसल इसी कारण से, सुभाष गुप्ता के आकस्मिक निधन के कारण खाली हुए पद के लिए उनके नाम की चर्चा तेज हो गई । उनके नाम की चर्चा तेज होने के लिए एक तो वह खुद जिम्मेदार हैं और दूसरे उनकी राकेश त्रेहन के साथ की निकटता जिम्मेदार है ।
ओंकार सिंह रेनु खुद इसलिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने अपने को नोमीनेट कराने के लिए तेजी से लॉबिइंग की; और तेजी के साथ की गई उनकी लॉबिइंग को जब राकेश त्रेहन के साथ की उनकी निकटता के साथ जोड़ कर देखा गया तो फिर उनके नाम की चर्चा तेज होनी ही थी । लॉबिइंग हालाँकि आरके शाह ने भी तेजी से की है, और उनके पक्ष में राजिंदर बंसल ने भी नए समीकरणों की संभावनाओं को बनाने की कोशिश की है । आरके शाह और उनके पक्ष में सत्ता खेमे के नेताओं से बात कर रहे राजिंदर बंसल ने तर्क दिया है कि आरके शाह ने पहले राकेश त्रेहन को और फिर सुभाष गुप्ता को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए निर्विरोध चुनवाने का रास्ता बनाने के लिए अपनी उम्मीदवारी की दो-दो बार जो बलि दी हुई है, उसको ध्यान में रखते हुए उन्हें नोमीनेट किया जाना चाहिए । तर्क भले ही आरके शाह के पक्ष में मजबूत हों, लेकिन राजनीतिक समीकरण उनके अनुकूल नहीं है । इसलिए राजनीतिक समीकरणों में कोई बड़ा उलटफेर हुए बिना आरके शाह की दाल के गलने का कोई मौका नहीं दिख रहा है ।
आरके शाह की दाल गलने का मौका कुछेक लोगों को लेकिन ओंकार सिंह रेनु की उम्मीदवारी में छिपा दिख रहा है । दरअसल ओंकार सिंह रेनु की उम्मीदवारी को सत्ता खेमे में दरार पैदा करने वाले एक कारण के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । ओंकार सिंह रेनु इतने अचानक और इतनी तेजी से 'सामने' आये हैं कि अभी सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं के साथ उनकी ठीक से पहचान ही नहीं हो पाई है । सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं के साथ उनका विश्वास का संबंध अभी नहीं बन सका है - राकेश त्रेहन के साथ उनकी निकटता के कारण सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं के साथ विश्वास का संबंध जल्दी से बन पाना थोड़ा मुश्किल-सा भी दिख रहा है । ओंकार सिंह रेनु ने सत्ता खेमे के नेताओं का विश्वास जीतने के लिए जल्दी-जल्दी में जो प्रयास किये भी हैं, और जिस तरह से किये हैं - उनमें उनकी चाल की बजाये चूँकि राकेश त्रेहन की 'चाल' को देखा/पहचाना जा रहा है, इसलिए भी ओंकार सिंह रेनु के लिए सत्ता खेमे के नेताओं के बीच विश्वास बना सकना थोड़ा मुश्किल हुआ है ।
राजनीतिक लड़ाईयाँ लेकिन चूँकि सिर्फ अपने बल के भरोसे ही नहीं जीती जातीं, वह अपने प्रतिद्धंद्धियों की कमजोरियों के भरोसे भी जीती जाती हैं - इसलिए ओंकार सिंह रेनु के लिए उम्मीद अपने प्रतिद्धंद्धियों की कमजोरी में बनी हुई है । उनके प्रमुख प्रतिद्धंद्धी के रूप में विजय गोयल को देखा/पहचाना जा रहा है, जिन्हें दीपक टुटेजा का समर्थन प्राप्त है । इन दोनों को लेकिन अभी तक लॉबिइंग करते हुए नहीं सुना/पाया गया है । विजय गोयल की सत्ता खेमे के नेताओं के बीच पहचान तो अच्छी है, विश्वास भी है लेकिन उनके 'कुछ कर सकने' को लेकर सत्ता खेमे के नेताओं के बीच अविश्वास भी है । विजय गोयल को महत्वाकांक्षी और संभावनाशील उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना तो जाता रहा है, लेकिन विजय गोयल को उम्मीदवार के रूप में 'व्यवहार' करते हुए हुए नहीं देखा/पाया गया है । पिछले लायन वर्ष में विजय गोयल को उम्मीदवार बनाने के प्रयास किये गए थे, लेकिन विजय गोयल ने कोई दिलचस्पी ही नहीं ली और तब अभी के सत्ता खेमे के नेताओं को झकमार कर सुभाष गुप्ता का समर्थन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था । विजय गोयल की यह 'कमजोरी' ओंकार सिंह रेनु के काम आ सकती है ।
लेकिन अभी कुछ भी कह सकना मुश्किल है । कुछेक नामों की और चर्चा हवा में तो है, किंतु उन नामों पर कई-कई 'किंतु' 'परंतु' हैं । कुल मिला कर अभी ओंकार सिंह रेनु के नाम की ज्यादा चर्चा है । इसका कारण यही है कि एक तो उन्होंने अपने आपको भावी उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करने के उद्देश्य से काम करना शुरू कर दिया है, और दूसरे उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश त्रेहन का खुला और सक्रिय समर्थन प्राप्त है । लेकिन राकेश त्रेहन का समर्थन उनके लिए एक तरफ यदि वरदान की तरह है, तो दूसरी तरफ उक्त समर्थन कई मुश्किलों का कारण भी है । अगले कुछ दिनों में घटना चक्र तेजी से चलेगा इसलिए खुले-छिपे रूप में चलने वाली गतिविधियाँ महत्वपूर्ण साबित होंगी ।