लखनऊ । विशाल सिन्हा
ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन
जुटाने के अभियान में लखनऊ में एक बड़ा 'प्रदर्शन' किया । उनके द्धारा
आयोजित पिकनिक कार्यक्रम में दो क्लब्स को छोड़ कर लखनऊ के अन्य सभी क्लब्स
के लोगों की हुई भागीदारी ने एक उम्मीदवार के रूप में विशाल सिन्हा की
सक्रियता और संलग्नता को तो जाहिर किया ही - साथ ही यह 'संदेश' भी दिया
कि जरूरत पड़ने पर वह अपने से नाराज और विरोधी लोगों को भी मना सकते हैं
और अपने साथ जोड़ सकते हैं । विशाल सिन्हा द्धारा आयोजित पिकनिक कार्यक्रम
में डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई
ऐसे प्रमुख लोगों को भी दिलचस्पी के साथ सक्रिय देखा गया जिन्हें विशाल
सिन्हा की उम्मीदवारी के खिलाफ और शिव कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी के
समर्थन में समझा/पहचाना जाता है । शिव कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी के
समर्थकों ने हालाँकि यह कहते हुए पिकनिक के प्रभाव को कम करने की कोशिश की
है कि पिकनिक में कई क्लब्स के लोगों को तरह-तरह से फुसला कर तथा तरह-तरह
के भावनात्मक दबावों से घेर-घार कर इकठ्ठा किया गया - ताकि उन्हें अपने
समर्थन में 'दिखाया' जा सके । शिव कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी के
समर्थकों ने यह तर्क भी दिया है कि विशाल सिन्हा द्धारा आयोजित पिकनिक
कार्यक्रम में शामिल होने का मतलब यह नहीं हो जाता है कि पिकनिक कार्यक्रम
में जो लोग शामिल हुए वह वोट भी विशाल सिन्हा को ही देंगे ।
विशाल सिन्हा द्धारा आयोजित पिकनिक कार्यक्रम की सफलता की जो व्याख्या विशाल सिन्हा और उनके समर्थक तथा शिव कुमार गुप्ता और उनके समर्थक कर रहे हैं उसे यदि अनदेखा भी करें और उन लोगों की बातों पर ध्यान दें जो अभी किसी भी तरफ नहीं हैं - तो पिकनिक कार्यक्रम की सफलता से विशाल सिन्हा ने यह साबित तो कर ही दिया है कि लोगों को अपने साथ जोड़ने और 'दिखाने' का हुनर उन्हें आता है और अपने इसी हुनर का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में लोगों के भारी जमावड़े को संभव कर दिखाया । यह ठीक है कि पिकनिक कार्यक्रम की जोरदार सफलता के बावजूद एक उम्मीदवार के रूप में उनकी चुनौतियाँ ख़त्म नहीं हो गईं हैं - पिकनिक कार्यक्रम में भूपेश बंसल की अनुपस्थिति ने उनकी चुनौतियों को बरक़रार रखने का ही काम किया है । विद्या शंकर दीक्षित और नीरज बोरा की अनुपस्थिति को तो विशाल सिन्हा और उनके समर्थकों ने यह कह कर तवज्जो नहीं दी कि यह दोनों चूँकि शिव कुमार गुप्ता के क्लब में हैं, इसलिए इन्हें तो इस पिकनिक कार्यक्रम में नहीं ही आना था; लेकिन भूपेश बंसल की अनुपस्थिति को लेकर विशाल सिन्हा के समर्थकों के बीच कुछ निराशा का-सा माहौल था । विशाल सिन्हा ने हालाँकि यह बता कर अपने समर्थकों की निराशा को कम करने का प्रयास किया कि भूपेश बंसल ने उनसे पहले ही कह दिया था कि पिकनिक वाले दिन उन्हें बाहर जाना है, इसलिए उस दिन लखनऊ में न रहने के कारण वह पिकनिक में नहीं आ सकेंगे ।
भूपेश बंसल की अनुपस्थिति के कारण विशाल सिन्हा के 'प्रदर्शन' में जो कमी रह गई, उसे अनुपम बंसल की सक्रियता भरी मौजूदगी ने काफी हद तक भरने का काम किया । भूपेश बंसल के 'तेवरों' से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी को अनुपम बंसल के समर्थन को लेकर शंकाएँ पैदा होने लगी थीं । यह शंकाएँ दरअसल इसलिए पैदा हो रही थीं, क्योंकि अनुपम बंसल से जब भी कोई उनके फैसले के बारे में पूछता था, तो अनुपम बंसल यह कह कर बच निकलने की कोशिश करते कि 'जैसा भाई साहब कहेंगे' । 'भाई साहब' से उनका आशय भूपेश बंसल से होता । विशाल सिन्हा के समर्थकों के बीच चूँकि 'भाई साहब' की भूमिका ही संदिग्ध थी, इसलिए अनुपम बंसल की भूमिका को लेकर भी संदेह होने लगे । विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन दिखाने के उद्देश्य से आयोजित हुई पिकनिक में अपनी सक्रिय भागीदारी से अनुपम बंसल ने लेकिन सारे संदेहों को दूर कर दिया है और विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन स्पष्ट कर दिया है । अनुपम बंसल की उपस्थिति के जरिये विशाल सिन्हा और उनके समर्थकों ने लोगों को यह संदेश देने का प्रयास भी किया है कि अब जब अनुपम बंसल उनके पक्ष में खुल कर आ गये हैं, तो आने वाले दिनों में भूपेश बंसल भी उनके साथ ही खड़े दिखेंगे ।
पिकनिक कार्यक्रम के जरिये विशाल सिन्हा ने अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने और दिखाने का जो आयोजन किया है, उससे साफ है कि अपनी 'लड़ाई' को भले ही वह जीता हुआ मान रहे हों, लेकिन फिर भी वह महसूस कर रहे हैं कि उनकी लड़ाई एकतरफा नहीं है और अपनी जीत को सचमुच सुनिश्चित करने के लिए उन्हें लगातार लोगों के बीच रहना होगा और किसी भी कारण से नाराज हो सकने वाले लोगों को अपने साथ जोड़े रखना होगा । पिकनिक कार्यक्रम के जरिये उन्होंने लोगों को अपने साथ दिखाने में अभी तो सफलता पाई है, लेकिन देखना होगा कि इस सफलता को बनाये रखने के लिए वह आगे क्या करते हैं ?
विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई पिकनिक के कुछ जीवंत दृश्य :
विशाल सिन्हा द्धारा आयोजित पिकनिक कार्यक्रम की सफलता की जो व्याख्या विशाल सिन्हा और उनके समर्थक तथा शिव कुमार गुप्ता और उनके समर्थक कर रहे हैं उसे यदि अनदेखा भी करें और उन लोगों की बातों पर ध्यान दें जो अभी किसी भी तरफ नहीं हैं - तो पिकनिक कार्यक्रम की सफलता से विशाल सिन्हा ने यह साबित तो कर ही दिया है कि लोगों को अपने साथ जोड़ने और 'दिखाने' का हुनर उन्हें आता है और अपने इसी हुनर का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में लोगों के भारी जमावड़े को संभव कर दिखाया । यह ठीक है कि पिकनिक कार्यक्रम की जोरदार सफलता के बावजूद एक उम्मीदवार के रूप में उनकी चुनौतियाँ ख़त्म नहीं हो गईं हैं - पिकनिक कार्यक्रम में भूपेश बंसल की अनुपस्थिति ने उनकी चुनौतियों को बरक़रार रखने का ही काम किया है । विद्या शंकर दीक्षित और नीरज बोरा की अनुपस्थिति को तो विशाल सिन्हा और उनके समर्थकों ने यह कह कर तवज्जो नहीं दी कि यह दोनों चूँकि शिव कुमार गुप्ता के क्लब में हैं, इसलिए इन्हें तो इस पिकनिक कार्यक्रम में नहीं ही आना था; लेकिन भूपेश बंसल की अनुपस्थिति को लेकर विशाल सिन्हा के समर्थकों के बीच कुछ निराशा का-सा माहौल था । विशाल सिन्हा ने हालाँकि यह बता कर अपने समर्थकों की निराशा को कम करने का प्रयास किया कि भूपेश बंसल ने उनसे पहले ही कह दिया था कि पिकनिक वाले दिन उन्हें बाहर जाना है, इसलिए उस दिन लखनऊ में न रहने के कारण वह पिकनिक में नहीं आ सकेंगे ।
भूपेश बंसल की अनुपस्थिति के कारण विशाल सिन्हा के 'प्रदर्शन' में जो कमी रह गई, उसे अनुपम बंसल की सक्रियता भरी मौजूदगी ने काफी हद तक भरने का काम किया । भूपेश बंसल के 'तेवरों' से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी को अनुपम बंसल के समर्थन को लेकर शंकाएँ पैदा होने लगी थीं । यह शंकाएँ दरअसल इसलिए पैदा हो रही थीं, क्योंकि अनुपम बंसल से जब भी कोई उनके फैसले के बारे में पूछता था, तो अनुपम बंसल यह कह कर बच निकलने की कोशिश करते कि 'जैसा भाई साहब कहेंगे' । 'भाई साहब' से उनका आशय भूपेश बंसल से होता । विशाल सिन्हा के समर्थकों के बीच चूँकि 'भाई साहब' की भूमिका ही संदिग्ध थी, इसलिए अनुपम बंसल की भूमिका को लेकर भी संदेह होने लगे । विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन दिखाने के उद्देश्य से आयोजित हुई पिकनिक में अपनी सक्रिय भागीदारी से अनुपम बंसल ने लेकिन सारे संदेहों को दूर कर दिया है और विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन स्पष्ट कर दिया है । अनुपम बंसल की उपस्थिति के जरिये विशाल सिन्हा और उनके समर्थकों ने लोगों को यह संदेश देने का प्रयास भी किया है कि अब जब अनुपम बंसल उनके पक्ष में खुल कर आ गये हैं, तो आने वाले दिनों में भूपेश बंसल भी उनके साथ ही खड़े दिखेंगे ।
पिकनिक कार्यक्रम के जरिये विशाल सिन्हा ने अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने और दिखाने का जो आयोजन किया है, उससे साफ है कि अपनी 'लड़ाई' को भले ही वह जीता हुआ मान रहे हों, लेकिन फिर भी वह महसूस कर रहे हैं कि उनकी लड़ाई एकतरफा नहीं है और अपनी जीत को सचमुच सुनिश्चित करने के लिए उन्हें लगातार लोगों के बीच रहना होगा और किसी भी कारण से नाराज हो सकने वाले लोगों को अपने साथ जोड़े रखना होगा । पिकनिक कार्यक्रम के जरिये उन्होंने लोगों को अपने साथ दिखाने में अभी तो सफलता पाई है, लेकिन देखना होगा कि इस सफलता को बनाये रखने के लिए वह आगे क्या करते हैं ?
विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई पिकनिक के कुछ जीवंत दृश्य :