लखनऊ । सुधाकर रस्तोगी की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करा कर विशाल सिन्हा ने एक तरफ तो बीएन चौधरी को 'कसने' की चाल चली है, तो साथ ही साथ अपनी राजनीति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है । हालाँकि अभी विशाल सिन्हा ने सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी में अपनी किसी भी तरह की भूमिका होने से इंकार किया है ।
किंतु किसी के लिए भी यह विश्वास करना संभव नहीं है कि विशाल सिन्हा के
क्लब के सदस्य सुधाकर रस्तोगी बिना उनकी सहमति के उम्मीदवारी प्रस्तुत कर देंगे । इसीलिए हर कोई सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी को विशाल सिन्हा की राजनीतिक चाल के रूप देख/पहचान रहा है । उल्लेखनीय है कि घोषित रूप से
विशाल सिन्हा ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए बीएन चौधरी की
उम्मीदवारी को प्रमोट किया हुआ है, और उन्हें चुनवाने/जितवाने का भरोसा
दिया/दिलाया हुआ है । विशाल सिन्हा हालाँकि अभी यही दावा रहे हैं कि सुधाकर
रस्तोगी की उम्मीदवारी से उनका कोई लेना-देना नहीं है, और वह सुधाकर
रस्तोगी को हर्गिज हर्गिज उम्मीदवार नहीं बनने देंगे । लोगों को अपनी बात
का विश्वास दिलाने के लिए विशाल सिन्हा यहाँ तक दावा कर रहे हैं कि सुधाकर
रस्तोगी ने यदि अपनी उम्मीदवारी को वापस नहीं लिया, तो वह उनकी उम्मीदवारी
को क्लब में पास ही नहीं होने देंगे तथा उन्हें क्लब से निकलवा देंगे । सुधाकर
रस्तोगी का कहना है कि वह उम्मीदवार हैं और रहेंगे - और लोग देखेंगे कि
विशाल सिन्हा ही उनकी उम्मीदवारी का झंडा लेकर आगे आगे चल रहे होंगे । यूँ
तो सुधाकर रस्तोगी की बात को कोई तवज्जो नहीं देता, किंतु चूँकि वह विशाल
सिन्हा के क्लब के सदस्य हैं - इसलिए उनकी बात और उनकी उम्मीदवारी को हर
कोई गंभीरता से ले रहा है और विशाल सिन्हा की भूमिका पर सवाल उठा रहा है ।
विशाल सिन्हा के नजदीकियों का कहना है कि बीएन चौधरी की उम्मीदवारी की अनिश्चितता के चलते विशाल सिन्हा ने सुधाकर रस्तोगी को उम्मीदवारी के लिए तैयार किया है; लेकिन यदि बीएन चौधरी की उम्मीदवारी बनी रहती है तो वह सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी को वापस करवा देंगे । सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी के जरिए विशाल सिन्हा ने बीएन सिंह पर उम्मीदवारी बनाए रखने का दबाव बनाने की चाल भी चली है । नजदीकियों के अनुसार, विशाल सिन्हा को महसूस हो रहा है कि बीएन चौधरी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी से पीछे हट रहे हैं, और अपनी उम्मीदवारी को लेकर उतने उत्साहित नहीं दिख रहे हैं - जितने पहले थे । दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के चुनाव में गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के उम्मीदवार के रूप में अनुपम बंसल की केएस लूथरा के सामने जो चुनावी दुर्गति हुई, उसे देख कर गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा के भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की तैयारी कर रहे बीएन चौधरी का जोश हवा होता हुआ नजर आ रहा है । बीएन चौधरी को जानने वाले लोगों का मानना और कहना है कि बीएन चौधरी चुनावी लफड़े में फँसे बिना गवर्नर बनना चाहते हैं, और यदि वह देखेंगे कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की दौड़ एक चुनावी घमासान में बदल रही है - तो बीएन चौधरी उस दौड़ से बाहर निकल आयेंगे । केएस लूथरा की तरफ से मनोज रुहेला ने चूँकि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चुनावी तैयारी शुरू कर दी है, इसलिए लोगों को लग रहा है कि बीएन चौधरी की उम्मीदवारी अब ज्यादा दिन तक टिकी नहीं रहेगी । विशाल सिन्हा के नजदीकियों के अनुसार, विशाल सिन्हा को भी दरअसल यही डर सता रहा है । विशाल सिन्हा हालाँकि अपनी तरफ से बीएन चौधरी की उम्मीदवारी के गुब्बारे में हवा भरने की पूरी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ साथ वह यह भी देख रहे हैं कि गुब्बारे में हवा पूरी तरह ठहर नहीं पा रही है और बार बार निकल जा रही है । इसी बिना पर लोगों को लग रहा है कि सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी वास्तव में विशाल सिन्हा का प्लान नंबर दो है; और सुधाकर रस्तोगी दरअसल विशाल सिन्हा के वैकल्पिक उम्मीदवार हैं ।
विशाल सिन्हा को इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि उन्होंने अपने गवर्नर-वर्ष में 'अपने' उम्मीदवार को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने का बीड़ा उठाया है । ऐसा करके वास्तव में वह दो वर्ष पहले शिव कुमार गुप्ता के हाथों हुई अपनी चुनावी हार का घाव भरना चाहते हैं । विशाल सिन्हा ने अपनी उस चुनावी हार का ठीकरा केएस लूथरा के सिर यह कहते हुए फोड़ा था कि केएस लूथरा ने अपने गवर्नर पद का दुरूपयोग करते हुए शिव कुमार गुप्ता को चुनाव जितवा दिया । अपने गवर्नर-वर्ष में अपने उम्मीदवार को चुनाव जितवा कर विशाल सिन्हा अपने आरोप को सच साबित करना चाहते हैं - वह जानते हैं कि अन्यथा डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में केएस लूथरा के सामने उनकी बहुत ही किरकिरी होगी । विशाल सिन्हा के लिए चुनौती की बात यह भी है कि केएस लूथरा ही नहीं, शिव कुमार गुप्ता ने भी अपने गवर्नर-वर्ष में 'अपने' उम्मीदवार एके सिंह की जीत को संभव कर लिया । एके सिंह अब भले ही अपनी जीत के लिए गुरनाम सिंह को श्रेय दे रहे हों, और पूछने के अंदाज़ में कह रहे हों कि शिव कुमार गुप्ता ने उनके लिए किया ही क्या है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने देखा है और अभी उन्हें याद भी है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में यह शिव कुमार गुप्ता ही थे, जिन्होंने एके सिंह की उम्मीदवारी में वजन बनाए रखने के लिए किसी और की उम्मीदवारी को प्रोत्साहित तक नहीं होने दिया, और इसके लिए केएस लूथरा तक की नाराजगी मोल ली । शिव कुमार गुप्ता यदि ऐसा न करते और केएस लूथरा के उम्मीदवार को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार हो जाते और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए भी चुनाव हो जाता - तो कौन दावे के साथ कह सकता है कि उसका नतीजा केएस लूथरा व अनुपम बंसल के चुनाव के नतीजे की तर्ज पर नहीं ही निकलता । एके सिंह की सफलता में निश्चित रूप से बहुत से लोगों का सहयोग है - कोई शक नहीं कि गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा का भी उनकी सफलता में महत्त्वपूर्ण किस्म का योगदान है; लेकिन उनकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाने का श्रेय यदि किसी को दिया जा सकता है, तो वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता के खाते में ही जाएगी ।
विशाल सिन्हा भी चाहते हैं कि अपने गवर्नर-वर्ष में वह 'अपने' उम्मीदवार को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने में निर्णायक भूमिका निभाएँ - ताकि वह अपने आप को केएस लूथरा और शिव कुमार गुप्ता से बड़ा नहीं, तो कम कम बराबर का नेता तो अपने आप को साबित करें । उन्हें ऐसा करना इसलिए भी जरूरी लग रहा है क्योंकि पिछले चार चुनावों से केएस लूथरा ने गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा की राजनीति की बैंड बजा रखी है : पहले, खुद विशाल सिन्हा चुनाव हारे; अगली बार अपनी राह सुरक्षित बनाने के लिए गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा को केएस लूथरा की भारी खुशामद करना पड़ी; उसके बाद केएस लूथरा ने संदीप सहगल को जितवाया; इस बार शिव कुमार गुप्ता की सुनियोजित राजनीति ने एके सिंह को सफलता दिलवाई, जबकि गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा के सहयोग/समर्थन के बावजूद अनुपम बंसल को केएस लूथरा से करारी किस्म की हार मिली । इस ट्रेक रिकॉर्ड को देखते हुए बीएन चौधरी यदि गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा के सहयोग/समर्थन पर भरोसे को लेकर आशंकित हैं, तो यह बहुत स्वाभाविक ही है । बीएन चौधरी की आशंका और आशंका के चलते पैदा हुई उनकी ढीलमढाम को देख कर विशाल सिन्हा को अपना प्लान शुरू में ही पिटता हुआ दिख रहा है । इसीलिए मदद के लिए वह सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी को ले आए हैं - जिसके जरिए एक तरफ तो वह डिस्ट्रिक्ट में लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि उनके पास उम्मीदवारों की कमी नहीं है, बीएन चौधरी ने यदि मैदान छोड़ा तो सुधाकर रस्तोगी उम्मीदवार बनेंगे; दूसरी तरफ उन्होंने बीएन चौधरी को भी चेतावनीभरा संकेत दिया है कि उम्मीदवार बने रहना है तो 'काम' शुरू करो - अन्यथा सुधाकर रस्तोगी के लिए जगह छोड़ो ।
विशाल सिन्हा की यह तरकीब बीएन चौधरी को एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय होने के लिए सचमुच प्रोत्साहित करेगी, या बीएन चौधरी तमाम लोगों की इस सोच को सही साबित करेंगे कि चुनाव की संभावना दिखने पर वह अपनी उम्मीदवारी को 'वापस' ले लेंगे - यह जल्दी ही साफ हो जायेगा ।
विशाल सिन्हा के नजदीकियों का कहना है कि बीएन चौधरी की उम्मीदवारी की अनिश्चितता के चलते विशाल सिन्हा ने सुधाकर रस्तोगी को उम्मीदवारी के लिए तैयार किया है; लेकिन यदि बीएन चौधरी की उम्मीदवारी बनी रहती है तो वह सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी को वापस करवा देंगे । सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी के जरिए विशाल सिन्हा ने बीएन सिंह पर उम्मीदवारी बनाए रखने का दबाव बनाने की चाल भी चली है । नजदीकियों के अनुसार, विशाल सिन्हा को महसूस हो रहा है कि बीएन चौधरी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी से पीछे हट रहे हैं, और अपनी उम्मीदवारी को लेकर उतने उत्साहित नहीं दिख रहे हैं - जितने पहले थे । दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के चुनाव में गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के उम्मीदवार के रूप में अनुपम बंसल की केएस लूथरा के सामने जो चुनावी दुर्गति हुई, उसे देख कर गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा के भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की तैयारी कर रहे बीएन चौधरी का जोश हवा होता हुआ नजर आ रहा है । बीएन चौधरी को जानने वाले लोगों का मानना और कहना है कि बीएन चौधरी चुनावी लफड़े में फँसे बिना गवर्नर बनना चाहते हैं, और यदि वह देखेंगे कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की दौड़ एक चुनावी घमासान में बदल रही है - तो बीएन चौधरी उस दौड़ से बाहर निकल आयेंगे । केएस लूथरा की तरफ से मनोज रुहेला ने चूँकि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चुनावी तैयारी शुरू कर दी है, इसलिए लोगों को लग रहा है कि बीएन चौधरी की उम्मीदवारी अब ज्यादा दिन तक टिकी नहीं रहेगी । विशाल सिन्हा के नजदीकियों के अनुसार, विशाल सिन्हा को भी दरअसल यही डर सता रहा है । विशाल सिन्हा हालाँकि अपनी तरफ से बीएन चौधरी की उम्मीदवारी के गुब्बारे में हवा भरने की पूरी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ साथ वह यह भी देख रहे हैं कि गुब्बारे में हवा पूरी तरह ठहर नहीं पा रही है और बार बार निकल जा रही है । इसी बिना पर लोगों को लग रहा है कि सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी वास्तव में विशाल सिन्हा का प्लान नंबर दो है; और सुधाकर रस्तोगी दरअसल विशाल सिन्हा के वैकल्पिक उम्मीदवार हैं ।
विशाल सिन्हा को इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि उन्होंने अपने गवर्नर-वर्ष में 'अपने' उम्मीदवार को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने का बीड़ा उठाया है । ऐसा करके वास्तव में वह दो वर्ष पहले शिव कुमार गुप्ता के हाथों हुई अपनी चुनावी हार का घाव भरना चाहते हैं । विशाल सिन्हा ने अपनी उस चुनावी हार का ठीकरा केएस लूथरा के सिर यह कहते हुए फोड़ा था कि केएस लूथरा ने अपने गवर्नर पद का दुरूपयोग करते हुए शिव कुमार गुप्ता को चुनाव जितवा दिया । अपने गवर्नर-वर्ष में अपने उम्मीदवार को चुनाव जितवा कर विशाल सिन्हा अपने आरोप को सच साबित करना चाहते हैं - वह जानते हैं कि अन्यथा डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में केएस लूथरा के सामने उनकी बहुत ही किरकिरी होगी । विशाल सिन्हा के लिए चुनौती की बात यह भी है कि केएस लूथरा ही नहीं, शिव कुमार गुप्ता ने भी अपने गवर्नर-वर्ष में 'अपने' उम्मीदवार एके सिंह की जीत को संभव कर लिया । एके सिंह अब भले ही अपनी जीत के लिए गुरनाम सिंह को श्रेय दे रहे हों, और पूछने के अंदाज़ में कह रहे हों कि शिव कुमार गुप्ता ने उनके लिए किया ही क्या है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने देखा है और अभी उन्हें याद भी है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में यह शिव कुमार गुप्ता ही थे, जिन्होंने एके सिंह की उम्मीदवारी में वजन बनाए रखने के लिए किसी और की उम्मीदवारी को प्रोत्साहित तक नहीं होने दिया, और इसके लिए केएस लूथरा तक की नाराजगी मोल ली । शिव कुमार गुप्ता यदि ऐसा न करते और केएस लूथरा के उम्मीदवार को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार हो जाते और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए भी चुनाव हो जाता - तो कौन दावे के साथ कह सकता है कि उसका नतीजा केएस लूथरा व अनुपम बंसल के चुनाव के नतीजे की तर्ज पर नहीं ही निकलता । एके सिंह की सफलता में निश्चित रूप से बहुत से लोगों का सहयोग है - कोई शक नहीं कि गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा का भी उनकी सफलता में महत्त्वपूर्ण किस्म का योगदान है; लेकिन उनकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाने का श्रेय यदि किसी को दिया जा सकता है, तो वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता के खाते में ही जाएगी ।
विशाल सिन्हा भी चाहते हैं कि अपने गवर्नर-वर्ष में वह 'अपने' उम्मीदवार को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने में निर्णायक भूमिका निभाएँ - ताकि वह अपने आप को केएस लूथरा और शिव कुमार गुप्ता से बड़ा नहीं, तो कम कम बराबर का नेता तो अपने आप को साबित करें । उन्हें ऐसा करना इसलिए भी जरूरी लग रहा है क्योंकि पिछले चार चुनावों से केएस लूथरा ने गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा की राजनीति की बैंड बजा रखी है : पहले, खुद विशाल सिन्हा चुनाव हारे; अगली बार अपनी राह सुरक्षित बनाने के लिए गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा को केएस लूथरा की भारी खुशामद करना पड़ी; उसके बाद केएस लूथरा ने संदीप सहगल को जितवाया; इस बार शिव कुमार गुप्ता की सुनियोजित राजनीति ने एके सिंह को सफलता दिलवाई, जबकि गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा के सहयोग/समर्थन के बावजूद अनुपम बंसल को केएस लूथरा से करारी किस्म की हार मिली । इस ट्रेक रिकॉर्ड को देखते हुए बीएन चौधरी यदि गुरनाम सिंह व विशाल सिन्हा के सहयोग/समर्थन पर भरोसे को लेकर आशंकित हैं, तो यह बहुत स्वाभाविक ही है । बीएन चौधरी की आशंका और आशंका के चलते पैदा हुई उनकी ढीलमढाम को देख कर विशाल सिन्हा को अपना प्लान शुरू में ही पिटता हुआ दिख रहा है । इसीलिए मदद के लिए वह सुधाकर रस्तोगी की उम्मीदवारी को ले आए हैं - जिसके जरिए एक तरफ तो वह डिस्ट्रिक्ट में लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि उनके पास उम्मीदवारों की कमी नहीं है, बीएन चौधरी ने यदि मैदान छोड़ा तो सुधाकर रस्तोगी उम्मीदवार बनेंगे; दूसरी तरफ उन्होंने बीएन चौधरी को भी चेतावनीभरा संकेत दिया है कि उम्मीदवार बने रहना है तो 'काम' शुरू करो - अन्यथा सुधाकर रस्तोगी के लिए जगह छोड़ो ।
विशाल सिन्हा की यह तरकीब बीएन चौधरी को एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय होने के लिए सचमुच प्रोत्साहित करेगी, या बीएन चौधरी तमाम लोगों की इस सोच को सही साबित करेंगे कि चुनाव की संभावना दिखने पर वह अपनी उम्मीदवारी को 'वापस' ले लेंगे - यह जल्दी ही साफ हो जायेगा ।