नई दिल्ली ।
रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के 'सत्ताधारी' नेताओं को क्लब के 'नए' सदस्य अनूप मित्तल
से पंगा लेना खासा महँगा पड़ा है, और उनके सामने क्लब को गँवाने तक का
गंभीर खतरा पैदा हो गया है । इस स्थिति के लिए क्लब के लोग क्लब के सर्वेसर्वा
बनने की कोशिशों में लगे पूर्व प्रेसीडेंट अजीत जालान को जिम्मेदार ठहरा
रहे हैं । आरोप
है कि अजीत जालान ने अपना स्वार्थ साधने के लिए क्लब के अध्यक्ष भरत
शेट्टी को मोहरा बना कर इस्तेमाल किया, और अपनी मनमानियाँ चलाने के लिए
मौके बनाने के प्रयास किए और इस चक्कर में क्लब के सदस्यों के साथ धोखाधड़ी
की; अनूप मित्तल ने इस धोखाधड़ी का विरोध किया तो उन्हें क्लब से निकालने की
कार्रवाई शुरू करवा दी - लेकिन उनकी कोशिशों का अनूप मित्तल ने जो करारा
जबाव दिया, उससे मामला उल्टा पड़ गया है और खतरा क्लब के ही सस्पेंड होने का
पैदा हो गया है । मुसीबत की बात यह रही कि अजीत जालान जिन कुछेक पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के भरोसे 'उछल' रहे थे और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर
मंगला तक से बदतमीजी करने पर उतर आए थे, उन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने
भी संकट के मौजूदा समय में हाथ पीछे खींच लिए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
सुधीर मंगला ने नियमों का हवाला देते हुए क्लब के प्रेसीडेंट भरत शेट्टी
को चेतावनी देता हुआ एक बहुत ही कठोर पत्र लिखा है, जिसमें विवादित मामलों
पर तथ्यपरक रूप से जबाव देने तथा क्लब के हिसाब-किताब में वित्तीय
हेराफेरियों व ट्रस्ट के गठन में की गई बेईमानी के आरोपों का संतोषजनक जबाव
देने के लिए कहा गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला ने यह जबाव देने
के लिए 27 जून के सायं पाँच बजे तक का समय निर्धारित किया है; और स्पष्ट
चेतावनी दी है कि उक्त समय सीमा में संतोषजनक जबाव न मिलने पर क्लब के
पदाधिकारियों तथा क्लब के खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी ।
रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में बबाल तो शुरू हुआ 'रोटरी साऊथ वेस्ट चैरिटेबिल ट्रस्ट दिल्ली' के गठन को लेकर, लेकिन फिर इस बबाल ने क्लब के फंड्स में की जा रही धांधलियों के मामलों को भी चपेट में ले लिया - और फिर जब यह भेद खुला कि क्लब के कुछेक लोगों ने रोटरी की आड़ में धंधा करने को ही अपना लक्ष्य बनाया हुआ है, तो फिर बात बहुत बढ़ गई और उसमें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के भी पक्ष-विपक्ष बन गए । चर्चा तो यहाँ तक है कि इस बबाल की गर्मी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तक भी पहुँची है, और मनोज देसाई ने कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की इस बात के लिए खिंचाई भी की है कि एक मामूली से विवाद को शह व समर्थन देकर उन्होंने खासे बड़े बबाल में बदल दिया है । मामला सचमुच बहुत मामूली सा ही था : इसी वर्ष 22 जनवरी को हुई क्लब की असेम्बली मीटिंग में एक नए ट्रस्ट के गठन को लेकर चर्चा हुई, जिसमें तय हुआ कि इक्यावन इक्यावन हजार रुपए देने वाले 21 सदस्यों को संस्थापक ट्रस्टी की पहचान देते हुए ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवाया जाए । इसके बाद, 29 अप्रैल को हुई क्लब की असेम्बली मीटिंग में बताया गया कि पाँच पूर्व प्रेसीडेंट्स को संस्थापक ट्रस्टियों की पहचान देते हुए ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है । यह सुनकर और पाँच संस्थापक ट्रस्टियों के नाम सुन/जान कर सदस्यों को हैरानी हुई कि क्लब की असेम्बली मीटिंग में जब 21 संस्थापक ट्रस्टियों की बात हुई थी और संस्थापक ट्रस्टियों को इक्यावन इक्यावन हजार रुपए देने थे, तब संस्थापक ट्रस्टियों की संख्या पाँच ही कैसे रह गई और इन पाँच को भी इक्यावन इक्यावन हजार रुपए लिए बिना ही संस्थापक ट्रस्टी कैसे और क्यों बना दिया गया ? सबसे बड़ी नाइंसाफी तो पूर्व प्रेसीडेंट अनूप मित्तल के साथ हुई - अनूप मित्तल संस्थापक ट्रस्टी बनने की शर्त के अनुसार इक्यावन हजार दे चुके थे, किंतु फिर भी संस्थापक ट्रस्टियों में उनका नाम नहीं था । स्वाभाविक रूप से अनूप मित्तल ने इस पर सवाल उठाते हुए आपत्ति दर्ज की । क्लब के कई अन्य सदस्यों ने भी गुपचुप व मनमाने तरीके से संस्थापक ट्रस्टियों के चयन पर तथा ट्रस्ट के मजमून पर आपत्ति की ।
क्लब के प्रेसीडेंट भरत शेट्टी ने सदस्यों की आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया और ऐसे संकेत दिए कि वह ट्रस्ट को जैसे चाहेंगे वैसे बनायेंगे और चलायेंगे । ट्रस्ट के गठन में मुख्य भूमिका निभाने वाले अजीत जालान, आईएम सिंह, राजन कोचर आदि ने ट्रस्ट को लेकर सवाल उठाने वाले सदस्यों को धमकाना तक शुरू कर दिया कि जिसने भी सवाल उठाए, उसे क्लब से निकाल दिया जायेगा । इस तरह की धमकी ने लेकिन सदस्यों को चुप करने की बजाए और मुखर बना दिया । मुखरता में सदस्यों ने कहना/बताना शुरू कर दिया कि क्लब को कुछेक लोगों ने अपनी बपौती समझ रखा है और क्लब के फंड्स की लूट मचाई हुई है । यह बात भी खुली कि क्लब का एक ट्रस्ट पहले भी बना है, जिसके लिए मोटी रकम इकठ्ठा हुई थी और जिसे काम करने के लिए कई स्रोतों से मोटे पैसे मिले थे - लेकिन किसी को नहीं पता कि उन पैसों का क्या हुआ और ट्रस्ट वास्तव में करता क्या है ? अजीत जालान और संजीव वर्मा 'रोटरी ओर्गेन डोनेशन' नाम से एक ट्रस्ट चलाते हैं, जिसके लिए क्लब से हालाँकि कोई अनुमति और सहमति नहीं ली गई है - लेकिन जब तब जिसके लिए रोटेरियंस से पैसे इकट्ठे किए जाते रहे हैं । उसके हिसाब-किताब का किसी को कुछ अता-पता नहीं है । यह जो तीसरा ट्रस्ट मनमाने षड्यंत्रपूर्ण तरीके से बनाया जा रहा है, उसके पीछे भी अजीत जालान का 'दिमाग' बताया जा रहा है । इन्हीं तथ्यों से क्लब के सदस्यों को लगा और उनका आरोप रहा कि ट्रस्ट की आड़ में अजीत जालान ने धंधे का कोई जुगाड़ किया है । क्लब में पैसों के हिसाब-किताब में अजीत जालान का रिकॉर्ड वैसे भी कुछ अच्छा नहीं रहा है, और उनकी भूमिका संदेहास्पद ही रही है । पिछले रोटरी वर्ष में वह क्लब के ट्रेजरार थे; पिछले रोटरी वर्ष का हिसाब माँगते-माँगते क्लब के सदस्यों के हलक सूख गए हैं, लेकिन उन्हें हिसाब नहीं मिला है । डॉक्टर सुब्रमणियम ने अपने गवर्नर-वर्ष के अभी तक जो प्रोग्राम किए हैं, उनमें हिसाब-किताब की गड़बड़ी और पैसे 'बनाने' के जो आरोप सुने गए हैं, उनके लिए भी अजीत जालान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है : अजीत जालान को डॉक्टर सुब्रमणियम ने अपने गवर्नर-वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार बनाया है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच आरोपपूर्ण चर्चा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार के रूप में अजीत जालान ने डॉक्टर सुब्रमणियम के पेम/पेट्स/असेम्बली आदि कार्यक्रमों में खर्चों का भारी गोलमाल किया है ।
अजीत जालान चूँकि कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के सहयोग/समर्थन के भरोसे अभी तक अपनी मनमानियों को सफलतापूर्वक अंजाम दे पा रहे थे, इसलिए उनके हौंसले काफी बुलंद थे । इन्हीं बुलंद हौंसलों की बदौलत उन्होंने नए ट्रस्ट के संदर्भ में उठने वाले सवालों की परवाह नहीं की तथा सवाल उठाने वाले लोगों को खुद धमकाने तथा अपने समर्थक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से धमकवाने का काम शुरू कर दिया । क्लब के एकाउंट्स माँगने के 'अपराध' में विनोद साहनी को क्लब से निकलवाने में अजीत जालान सफल भी हुए । सफलता के मद में अजीत जालान और उनके साथियों ने अनूप मित्तल से पंगा ले लिया । बस यही उनसे गलती हो गई । लगा तो उन्हें यह कि अनूप मित्तल विभाजन के बाद अस्तित्व में आए नए डिस्ट्रिक्ट 3011 के क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में ट्रांसफर लेकर अभी करीब एक वर्ष पहले ही आए हैं, और इस हिसाब से अनूप मित्तल क्लब में नए हैं - लिहाजा वह उन्हें धमका लेंगे; लेकिन अनूप मित्तल ने क्लब में वित्तीय गड़बड़ियों का और मनमाने तरीके से ट्रस्ट बनाए जाने के मामले का ऐसा इश्यू बनाया कि क्लब के पदाधिकारियों पर शिकंजा कसता चला गया । अनूप मित्तल ने क्लब के पदाधिकारियों की प्रशासनिक स्तर के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर भी घेराबंदी की - जिसका नतीजा रहा कि एक तरफ तो क्लब के पदाधिकारियों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला से फटकार सुननी पड़ी तथा सुधीर मंगला की प्रशासनिक कार्रवाई का शिकार होना पड़ा, तथा दूसरी तरफ दस से ज्यादा लोगों ने क्लब के पदाधिकारियों पर लूटखसोट का आरोप लगाते हुए क्लब की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया । मजेदार बात यह हुई कि क्लब के पदाधिकारी अनूप मित्तल को क्लब से निकालने की धमकी दे रहे थे तथा इस बारे में कार्रवाई शुरू कर ही रहे थे, कि उससे पहले अनूप मित्तल ने ही जाल बिछा कर क्लब के पदाधिकारियों को ही फँसा दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला की तरफ से क्लब के प्रेसीडेंट भरत शेट्टी को शो-कॉज नोटिस मिलने के बाद क्लब के पदाधिकारियों के लिए अपनी इज्जत और क्लब के अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो गया है । अजीत जालान हालाँकि क्लब के पदाधिकारियों को आश्वस्त कर रहे हैं कि सुधीर मंगला ने 27/28 जून को क्लब के खिलाफ कोई फैसला यदि लिया भी, तो वह चार दिन बाद गवर्नर बनने वाले डॉक्टर सुब्रमणियम से उस फैसले को पलटवा लेंगे । अजीत जालान का दावा है कि डॉक्टर सुब्रमणियम से उन्होंने बात कर ली है और डॉक्टर सुब्रमणियम ने उनसे वायदा किया है कि वह उनके क्लब को कोई नुकसान नहीं होने देंगे । रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में वित्तीय धांधलियों के खिलाफ मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला के कठोर रवैये और अजीत जालान के दावे के अनुसार डॉक्टर सुब्रमणियम के दिए भरोसे के बीच रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट का मामला सचमुच दिलचस्प हो उठा है ।
रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में बबाल तो शुरू हुआ 'रोटरी साऊथ वेस्ट चैरिटेबिल ट्रस्ट दिल्ली' के गठन को लेकर, लेकिन फिर इस बबाल ने क्लब के फंड्स में की जा रही धांधलियों के मामलों को भी चपेट में ले लिया - और फिर जब यह भेद खुला कि क्लब के कुछेक लोगों ने रोटरी की आड़ में धंधा करने को ही अपना लक्ष्य बनाया हुआ है, तो फिर बात बहुत बढ़ गई और उसमें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के भी पक्ष-विपक्ष बन गए । चर्चा तो यहाँ तक है कि इस बबाल की गर्मी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तक भी पहुँची है, और मनोज देसाई ने कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की इस बात के लिए खिंचाई भी की है कि एक मामूली से विवाद को शह व समर्थन देकर उन्होंने खासे बड़े बबाल में बदल दिया है । मामला सचमुच बहुत मामूली सा ही था : इसी वर्ष 22 जनवरी को हुई क्लब की असेम्बली मीटिंग में एक नए ट्रस्ट के गठन को लेकर चर्चा हुई, जिसमें तय हुआ कि इक्यावन इक्यावन हजार रुपए देने वाले 21 सदस्यों को संस्थापक ट्रस्टी की पहचान देते हुए ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवाया जाए । इसके बाद, 29 अप्रैल को हुई क्लब की असेम्बली मीटिंग में बताया गया कि पाँच पूर्व प्रेसीडेंट्स को संस्थापक ट्रस्टियों की पहचान देते हुए ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है । यह सुनकर और पाँच संस्थापक ट्रस्टियों के नाम सुन/जान कर सदस्यों को हैरानी हुई कि क्लब की असेम्बली मीटिंग में जब 21 संस्थापक ट्रस्टियों की बात हुई थी और संस्थापक ट्रस्टियों को इक्यावन इक्यावन हजार रुपए देने थे, तब संस्थापक ट्रस्टियों की संख्या पाँच ही कैसे रह गई और इन पाँच को भी इक्यावन इक्यावन हजार रुपए लिए बिना ही संस्थापक ट्रस्टी कैसे और क्यों बना दिया गया ? सबसे बड़ी नाइंसाफी तो पूर्व प्रेसीडेंट अनूप मित्तल के साथ हुई - अनूप मित्तल संस्थापक ट्रस्टी बनने की शर्त के अनुसार इक्यावन हजार दे चुके थे, किंतु फिर भी संस्थापक ट्रस्टियों में उनका नाम नहीं था । स्वाभाविक रूप से अनूप मित्तल ने इस पर सवाल उठाते हुए आपत्ति दर्ज की । क्लब के कई अन्य सदस्यों ने भी गुपचुप व मनमाने तरीके से संस्थापक ट्रस्टियों के चयन पर तथा ट्रस्ट के मजमून पर आपत्ति की ।
क्लब के प्रेसीडेंट भरत शेट्टी ने सदस्यों की आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया और ऐसे संकेत दिए कि वह ट्रस्ट को जैसे चाहेंगे वैसे बनायेंगे और चलायेंगे । ट्रस्ट के गठन में मुख्य भूमिका निभाने वाले अजीत जालान, आईएम सिंह, राजन कोचर आदि ने ट्रस्ट को लेकर सवाल उठाने वाले सदस्यों को धमकाना तक शुरू कर दिया कि जिसने भी सवाल उठाए, उसे क्लब से निकाल दिया जायेगा । इस तरह की धमकी ने लेकिन सदस्यों को चुप करने की बजाए और मुखर बना दिया । मुखरता में सदस्यों ने कहना/बताना शुरू कर दिया कि क्लब को कुछेक लोगों ने अपनी बपौती समझ रखा है और क्लब के फंड्स की लूट मचाई हुई है । यह बात भी खुली कि क्लब का एक ट्रस्ट पहले भी बना है, जिसके लिए मोटी रकम इकठ्ठा हुई थी और जिसे काम करने के लिए कई स्रोतों से मोटे पैसे मिले थे - लेकिन किसी को नहीं पता कि उन पैसों का क्या हुआ और ट्रस्ट वास्तव में करता क्या है ? अजीत जालान और संजीव वर्मा 'रोटरी ओर्गेन डोनेशन' नाम से एक ट्रस्ट चलाते हैं, जिसके लिए क्लब से हालाँकि कोई अनुमति और सहमति नहीं ली गई है - लेकिन जब तब जिसके लिए रोटेरियंस से पैसे इकट्ठे किए जाते रहे हैं । उसके हिसाब-किताब का किसी को कुछ अता-पता नहीं है । यह जो तीसरा ट्रस्ट मनमाने षड्यंत्रपूर्ण तरीके से बनाया जा रहा है, उसके पीछे भी अजीत जालान का 'दिमाग' बताया जा रहा है । इन्हीं तथ्यों से क्लब के सदस्यों को लगा और उनका आरोप रहा कि ट्रस्ट की आड़ में अजीत जालान ने धंधे का कोई जुगाड़ किया है । क्लब में पैसों के हिसाब-किताब में अजीत जालान का रिकॉर्ड वैसे भी कुछ अच्छा नहीं रहा है, और उनकी भूमिका संदेहास्पद ही रही है । पिछले रोटरी वर्ष में वह क्लब के ट्रेजरार थे; पिछले रोटरी वर्ष का हिसाब माँगते-माँगते क्लब के सदस्यों के हलक सूख गए हैं, लेकिन उन्हें हिसाब नहीं मिला है । डॉक्टर सुब्रमणियम ने अपने गवर्नर-वर्ष के अभी तक जो प्रोग्राम किए हैं, उनमें हिसाब-किताब की गड़बड़ी और पैसे 'बनाने' के जो आरोप सुने गए हैं, उनके लिए भी अजीत जालान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है : अजीत जालान को डॉक्टर सुब्रमणियम ने अपने गवर्नर-वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार बनाया है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच आरोपपूर्ण चर्चा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार के रूप में अजीत जालान ने डॉक्टर सुब्रमणियम के पेम/पेट्स/असेम्बली आदि कार्यक्रमों में खर्चों का भारी गोलमाल किया है ।
अजीत जालान चूँकि कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के सहयोग/समर्थन के भरोसे अभी तक अपनी मनमानियों को सफलतापूर्वक अंजाम दे पा रहे थे, इसलिए उनके हौंसले काफी बुलंद थे । इन्हीं बुलंद हौंसलों की बदौलत उन्होंने नए ट्रस्ट के संदर्भ में उठने वाले सवालों की परवाह नहीं की तथा सवाल उठाने वाले लोगों को खुद धमकाने तथा अपने समर्थक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से धमकवाने का काम शुरू कर दिया । क्लब के एकाउंट्स माँगने के 'अपराध' में विनोद साहनी को क्लब से निकलवाने में अजीत जालान सफल भी हुए । सफलता के मद में अजीत जालान और उनके साथियों ने अनूप मित्तल से पंगा ले लिया । बस यही उनसे गलती हो गई । लगा तो उन्हें यह कि अनूप मित्तल विभाजन के बाद अस्तित्व में आए नए डिस्ट्रिक्ट 3011 के क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में ट्रांसफर लेकर अभी करीब एक वर्ष पहले ही आए हैं, और इस हिसाब से अनूप मित्तल क्लब में नए हैं - लिहाजा वह उन्हें धमका लेंगे; लेकिन अनूप मित्तल ने क्लब में वित्तीय गड़बड़ियों का और मनमाने तरीके से ट्रस्ट बनाए जाने के मामले का ऐसा इश्यू बनाया कि क्लब के पदाधिकारियों पर शिकंजा कसता चला गया । अनूप मित्तल ने क्लब के पदाधिकारियों की प्रशासनिक स्तर के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर भी घेराबंदी की - जिसका नतीजा रहा कि एक तरफ तो क्लब के पदाधिकारियों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला से फटकार सुननी पड़ी तथा सुधीर मंगला की प्रशासनिक कार्रवाई का शिकार होना पड़ा, तथा दूसरी तरफ दस से ज्यादा लोगों ने क्लब के पदाधिकारियों पर लूटखसोट का आरोप लगाते हुए क्लब की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया । मजेदार बात यह हुई कि क्लब के पदाधिकारी अनूप मित्तल को क्लब से निकालने की धमकी दे रहे थे तथा इस बारे में कार्रवाई शुरू कर ही रहे थे, कि उससे पहले अनूप मित्तल ने ही जाल बिछा कर क्लब के पदाधिकारियों को ही फँसा दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला की तरफ से क्लब के प्रेसीडेंट भरत शेट्टी को शो-कॉज नोटिस मिलने के बाद क्लब के पदाधिकारियों के लिए अपनी इज्जत और क्लब के अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो गया है । अजीत जालान हालाँकि क्लब के पदाधिकारियों को आश्वस्त कर रहे हैं कि सुधीर मंगला ने 27/28 जून को क्लब के खिलाफ कोई फैसला यदि लिया भी, तो वह चार दिन बाद गवर्नर बनने वाले डॉक्टर सुब्रमणियम से उस फैसले को पलटवा लेंगे । अजीत जालान का दावा है कि डॉक्टर सुब्रमणियम से उन्होंने बात कर ली है और डॉक्टर सुब्रमणियम ने उनसे वायदा किया है कि वह उनके क्लब को कोई नुकसान नहीं होने देंगे । रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में वित्तीय धांधलियों के खिलाफ मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला के कठोर रवैये और अजीत जालान के दावे के अनुसार डॉक्टर सुब्रमणियम के दिए भरोसे के बीच रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट का मामला सचमुच दिलचस्प हो उठा है ।