Wednesday, June 1, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बृज भूषण की कारगुजारियाँ रोटरी से बाहर की दुनिया में भी गुल खिला रही हैं, और वह अखबारों की सुर्खियाँ बन रहे हैं

मेरठ । बृज भूषण को रोटरी में की गईं अपनी कारस्तानियों की सजा वेस्टर्न यू पी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज में भी भुगतनी पड़ी है, जहाँ उन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा बृज भूषण के खिलाफ की गई कार्रवाई का संज्ञान लेते हुए वेस्टर्न यू पी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एएन सेठ ने इस बात की जाँच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था कि बृज भूषण के खिलाफ रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के आरोप आखिरकार कितने गंभीर हैं, और उन आरोपों के रहते हुए बृज भूषण चैम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर बने रहने योग्य हैं या नहीं । जाँच कमेटी में चैम्बर के सचिव आरके जैन, महेश चंद्र जैन तथा एसपी देशवाल थे; जिन्होंने अध्यक्ष एएन सेठ को सौंपी अपनी जाँच रिपोर्ट में बताया कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने बृज भूषण को जिस तरह की गतिविधियों में संलग्न पाया और जिनके कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की, वह बहुत ही गंभीर किस्म की हैं; और ऐसे व्यक्ति के चैम्बर में रहने तथा उसमें पदाधिकारी बने रहने से चैम्बर की पहचान व प्रतिष्ठा पर नकारात्मक असर पड़ेगा । जाँच कमेटी ने सिफारिश की कि रोटरी में बृज भूषण द्वारा की गई कारगुजारियों को देखते हुए उन्हें चैम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से तो हटा ही देना चाहिए, साथ ही चैम्बर की उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी जानी चाहिए । जाँच कमेटी की रिपोर्ट व सिफारिश को स्वीकार करते हुए चैम्बर के अध्यक्ष एएन सेठ ने तुरंत प्रभाव से बृज भूषण को चैम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से तो हटा ही दिया, चैम्बर की उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी है ।
बृज भूषण के खिलाफ की गई वेस्टर्न यू पी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की कार्रवाई की खबर को मेरठ के अखबारों ने जिस प्रमुखता से छापा, उसके चलते मेरठ क्षेत्र में यह खबर जंगल में आग की तरह तेजी से फैल गई और बृज भूषण की भारी थू थू हुई । बृज भूषण को सबसे ज्यादा फजीहत मेरठ के शिक्षा संस्थानों में झेलनी पड़ी, जहाँ कि वह अपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च के चेयरमैन के नाते एक शिक्षाविद के रूप में अपनी पहचान व साख बनाए हुए थे । मैनेजमेंट विषय पर आलेख लिखने तथा शिक्षा संस्थाओं में लैक्चर देते रहने के कारण शिक्षा क्षेत्र में वह 'मैनेजमेंट गुरु' के रूप में पहचाने जाते रहे हैं । चैम्बर की कार्रवाई से लेकिन पोल खुली कि बृज भूषण वास्तव में किस तरह के 'मैनेजमेंट' की गुरुघंटाली करते रहे हैं । रोटरी में उनकी कारस्तानियों से लोग परिचित रहे हैं । रोटरी में पोलियो के नाम पर नेशनल पोलियोप्लस कमेटी के चेयरमैन दीपक कपूर तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर अशोक महाजन को खुश करके उन्होंने कैसी कैसी धांधलियाँ की हैं, इसे रोटरी में तो लोग खूब जानते हैं । साथी रोटेरियंस को बदनाम व परेशान करने के उद्देश्य से उनके खिलाफ बेनामी तरीके से झूठी बातें लिखने/फैलाने के काम में भी बृज भूषण को महारत हासिल रही है । हर वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को किसी न किसी तरीके से फुसला/धमका कर अपने लिए महत्वपूर्ण पद का जुगाड़ करना बृज भूषण का खास शौक व शगल रहा है । बृज भूषण हालाँकि खुशकिस्मत रहे कि तमाम धांधलियों और कारगुजारियों के बावजूद रोटरी में उनका 'सिक्का' चलता रहा - लेकिन जैसी की एक मशहूर कहावत है कि पाप का घड़ा आखिरकार एक न एक दिन फूटता ही है, तो बृज भूषण भी आखिरकार 'पकड़े' गए और रोटरी की सबसे बड़ी अथॉरिटी रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने रोटरी में की गईं उनकी कारस्तानियों के लिए उन्हें 'अपराधी' घोषित किया ।
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में 'अपराधी' घोषित होने से बृज भूषण को यद्यपि ज्यादा असर नहीं पड़ा, क्योंकि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने उन्हें जिस तरह के 'अपराधों' में संलग्न पाया और घोषित किया - उनके उन 'अपराधों' को तो रोटरी और डिस्ट्रिक्ट में खूब सुना/सुनाया जाता रहा है । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की कार्रवाई से बृज भूषण कुछ दबाव में तो आए, लेकिन कुल मिलाकर रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में और रोटेरियंस के बीच उनकी स्थिति व हैसियत में कोई फर्क नहीं पड़ा । लेकिन रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की कार्रवाई का संज्ञान लेकर चैम्बर में उनके खिलाफ जो कार्रवाई हुई है, उससे मेरठ क्षेत्र में उनकी भारी फजीहत हुई है । इससे एक नुकसान तो यह हुआ कि रोटरी से बाहर के लोगों के लोगों के बीच जिन लोगों को रोटरी में की जा रही उनकी कारगुजारियों की जानकारी नहीं थी, और जो समझते थे कि रोटरी में वह कोई बहुत महान महान काम रहे हैं - उनके बीच उनकी असलियत सामने आई और उनका वास्तविक चेहरा बेनकाब हुआ; दूसरा नुकसान साख व प्रतिष्ठा का हुआ : बृज भूषण जिन जिन संस्थाओं में हैं उनके पदाधिकारियों के कान खड़े हुए और वह विचार करने के लिए मजबूर हुए कि जो बृज भूषण रोटरी जैसी सेवा वाली संस्था तक में धांधलियाँ कर सकते हैं, वह बृज भूषण प्रोफेशनल संस्थाओं में क्या क्या नहीं कर गुजरेंगे ? दरअसल इसी विचार से प्रेरित होकर वेस्टर्न यू पी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने बृज भूषण को न सिर्फ वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से हटा दिया, बल्कि चैम्बर की उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी ।
बृज भूषण के लिए समस्या और मुसीबत की बात यह है कि रोटरी में उनकी कारस्तानियों का संज्ञान लेकर वेस्टर्न यू पी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने उनके खिलाफ जो कार्रवाई की है, वैसी ही कार्रवाई मेरठ क्लब में भी शुरू हो जाने की बातें सुनी जा रही हैं, जहाँ कि वह विशेष सचिव पद पर हैं । चैम्बर द्वारा की गई कार्रवाई की खबर सुन/जान कर मेरठ क्लब के पदाधिकारियों के बीच भी चर्चा छिड़ी है कि बृज भूषण को यदि मेरठ क्लब में विशेष सचिव के पद पर बने रहने दिया जाता है, तो इससे मेरठ क्लब की बदनामी नहीं होगी क्या ? कुछेक पदाधिकारियों ने मत व्यक्त किया है कि बृज भूषण से कहा जाए कि वह स्वयं ही मेरठ क्लब का पद व उसकी सदस्यता छोड़ दें, ताकि चैम्बर की तरह से उन्हें हटाने/निकालने की कार्रवाई न करना पड़े । समझा जाता है कि बृज भूषण ने मेरठ क्लब का पद और सदस्यता यदि स्वयं से नहीं छोड़ी, तो मेरठ क्षेत्र में अखबार पढ़ने वालों को मेरठ क्लब से बृज भूषण के निकाले जाने की खबर भी जल्दी ही पढ़ने को मिलेगी । इसे मात्र एक संयोग कहें, या विडंबना कहें, या बृज भूषण की बदकिस्मती कहें कि पिछले वर्ष तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव रस्तोगी ने बृज भूषण को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद से हटाने/निकालने की जो कार्रवाई की थी, उसके बाद से बृज भूषण को लगातार मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि संजीव रस्तोगी द्वारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद से हटाए जाने के बाद बृज भूषण ने सुनील गुप्ता पर डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाने का दबाव बनाया । सुनील गुप्ता ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर तो बनाया, लेकिन इसके लिए उनसे इतने पापड़ बिलवाए, जितने बृज भूषण ने अपने रोटरी जीवन में कुल मिलाकर नहीं बेले होंगे । खासी फजीहत के बाद बृज भूषण को सुनील गुप्ता के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद मिल तो गया, लेकिन लगातार दूसरी बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए । पिछले वर्ष तो संजीव रस्तोगी ने उन्हें हटाया था, इस वर्ष रोटरी इंटरनेशनल ने जब सुनील गुप्ता को ही गवर्नर पद से हटा दिया - तो बृज भूषण का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का कार्यकाल स्वतः अधूरा रह गया । उसके बाद उनके साथ जो जो हुआ है, उसकी कहानी तो फिर नई नई बात है और सभी को याद है ।
बृज भूषण के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि पिछले वर्ष संजीव रस्तोगी द्वारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटाए जाने के मामले को बृज भूषण यदि अपने लिए खतरे की घंटी के रूप में पहचानते तथा अपनी स्थिति का आकलन करते और सबक लेते हुए सावधान होते, तो आज वह अखबारों की सुर्खियाँ नहीं बनते । यह सोचने वाली बात है कि जिन संजीव रस्तोगी ने उन्हें खुशी व भरोसे के साथ डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था, वही संजीव रस्तोगी उन्हें हटाने के लिए आखिर क्यों मजबूर हो गए ? संजीव रस्तोगी के लिए यह फैसला करना आसान नहीं रहा होगा - क्योंकि इसमें खुद उनकी भी बदनामी होने का खतरा था; और दूसरे रोटरी के बड़े पदाधिकारियों का भी उनसे कहना था कि रोटरी वर्ष के बीच में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर को हटाने से अच्छे संकेत नहीं जायेंगे । संजीव रस्तोगी ने लेकिन बृज भूषण को हटाने में ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी, डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की भलाई देखी/पहचानी - तो अवश्य ही कोई बड़ी बात रही होगी । संजीव रस्तोगी को तो जो करना था, उन्होंने किया - लेकिन बृज भूषण को तो इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए था । वह 'मैनेजमेंट गुरु' हैं, उन्हें तो समझने की कोशिश करना चाहिए था कि उनके 'मैनेजमेंट' में आखिर गड़बड़ी कहाँ हो गई कि उन्हें उनके पद से हटा/निकाल दिया गया । वह यह समझने की कोशिश करते और अपने 'मैनेजमेंट' को दुरुस्त करते - तो हो सकता है कि आज उन्हें अपने ही शहर/क्षेत्र के अखबारों की सुर्खियाँ न बनना पड़ता ।