गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किए गए स्पीकर्स के चयन को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता गंभीर आरोपों के शिकार बन गए हैं । स्पीकर्स के नामों को देख कर लोग भड़के हुए हैं; उनका कहना है कि दीपक गुप्ता कई दिनों से डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की तैयारियों में अपने आप को जिस तरह से व्यस्त 'दिखा' रहे थे, उससे लग रहा था कि इस बार की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में कुछ खास देखने/सुनने को मिलेगा - लेकिन मामला 'खोदा पहाड़ और निकला चूहा' वाला बना है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में डिस्ट्रिक्ट के लोग उम्मीद करते हैं कि उन्हें लोकप्रिय चेहरों को देखने तथा उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने का मौका मिलेगा । लोकप्रिय चेहरों में भी लोग ऐसे चेहरों की उम्मीद करते हैं, जो मौजूदा समय में चर्चा में रहते हों और लोगों के बीच लोकप्रिय हों । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में 'कीनोट स्पीकर' के रूप में जिन सलमान खुर्शीद को आमंत्रित किया गया है, वह वैसे तो देश की राजनीति का जाना-पहचाना चेहरा हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि वह एक 'चुके हुए कारतूस' की तरह हैं । उन्हें अब उनकी पार्टी में ही कोई गंभीरता से नहीं लेता और अपने चुनाव क्षेत्र में भी वह अपना असर खो चुके हैं, जिस कारण वह लगातार चुनावी हार का सामना करते आ रहे हैं । एक सामान्य ज्ञान, सिद्धांत व व्यवहार की बात है कि किसी कार्यक्रम में यदि एक नेता ही बुलाया जा रहा हो, तो वह सत्ता पक्ष का होना चाहिए - यदि वह विरोधी पक्ष का होगा तो कार्यक्रम सत्ता विरोधी आयोजन बन कर जायेगा । सलमान खुर्शीद को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करके दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को सड़क-छाप सत्ता विरोधी आयोजन बना दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में तीन डॉक्टर्स आमंत्रित किए गए हैं, जिससे कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है कि दीपक गुप्ता एक सामाजिक संगठन का वार्षिक आयोजन कर रहे हैं, या आईएमए (इंडियन मेडीकल एसोसिएशन) का कोई सेमीनार आयोजित कर रहे हैं । आमंत्रित किए गए डॉक्टर्स यदि ऐसे डॉक्टर्स होते, जिनकी सामाजिक पहचान भी होती - तब भी लोग उनके साथ कनेक्ट कर पाते; लेकिन आमंत्रित डॉक्टर्स को लोग अजनबियों की तरह ही देख रहे हैं और उन्हें स्पीकर्स के रूप में देख कर उत्साहित नहीं हैं । संभव है कि जो डॉक्टर्स आमंत्रित हैं, वह अपने अपने विषय के बड़े होशियार डॉक्टर्स हों - जो भी किसी पोजीशन में होगा और पद्मश्री या पद्मभूषण होगा, स्वाभाविक है कि वह होशियार तो होगा ही; लेकिन कतई जरूरी नहीं है कि जो होशियार होगा वह लोगों के साथ कनेक्ट भी करेगा । लोगों का मानना और कहना है कि दीपक गुप्ता को स्पीकर्स के रूप में यदि डॉक्टर्स को ही बुलाना था और पोजीशन वाले तथा पद्मश्री व पद्मभूषण ही चुनने थे, तो भी ऐसे डॉक्टर्स चुन सकते थे जो व्यापक समाज में जाने/पहचाने जाते हैं ।
लेकिन इसके लिए दीपक गुप्ता को खासी मेहनत करना पड़ती और व्यापक नजरिया रखना होता - और दूसरे पदाधिकारियों के साथ विचार/विमर्श करना होता । दीपक गुप्ता लेकिन कोई भी काम ऐसे छिप/छिपाकर करते हैं कि उनके साथियों को भी पता नहीं होता है कि वह कर क्या रहे हैं ? दरअसल इसी कारण से उनके सभी कार्यक्रम न सिर्फ फेल रहे हैं बल्कि फजीहत का शिकार भी बने हैं । जिस मामले में देश की प्रमुख डांस परफॉर्मेंस व प्रोडक्शन कंपनी डांस स्मिथ ने उनके और उनकी पत्नी रीना गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की हुई है, वह यदि पारदर्शिता व सहभागिता से काम करते होते तो उस मामले में पत्नी के साथ न फँसते । मनमाने तरीके से काम करने के कारण ही दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किए गए स्पीकर्स के चयन को लेकर आरोपों में घिर गए हैं । लोगों को हद की बात यह लगी है कि मनोरंजन क्षेत्र के जिन लोगों को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया है, वह भी कोई जाने/पहचाने लोग नहीं हैं । इस तरह दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को लेकर लोगों के उत्साह पर बुरी तरह से पानी फेर दिया है और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को संकट के बादलों की गिरफ्त में फँसा दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में तीन डॉक्टर्स आमंत्रित किए गए हैं, जिससे कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है कि दीपक गुप्ता एक सामाजिक संगठन का वार्षिक आयोजन कर रहे हैं, या आईएमए (इंडियन मेडीकल एसोसिएशन) का कोई सेमीनार आयोजित कर रहे हैं । आमंत्रित किए गए डॉक्टर्स यदि ऐसे डॉक्टर्स होते, जिनकी सामाजिक पहचान भी होती - तब भी लोग उनके साथ कनेक्ट कर पाते; लेकिन आमंत्रित डॉक्टर्स को लोग अजनबियों की तरह ही देख रहे हैं और उन्हें स्पीकर्स के रूप में देख कर उत्साहित नहीं हैं । संभव है कि जो डॉक्टर्स आमंत्रित हैं, वह अपने अपने विषय के बड़े होशियार डॉक्टर्स हों - जो भी किसी पोजीशन में होगा और पद्मश्री या पद्मभूषण होगा, स्वाभाविक है कि वह होशियार तो होगा ही; लेकिन कतई जरूरी नहीं है कि जो होशियार होगा वह लोगों के साथ कनेक्ट भी करेगा । लोगों का मानना और कहना है कि दीपक गुप्ता को स्पीकर्स के रूप में यदि डॉक्टर्स को ही बुलाना था और पोजीशन वाले तथा पद्मश्री व पद्मभूषण ही चुनने थे, तो भी ऐसे डॉक्टर्स चुन सकते थे जो व्यापक समाज में जाने/पहचाने जाते हैं ।
लेकिन इसके लिए दीपक गुप्ता को खासी मेहनत करना पड़ती और व्यापक नजरिया रखना होता - और दूसरे पदाधिकारियों के साथ विचार/विमर्श करना होता । दीपक गुप्ता लेकिन कोई भी काम ऐसे छिप/छिपाकर करते हैं कि उनके साथियों को भी पता नहीं होता है कि वह कर क्या रहे हैं ? दरअसल इसी कारण से उनके सभी कार्यक्रम न सिर्फ फेल रहे हैं बल्कि फजीहत का शिकार भी बने हैं । जिस मामले में देश की प्रमुख डांस परफॉर्मेंस व प्रोडक्शन कंपनी डांस स्मिथ ने उनके और उनकी पत्नी रीना गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की हुई है, वह यदि पारदर्शिता व सहभागिता से काम करते होते तो उस मामले में पत्नी के साथ न फँसते । मनमाने तरीके से काम करने के कारण ही दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किए गए स्पीकर्स के चयन को लेकर आरोपों में घिर गए हैं । लोगों को हद की बात यह लगी है कि मनोरंजन क्षेत्र के जिन लोगों को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया है, वह भी कोई जाने/पहचाने लोग नहीं हैं । इस तरह दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को लेकर लोगों के उत्साह पर बुरी तरह से पानी फेर दिया है और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को संकट के बादलों की गिरफ्त में फँसा दिया है ।