Thursday, January 16, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में आलोक गुप्ता की होशियारी तथा उपयुक्त उम्मीदवार के अभाव के चलते प्रियतोष गुप्ता नेताओं की चौधराहटी-लड़ाई के शिकार बनने से बचते और चुनावी मुकाबले में वॉकओवर पाते हुए दिख रहे हैं

गाजियाबाद । अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के लिए प्रियतोष गुप्ता के अलावा अन्य किसी उम्मीदवार को सक्रिय न होता देख प्रियतोष गुप्ता को चुनावी मुकाबले में वॉकओवर मिलता लग रहा है । हालाँकि संभावित उम्मीदवारों के रूप में कुछेक नाम लोगों के बीच चर्चा में तो हैं, लेकिन वह नाम चूँकि चर्चा से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे हैं - इसलिए डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगने लगा है कि उनके लिए सचमुच उम्मीदवार 'बन पाना' मुश्किल ही होगा । लोगों को ऐसा डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ी नेताओं के रवैये को देख/भाँप कर भी लगने लगा है । दरअसल कोई भी खिलाड़ी नेता संभावित उम्मीदवारों में से किसी का भी झंडा उठाता हुआ नहीं दिख रहा है । बल्कि दिख यह रहा है कि जो खिलाड़ी नेता किसी उम्मीदवार के 'इंतजार' में थे, और या 'खोजबीन' में लगे थे और या संभावित उम्मीदवारों को 'परख' रहे थे, वह भी प्रियतोष गुप्ता के समर्थन के संकेत देने लगे हैं । इससे डिस्ट्रिक्ट में लोगों को आभास मिला है कि चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों को प्रियतोष गुप्ता को टक्कर देने लायक कोई उम्मीदवार नहीं मिला है, और इसीलिए अगले रोटरी वर्ष में होने वाले चुनाव के लिए प्रियतोष गुप्ता अकेले उम्मीदवार के रूप में नजर आ रहे हैं ।
कुछेक लोगों को हालाँकि अभी भी भरोसा है कि प्रियतोष गुप्ता के अकेले उम्मीदवार रहने की स्थिति चुनावी नेताओं को हजम नहीं होगी, और इसलिए वह जरूर ही किसी न किसी को उम्मीदवार के रूप में लायेंगे तथा चुनावी मुकाबले को रोमांचपूर्ण बनायेंगे । कुछेक लोगों का यह भरोसा लेकिन अधिकतर लोगों को ख्यालीपुलाव ही लग रहा है । उनका तर्क है कि यदि कोई और दमदार उम्मीदवार आना होता, तो अभी तक आ चुका होता । उनका कहना है कि यह ठीक है कि अगले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अभी काफी समय है, लेकिन अगले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर जिस तरह बिसात बिछ चुकी है, और उम्मीदवार के रूप में प्रियतोष गुप्ता उस पर जितना आगे बढ़ चुके हैं - उसे देखते हुए अब कोई उम्मीदवार बनने की हिम्मत नहीं करेगा, और प्रियतोष गुप्ता को चुनावी मैदान खाली ही मिलेगा । लोगों के बीच यह समझ दरअसल डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों को हथियार डालते देख बन रही है । उल्लेखनीय है कि जो नेता कुछ दिन पहले तक प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में नहीं थे, और तरह तरह से उम्मीदवार के रूप में प्रियतोष गुप्ता की कमजोरियों को बता/गिना रहे थे, वह भी अब प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठाते हुए दिख रहे हैं । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी से हालाँकि किसी नेता को कोई बड़ी शिकायत नहीं थी । वह तो डिस्ट्रिक्ट के नेताओं तथा अन्य कुछेक लोगों के निशाने पर सिर्फ इसलिए आ गए थे, क्योंकि उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आलोक गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था ।
उल्लेखनीय है कि प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा शुरू होने के साथ ही आलोक गुप्ता ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन के पद पर बैठा दिया, जिसके चलते इस चर्चा को हवा मिली कि आलोक गुप्ता ने प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । रोटरी की चुनावी राजनीति में इस तरह के दृश्य आमतौर पर देखने को मिलते हैं, जहाँ नेता लोग अपनी अपनी चौधराहट की लड़ाई में उम्मीदवारों का समर्थन या विरोध करते हैं । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी भी उसी 'चौधराहटी-लड़ाई' में फँसती दिखी, लेकिन कुछ आलोक गुप्ता की होशियारी तथा कुछ उपयुक्त उम्मीदवार के अभाव के चलते प्रियतोष गुप्ता उक्त चौधराहटी-लड़ाई के शिकार बनने से बचते हुए दिख रहे हैं । आलोक गुप्ता की तरफ से सावधानी यह रखी गई कि प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ वह 'दिखे' न, और किसी को आरोप लगाने के लिए कोई तथ्य न मिलें । इसी सावधानी के चलते, आरोपपूर्ण चर्चाओं को हवा देने की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ सकीं । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी से दूरी 'दिखा' कर आलोक गुप्ता न सिर्फ आरोपों से बच सकने में सफल रहे, बल्कि प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को दूसरे नेताओं का समर्थन दिलवाने का मौका भी दे सके । यही कारण है कि दूसरे नेताओं को जब कोई 'दमदार' उम्मीदवार नहीं दिखा, तो वह प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए दिखने लगे हैं । इस स्थिति ने दूसरे उम्मीदवारों के लिए संभावनाएँ और कमजोर कर दी हैं, तथा प्रियतोष गुप्ता को चुनावी मुकाबले में वॉकओवर मिलता दिख रहा है ।