Tuesday, January 28, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में उम्मीदवार के रूप में बिना कुछ किए-धरे इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने की जितेंद्र चौहान की कोशिशों में मल्टीपल की चुनावी राजनीति के बड़े नेता अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं 

आगरा । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर ढीलाढाला रवैया अपनाने के चलते जितेंद्र चौहान ने मल्टीपल के बड़े नेताओं को खासा संकट में डाल दिया है, और उन्हें इस संकट से निकलने का कोई उपाय भी नहीं सूझ रहा है । मल्टीपल में यूँ तो जितेंद्र चौहान को ही इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के सबसे मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, और मल्टीपल के बड़े नेताओं का भी समर्थन उन्हें है - लेकिन चूँकि वह खुद अपनी उम्मीदवारी को लेकर सक्रिय नहीं हैं, इसलिए मल्टीपल के नेताओं को डर हो रहा है कि जितेंद्र चौहान के ढीलेढाले रवैये के कारण कहीं कोई विरोधी उम्मीदवार फायदा न उठा ले जाए । इसीलिए मल्टीपल के बड़े नेताओं ने वैकल्पिक उम्मीदवार की तलाश भी शुरू कर दी है; हालाँकि उनकी तलाश में कई 'अगर' और 'मगर' जुड़े हुए हैं और फिलहाल उनकी तलाश पूरी होती हुई नहीं दिख रही है । मल्टीपल के बड़े नेता अपनी तलाश में अच्छे से इसलिए जुट भी नहीं पा रहे हैं, क्योंकि जितेंद्र चौहान ने अभी मैदान छोड़ा नहीं है और नेता लोग भी अभी जितेंद्र चौहान को छोड़ना नहीं चाहते हैं । मजे की बात यह भी है कि जितेंद्र चौहान के ढीलेढाले रवैये और मल्टीपल के बड़े नेताओं की असमंजसता के कारण बनी स्थिति का फायदा उठाने की कोई कोशिश तेजपाल खिल्लन और या अरविंद संगल जैसे विरोधी उम्मीदवारों की तरफ से भी होती नहीं दिख रही है । मल्टीपल के बड़े नेताओं की वैकल्पिक उम्मीदवार की तलाश में अरुण मित्तल के नाम की चर्चा चली भी थी, लेकिन अपने डिस्ट्रिक्ट में मुकेश गोयल के साथ राजनीतिक नजदीकियत रखने/'दिखाने' की उनकी कोशिशों को देखते हुए उक्त चर्चा में उनका नाम तुरंत से कट भी गया ।
जितेंद्र चौहान के ढीलेढाले रवैये ने मल्टीपल के बड़े नेताओं के साथ-साथ उनके नजदीकियों को भी हैरान किया हुआ है । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि जितेंद्र चौहान के लिए सारा मामला जब पूरी तरह से आसान बना हुआ है, तब फिर वह कोई सक्रियता नहीं दिखा कर - अपने लिए खुद ही मुश्किलें क्यों पैदा कर रहे हैं ? उनके कुछेक नजदीकियों का अनुमान है कि चूँकि सारा मामला बहुत आसान है, इसलिए जितेंद्र चौहान को लग रहा है कि उन्हें कुछ भी करने की जरूरत भला क्या है - और वह तो घर बैठे ही इंटरनेशनल डायरेक्टर बन जायेंगे । नजदीकियों को लगता है कि जितेंद्र चौहान इसलिए भी चुप बैठे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वह यदि उम्मीदवार के रूप में सक्रिय होते हैं, तो छोटे/बड़े नेता उनकी जेब ढीली करवाने में लग जायेंगे । नजदीकियों का कहना है कि जितेंद्र चौहान इंटरनेशनल डायरेक्टर तो बनना चाहते हैं, लेकिन उसके लिए अपना ज्यादा समय और पैसा खर्च नहीं करना चाहते हैं । जितेंद्र चौहान को यह भी समझ में आ रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद को लेकर मल्टीपल में राजनीतिक समीकरण के जो हालात बने हुए हैं, उनमें बड़े नेताओं के सामने उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है - इसलिए वह निश्चिंत होकर बैठे हैं ।
मल्टीपल में तेजपाल खिल्लन, अरविंद संगल तथा अरुण मित्तल को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के अन्य संभावित उम्मीदवारों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । इन तीनों में तेजपाल खिल्लन और अरविंद संगल मल्टीपल के बड़े नेताओं की आँखों में बुरी तरह खटकते हैं; और माना/समझा जाता है कि बड़े नेता इन्हें तो किसी भी कीमत पर इंटरनेशनल डायरेक्टर नहीं बनने देंगे । इन दोनों को भी इस बात का पता है, और इसी कारण से यह दोनों अपनी अपनी उम्मीदवारी बनाये रखने के बावजूद उम्मीदवार के रूप में जरा भी सक्रिय नहीं हैं । अरुण मित्तल के जरूर मल्टीपल के बड़े नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं और इन्हीं अच्छे संबंधों के कारण बड़े नेताओं के बीच जब जितेंद्र चौहान के अलावा दूसरे उम्मीदवार की खोज शुरू हुई, तो अरुण मित्तल का नाम लिया/सुना गया । लेकिन अपने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अरुण मित्तल जिस तरह से मुकेश गोयल के नजदीक होते गए और 'दिख' रहे हैं, उसके चलते बड़े नेताओं ने उनके नाम पर फिर विराम लगा दिया । उल्लेखनीय है कि अपने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अरुण मित्तल ने पहले तटस्थ रहने के संकेत दिए थे, और वह दोनों खेमों के आयोजनों में नजर आ रहे थे - लेकिन फिर वह मुकेश गोयल की तरफ ही पूरी तरह शिफ्ट हो गए । मल्टीपल की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के बीच चूँकि मुकेश गोयल का खासा विरोध है, इसलिए मुकेश गोयल के साथ दिखने के चक्कर में उनके बीच अरुण मित्तल का पत्ता भी कट गया । इन स्थितियों ने जितेंद्र चौहान को इस बात के लिए और भी आश्वस्त कर दिया है कि वह बिना कुछ किए-धरे ही इंटरनेशनल डायरेक्टर बन जायेंगे । जितेंद्र चौहान के इस रवैये से मल्टीपल के बड़े नेता अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं ।