मेरठ । दिनेश शर्मा और अशोक गुप्ता के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए छिड़ी लड़ाई में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मनीष शारदा के लिए हालात इस समय, बकौल मिर्जा ग़ालिब 'ईमां मुझे रोके है, तो खींचे है मुझे कुफ्र' जैसे हो रहे हैं । उनके लिए यह हालात दरअसल पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जीएस धामा के कारण बने हैं । जीएस धामा को दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा/पहचाना जा रहा है । मनीष शारदा चूँकि जीएस धामा के ही क्लब के सदस्य हैं, और क्लब में जीएस धामा का ही प्रभाव है - इसलिए 'ईमां' तो उन्हें दिनेश शर्मा के समर्थन में रहने के लिए मजबूर कर रहा है; लेकिन कई तरह के दबावों व स्वार्थों के चलते 'कुफ्र' उन्हें अशोक गुप्ता की तरफ खींच रहा है । अशोक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी राजीव सिंघल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; दोनों नजदीकी रिश्तेदार हैं - और अशोक गुप्ता ने समर्थन जुटाने के लिए ठीक वैसे ही हथकंडे अपनाए हुए हैं, जिनके सहारे/भरोसे राजीव सिंघल ने अपनी चुनावी नैय्या पार लगाई थी । राजीव सिंघल की चुनावी नैय्या पार करवाने में मनीष शारदा का बड़ा योगदान था । उस समय जीएस धामा चूँकि विदेश में थे, इसलिए मनीष शारदा को अपनी मनमानी करने तथा राजनीति चलाने का मौका मिल गया था । अपने चुनाव के समय मनीष शारदा के साथ बनी नजदीकी का राजीव सिंघल अब अशोक गुप्ता के लिए भी फायदा उठाना चाहते हैं । मनीष शारदा उन्हें फायदा देना/पहुँचाना भी चाहते हैं, लेकिन अब की बार उनके लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि जीएस धामा यहीं पर हैं और दिनेश शर्मा की चुनावी नैय्या को पार लगवाने की कुछ छिपी व कुछ खुली कोशिशों में जुटे हुए हैं ।
दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी की कामयाबी जीएस धामा के लिए दो कारणों से बहुत महत्त्व की है । पहला कारण तो यह है कि दिनेश शर्मा को रोटरी इंटरनेशनल के जिस 'अन्याय' का सामना करना पड़ा है, उसमें दिनेश शर्मा को न्याय दिलवाने के लिए जीएस धामा ने रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं के सामने दिनेश शर्मा के पक्ष में खासी वकालत की थी । उनकी वकालत उस समय तो कई कारणों से दिनेश शर्मा के काम नहीं आ सकी थी, लेकिन अब जब दिनेश शर्मा दोबारा से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (नॉमिनी) पद की चुनावी दौड़ में शामिल हुए हैं, तो जीएस धामा के लिए दिनेश शर्मा को 'न्याय' दिलवाने का मामला जरूरी बन गया है; दरअसल इसके जरिये वह अपनी पिछली असफलता को भी ढक लेना चाहते हैं । दूसरा कारण राजनीतिक है । जीएस धामा के नजदीकियों का कहना है कि पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने के तुरंत बाद राजीव सिंघल जिस तरह से अपने रिश्तेदार अशोक गुप्ता को उम्मीदवार बना बैठे हैं, उसे देख कर जीएस धामा को ही नहीं, बल्कि कई अन्य लोगों को भी लग रहा है कि राजीव सिंघल डिस्ट्रिक्ट पर कब्जा करके डिस्ट्रिक्ट के नेता बनना चाहते हैं । जीएस धामा के नजदीकियों का कहना/बताना है कि दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी को सफल बनाने के जरिये जीएस धामा वास्तव में राजीव सिंघल के मंसूबों पर भी पानी फेरना चाहते हैं ।
दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी को लेकर जीएस धामा की सक्रियता ने मनीष शारदा के लिए लेकिन बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है । मेरठ के रोटेरियंस को लगता है कि दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी को जीएस धामा का जैसा समर्थन प्राप्त है, उसे देखते/समझते हुए मनीष शारदा के लिए अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करना मुश्किल ही होगा । इसके चलते अशोक गुप्ता को सत्ता का एकतरफा समर्थन मिलना मुश्किल ही दिख रहा है ।अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक अभी तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरि गुप्ता, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मनीष शारदा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी राजीव सिंघल का समर्थन पाने की उम्मीद पाले बैठे थे - लेकिन मनीष शारदा को 'ईमां' में फँसा देख अशोक गुप्ता के समर्थकों को अपना पक्ष कमजोर पड़ता दिख रहा है । शक उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरि गुप्ता के रवैये पर भी है । हालाँकि हरि गुप्ता को अभी तक अशोक गुप्ता के समर्थन में ही देखा/पहचाना जा रहा है; लेकिन अशोक गुप्ता के समर्थक उन सूचनाओं से भी डरे हुए हैं, जिनमें कहा/बताया जा रहा है कि हरि गुप्ता कुछेक प्रमुख लोगों के जरिये दिनेश शर्मा से भी सौदेबाजी करने में लगे हैं । दरअसल अभी तक हरि गुप्ता यदि अशोक गुप्ता के समर्थन में दिख रहे हैं, तो इसे हरि गुप्ता के कई आयोजनों में अशोक गुप्ता द्वारा खुलकर किए गए खर्च के परिणाम के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा है । अशोक गुप्ता के समर्थकों को लेकिन सुनने को अब यह भी मिल रहा है कि दिनेश शर्मा की तरफ से भी हरि गुप्ता को खर्च का ऑफर मिला है । मजे की बात यह है कि अशोक गुप्ता के समर्थक यह भी कहते/बताते रहते हैं कि हरि गुप्ता के पास वोट तो कोई नहीं है, वह अपने क्लब का वोट भी नहीं दिलवा सकते हैं - लेकिन फिर भी वह अशोक गुप्ता के लिए हरि गुप्ता का समर्थन 'बनाये' रखना चाहते हैं, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के समर्थन का एक मनोवैज्ञानिक फायदा तो मिलता ही है । अशोक गुप्ता के समर्थकों को डर है कि मनीष शारदा के बाद यदि हरि गुप्ता का समर्थन भी संशय में पड़ा और गड़बड़ाया - तब तमाम तीन तिकड़म व सौदेबाजियों के बावजूद अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी खतरे में पड़ जा सकती है ।