नई दिल्ली । विनोद बंसल ने डीटीटीएस में अजय जुनेजा को
आमंत्रित करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी भूमिका को विवादास्पद
बना लिया है । डीटीटीएस में अजय जुनेजा की उपस्थिति दरअसल उस समय सवालों
के घेरे में आ गई जब लोगों ने डीटीटीएस में रवि भाटिया की अनुपस्थिति के बारे में विनोद बंसल से पूछा । विनोद बंसल से यह सुनकर कि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवारों को डीटीटीएस में आमंत्रित नहीं किया है; लोगों ने उनसे पूछा कि तब फिर यहाँ अजय जुनेजा कैसे हैं ?
विनोद बंसल ने इसका जबाव यह दिया कि उन्हें यह पता ही नहीं है कि अजय जुनेजा भी उम्मीदवार हैं ? विनोद बंसल के इस जबाव ने लोगों को हैरान किया और फिर उन्होंने आपस में चर्चा शुरू की कि जो बात पूरे डिस्ट्रिक्ट को पता है वह विनोद बंसल को क्यों नहीं पता है ? यह सवाल भी उठा कि विनोद बंसल को रवि भाटिया के उम्मीदवार होने का ही कैसे पता चला है ?
विनोद बंसल ने जो कुछ भी पहले 'किया' और फिर जो कहा उससे स्पष्ट हुआ कि
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवारों को लेकर उनकी अपनी कोई
'राजनीति' है ।
विनोद बंसल की बदकिस्मती यह है कि 'कोई राजनीति न करने' के उनके दावे पर
किसी को विश्वास नहीं है । 'उन्हें पता नहीं था' जैसी उनकी बातों को कोई भी
सच नहीं मान रहा है । डीटीटीएस में रवि भाटिया को आमंत्रित न करने और
अजय जुनेजा को आमंत्रित करने के पीछे विनोद बंसल की सोची-समझी राजनीति को
ही देखा/पहचाना जा रहा है । सतीश सिंघल और राजीव देवा को चूँकि कोई भी
गंभीरता से नहीं ले रहा है, इसलिए उनमें से किसी को बुला लिया और किसी को
नहीं बुलाया - इसे लेकर कोई भी कयास नहीं लगा रहा है; लेकिन रवि भाटिया और
अजय जुनेजा के नाम पर गहमागहमी है । विनोद बंसल के नजदीकियों को ही लग
रहा है कि रवि भाटिया की उम्मीदवारी को चूँकि राजेश बत्रा का समर्थन है
इसलिए विनोद बंसल को रवि भाटिया की उम्मीदवारी पसंद नहीं आ रही है ।
विनोद बंसल को लग रहा है कि रवि भाटिया के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने की
स्थिति में राजेश बत्रा की राजनीती जमेगी/बढ़ेगी और उन्हें कुछ भी हासिल
नहीं होगा । अपनी राजनीति ज़माने/चलाने के लिए विनोद बंसल को 'अपना'
उम्मीदवार लाना जरूरी लग रहा है - और अपनी इसी जरूरत को पूरा करने के लिए
उन्होंने अजय जुनेजा की तरफ 'देखा' है । डीटीटीएस में कई लोगों ने इस
बात का नोटिस लिया कि कई मौकों पर विनोद बंसल और अजय जुनेजा गुपचुप गुपचुप
रूप से 'अपनी' खिचड़ी पका रहे थे । दरअसल दोनों की अकेले अकेले होने वाली
छोटी-छोटी बातचीतों में ही लोगों ने अजय जुनेजा के जरिये राजनीति
करने/ज़माने की विनोद बंसल की कोशिशों को चरितार्थ होते देखा ।
विनोद बंसल से हमदर्दी रखने वाले कुछेक लोगों के लिए हालाँकि इस बात को हजम
कर पाना मुश्किल भी हो रहा है कि अजय जुनेजा की उम्मीदवारी को विनोद बंसल भला क्यों समर्थन देंगे ? विनोद बंसल जब उम्मीदवार थे तब अजय जुनेजा ने अपनी उम्मीदवारी के जरिये उन्हें कम तंग किया था क्या ? विनोद बंसल कुछ भी 'भूलने' वाले व्यक्ति नहीं हैं - किये
गए वायदे को न निभा पाने की सूरत में भूलने का वास्ता देकर बच निकलने की
विनोद बंसल भले ही जब-तब कोशिश करते रहते हों - लेकिन 'भूलते' वह कुछ भी
नहीं हैं । जब वह सुधीर मंगला को नहीं 'भूले' तब फिर अजय जुनेजा को भला
कैसे 'भूल' जायेंगे ? ऐसा सोचने/मानने वाले लोगों का कहना यह है कि
डीटीटीएस की तैयारी में हुए मिसमैनेजमेंट के कारण विनोद बंसल को इस विवाद
में फँसना पड़ा है । उनका कहना है कि विनोद बंसल यदि डीटीटीएस में शामिल
होने का निमंत्रण देते समय यदि यह पूछते चलते कि आमंत्रित होने वाला
रोटेरियन उम्मीदवार बनने की तैयारी तो नहीं कर रहा है - तब यह बखेड़ा ही खड़ा
नहीं होता । समस्या लेकिन यह है कि यह सब करने का विनोद बंसल के पास समय
ही नहीं है । विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट का काम करने के लिए न तो कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया है, न कोई टीम बनाई है - इसका एक कारण यह तो है ही कि उनके पास समय नहीं है; दूसरा कारण यह भी लगता है कि उन्हें किसी पर भरोसा ही नहीं है ।
इसका नतीजा यह हो रहा है कि उनके आयोजनों की दूसरों को जानकारी नहीं है और
डिस्ट्रिक्ट में क्या हो रहा है यह उन्हें पता नहीं चलता । इसके चलते वह
विवाद में जा फँसते हैं ।
अजय जुनेजा की उम्मीदवारी को समर्थन देने का जो आरोप विनोद बंसल पर लगा है - वह सच है या मिसमैनेजमेंट के कारण पैदा हुई गलतफहमी का नतीजा है, यह विनोद बंसल की आगे की गतिविधियों से ही तय हो सकेगा ।
इसलिए लोगों को लगता है कि विनोद बंसल की आगे की गतिविधियाँ डिस्ट्रिक्ट
की चुनावी राजनीति की दिशा और दशा को तय करने का काम करेंगी ।