गाजियाबाद । रोटरी डिस्ट्रिक्ट होली मिलन समारोह पदों की
बंदरबांट के आरोपों में फँस गया है । क्लब्स के अध्यक्षों तथा अन्य प्रमुख
रोटेरियंस को अँधेरे में रख कर अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता ने जिस
षड्यंत्रपूर्ण तरीके से चेयरमैन के पद हथिया लिए हैं, उसके कारण लोगों के
बीच भारी नाराजगी है । मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट होली मिलन
समारोह की तैयारी के लिए मीटिंग्स तो की जा रही हैं, लेकिन सारी
चीजें/बातें पहले से ही तय हो जा रही हैं और मीटिंग्स में तो बस फैसले
सुनाये जाते हैं । पिछली मीटिंग में लोग जब मिले तो यह जान कर हैरान रह
गए कि समारोह की आयोजन कमेटी के चेयरमैन अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता बना
दिए गए हैं । लोगों के बीच यह सहज सवाल पैदा हुआ और कुछेक ने यह पूछा भी कि
इन्हें चेयरमैन किसने और कब बना दिया ? कुछेक लोगों ने यह भी कहा कि यदि इसी मनमाने तरीके से फैसले करने हैं तो फिर मीटिंग्स का नाटक करने की जरूरत भला क्या है ? इससे पिछली मीटिंग में समारोह स्थल को लेकर रोटरी क्लब नॉर्थ के अध्यक्ष सुधीर गोयल ने काफी हंगामा किया था ।
सुधीर गोयल इस बात से बुरी तरह खफा हुए कि रेड कारपेट में समारोह करने के नाम पर ज्यादा पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है, जबकि उससे कम पैसे में उससे अच्छी, बड़ी और सुविधापूर्ण जगह में समारोह किया जा सकता है । सुधीर गोयल यह बताये जाने पर और भड़के कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल चाहते हैं कि समारोह रेड कारपेट में ही हो । यह सुन कर सुधीर गोयल ने कहा कि तो फिर रमेश अग्रवाल ही समारोह कर ले । सुधीर गोयल का कहना रहा कि होली मिलन समारोह के आयोजन की जिम्मेदारी जब गाजियाबाद के क्लब्स को दी गई है तो फिर उन्हीं को फैसला करने देना चाहिए और फैसले उन पर थोपे नहीं जाने चाहिए । लेकिन सुधीर गोयल की एक नहीं सुनी गई । लोगों के बीच चर्चा यह भी सुनी गई कि रेड कारपेट में ही समारोह आयोजित करने की जिद के पीछे मुख्य कारण रेड कारपेट में फँसे किसी के पैसे निकलवाना है । यानि होली मिलन समारोह के पीछे कई दूसरे दूसरे खेल भी चल रहे हैं । रेड कारपेट में ही समारोह करने की मनमानी के बाद अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता को षड़यंत्र तरीके से चुपचाप चेयरमैन बना दिए जाने से लोग और भड़क गए हैं ।
बताया जाता है कि अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता ने जेके गौड़ पर दबाव बना कर समारोह की तैयारी से जुड़े लोगों को अँधेरे में रख कर चेयरमैन का पद हथिया लिया है । इन दोनों ने रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के किसी सदस्य को चेयरमैन बनाने की जेके गौड़ की कोशिश को भी कामयाब नहीं होने दिया । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में जेके गौड़ को रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल की जिस तरह से खुली मदद मिली थी, जिसके लिए वह कुछेक अवसरों पर उसके प्रमुख सदस्यों का सार्वजनिक रूप से खुल कर आभार भी व्यक्त कर चुके हैं - उसके बदले में वह गाजियाबाद सेंट्रल के योगेश गर्ग, सुभाष जैन, अतुल जैन और अतुल गोयल में से किसी एक को चेयरमैन बनाना चाहते थे, लेकिन अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता ने उसमें अड़ंगा डाल दिया । अशोक अग्रवाल का विरोध तो स्वाभाविक था क्योंकि उनकी तो गाजियाबाद सेंट्रल के इन नेताओं से कभी भी बनी नहीं; दीपक गुप्ता ने इसलिए विरोध किया क्योंकि उन्हें लगा कि गाजियाबाद सेंट्रल से किसी के चेयरमैन होने से उन्हें मनमानी करने का मौका नहीं मिलेगा । जेके गौड़ के रवैये पर भी लोगों को हैरानी हुई कि जो दीपक गुप्ता उम्मीदवार के रूप में हमेशा ही उनकी खिल्ली उड़ाते रहे, उन्हें उपेक्षित और लोगों के बीच अपमानित करने की कोशिश करते रहे उन दीपक गुप्ता को तो जेके गौड़ ने चेयरमैन बना दिया; लेकिन उनकी उम्मीदवारी का खुला समर्थन करने वाले गाजियाबाद सेंट्रल के लोगों में से किसी को चेयरमैन बनाने के मुद्दे पर वह अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता के दबाव में आ गए ?
लोगों को लगता है कि जेके गौड़ तो सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं और इसीलिये वह अब इस बात को याद नहीं रखना चाहते हैं कि दीपक गुप्ता ने उनकी उम्मीदवारी में किस किस तरीके से रोड़े अटकाने और व्यक्तिगत रूप से उनकी खिल्ली उड़ाने का काम किया था - लेकिन अशोक अग्रवाल की मनमानियों के चलते वह असहाय से बने हुए हैं । दीपक गुप्ता के साथ आ जुड़ने से स्थिति और विकट हो गई है । लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता गाजियाबाद में होने वाले रोटरी के आयोजनों में उपस्थित होने के लिए भले ही समय न रखते हों लेकिन होली/दीवाली जैसे आयोजनों में मुखिया बनने के लिए तिकड़म लगाने और फिर उसकी तैयारी में मनमानी करने के लिए उनके पास समय की कोई कमी नहीं होती । इस वर्ष होने जा रहे होली मिलन समारोह की तैयारी में अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता द्धारा षड्यंत्रपूर्ण तरीके से चेयरमैन के पद हथिया लेने से और मनमानी करने से जेके गौड़ की उम्मीदवारी के समर्थन में गाजियाबाद में जो एका बना था, उसके छिन्न-भिन्न होने का खतरा पैदा हो गया है ।
सुधीर गोयल इस बात से बुरी तरह खफा हुए कि रेड कारपेट में समारोह करने के नाम पर ज्यादा पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है, जबकि उससे कम पैसे में उससे अच्छी, बड़ी और सुविधापूर्ण जगह में समारोह किया जा सकता है । सुधीर गोयल यह बताये जाने पर और भड़के कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल चाहते हैं कि समारोह रेड कारपेट में ही हो । यह सुन कर सुधीर गोयल ने कहा कि तो फिर रमेश अग्रवाल ही समारोह कर ले । सुधीर गोयल का कहना रहा कि होली मिलन समारोह के आयोजन की जिम्मेदारी जब गाजियाबाद के क्लब्स को दी गई है तो फिर उन्हीं को फैसला करने देना चाहिए और फैसले उन पर थोपे नहीं जाने चाहिए । लेकिन सुधीर गोयल की एक नहीं सुनी गई । लोगों के बीच चर्चा यह भी सुनी गई कि रेड कारपेट में ही समारोह आयोजित करने की जिद के पीछे मुख्य कारण रेड कारपेट में फँसे किसी के पैसे निकलवाना है । यानि होली मिलन समारोह के पीछे कई दूसरे दूसरे खेल भी चल रहे हैं । रेड कारपेट में ही समारोह करने की मनमानी के बाद अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता को षड़यंत्र तरीके से चुपचाप चेयरमैन बना दिए जाने से लोग और भड़क गए हैं ।
बताया जाता है कि अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता ने जेके गौड़ पर दबाव बना कर समारोह की तैयारी से जुड़े लोगों को अँधेरे में रख कर चेयरमैन का पद हथिया लिया है । इन दोनों ने रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के किसी सदस्य को चेयरमैन बनाने की जेके गौड़ की कोशिश को भी कामयाब नहीं होने दिया । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में जेके गौड़ को रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल की जिस तरह से खुली मदद मिली थी, जिसके लिए वह कुछेक अवसरों पर उसके प्रमुख सदस्यों का सार्वजनिक रूप से खुल कर आभार भी व्यक्त कर चुके हैं - उसके बदले में वह गाजियाबाद सेंट्रल के योगेश गर्ग, सुभाष जैन, अतुल जैन और अतुल गोयल में से किसी एक को चेयरमैन बनाना चाहते थे, लेकिन अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता ने उसमें अड़ंगा डाल दिया । अशोक अग्रवाल का विरोध तो स्वाभाविक था क्योंकि उनकी तो गाजियाबाद सेंट्रल के इन नेताओं से कभी भी बनी नहीं; दीपक गुप्ता ने इसलिए विरोध किया क्योंकि उन्हें लगा कि गाजियाबाद सेंट्रल से किसी के चेयरमैन होने से उन्हें मनमानी करने का मौका नहीं मिलेगा । जेके गौड़ के रवैये पर भी लोगों को हैरानी हुई कि जो दीपक गुप्ता उम्मीदवार के रूप में हमेशा ही उनकी खिल्ली उड़ाते रहे, उन्हें उपेक्षित और लोगों के बीच अपमानित करने की कोशिश करते रहे उन दीपक गुप्ता को तो जेके गौड़ ने चेयरमैन बना दिया; लेकिन उनकी उम्मीदवारी का खुला समर्थन करने वाले गाजियाबाद सेंट्रल के लोगों में से किसी को चेयरमैन बनाने के मुद्दे पर वह अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता के दबाव में आ गए ?
लोगों को लगता है कि जेके गौड़ तो सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं और इसीलिये वह अब इस बात को याद नहीं रखना चाहते हैं कि दीपक गुप्ता ने उनकी उम्मीदवारी में किस किस तरीके से रोड़े अटकाने और व्यक्तिगत रूप से उनकी खिल्ली उड़ाने का काम किया था - लेकिन अशोक अग्रवाल की मनमानियों के चलते वह असहाय से बने हुए हैं । दीपक गुप्ता के साथ आ जुड़ने से स्थिति और विकट हो गई है । लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता गाजियाबाद में होने वाले रोटरी के आयोजनों में उपस्थित होने के लिए भले ही समय न रखते हों लेकिन होली/दीवाली जैसे आयोजनों में मुखिया बनने के लिए तिकड़म लगाने और फिर उसकी तैयारी में मनमानी करने के लिए उनके पास समय की कोई कमी नहीं होती । इस वर्ष होने जा रहे होली मिलन समारोह की तैयारी में अशोक अग्रवाल और दीपक गुप्ता द्धारा षड्यंत्रपूर्ण तरीके से चेयरमैन के पद हथिया लेने से और मनमानी करने से जेके गौड़ की उम्मीदवारी के समर्थन में गाजियाबाद में जो एका बना था, उसके छिन्न-भिन्न होने का खतरा पैदा हो गया है ।