Sunday, April 7, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में विशाल सिन्हा के नजदीकियों की शिकायत है कि अनुपम बंसल अब शिव कुमार गुप्ता के साथ जा मिले हैं

लखनऊ । शिव कुमार गुप्ता की चुनावी जीत को शिकायती दाँव-पेंचों में फँसाने की योजना को अनुपम बंसल से पर्याप्त समर्थन न मिलता देख विशाल सिन्हा के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच निराशा है और उनमें से कोई कोई अनुपम बंसल के प्रति आलोचनात्मक रवैया भी अपनाने/दिखाने लगा है । उल्लेखनीय है कि शिव कुमार गुप्ता की चुनावी जीत को गुरनाम सिंह और उनके नजदीकी किसी भी तरह से पचा नहीं पा रहे हैं और कुछ भी तीन-तिकड़म करके उनकी चुनावी जीत को निरस्त करा देना चाहते हैं । इसी संदर्भ में, कुछेक बातों को मुद्दा बना कर शिव कुमार गुप्ता की जीत के खिलाफ लायंस इंटरनेशनल में शिकायत दर्ज भी करा दी गई है । डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों ने इस कार्रवाई को उचित नहीं माना है - उनका कहना है कि गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा को अपनी चुनावी पराजय को ग्रेसफुली स्वीकार करना चाहिए और डिस्ट्रिक्ट के बहुमत लोगों के फैसले के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए और अपनी गलतियों व कमियों को पहचानते हुए उन्हें दूर करने की कोशिश करना चाहिए । कई लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के बहुमत लोगों के फैसले के प्रति अनादर दिखा कर गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा फिर वही गलती कर रहे हैं, जिस गलती के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा है । गुरनाम सिंह ने धमकियों और मनमानियों से अपनी बात मनवाने की जो कोशिशें की हैं, उसके कारण उनके अपने लोग ही उनसे दूर होते गए हैं । नया उदहारण केएस लूथरा का ही है । कुछ समय पहले तक केएस लूथरा उनके बड़े नजदीक होते थे, लेकिन उनकी मनमानियों और धमकियों से तंग आकर वह उनसे ऐसे दूर हुए कि उनकी किरकिरी करवा कर ही माने । चुनावी नतीजा शिव कुमार गुप्ता की जीत का नहीं है, वह गुरनाम सिंह की धमकी और मनमानी भरी राजनीति की हार का है । विशाल सिन्हा का दोष तो सिर्फ यह रहा कि उन्होंने गुरनाम सिंह की इस राजनीति पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया । 
शिव कुमार गुप्ता की जीत से गुरनाम सिंह को जो झटका लगा, उम्मीद की गई थी कि उससे गुरनाम सिंह सबक लेंगे और अपने तौर-तरीकों में सुधार करेंगे । लेकिन लगता नहीं है कि गुरनाम सिंह ने अपनी हार से कोई सबक लिया है । उन्हें अभी भी उम्मीद है कि वह तिकड़म करके शिव कुमार गुप्ता की जगह विशाल सिन्हा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवा देंगे । गुरनाम सिंह से हमदर्दी रखने वालों का भी मानना और कहना है कि इससे लेकिन गुरनाम सिंह अपनी खोई हुई साख को तो वापस नहीं पा सकेंगे, बल्कि उसे और खो देंगे । ऐसे लोगों का कहना है कि गुरनाम सिंह को यह एक ऐतिहासिक मौका मिला है कि वह अपने प्रति लोगों के बीच पैदा हुए गुस्से और विरोध के तेवर को पहचानें और स्वीकार करें तथा अपने तौर-तरीकों में सुधार करके लोगों के बीच अपने लिए सम्मान बनाए । चुनावी जीत या हार से कुछ नहीं होता है - यह खुद गुरनाम सिंह के इतिहास से ही साबित है । गुरनाम सिंह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए विद्या शंकर दीक्षित से चुनाव हारे थे, लेकिन चुनाव हारने के बावजूद गुरनाम सिंह ने बाद में विद्या शंकर दीक्षित से ज्यादा ऊँचा मुकाम बनाया/पाया । केएस लूथरा से मिली पराजय में जो सबक है, उसमें भी गुरनाम सिंह के लिए ऊँचा उठने/बनने का संकेत छिपा है - गुरनाम सिंह उस सबक को पढ़ और समझ सकें तो ?
गुरनाम सिंह लेकिन अभी 'वह' सबक पढ़ते/सीखते नहीं दिख रहे हैं - चुनावी मुकाबले में विशाल सिन्हा को जितवाने में असफल रहने के बाद अब उन्होंने 'चोर दरवाजे' से विशाल सिन्हा को चुनवाने का जाल फैलाया है । समस्या लेकिन यह हुई है कि उनकी इस कोशिश में उन्हें उन कई लोगों का भी साथ और समर्थन नहीं मिल रहा है जो चुनावी मुकाबले में विशाल सिन्हा के साथ थे । गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के नजदीकियों का ही कहना है कि 'चोर दरवाजे' से विशाल सिन्हा को चुनवाने की मुहिम में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अनुपम बंसल का पर्याप्त सहयोग और समर्थन नहीं मिल रहा है । उनके अनुसार, अनुपम बंसल इस पचड़े से दूर रहने के लिए तर्क यह दे रहे हैं कि वह करें तो क्या करें ? उनका तर्क सही दिखता भी है - वह आखिर करें भी तो क्या करें ? गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के नजदीकियों का कहना है कि तकनीकी रूप से अनुपम बंसल को कुछ नहीं करना है, लेकिन वह यदि इस मामले में विशाल सिन्हा की तरफ से दिलचस्पी दिखाएँ तो इस मामले में फैसला करने वाले पदाधिकारियों पर दबाव बनेगा और विशाल सिन्हा का काम बनेगा - लेकिन अनुपम बंसल इस मामले में किसी भी तरह की कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं और ऐसा लगता है कि उन्होंने विशाल सिन्हा का साथ छोड़ दिया है ।
अनुपम बंसल की स्थिति - फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते दरअसल थोड़ी विकट हो गई है । उनसे सहानुभूति रखने वाले एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का कहना है कि विशाल सिन्हा की चुनावी हार से अनुपम बंसल की भी खासी किरकिरी हुई है - जिसे वह और नहीं बढ़ाना चाहते होंगे । विशाल सिन्हा को अनुपम बंसल का खुला समर्थन था - लेकिन विशाल सिन्हा फिर भी चुनाव हार गए; तो इससे अनुपम बंसल के लिए भी बुरी स्थिति बनी । जो हुआ, सो हुआ - अनुपम बंसल ने अपनी स्थिति को फिर से सुधारने की कोशिश शुरू की है और अब वह नए लफड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं । अनुपम बंसल के नजदीकियों का कहना है कि अनुपम बंसल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियों को निभाना है और इसके लिए जरूरी है कि वह किसी नए लफड़े में न पड़ें । गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा ने जो नया खेल शुरू किया है - अनुपम बंसल को उसकी सफलता पर भी संदेह है और इसलिए भी वह अपने आप को इस खेल से दूर दिखाना चाहते हैं । अनुपम बंसल को डर है कि वह फिर से विशाल सिन्हा के लिए कुछ करेंगे और विशाल सिन्हा का कुछ नहीं होगा तो उनकी फिर और फजीहत होगी - और तब उनके लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियों को निभा पाना और मुश्किल हो जायेगा । गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के नजदीकियों को अनुपम बंसल का यह दूर-दूर रहना/दिखना पसंद नहीं आ रहा है और वह शिकायत कर रहे हैं कि अनुपम बंसल लगता है कि शिव कुमार गुप्ता के साथ जा मिले हैं ।