Wednesday, April 3, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में संजय खन्ना की उम्मीदवारी ने सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी और अजय बुद्धराज की नेतागिरी के लिए गंभीर खतरा पैदा किया

सिरसा । संजय खन्ना की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने सुरेश जिंदल और वीके हंस की उम्मीदवारी के लिए एक साथ गंभीर चुनौती पैदा की है । संजय खन्ना की उम्मीदवारी के चलते, वीके हंस की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग बुरी तरह फ्लॉप हुई तो सुरेश जिंदल अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में यहाँ मीटिंग करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं । दोनों ही खेमों के नेता संजय खन्ना को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने और अपने अपने समर्थन में खींचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन संजय खन्ना किसी के 'हाथ' नहीं आ रहे हैं । सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी के प्रमुख सेनापति अजय बुद्धराज हालाँकि दावा कर रहे हैं कि ऐन मौके पर संजय खन्ना अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे और सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन घोषित करेंगे । अपने इस दावे के संबंध में अजय बुद्धराज के पास जोरदार तर्क भी है और वह यह कि चूँकि चंद्रशेखर मेहता का सिरसा में राज है और वह उनके साथ हैं, इसलिए चंद्रशेखर मेहता ही संजय खन्ना की उम्मीदवारी को वापस करवायेंगे और तब संजय खन्ना के पास सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा ।
संजय खन्ना को लेकर कई लोगों को लगता है कि अजय बुद्धराज और चंद्रशेखर मेहता ने मिलकर उन्हें ऐसा फँसाया है कि उनके लिए ज्यादा विकल्प बचे ही नहीं रहे हैं । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में इस वर्ष के शुरू के महीनों में लोगों का विश्वास था कि अजय बुद्धराज वाला खेमा संजय खन्ना को उम्मीदवार बनाएगा । लेकिन जब उम्मीदवार सचमुच तय करने का समय आया तो अजय बुद्धराज ने सभी को आश्चर्य में डालते हुए सुरेश जिंदल को उम्मीदवार चुना और संजय खन्ना को अपने ठगे जाने का अहसास हुआ । अजय बुद्धराज से भी ज्यादा निराशा संजय खन्ना को चंद्रशेखर मेहता के रवैये से हुई - क्योंकि सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी को चंद्रशेखर मेहता के समर्थन के दावे भी किये गए । चंद्रशेखर मेहता के रवैये से निराश संजय खन्ना ने लेकिन हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने सिरसा में लोगों को अपने समर्थन में जुटा कर चंद्रशेखर मेहता पर अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में रहने के लिए दबाव बनाया । यह दबाव उस समय दिखा भी जब हरियाणा फोरम के नेताओं के साथ खड़े होने के लिए चंद्रशेखर मेहता ने संजय खन्ना को उम्मीदवार बनाये जाने की शर्त रखी । अजय बुद्धराज और उनके समर्थकों का हालाँकि कहना था और है कि चंद्रशेखर मेहता ने हरियाणा फोरम के नेताओं से जान छुड़ाने के लिए संजय खन्ना की उम्मीदवारी का नाम लिया है और चंद्रशेखर मेहता यह भी जानते हैं कि संजय खन्ना के बस की उम्मीदवार बने रहना है ही नहीं और तब चंद्रशेखर मेहता उनके साथ आ जायेंगे । आजकल अजय बुद्धराज और चंद्रशेखर मेहता सार्वजानिक रूप से एक दूसरे को दी गईं गलियों को भूलकर जिस तरह एक साथ होने की कोशिश कर रहे हैं, उसे देखते हुए हो सकता है कि अजय बुद्धराज का यह कहना सच ही हो कि चंद्रशेखर मेहता ने हरियाणा फोरम के नेताओं को और संजय खन्ना को एक साथ उल्लू बनाया है । 
संजय खन्ना के रवैये ने लेकिन चंद्रशेखर मेहता की अजय बुद्धराज द्धारा बताई जा रही इस रणनीति को फेल करने की तैयारी की हुई है । संजय खन्ना ने दावा किया हुआ है और अपने इस दावे को उन्होंने इन पंक्तियों के लेखक के सामने भी दोहराया है कि वह अपनी उम्मीदवारी को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लेंगे । संजय खन्ना और उनके समर्थकों का सोचना यह है कि दीपक तलवार, अरुण पुरी और दीपक टुटेजा के वीके हंस की उम्मीदवारी के समर्थन में जाने से सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी को दिल्ली में मिल सकने वाले समर्थन-आधार को जो नुकसान पहुँचा है, उसके बाद संजय खन्ना की उम्मीदवारी के लिए चांस बढ़ गया है । दरअसल दीपक तलवार, अरुण पुरी और दीपक टुटेजा ने जो झटका दिया है उसके बाद अजय बुद्धराज के लिए सुरेश जिंदल को चुनाव जितवाने से ज्यादा एक नेता के रूप में अपनी साख बचाना ज्यादा जरूरी हो गया है । अपनी साख बचाने के वास्ते अजय बुद्धराज के लिए चंद्रशेखर मेहता का समर्थन पाना जरूरी हो गया है । संजय खन्ना और उनके समर्थकों का मानना यह है कि संजय खन्ना की उम्मीदवारी के होते हुए चंद्रशेखर मेहता के लिए उन्हें छोड़ कर अजय बुद्धराज के साथ जाना मुश्किल होगा - और तब अजय बुद्धराज को सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी का समर्थन छोड़ कर उनकी उम्मीदवारी के समर्थन के लिए मजबूर होना पड़ेगा ।
संजय खन्ना और उनके समर्थकों के अनुसार अजय बुद्धराज भी और चंद्रशेखर मेहता भी यह अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि हरियाणा फोरम की राजनीति से निपटने के लिए उन दोनों का साथ होना जरूरी है । चंद्रशेखर मेहता के लिए संजय खन्ना की उम्मीदवारी को छोड़ कर अजय बुद्धराज के साथ जाना मुश्किल होगा; यदि वह ऐसा करते हैं तो सिरसा के लोगों के बीच उनकी पोल खुल जायेगी और सिरसा के नाम पर चलने वाली उनकी राजनीति चौपट हो जायेगी - हाँ, लेकिन यदि संजय खन्ना अपनी उम्मीदवारी खुद ही छोड़ दें तो बात अलग है; लेकिन अजय बुद्धराज के लिए सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी का साथ छोड़ना कोई मुश्किल नहीं होगा । अजय बुद्धराज का सुरेश जिंदल के साथ किसी भी तरह का कोई संबंध तो रहा नहीं है; सुरेश जिंदल को तो उन्होंने अपनी राजनीति चलाने के लिए उम्मीदवार बनाया है । सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी में उन्हें यदि अपनी राजनीति चलती हुई नहीं दिखेगी तो सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी को छोड़ने में भी उन्हें देर नहीं लगेगी । इसी अनुमान और गणित के भरोसे संजय खन्ना को अपनी उम्मीदवारी को बनाये रखने में अपना काम बनता दिख रहा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों और नेताओं के 'स्वार्थों' को समझने वाले लोगों को भी लगता है कि संजय खन्ना के लिए स्थितियाँ अभी भले ही अनुकूल न दिख रही हों, लेकिन यदि वह अपनी उम्मीदवारी को बनाये रखते हैं और चंद्रशेखर मेहता को अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में बनाये रख पाते हैं - तो चुनाव का दिन आते-आते वह सुरेश जिंदल की उम्मीदवारी के समर्थक अजय बुद्धराज सहित दूसरे नेताओं का भी समर्थन प्राप्त कर लेंगे । यह देखना दिलचस्प होगा कि संजय खन्ना को जो मौका मिला है, उसका वह कैसे इस्तेमाल करते हैं - और कर भी पाते हैं या नहीं ?