Tuesday, April 23, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3250 में चर्चा है कि कमल सांघवी को रोटरी में इवेंट मैनेज करने का काम करना है या रोटरी के वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने का

धनबाद । रोटरी क्लब ऑफ धनबाद चेरीटेबल ट्रस्ट द्धारा पिछले तीस वर्ष से भी अधिक समय से चलाये जा रहे जीवन ज्योति स्कूल के मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को उनके घरों से लाने -लेजाने के लिए आवश्यक बस को खरीदने के लिए तैयार किये गए मैचिंग ग्रांट प्रोजेक्ट के निरस्त हो जाने के कारण कमल सांघवी गंभीर आरोपों में घिर गए हैं । उल्लेखनीय है कि कमल सांघवी का क्लब रोटरी क्लब धनबाद इस मैचिंग ग्रांट प्रोजेक्ट का प्राइमरी होस्ट पार्टनर था और खुद कमल सांघवी की देखरेख में यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया था और उनपर ही इस प्रोजेक्ट को संभव करने की जिम्मेदारी थी । इस प्रोजेक्ट से संबद्ध जो दस्तावेज 'रचनात्मक संकल्प' के पास हैं, उनके अनुसार 13286 अमेरिकी डॉलर के इस प्रोजेक्ट के लिए 500 अमेरिकी डॉलर रोटरी क्लब धनबाद से और 2000 अमेरिकी डॉलर डिस्ट्रिक्ट 3250 के डीडीएफ एकाउंट से लेने की संस्तुति प्राप्त कर ली गई थी । बाकी बची रकम में से 5095 अमेरिकी डॉलर रोटरी फाउंडेशन से लेने की बात तय हुई थी और 5691 अमेरिकी डॉलर के लिए मैचिंग पार्टनर खोजना था । इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी चूँकि कमल सांघवी ने ली थी, इसलिए किसी को भी इसके पूरा हो पाने को लेकर जरा सा भी संदेह नहीं था । कमल सांघवी की रोटरी में जैसी धाक है; कल्याण बनर्जी के 'ब्ल्यू-आयड ब्यॉय' की उनकी जैसी पहचान है - उसके बाद इस प्रोजेक्ट की सफलता को लेकर किसी के पास भी शक/संदेह की कोई गुंजाइश नहीं थी । लेकिन फिर भी प्रोजेक्ट ड्रॉप हो गया । मजे की बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के ड्रॉप होने के लिए ट्रस्ट के, क्लब के और डिस्ट्रिक्ट के लोगों की तरफ से कमल सांघवी को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । आरोप लगाया जा रहा है कि कमल सांघवी की रोटरी के वास्तविक कामों में नहीं बल्कि रोटरी के नाम पर इवेंट मैनेज करने में ज्यादा दिलचस्पी हो गई है ।
कमल सांघवी को लेकर लोगों के बीच चर्चा है कि कमल सांघवी को चूँकि इंटरनेशनल डायरेक्टर बनना है और उन्होंने समझ लिया है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने के लिए रोटरी के वास्तविक काम करना जरूरी नहीं है, बल्कि रोटरी के बड़े नेताओं को खुश करना/रखना जरूरी है इसलिए वह अब 'उसमें' जुट गए हैं । उनके डिस्ट्रिक्ट के लोगों का ही कहना है कि मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर शेखर मेहता को खुश करने/रखने के लिए उनके आयोजनों को सफल बनाने में कमल सांघवी ने जितनी सक्रियता दिखाई है, उसके सौवें अंश की सक्रियता भी वह यदि मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों के स्कूल के लिए दिखा पाते तो उक्त प्रोजेक्ट सफल हो जाता । इससे भी ज्यादा मजे की और दुर्भाग्य की बात यह है कि अपने क्लब के अपनी ही देखरेख में बने प्रोजेक्ट के ड्रॉप होने का कमल सांघवी को कोई अफ़सोस भी नहीं है । उनका कहना है कि जीवन ज्योति स्कूल का काम सुचारू रूप से चल रहा है और इस प्रोजेक्ट के ड्रॉप होने से बच्चों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं हो रही है । यदि सचमुच ऐसा ही है तो फिर 13286 अमेरिकी डॉलर का यह प्रोजेक्ट बनाया ही क्यों गया था ? इस प्रोजेक्ट में बच्चों को लाने-लेजाने के लिए एक मिनी बस खरीदनी थी तथा विशेष सॉफ्टवेयर के साथ दो कंप्यूटर सिस्टम और एक एलसीडी प्रोजेक्टर भी खरीदा जाना था । उम्मीद की जानी चाहिए कि कमल सांघवी की देखरेख में यदि उक्त प्रोजेक्ट तैयार किया गया था तो सचमुच में शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही उक्त प्रोजेक्ट तैयार किया गया होगा । लेकिन अब कमल सांघवी कह रहे हैं कि प्रोजेक्ट ड्रॉप होने से बच्चों की जरूरतों पर कोई असर नहीं पड़ा है । कमल सांघवी का यह भी कहना है कि प्रोजेक्ट की रकम ऐसी नहीं है जिसे जुटाना उनके लिए मुश्किल हो - वह चार फोन घुमायेंगे, उक्त रकम इकठ्ठा हो जायेगी ।
कमल सांघवी की इस बात पर कोई भी शक नहीं कर सकता है - क्योंकि उनका रुतबा ऐसा ही है । सवाल लेकिन यही है कि शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के स्कूल की जरूरतों को पूरा करने के लिए जितनी रकम की गणना आपने की, उसे चार फोन घुमा कर ही जुटा लेना चाहिए था - उसके लिए मैचिंग ग्रांट जुटाने के पचड़े में पड़ने की कोशिश ही आपने क्यों की और जब की तो उसे सफल बनाने में दिलचस्पी क्यों नहीं ली ? कमल सांघवी के क्लब के ही ट्रस्ट द्धारा चलाये जा रहे जीवन ज्योति स्कूल के मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को उनके घरों से लाने -लेजाने के लिए आवश्यक बस को खरीदने के लिए तैयार किये गए मैचिंग ग्रांट प्रोजेक्ट के निरस्त हो जाने का कमल सांघवी को भले ही कोई अफ़सोस न हो, लेकिन इससे उनके डिस्ट्रिक्ट के उनके विरोधियों को अच्छा मसाला मिल गया है । कमल सांघवी ने पिछले कुछ वर्षों में रोटरी के बड़े नेताओं से अच्छे संबंध बना लिए हैं, जिसके चलते रोटरी में उनकी अच्छी साख और धाक बनी है - जो उनके डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों को पसंद नहीं आ रही है । मौजूदा इंटरनेश्नल डायरेक्टर शेखर मेहता के साथ उनकी जो जोड़ी बनी है - वह कईओं की आँखों की किरकिरी बनी है । कोलकाता में वर्ष 2011 में शेखर मेहता की देखरेख में आयोजित हुए रोटरी इंस्टीट्यूट में तथा इस वर्ष हैदराबाद में शेखर मेहता की देखरेख में आयोजित हो रहे रोटरी साउथ एशिया सम्मिट में कमल सांघवी को जो प्रमुख जिम्मेदारी मिली है, वह कई प्रमुख रोटेरियंस को बुरी तरह खटक रही है ।
यह इसलिए भी खटक रही है क्योंकि कमल सांघवी उक्त जिम्मेदारियों को निभाने में बहुत सफल हो रहे हैं और उस सफलता के लिए उनकी तारीफ भी हो रही है । उनकी इस सफलता को लेकिन उनके क्लब के प्रोजेक्ट के ड्रॉप होने से जोड़ कर सवाल किया जा रहा है कि रोटरी में कमल सांघवी को इवेंट मैनेज करने का काम करना है या रोटरी के वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने का काम करना है ? इस सवाल का जबाव भी दिया जा रहा है और वह यह कि कमल सांघवी जानते हैं कि उनके क्लब के द्धारा तीस वर्षों से भी अधिक समय से चलाये जा रहे स्कूल के शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर बच्चे उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर थोड़े ही बनवा सकते हैं, वह तो शेखर मेहता बनवा सकते हैं इसलिए उन्हें शेखर मेहता की 'सेवा' में जुटना ज्यादा जरूरी लगा है - इस चक्कर में उनके खुद के द्धारा तैयार किया गया प्रोजेक्ट ड्रॉप हो गया तो उनकी बला से ।