Saturday, August 3, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के विश्वास को बनाये रखना दीपक गुप्ता के लिए बड़ी चुनौती बना

गाजियाबाद/नई दिल्ली । दीपक गुप्ता को अगले रोटरी वर्ष में प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी के लिए संपर्क अभियान में जुटा देख कर विनोद बंसल अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल ने अपने कार्यकाल में दीपक गुप्ता को एक बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल ने एक बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट यह सोचा है कि उनके कार्यकाल में डिस्ट्रिक्ट के प्रत्येक सदस्य को रोटरी फाउंडेशन में कुछ न कुछ दान देने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाये । इसके लिए विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट में पहली बार एक खास पद का गठन किया और उक्त पद से रोटरी क्लब गाजियाबाद के वरिष्ठ सदस्य दीपक गुप्ता को सुशोभित किया । दीपक गुप्ता की रोटरी के प्रति प्रतिबद्धता और रोटरी में उनकी संलग्नता को देखते/पहचानते हुए विनोद बंसल ने विश्वास किया कि इस काम को दीपक गुप्ता प्रभावी तरीके से अंजाम दे देंगे । विनोद बंसल ने दीपक गुप्ता के लिए डिस्ट्रिक्ट में एक नया पद 'पैदा' किया - तो कई लोगों की त्यौरियाँ चढ़ीं और दीपक गुप्ता व विनोद बंसल के बीच के रिश्तों की पड़ताल होने लगी । इस सब की परवाह न करते हुए विनोद बंसल ने दीपक गुप्ता की सोच और सामर्थ्य पर भरोसा किया और उम्मीद की कि दीपक गुप्ता उनके द्धारा सोचे गए प्रोजेक्ट को अवश्य ही सफल करेंगे/करवाएंगे ।
विनोद बंसल को यह देख कर लेकिन तगड़ा झटका लगा कि दीपक गुप्ता तो अगले रोटरी वर्ष के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करके अपने संपर्क अभियान में लग गए हैं । दीपक गुप्ता ने पहल की तो अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार बनने के इच्छुक कुछ और लोग भी मैदान में कूद पड़े । इससे पहला 'नुकसान' तो यह हुआ कि डिस्ट्रिक्ट टीम के सदस्यों पर चुनावी अभियान में शामिल होने को लेकर रोक का जो नियम बना है वह बेमानी हो गया । उक्त नियम के चलते, इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले लोगों को विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट टीम का सदस्य नहीं बनाया - लेकिन अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले लोग तो टीम में हैं और टीम में रहते हुए वह यदि चुनावी अभियान में जुटे हैं तो उक्त नियम का मतलब भला क्या रह गया ? नियम तोड़ने का दोष किसी को नहीं दिया जा सकता, नियम किसी ने भी नहीं तोड़ा - लेकिन फिर भी नियम का तो मजाक बन ही गया ! विनोद बंसल के गवर्नर-काल में यह हुआ और हो रहा है, यह विनोद बंसल के गवर्नर-काल के लिए नकारात्मक पहचान का कारण बना । विनोद बंसल के नजदीकियों का कहना है कि विनोद बंसल ने इस स्थिति के बनने का बुरा माना है और इस स्थिति को 'बनाने' के लिए दीपक गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया है ।
विनोद बंसल को लेकिन इससे भी ज्यादा बड़ी चिंता यह सोच-सोच कर हो रही है कि दीपक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी के लिए संपर्क अभियान चलायेंगे तो उस जिम्मेदारी को कैसे और कब निभायेंगे, जो उन्हें खासतौर से दी गई है । विनोद बंसल के नजदीकियों की बातों पर यदि यकीन करें तो विनोद बंसल ने उक्त जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए दीपक गुप्ता के साथ दो-एक और लोगों को जोड़ देने के विकल्प पर विचार करना शुरू कर दिया है । विनोद बंसल के नजदीकियों का कहना है कि दीपक गुप्ता को अपने चुनाव प्रचार में लगा देख कर विनोद बंसल ने यह तो मान/समझ लिया है कि 'अब' दीपक गुप्ता के लिए उक्त जिम्मेदारी का निर्वाह कर पाना मुश्किल क्या, असंभव ही होगा - हालाँकि फिर भी दीपक गुप्ता को नए बनाये गए पद से हटाने जैसा कठोर फैसला तो विनोद बंसल नहीं लेंगे, लेकिन उनके साथ दो-एक और लोगों को जोड़ देने का उपाय विनोद बंसल को जरूर सूझ रहा है । विनोद बंसल भी इस सच्चाई को समझ रहे हैं कि दीपक गुप्ता ने यदि सचमुच अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार बनने का निश्चय कर लिया है तो वह अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम तो करेंगे ही - ऐसे में दीपक गुप्ता के सामने वास्तव में यह एक बड़ी चुनौती है कि अपनी उम्मीदवारी के लिए काम करने के साथ-साथ वह कैसे उस जिम्मेदारी का भी निर्वाह करें, जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल ने उन्हें सौंपी है ।
विनोद बंसल के नजदीकियों के अनुसार, विनोद बंसल अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर बहुत ही गंभीर हैं, और वह अब इसे दीपक गुप्ता के जिम्मे छोड़ कर निश्चिंत नहीं हो सकते हैं । दीपक गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि विनोद बंसल उक्त प्रोजेक्ट में उनके साथ यदि दो-एक लोगों को और जोड़ते हैं तो अभी - एक नए गठित किये गए पद पर हुई ताजपोशी के चलते डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनका जो रुतबा बना है, वह कमजोर होगा । ऐसे समय में, जबकि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी के लिए संपर्क अभियान छेड़े हुए हैं - उनके रुतबे में आने वाली कमजोरी उनके संपर्क अभियान पर प्रतिकूल असर ही डालेगी । यह एक ऐसी मुसीबत है, जिसे दीपक गुप्ता ने खुद ही निमंत्रित किया है और इसे हल भी अकेले उन्हें ही करना है । यह देखना दिलचस्प होगा कि दीपक गुप्ता इस मुसीबत से कैसे निपटते हैं और विनोद बंसल ने उनमें जो विश्वास किया है उसे वह बनाये रख पाते हैं या नहीं ?