Monday, August 12, 2013

अशोक महाजन अपनी फजीहत का बदला लेने और मनोज देसाई की जीत को हार में बदलने के लिए नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले को चैलेंज करवायेंगे क्या ?

दिल्ली/मुंबई । वर्ष 2015-16 के रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के चुनाव में केआर रवींद्रन से अशोक महाजन को मिली पराजय के बाद इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में भी अशोक महाजन को झटका लगने की जो संभावना बनी थी, वह अंततः सही साबित हुई । लेकिन उन्हें लगने वाला झटका इतना तगड़ा होगा, यह किसी को उम्मीद नहीं थी । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार के चुनाव में अशोक महाजन के समर्थित उम्मीदवार भरत पांड्या की इतनी बुरी गत बनेगी कि वह ऑल्टरनेट उम्मीदवार भी नहीं बन सकेंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था । भरत पांड्या को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार चुनवाने के लिए अशोक महाजन ने यूँ तो हर संभव हथकंडा अपनाया, लेकिन उनका कोई भी हथकंडा काम नहीं आया । मनोज देसाई की उम्मीदवारी का झंडा उठाये पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता को रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 के दिल्ली में होने को लेकर अपने ही डिस्ट्रिक्ट में जिस तरह मात खानी पड़ी, उससे भी अशोक महाजन को 'अपना काम' बनने की उम्मीद बनी थी - लेकिन अपने मुकाबले पर खड़े सुशील गुप्ता की दुर्गति होने के बावजूद अशोक महाजन 'अपना काम' नहीं बना/बनवा सके और उन्हें बुरी तरह मुहँकी खानी पड़ी ।
अशोक महाजन/भरत पांड्या का सारा खेल डिस्ट्रिक्ट 3100 के राजीव रस्तोगी के कारण बिगड़ा बताया जा रहा है । भरत पांड्या के लिए अशोक महाजन ने फील्डिंग हालाँकि अच्छी जमाई थी - पाँच वोट उनके पास पक्के थे; उन पाँच के अलावा राजीव रस्तोगी को भी उनके साथ माना/पहचाना जा रहा था । राजीव रस्तोगी के गवर्नर-काल में हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में भरत पांड्या रोटरी इंटरनेशनल के प्रतिनिधि बन कर आये थे, और तभी से राजीव रस्तोगी उनके 'नजदीक' थे । राजीव रस्तोगी ने भरत पांड्या/अशोक महाजन को अपने समर्थन के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट 3053 के क्रांति चंद्र मेहता का समर्थन दिलवाने का भी विश्वास दिलाया हुआ था । राजीव रस्तोगी और क्रांति चंद्र मेहता के बीच अच्छी दोस्ती बताई जाती है । इस दोस्ती के भरोसे राजीव रस्तोगी द्धारा जताये गए विश्वास के बावजूद अशोक महाजन/भरत पांड्या ने राजीव रस्तोगी के वोट को अपने पक्के वाले वोटों में नहीं गिना था, तो इसका कारण यह था कि क्रांति चंद्र मेहता ने मनोज देसाई को राजीव रस्तोगी का समर्थन दिलवाने का विश्वास दिया/दिलाया हुआ था । इनके अलावा, डिस्ट्रिक्ट 3010 के मुकेश अरनेजा पर दोनों खेमों के नेताओं की निगाह थी । मुकेश अरनेजा का वोट सबसे ज्यादा ढुलमुल वोट था - कोई नहीं जानता था कि मुकेश अरनेजा किससे क्या सौदा कर लेंगे ? अपने आप को मुकेश अरनेजा के नजदीक बताने वाले कुछेक लोगों का यह कहना जरूर था कि मुकेश अरनेजा को ऐन मौके पर जो जीतता हुआ 'दिखेगा', मुकेश अरनेजा उसके साथ हो लेंगे । 14 सदस्यीय नोमीनेटिंग कमेटी में मनोज देसाई को छह सदस्यों के समर्थन का पक्का भरोसा था । इन छह के अलावा, मनोज देसाई को भरोसा क्रांति चंद्र मेहता के समर्थन का भी था - लेकिन राजीव रस्तोगी के कारण क्रांति चंद्र मेहता की स्थिति संदेहास्पद और सवालों के घेरे में भी थी !
रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के अधिकृत उम्मीदवार के लिए प्रमुख दावेदारों के रूप में पहचाने जाने वाले मनोज देसाई और भरत पांड्या तथा उनके समर्थक नेताओं ने सारा जोर इन्हीं तीन वोटों - राजीव रस्तोगी, क्रांति चंद्र मेहता और मुकेश अरनेजा - पर लगाया हुआ था । जब तक वर्ष 2015-16 के रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के चुनाव का नतीजा घोषित नहीं हुआ था, तब तक इन तीन वोटों पर अशोक महाजन का अधिकार ज्यादा 'देखा' जा रहा था, किंतु उस चुनाव का नतीजा आते ही अशोक महाजन का अधिकार ढीला पड़ता दिखा । आख़िरी क्षणों में जो 'खेल' हुआ उससे भेद यह खुला कि इस खेल के तार रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय तक जुड़े हुए थे और रोटरी इंटरनेशनल के बड़े अधिकारी और पदाधिकारी नेता तक इस चुनाव को प्रभावित करने की दौड़ में थे । ठीक अंतिम क्षणों में मनोज देसाई खेमे की तरफ से राजीव रस्तोगी को अपनी तरफ करने के लिए जो ब्रह्मास्त्र चला गया - उसने सारा खेल मनोज देसाई के पक्ष में स्थिर कर दिया । सुनी गई चर्चा के अनुसार, ठीक अंतिम क्षणों में राजीव रस्तोगी को मय सबूतों के साथ बताया/दिखाया गया कि उनके गवर्नर-काल में हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रोटरी इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में पधारे भरत पांड्या ने रोटरी इंटरनेशनल को जो रिपोर्ट भेजी थी, उसमें उनके खिलाफ प्रतिकूल बातें कहीं/लिखी गईं थीं । करीब ढाई वर्ष पहले की इस रिपोर्ट के लीक होने से राजीव रस्तोगी ने क्रांति चंद्र मेहता के साथ दोस्ती निभाना ज्यादा ठीक समझा । पाँच वोटों वाले भरत पांड्या के मुकाबले आठ वोटों के साथ मनोज देसाई का पलड़ा दूसरों के साथ-साथ मुकेश अरनेजा को भी जब भारी दिखा, तब एक चतुर सौदागर की तरह वह भी मनोज देसाई के पक्ष में आ गए । नोमीनेटिंग कमेटी में मनोज देसाई ने 9 - 5 से अधिकृत उम्मीदवार की बाजी जीत ली ।
मनोज देसाई खेमे के लोग सिर्फ इस जीत से संतुष्ट नहीं थे - वह अशोक महाजन की अभी और फजीहत करने/कराने के मूड में थे । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए ऑल्टरनेट उम्मीदवार के लिए भरत पांड्या और डिस्ट्रिक्ट 3131 के विनय कुलकर्णी के बीच जो चुनाव हुआ, उसमें मनोज देसाई के समर्थन में रहे लोगों ने विनय कुलकर्णी को वोट दिया । अशोक महाजन/भरत पांड्या की बदकिस्मती यह रही कि अधिकृत उम्मीदवार के चुनाव में उन्हें जो पाँच वोट मिले थे, उन्हें वह ऑल्टरनेट उम्मीदवार के चुनाव में अपने साथ बनाये नहीं रख सके और यहाँ उन्हें कुल चार वोट ही मिले । ऑल्टरनेट उम्मीदवार का चुनाव भरत पांड्या 4 - 9 से हार गए - उन विनय कुलकर्णी से हार गए जिनका कहीं कोई नामलेवा तक नहीं था । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार के चुनाव में मिली पराजय भरत पांड्या/अशोक महाजन के लिए उतना बड़ा झटका नहीं रही, लेकिन ऑल्टरनेट उम्मीदवार के चुनाव में मिली पराजय ने अशोक महाजन की राजनीति के लिए ज्यादा बड़ा संकट खड़ा कर दिया है ।
अशोक महाजन को जानने वाले लोगों का कहना लेकिन यह भी है कि अशोक महाजन इतनी आसानी से हार स्वीकार करने वाले नहीं हैं । कुछेक लोगों को लगता है कि अशोक महाजन अधिकृत उम्मीदवार के रूप में मनोज देसाई को चुनौती दिलवायेंगे । दरअसल नोमीनेटिंग कमेटी में बने जिस समीकरण के कारण उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा है, उसी समीकरण में उन्हें भरत पांड्या के लिए जीत के आसार नज़र आ रहे हैं । उल्लेखनीय है कि नोमीनेटिंग कमेटी में मनोज देसाई को जो जीत मिली है, वह जोन 4 ए के डिस्ट्रिक्ट्स की बदौलत मिली है, जोन 4 बी के डिस्ट्रिक्ट्स का समर्थन जुटाने में मनोज देसाई बुरी तरह फेल रहे हैं । इस आधार पर कह सकते हैं कि जोन 4 बी के डिस्ट्रिक्ट्स में अशोक महाजन का जलवा अभी बाकी है । मनोज देसाई के लिए मुसीबत की बात यह है कि उनकी अधिकृत उम्मीदवारी को यदि चुनौती मिलती है, तो फिर होने वाले चुनाव में सिर्फ जोन 4 बी के डिस्ट्रिक्ट्स के लोग ही वोट करेंगे, उस चुनाव में जोन 4 ए के लोगों की कोई भूमिका नहीं होगी । इसी आधार पर, अशोक महाजन के नजदीकी लोगों को लगता है कि अशोक महाजन अपनी हुई फजीहत का बदला अवश्य ही लेंगे और अपनी हार को जीत में बदलने का जो एक मौका उनके लिए अभी खुला है, उसका अवश्य ही उपयोग करेंगे ।