Thursday, August 15, 2013

'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में को-चेयरमैन का पद पाकर विनोद बंसल ने अपने ही डिस्ट्रिक्ट के अपने विरोधियों को फ़िलहाल धूल तो चटा ही दी है

नई दिल्ली । 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में को-चेयरमैन का पद विनोद बंसल को देकर इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर ने डिस्ट्रिक्ट 3010 के तुर्रमखाँ नेताओं को ऐसा आईना दिखाया है, कि उनके लिए आईने के सामने पड़ना मुश्किल हो गया है । उल्लेखनीय है कि 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में विनोद बंसल को को-चेयरमैन का पद न मिले इसके लिए डिस्ट्रिक्ट 3010 के घोषित और अघोषित नेताओं ने पूरी तैयारी के साथ ताल ठोकी हुई थी - और इसके चलते उन्होंने 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' के दिल्ली में होने के प्रस्ताव तक को ख़ारिज करवा दिया । दिल्ली में 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' के होने के प्रस्ताव के दिल्ली के रोटरी नेता इसलिए दुश्मन हो गये, क्योंकि उक्त इंस्टीट्यूट की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में को-चेयरमैन का पद विनोद बंसल को ऑफर हो रहा था । दिल्ली में 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' के आयोजन के प्रस्ताव को ख़ारिज करवाने में तो दिल्ली के रोटरी नेता सफल हो गए, लेकिन विनोद बंसल के को-चेयरमैन बनने के जिस कारण को लेकर वह विरोध कर रहे थे - उस 'कारण' का वह कुछ नहीं बिगाड़ पाए । विनोद बंसल 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में को-चेयरमैन बना दिए गए हैं । विनोद बंसल को को-चेयरमैन बनाने के पीटी प्रभाकर के प्रस्ताव को दिल्ली के रोटरी नेता भी यदि मान लेते, तो 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' का आयोजन दिल्ली में हो रहा होता और उसके चेयरमैन का पद भी दिल्ली के ही एक रोटरी नेता रंजन ढींगरा के पास होता । विनोद बंसल के प्रति अपनी खुन्नस के चलते दिल्ली के कुछेक रोटरी नेताओं ने लेकिन ऐसा नहीं होने दिया । उनकी बदकिस्मती यह रही कि अपने तमाम प्रयासों के बावजूद वह विनोद बंसल को को-चेयरमैन बनने से नहीं रोक सके ।
हर बात का श्रेय 'लेने' में आगे रहने वाले मुकेश अरनेजा ने हालाँकि यह दावा करके अपने मूव को सफल बताया है कि उनके प्रयासों के कारण विनोद बंसल को इंस्टीट्यूट के चेयरमैन का पद तो नहीं मिल पाया । उल्लेखनीय है कि शुरू में पीटी प्रभाकर की तरफ से जब दिल्ली में 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' को आयोजित करने का प्रस्ताव मिला था, तब यह अनुमान लगाया गया था कि विनोद बंसल को उक्त इंस्टीट्यूट का चेयरमैन बनाने की तैयारी हो रही है । इस अनुमान से कई लोगों के कान खड़े हुए । विनोद बंसल ने अलग-अलग कारणों से डिस्ट्रिक्ट में अपने जो कई-कई दुश्मन बनाये हुए हैं - उन सब के बीच खलबली मच गई । हमेशा कुछ न कुछ करने की फ़िराक में रहने वाले मुकेश अरनेजा को जैसे काम मिल गया - उन्होंने अलग-अलग तर्क देकर लोगों को जोड़ा और विनोद बंसल के चेयरमैन बन सकने की योजना में पलीता लगा देने वाला काम किया । इस 'काम' में जो लोग जुड़े, उनकी पहचान एक खेमे के रूप में करते/बनाते हुए इस काम को सुशील गुप्ता की खिलाफत के साथ जोड़ दिया गया । मुकेश अरनेजा और उनके साथ लगे कुछ लफंगे किस्म के लोगों ने दावे भी किये कि उन्होंने सुशील गुप्ता को ठिकाने लगा दिया है । सुशील गुप्ता भी कच्ची गोलियाँ नहीं खेले हैं - पर्दे के पीछे से रचे गए उनके खेल में इंस्टीट्यूट 2014 के चेयरमैन पद के लिए रंजन ढींगरा का नाम आया और विनोद बंसल के लिए को-चेयरमैन का पद ऑफर हुआ । दिल्ली के रोटरी नेताओं के बीच चेयरमैन पद के लिए रंजन ढींगरा के नाम को पसंद तो नहीं किया गया, लेकिन उनका बहुत मुखर विरोध भी नहीं हुआ । विनोद बंसल को लेकर लेकिन पहले वाला रवैया ही सामने आया । 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' के कन्वेनर के रूप में पीटी प्रभाकर ने उनके रवैये को स्वीकार करने से जब इंकार कर दिया, तब दिल्ली के रोटरी नेताओं ने दिल्ली में 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' के आयोजन को लेकर अपनी स्वीकृति देने से मना कर दिया ।
दिल्ली के रोटरी नेताओं के इंकार के बाद, पीटी प्रभाकर ने चेन्नई में उक्त इंस्टीट्यूट के आयोजन की घोषणा की और साथ ही को-चेयरमैन पद के लिए उन्होंने विनोद बंसल के पक्ष में तय किये गए अपने फैसले को बनांये रखने का निश्चय दोहराया । 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में विनोद बंसल का नाम को-चेयरमैन के रूप में आने से दिल्ली के रोटरी नेताओं की सारी कसरत बेकार चली गई है । विनोद बंसल के नजदीकियों का कहना है कि लोग देखेंगे कि जो मुकेश अरनेजा अभी इस बात का श्रेय ले रहे हैं कि उन्होंने पीटी प्रभाकर की मनमानी नहीं चलने दी और विनोद बंसल को चेयरमैन नहीं बनने दिया, वही मुकेश अरनेजा उक्त इंस्टीट्यूट की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में पद पाने के लिए अब विनोद बंसल की खुशामद में जुटेंगे । 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में को-चेयरमैन का पद पाकर विनोद बंसल ने अपने डिस्ट्रिक्ट के अपने विरोधियों को धूल तो चटा दी है, लेकिन देखने की बात यह होगी कि अपने डिस्ट्रिक्ट में अपने इतने तगड़े विरोध के चलते वह रोटरी की अपनी आगे की 'यात्रा' कैसे पूरी करेंगे ? कुछेक लोगों का कहना है कि इंस्टीट्यूट के को-चेयरमैन का पद स्वीकार करके विनोद बंसल ने अपने आप को अपने डिस्ट्रिक्ट के नेताओं से और दूर कर लिया है; अभी मौके की नजाकत को देखते/समझते हुए उन्हें यह ऑफर स्वीकार नहीं करना चाहिए था, जिससे कि उनके विरोध की आँच धीमी पड़ जाती और बुझ जाती और तब उनकी आगे की राह आसान हो जाती । इसके विपरीत अन्य कुछ लोगों का मानना और कहना है कि तमाम विरोध के बावजूद को-चेयरमैन का पद उन्हें मिलने से उनका दम बढ़ा है और यह पद, अभी तक जो लोग उन्हें हलके में ले रहे थे उनके बीच उनकी हैसियत में इजाफा ही करेगा ।
रोटरी की राजनीति से परिचित लोगों का मानना और कहना है कि यहाँ जिसे आगे बढ़ना है, उसे अपने दम पर ही आगे बढ़ना होता है - मदद/अदद मिलती नहीं है, जुटानी पड़ती है । सुशील गुप्ता इंटरनेशनल डायरेक्टर बने थे, तो डिस्ट्रिक्ट के लोग तो उनकी टाँग खींचने में ही जुटे थे; सुशील गुप्ता ने पहले डिस्ट्रिक्ट के बाहर अपने लिए समर्थन जुटाया, फिर डिस्ट्रिक्ट के लोग उनका समर्थन करने के लिए मजबूर हुए थे । शेखर मेहता को तो अपने डिस्ट्रिक्ट में बहुत ही गंभीर विरोध का सामना करना पड़ा था । आगे बढ़ने की इच्छा रखने वाले को सबसे पहले और सबसे ज्यादा अपने नजदीकी लोगों के विरोध का ही सामना करना होता है - इसलिए विनोद बंसल के साथ यदि ऐसा हो रहा है, तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है । अपने डिस्ट्रिक्ट में विनोद बंसल का भले ही विरोध हो, लेकिन 'रोटरी इंस्टीट्यूट 2014' का को-चेयरमैन बनके विनोद बंसल ने दिखा/जता दिया है कि रोटरी के बड़े नेताओं के बीच उनकी अच्छी पैठ है । कुछेक लोगों को लगता है कि पैठ/बैठ कुछ नहीं है, विनोद बंसल चूँकि 'इस्तेमाल' होने के लिए प्रस्तुत हैं, इसलिए रोटरी के बड़े नेता उन्हें सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं । यह बात यदि सच भी है, तो यह रोटरी की राजनीति में सफल होने के फार्मूले के 'सच' को ही कहती है - और इसलिए यहाँ सफल होने की इच्छा रखने वाले को इस 'सच' को स्वीकार करना ही होगा । विनोद बंसल ने इसे स्वीकार कर लिया है - और वह इंस्टीट्यूट के को-चेयरमैन का पद पाने में कामयाब हो गए हैं । उनके विरोधी सिर्फ सिर धुनते ही नहीं रह गए हैं - बल्कि जल्दी ही उन्हें विनोद बंसल की खुशामद में भी देखा जाने लगेगा ।