Saturday, December 20, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में रमेश अग्रवाल के दावे के अनुसार पेम थर्ड के आयोजन के संदर्भ में धोखा खाने के बाद भी रोटरी क्लब सोनीपत उनके साथ बना रहेगा; किंतु पेम सेकेंड में भी क्या वह जेके गौड़ को अपनी कठपुतली बनाये रख सकेंगे ?

नई दिल्ली । शरत जैन की उम्मीदवारी को नुकसान से बचाने के लिए रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में रमेश अग्रवाल ने रोटरी क्लब सोनीपत के लोगों को धोखा देना मंजूर कर लिया । रमेश अग्रवाल से मिले धोखे के कारण रोटरी क्लब सोनीपत के लोगों की डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच भारी किरकिरी हुई है । रमेश अग्रवाल हालाँकि आश्वस्त हैं और दावा कर रहे हैं कि रोटरी क्लब सोनीपत में उनके कई पिटठू हैं, जिनके होने से वह क्लब उनके साथ ही रहेगा - वह क्लब के लोगों के साथ चाहें कितना ही धोखा करें । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब सोनीपत के साथ पेम थर्ड की आयोजन जिम्मेदारी को लेकर धोखा हुआ है । रमेश अग्रवाल ने पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी रोटरी क्लब सोनीपत को दे दी थी । रोटरी क्लब सोनीपत के लोगों ने उसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी । पेम थर्ड के आयोजन में जिन जिन लोगों की मदद लेनी थी, उनके साथ मीटिंग कर ली गई थी और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को निमंत्रित करना भी शुरू कर दिया गया था । लेकिन तभी भेद खुला कि जेके गौड़ ने तो पेम थर्ड के आयोजन के लिए रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड के सतीश गुप्ता को प्रस्ताव दिया हुआ है । सवाल पैदा हुआ कि उस प्रस्ताव पर फैसला हुए बिना और जेके गौड़ की जानकारी में लाये बिना रमेश अग्रवाल किसी और क्लब को पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी कैसे दे सकते हैं ?
रमेश अग्रवाल के लिए यह सवाल हालाँकि बेमानी था - क्योंकि वह तो मानते और दिखाते हैं कि असली गवर्नर तो वही हैं, जेके गौड़ तो सिर्फ कठपुतली हैं, फैसला कठपुतली थोड़े ही करती है, इसलिए वह जो चाहें कर सकते हैं । किंतु फिर भी, इस संदर्भ में मामला थोड़ा पेचीदा हो गया । दरअसल सतीश गुप्ता को शरत जैन की उम्मीदवारी के पक्के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । शरत जैन की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों ने माना/समझा कि रमेश अग्रवाल की यह कारस्तानी शरत जैन की उम्मीदवारी के एक समर्थक को खो सकती है । रमेश अग्रवाल की कारस्तानियाँ पहले ही शरत जैन की उम्मीदवारी को बहुत नुकसान पहुँचा चुकी हैं । इसी बात को ध्यान में रखते हुए शरत जैन की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों और खुद शरत जैन ने रमेश अग्रवाल पर दबाव बनाया कि अपनी घटिया हरकतों को करने से वह कुछ दिनों के लिए तो बाज रहें । सतीश गुप्ता के प्रति रमेश अग्रवाल की खुन्नस से शरत जैन पहले से भी परिचित रहे हैं । सतीश गुप्ता से खुन्नस रखने के चलते ही रमेश अग्रवाल ने अपने क्लब में सतीश गुप्ता के बेटे मोहित गुप्ता को अध्यक्ष नहीं बनने दिया था । रमेश अग्रवाल की घटिया हरकत के चलते ही, मोहित गुप्ता को अध्यक्ष बनने के लिए दोबारा से लाइन में लगना पड़ा है और इस वर्ष उन्हें फिर से क्लब का सचिव बनने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
शरत जैन और शरत जैन की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों का दबाव पड़ा तो रमेश अग्रवाल को पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड को देने के जेके गौड़ के फैसले को मंजूर करने के लिए मजबूर होना ही पड़ा । रमेश अग्रवाल की इस कारस्तानी से लेकिन रोटरी क्लब सोनीपत के लोगों की बड़ी फजीहत हुई है । उनकी फजीहत में मजा लेने वाले लोगों का कहना लेकिन यह है कि एक घटिया व्यक्ति के साथ रहने का यही नतीजा मिलता है । इस मामले में फजीहत भले ही रमेश अग्रवाल की भी हुई हो, लेकिन रमेश अग्रवाल इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि जो हुआ उससे शरत जैन की उम्मीदवारी को कोई नुकसान नहीं होगा । उनका दावा है कि रोटरी क्लब सोनीपत में उनके कई पिटठू हैं, जिनके कारण वह क्लब उनकी पकड़ से बाहर नहीं जा सकेगा ।
रमेश अग्रवाल चाहते हुए और प्रयास करने के बाद भी जिस तरह पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी रोटरी क्लब सोनीपत को नहीं दिलवा सके, उसके लिए जेके गौड़ की भूमिका को भी श्रेय दिया जा रहा है । कुछेक लोगों को लगता है कि जेके गौड़ को यह बात बहुत बुरी लग रही है कि डिस्ट्रिक्ट में और डिस्ट्रिक्ट के बाहर की रोटरी में लोग उन्हें रमेश अग्रवाल की कठपुतली के रूप में देखें/पहचानें और इसीलिए इस मामले के जरिये उन्होंने यह दिखाने/जताने का प्रयास किया है कि वह रमेश अग्रवाल की कठपुतली नहीं हैं और उनके किसी फैसले को मानने से इंकार भी कर सकते हैं । जिन लोगों को लेकिन इस थ्योरी पर विश्वास नहीं है, उनका कहना है कि पेम सेकेंड में इस बात का पता चल जायेगा कि जेके गौड़ क्या सचमुच में रमेश अग्रवाल की कठपुतली नहीं बने रहना चाहते हैं ? उल्लेखनीय है कि पेम फर्स्ट में माइक ज्यादातर समय रमेश अग्रवाल के हाथ में ही रहा था; और जो बातें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ को कहनी चाहिए थीं, उन बातों को भी रमेश अग्रवाल ने कहा/बताया था । रमेश अग्रवाल के इस रवैये से ही लोगों को यह कहने का मौका मिला था कि रमेश अग्रवाल ने जेके गौड़ को कठपुतली बना कर रख दिया है और खुद ही गवर्नरी करने में लग गए हैं । यह देखना दिलचस्प होगा कि लोगों के बीच बनी इस राय/समझ को पेम सेकेंड में जेके गौड़ बदलने की कोई कोशिश करते हैं या अपने आप को रमेश अग्रवाल की कठपुतली ही साबित करते हैं ?