नई दिल्ली । जेके गौड़, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल से चेन्नई में 12 से 14 दिसंबर के बीच
आयोजित हो रहे रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 में क्या यह पूछा जायेगा कि अपने
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी प्रक्रिया में वह पक्षपातपूर्ण भूमिका क्यों निभा
रहे हैं, जिसे मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और भावी इंटरनेशनल
डायरेक्टर मनोज देसाई बिलकुल भी पसंद नहीं करते हैं ? यह सवाल इसलिए
उठा है क्योंकि हाल-फिलहाल में कुछ ऐसा घटा है जिससे पता चलता है कि यह
दोनों बड़े नेता डिस्ट्रिक्ट्स की चुनावी राजनीति में गवर्नर्स की सक्रिय व
पक्षपातपूर्ण भागीदारी के बहुत ही खिलाफ हैं और इस संदर्भ में कड़े फैसले भी
ले रहे हैं । साथ ही साथ यह भी देखने में आ रहा है कि पीटी प्रभाकर और
मनोज देसाई के इस रवैये की जेके गौड़, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को जैसे
कोई परवाह ही नहीं है; और वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में धड़ल्ले से
एक पक्ष बने हुए हैं । पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई की परवाह न करने
के पीछे जेके गौड़, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का विश्वास यह है कि पीटी
प्रभाकर के लिए तो अब चलाचली की बेला है; वह छह महीने और इंटरनेशनल
डायरेक्टर हैं - इसलिए अब उनकी परवाह करने की जरूरत नहीं है; और रही बात
मनोज देसाई की, तो मनोज देसाई को इंटरनेशनल डायरेक्टर बनवाने में मुकेश
अरनेजा का जो सहयोग/समर्थन रहा था उसे ध्यान में रखते हुए मुकेश अरनेजा के
नेतृत्व वाले गिरोह की कारस्तानियों को मनोज देसाई अनदेखा ही करेंगे ।
अरनेजा गिरोह के नेताओं को विश्वास है कि मनोज देसाई एहसानफरामोश टाइप के
व्यक्ति साबित नहीं होंगे - और इसी विश्वास के चलते वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी पक्षपातपूर्ण भूमिका को खुलेआम अपनाये हुए हैं ।
अरनेजा गिरोह के नेताओं को भले ही विश्वास हो कि रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 के कार्यक्रमों के बीच पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई डिस्ट्रिक्ट की चुनावी गतिविधियों के संदर्भ में की जा रही उनकी कारस्तानियों पर चुप ही रहेंगे, लेकिन रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 में शामिल होने चेन्नई पहुँच रहे दूसरे कुछेक रोटरी नेताओं को लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट 3012 में घट रही घटनाओं का पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई अवश्य ही संज्ञान लेंगे । दरअसल अभी हाल ही में, डिस्ट्रिक्ट 3100 में पिछले वर्ष संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी तथा सीओएल के चुनाव को निरस्त करने व कुछेक उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने के जो फैसले रोटरी इंटरनेशनल ने किए हैं - उनमें पीटी प्रभाकर की ही भूमिका को महत्वपूर्ण माना/देखा गया है । सिर्फ इतना ही नहीं, पीटी प्रभाकर तथा मनोज देसाई ने बाकायदा पत्र लिख कर कई नियमों तथा दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट लीडर्स को चेतावनी दी कि डिस्ट्रिक्ट में यदि राजनीति को खत्म नहीं किया गया, तो डिस्ट्रिक्ट ही बंद कर दिया जायेगा । पीटी प्रभाकर तथा मनोज देसाई के इस कड़े रवैये से उम्मीद बनी थी कि दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में राजनीति करने वाले गवर्नर्स सबक लेंगे और चुनावी राजनीति में नहीं पड़ेंगे । किंतु डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ तथा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल पर इसका कोई असर नहीं है - और ये तीनों डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में होने वाले चुनाव में शरत जैन के लिए खुलेआम पक्षपातपूर्ण अभियान चलाने में लगे हुए हैं; और यह जताने/दिखाने में लगे हुए हैं जैसे कि इन्हें पीटी प्रभाकर व मनोज देसाई की कोई परवाह ही नहीं है । जाहिर तौर पर जेके गौड़, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के इस रवैये से पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई की भारी किरकिरी हो रही है ।
जेके गौड़ अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे । रमेश अग्रवाल को उन्होंने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है तथा मुकेश अरनेजा को डीआरएफसी का पद मिला है । उम्मीद तो यह की जाती थी कि डिस्ट्रिक्ट के महत्वपूर्ण पदों पर स्थापित इन लोगों की चिंता यह होनी चाहिए कि एक नए डिस्ट्रिक्ट में कैसे लोगों के बीच समन्वय और परस्पर विश्वास बनाये; लेकिन इन तीनों की चिंता यह बनी हुई है कि यह कैसे शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट का चुनाव जितवाएँ ? इसके लिए अगले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट टीम के पदों की बंदरबाँट करने से लेकर क्लब्स के लोगों को आपस में लड़वाने तक के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं - विभिन्न आधिकारिक आयोजनों में अपने साथ शरत जैन को खड़ा करके तस्वीरें खिंचवाई जाती हैं और फिर उन्हें लोगों के बीच प्रचारित किया जाता है । इससे भी ज्यादा बुरी बात यह हो रही है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को जैसे बंधक बना लिया है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के काम जैसे खुद ही करते हुए नजर आ रहे हैं - उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद ही मजाक बन कर रह गया है । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि करीब पाँच वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में मुकेश अरनेजा ने तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अमित जैन को भी बंधक बनाने और उनके काम खुद करने की हरकत की थी, जिसके बाद अमित जैन ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से ही हटा दिया था । जेके गौड़ में लेकिन अमित जैन जैसा साहस नहीं है । लोगों को यह भी लगता है कि जेके गौड़ को बंधक बनाया नहीं गया है, वह खुद ही बंधक बने हैं - क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी सँभालना उन्हें मुश्किल लग रहा है । पेम वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ से ज्यादा सक्रिय तो डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रमेश अग्रवाल दिख रहे थे । यह देख कर कुछेक लोगों ने चुटकी भी ली कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का काम यदि रमेश अग्रवाल को ही करना है तो क्यों न रमेश अग्रवाल को ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बना दिया जाना चाहिए ।
जेके गौड़ की आड़ में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट पर जिस तरह से कब्ज़ा किया है, उस कब्ज़े को बनाये रखने के लिए उन्हें किसी भी तरह शरत जैन को चुनाव जितवाना जरूरी लग रहा है; और इस जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने पदों का लालच देने से लेकर क्लब्स में लड़ाने-भिड़ाने तक के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं । मुकेश अरनेजा तो अपने ही क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता को अपमानित करने व परेशान करने की हद तक जा पहुँचे, हालाँकि आभा गुप्ता की तरफ से उन्हें करारा जबाव मिला । अरनेजा गिरोह के इन नेताओं के लिए समस्या की बात असल में यह हुई कि शुरू में इन्हें उम्मीद नहीं थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को बनाये भी रख सकेंगे; दीपक गुप्ता लेकिन जब अपनी उम्मीदवारी को न सिर्फ बनाये रहे बल्कि उसके लिए व्यापक समर्थन भी जुटाते नजर आये तो अरनेजा गिरोह के इन नेताओं ने रूपक जैन की मदद लेकर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ सौदेबाजी करने की चाल चली । लेकिन उसमें भी उनकी दाल नहीं गली । अपने सारे अनुमानों व हथकंडों को फेल होता देख कर अरनेजा गिरोह को शरत जैन की जीत संभव बनाने के लिए खुल कर पक्षपात करने की हरकत पर उतरना पड़ा है । उनकी यह हरकत लेकिन मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और भावी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की फजीहत करवा रही है । यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई ने जिस दृढ़ता के साथ डिस्ट्रिक्ट 3100 में हस्तक्षेप किया है, वैसा ही हस्तक्षेप वह डिस्ट्रिक्ट 3012 के मामले में भी करते हैं; और या अरनेजा गिरोह की हरकतों को अनदेखा ही करेंगे ?
अरनेजा गिरोह के नेताओं को भले ही विश्वास हो कि रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 के कार्यक्रमों के बीच पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई डिस्ट्रिक्ट की चुनावी गतिविधियों के संदर्भ में की जा रही उनकी कारस्तानियों पर चुप ही रहेंगे, लेकिन रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 में शामिल होने चेन्नई पहुँच रहे दूसरे कुछेक रोटरी नेताओं को लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट 3012 में घट रही घटनाओं का पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई अवश्य ही संज्ञान लेंगे । दरअसल अभी हाल ही में, डिस्ट्रिक्ट 3100 में पिछले वर्ष संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी तथा सीओएल के चुनाव को निरस्त करने व कुछेक उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने के जो फैसले रोटरी इंटरनेशनल ने किए हैं - उनमें पीटी प्रभाकर की ही भूमिका को महत्वपूर्ण माना/देखा गया है । सिर्फ इतना ही नहीं, पीटी प्रभाकर तथा मनोज देसाई ने बाकायदा पत्र लिख कर कई नियमों तथा दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट लीडर्स को चेतावनी दी कि डिस्ट्रिक्ट में यदि राजनीति को खत्म नहीं किया गया, तो डिस्ट्रिक्ट ही बंद कर दिया जायेगा । पीटी प्रभाकर तथा मनोज देसाई के इस कड़े रवैये से उम्मीद बनी थी कि दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में राजनीति करने वाले गवर्नर्स सबक लेंगे और चुनावी राजनीति में नहीं पड़ेंगे । किंतु डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ तथा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल पर इसका कोई असर नहीं है - और ये तीनों डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में होने वाले चुनाव में शरत जैन के लिए खुलेआम पक्षपातपूर्ण अभियान चलाने में लगे हुए हैं; और यह जताने/दिखाने में लगे हुए हैं जैसे कि इन्हें पीटी प्रभाकर व मनोज देसाई की कोई परवाह ही नहीं है । जाहिर तौर पर जेके गौड़, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के इस रवैये से पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई की भारी किरकिरी हो रही है ।
जेके गौड़ अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे । रमेश अग्रवाल को उन्होंने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है तथा मुकेश अरनेजा को डीआरएफसी का पद मिला है । उम्मीद तो यह की जाती थी कि डिस्ट्रिक्ट के महत्वपूर्ण पदों पर स्थापित इन लोगों की चिंता यह होनी चाहिए कि एक नए डिस्ट्रिक्ट में कैसे लोगों के बीच समन्वय और परस्पर विश्वास बनाये; लेकिन इन तीनों की चिंता यह बनी हुई है कि यह कैसे शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट का चुनाव जितवाएँ ? इसके लिए अगले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट टीम के पदों की बंदरबाँट करने से लेकर क्लब्स के लोगों को आपस में लड़वाने तक के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं - विभिन्न आधिकारिक आयोजनों में अपने साथ शरत जैन को खड़ा करके तस्वीरें खिंचवाई जाती हैं और फिर उन्हें लोगों के बीच प्रचारित किया जाता है । इससे भी ज्यादा बुरी बात यह हो रही है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को जैसे बंधक बना लिया है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के काम जैसे खुद ही करते हुए नजर आ रहे हैं - उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद ही मजाक बन कर रह गया है । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि करीब पाँच वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में मुकेश अरनेजा ने तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अमित जैन को भी बंधक बनाने और उनके काम खुद करने की हरकत की थी, जिसके बाद अमित जैन ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से ही हटा दिया था । जेके गौड़ में लेकिन अमित जैन जैसा साहस नहीं है । लोगों को यह भी लगता है कि जेके गौड़ को बंधक बनाया नहीं गया है, वह खुद ही बंधक बने हैं - क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी सँभालना उन्हें मुश्किल लग रहा है । पेम वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ से ज्यादा सक्रिय तो डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रमेश अग्रवाल दिख रहे थे । यह देख कर कुछेक लोगों ने चुटकी भी ली कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का काम यदि रमेश अग्रवाल को ही करना है तो क्यों न रमेश अग्रवाल को ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बना दिया जाना चाहिए ।
जेके गौड़ की आड़ में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट पर जिस तरह से कब्ज़ा किया है, उस कब्ज़े को बनाये रखने के लिए उन्हें किसी भी तरह शरत जैन को चुनाव जितवाना जरूरी लग रहा है; और इस जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने पदों का लालच देने से लेकर क्लब्स में लड़ाने-भिड़ाने तक के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं । मुकेश अरनेजा तो अपने ही क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता को अपमानित करने व परेशान करने की हद तक जा पहुँचे, हालाँकि आभा गुप्ता की तरफ से उन्हें करारा जबाव मिला । अरनेजा गिरोह के इन नेताओं के लिए समस्या की बात असल में यह हुई कि शुरू में इन्हें उम्मीद नहीं थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को बनाये भी रख सकेंगे; दीपक गुप्ता लेकिन जब अपनी उम्मीदवारी को न सिर्फ बनाये रहे बल्कि उसके लिए व्यापक समर्थन भी जुटाते नजर आये तो अरनेजा गिरोह के इन नेताओं ने रूपक जैन की मदद लेकर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ सौदेबाजी करने की चाल चली । लेकिन उसमें भी उनकी दाल नहीं गली । अपने सारे अनुमानों व हथकंडों को फेल होता देख कर अरनेजा गिरोह को शरत जैन की जीत संभव बनाने के लिए खुल कर पक्षपात करने की हरकत पर उतरना पड़ा है । उनकी यह हरकत लेकिन मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और भावी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की फजीहत करवा रही है । यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई ने जिस दृढ़ता के साथ डिस्ट्रिक्ट 3100 में हस्तक्षेप किया है, वैसा ही हस्तक्षेप वह डिस्ट्रिक्ट 3012 के मामले में भी करते हैं; और या अरनेजा गिरोह की हरकतों को अनदेखा ही करेंगे ?