नई दिल्ली । शरत जैन की
उम्मीदवारी की राह आसान बनाने के लिए अरनेजा गिरोह ने अब वरिष्ठ पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएल अग्रवाल को मोहरा बना कर इस्तेमाल करने की चाल चली है । अरनेजा
गिरोह ने एमएल अग्रवाल को दोतरफा तरीके से इस्तेमाल करना शुरू किया है
: अरनेजा गिरोह की तरफ से एक तरफ तो लोगों को बताया जा रहा है कि एमएल
अग्रवाल को ऑफर दिया गया है कि शरत जैन यदि गवर्नर बनेंगे तो उन्हें
डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया जायेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें दीपक गुप्ता की
उम्मीदवारी को वापस कराने का काम करना होगा; दूसरी तरफ लोगों को बताया जा
रहा है कि दीपक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को बनाये रखने की जिद में एमएल
अग्रवाल की भी नहीं सुन/मान रहे हैं । अरनेजा गिरोह की इस हरकत ने
दूसरे वरिष्ठ पूर्व गवर्नर केके गुप्ता को बुरी तरह नाराज किया है । केके
गुप्ता का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के लिए और रोटरी के लिए शर्मनाक बात यह
है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (इलेक्ट) जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में सक्रिय दिलचस्पी ले रहे हैं और एक पक्ष बन गए हैं ।
रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट केआर रवींद्रन, इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट मनोज देसाई बेचारे हर संभव कोशिश करने में जुटे हुए हैं कि रोटरी में चुनावी प्रक्रिया ईमानदारी से पूरी हो, तथा गवर्नर्स की उसमें सक्रिय और पक्षपाती भूमिका न हो - लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा उनकी कोशिशों की जरा भी परवाह करते हुए नहीं दिख रहे हैं । वह कहते/बताते भी हैं कि उन्हें पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता का समर्थन है और इसलिए उन्हें किसी केआर रवींद्रन, किसी पीटी प्रभाकर और किसी मनोज देसाई के कहने/सुनने की परवाह करने की जरूरत नहीं है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (इलेक्ट) जेके गौड़ किस हद तक डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का हिस्सा बने हुए हैं इसे इस तथ्य से समझा/पहचाना जा सकता है कि पेम सेकेंड से दो दिन पहले वह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की मीटिंग यह कह कर बुलाते हैं कि उन्हें पेम सेकेंड की कार्रवाई को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श करना है । विचार-विमर्श के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इकठ्ठा होते हैं तो चर्चा शुरू होती है शरत जैन और दीपक गुप्ता के बीच होने वाले चुनाव को लेकर । यह देख कर केके गुप्ता नाराज होते हैं और जेके गौड़ से कहते हैं कि यह मीटिंग पेम सेकेंड की कार्रवाई पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई हैं और उसके बारे में कोई बात ही नहीं हो रही है । केके गुप्ता के आपत्ति करने पर जेके गौड़ पेम सेकेंड की कार्रवाई के बारे में बात करना शुरू तो करते हैं, लेकिन वह बात पाँच/सात मिनट में पूरी हो जाती है और फिर चर्चा शरत जैन व दीपक गुप्ता के चुनाव की होने लगती है ।
जेके गौड़ का - और अरनेजा गिरोह के दूसरे नेताओं का कहना है कि चुनावी सक्रियता से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच मनमुटाव पैदा होता है, जिससे डिस्ट्रिक्ट का और रोटरी का नाम खराब होता है; इसलिए चुनाव की स्थिति को टाला जाना चाहिए और जो उम्मीदवार हैं उन्हें आगे-पीछे गवर्नर बनने के लिए राजी हो कर चुनावी मुकाबले की स्थिति से बच लेना चाहिए । ऊपर से तो यह बात बहुत अच्छी और जरूरी लगती है, लेकिन इसमें छिपा झूठ छिपा रह नहीं पाता है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच मनमुटाव पैदा होने तथा डिस्ट्रिक्ट और रोटरी का नाम खराब होने के लिए चुनावी सक्रियता जिम्मेदार नहीं होती है; बल्कि चुनावी सक्रियता के नाम पर क्लब्स में झगड़े करवाने तथा पदों की बंदरबाँट करने/करवाने की बातें जिम्मेदार होती हैं । शरत जैन और दीपक गुप्ता के बीच यदि ईमानदारी से चुनाव हो जाने दिया जाये, तो लोगों के बीच क्यों तो मनमुटाव होगा और क्यों डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का नाम खराब होगा ? लोगों के बीच मनमुटाव यदि पैदा हो रहा है, क्लब्स में झगड़े हो रहे हैं तथा डिस्ट्रिक्ट का और रोटरी का नाम यदि खराब हो रहा है तो इसलिए क्योंकि जेके गौड़ ने - तथा अरनेजा गिरोह के दूसरे नेताओं ने शरत जैन को गवर्नर चुनवाने के लिए हर हथकंडा अपनाया हुआ है ।
दीपक गुप्ता के साथ रोटरी के एक आयोजन में अपनी मर्जी से खुशी खुशी खिंचवाई गई तस्वीर को फेसबुक पर लगाने के लिए मुकेश अरनेजा बौद्धिक संपदा अधिकार कानून के तहत कार्रवाई करने तक की धमकी देने लगते हैं; लेकिन शरत जैन के साथ खिंचवाई गई तस्वीरों को तरह तरह से फेसबुक पर प्रचारित करते/करवाते हैं । मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ जब-जहाँ-जैसे मौका देखते हैं शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के काम में लगे रहते हैं । शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के चक्कर में जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की प्रतिष्ठा और गरिमा को तार-तार कर दिया है । पेम फर्स्ट और पेम सेकेंड में जेके गौड़ की भूमिका को जिन्होंने देखा है, उन्होंने कहा/बताया है कि जेके गौड़ तो बस 'गेस्ट एपियरेंस' वाली भूमिका में हैं और गवर्नरी का काम रमेश अग्रवाल ही कर रहे हैं ।
रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने जिस तरह जेके गौड़ के गवर्नर-काल पर कब्ज़ा कर लिया है, वैसा ही कब्ज़ा उनका आगे भी बना रहे - इसके लिए उन्हें शरत जैन को चुनवाना/जितवाना जरूरी लग रहा है । शरत जैन को चुनवाने/जितवाने के लिए हर हथकंडा अपनाने के बावजूद इन्हें चूँकि डर बना हुआ है कि कहीं दीपक गुप्ता न जीत जाएँ; इसलिए यह दीपक गुप्ता को मुकाबले से हटाने के प्रयासों में लगे हुए हैं । पहले इन्होंने इस काम के लिए रूपक जैन की मदद ली, किंतु उसमें असफल रहने के बाद अब इन्होंने एमएल अग्रवाल का दामन पकड़ा है । मजे की बात यह है कि यह एमएल अग्रवाल की मदद भी ले रहे हैं और एमएल अग्रवाल को बदनाम भी कर रहे हैं । अरनेजा गिरोह के नेताओं की तरफ से ही लोगों को बताया जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लालच में एमएल अग्रवाल ने दीपक गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी करने का काम शुरू कर दिया है । एमएल अग्रवाल अपने काम में असफल हो जाएँ, तब भी यह फायदा उठा सकें - इसके लिए इन्होंने दीपक गुप्ता को यह कहते हुए बदनाम करना शुरू कर दिया है कि दीपक गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी बनाये रखने की जिद में डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की जैसे कोई परवाह ही नहीं है । हालाँकि इस बात का इनसे कोई जवाब देते हुए नहीं बनता है कि डिस्ट्रिक्ट और रोटरी की आपको यदि सचमुच में परवाह है तो आप शरत जैन की उम्मीदवारी को वापस क्यों नहीं करवा देते ? शरत जैन की उम्मीदवारी वापस हो जायेगी तो चुनाव नहीं होगा और तब न लोगों के बीच मनमुटाव होगा और न डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का नाम खराब होगा ।
जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने अपने किए-धरे को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के समर्थन का भी दावा करना शुरू कर दिया है । दरअसल उन्हें पता है कि डिस्ट्रिक्ट में 'अपने' उम्मीदवार को चुनवाने/जितवाने के लिए उन्होंने जिस जिस तरह की कारस्तानियाँ की हुई हैं, उसकी जानकारी रोटरी के बड़े नेताओं तक पहुँच रही है; और रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट केआर रवींद्रन, इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट मनोज देसाई जैसे लोगों को उनकी हरकतें खराब लग रही हैं । ऐसे में, जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को लग रहा है कि वह सुशील गुप्ता के समर्थन का दावा करेंगे तो केआर रवींद्रन, पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई आदि भी चुप रहेंगे - और उन्हें 'अपने' उम्मीदवार को चुनवाने/जितवाने के लिए कुछ भी हरकतें करने का मौका मिलता रहेगा ।
रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट केआर रवींद्रन, इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट मनोज देसाई बेचारे हर संभव कोशिश करने में जुटे हुए हैं कि रोटरी में चुनावी प्रक्रिया ईमानदारी से पूरी हो, तथा गवर्नर्स की उसमें सक्रिय और पक्षपाती भूमिका न हो - लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा उनकी कोशिशों की जरा भी परवाह करते हुए नहीं दिख रहे हैं । वह कहते/बताते भी हैं कि उन्हें पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता का समर्थन है और इसलिए उन्हें किसी केआर रवींद्रन, किसी पीटी प्रभाकर और किसी मनोज देसाई के कहने/सुनने की परवाह करने की जरूरत नहीं है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (इलेक्ट) जेके गौड़ किस हद तक डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का हिस्सा बने हुए हैं इसे इस तथ्य से समझा/पहचाना जा सकता है कि पेम सेकेंड से दो दिन पहले वह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की मीटिंग यह कह कर बुलाते हैं कि उन्हें पेम सेकेंड की कार्रवाई को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श करना है । विचार-विमर्श के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इकठ्ठा होते हैं तो चर्चा शुरू होती है शरत जैन और दीपक गुप्ता के बीच होने वाले चुनाव को लेकर । यह देख कर केके गुप्ता नाराज होते हैं और जेके गौड़ से कहते हैं कि यह मीटिंग पेम सेकेंड की कार्रवाई पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई हैं और उसके बारे में कोई बात ही नहीं हो रही है । केके गुप्ता के आपत्ति करने पर जेके गौड़ पेम सेकेंड की कार्रवाई के बारे में बात करना शुरू तो करते हैं, लेकिन वह बात पाँच/सात मिनट में पूरी हो जाती है और फिर चर्चा शरत जैन व दीपक गुप्ता के चुनाव की होने लगती है ।
जेके गौड़ का - और अरनेजा गिरोह के दूसरे नेताओं का कहना है कि चुनावी सक्रियता से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच मनमुटाव पैदा होता है, जिससे डिस्ट्रिक्ट का और रोटरी का नाम खराब होता है; इसलिए चुनाव की स्थिति को टाला जाना चाहिए और जो उम्मीदवार हैं उन्हें आगे-पीछे गवर्नर बनने के लिए राजी हो कर चुनावी मुकाबले की स्थिति से बच लेना चाहिए । ऊपर से तो यह बात बहुत अच्छी और जरूरी लगती है, लेकिन इसमें छिपा झूठ छिपा रह नहीं पाता है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच मनमुटाव पैदा होने तथा डिस्ट्रिक्ट और रोटरी का नाम खराब होने के लिए चुनावी सक्रियता जिम्मेदार नहीं होती है; बल्कि चुनावी सक्रियता के नाम पर क्लब्स में झगड़े करवाने तथा पदों की बंदरबाँट करने/करवाने की बातें जिम्मेदार होती हैं । शरत जैन और दीपक गुप्ता के बीच यदि ईमानदारी से चुनाव हो जाने दिया जाये, तो लोगों के बीच क्यों तो मनमुटाव होगा और क्यों डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का नाम खराब होगा ? लोगों के बीच मनमुटाव यदि पैदा हो रहा है, क्लब्स में झगड़े हो रहे हैं तथा डिस्ट्रिक्ट का और रोटरी का नाम यदि खराब हो रहा है तो इसलिए क्योंकि जेके गौड़ ने - तथा अरनेजा गिरोह के दूसरे नेताओं ने शरत जैन को गवर्नर चुनवाने के लिए हर हथकंडा अपनाया हुआ है ।
दीपक गुप्ता के साथ रोटरी के एक आयोजन में अपनी मर्जी से खुशी खुशी खिंचवाई गई तस्वीर को फेसबुक पर लगाने के लिए मुकेश अरनेजा बौद्धिक संपदा अधिकार कानून के तहत कार्रवाई करने तक की धमकी देने लगते हैं; लेकिन शरत जैन के साथ खिंचवाई गई तस्वीरों को तरह तरह से फेसबुक पर प्रचारित करते/करवाते हैं । मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ जब-जहाँ-जैसे मौका देखते हैं शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के काम में लगे रहते हैं । शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के चक्कर में जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की प्रतिष्ठा और गरिमा को तार-तार कर दिया है । पेम फर्स्ट और पेम सेकेंड में जेके गौड़ की भूमिका को जिन्होंने देखा है, उन्होंने कहा/बताया है कि जेके गौड़ तो बस 'गेस्ट एपियरेंस' वाली भूमिका में हैं और गवर्नरी का काम रमेश अग्रवाल ही कर रहे हैं ।
रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने जिस तरह जेके गौड़ के गवर्नर-काल पर कब्ज़ा कर लिया है, वैसा ही कब्ज़ा उनका आगे भी बना रहे - इसके लिए उन्हें शरत जैन को चुनवाना/जितवाना जरूरी लग रहा है । शरत जैन को चुनवाने/जितवाने के लिए हर हथकंडा अपनाने के बावजूद इन्हें चूँकि डर बना हुआ है कि कहीं दीपक गुप्ता न जीत जाएँ; इसलिए यह दीपक गुप्ता को मुकाबले से हटाने के प्रयासों में लगे हुए हैं । पहले इन्होंने इस काम के लिए रूपक जैन की मदद ली, किंतु उसमें असफल रहने के बाद अब इन्होंने एमएल अग्रवाल का दामन पकड़ा है । मजे की बात यह है कि यह एमएल अग्रवाल की मदद भी ले रहे हैं और एमएल अग्रवाल को बदनाम भी कर रहे हैं । अरनेजा गिरोह के नेताओं की तरफ से ही लोगों को बताया जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लालच में एमएल अग्रवाल ने दीपक गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी करने का काम शुरू कर दिया है । एमएल अग्रवाल अपने काम में असफल हो जाएँ, तब भी यह फायदा उठा सकें - इसके लिए इन्होंने दीपक गुप्ता को यह कहते हुए बदनाम करना शुरू कर दिया है कि दीपक गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी बनाये रखने की जिद में डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की जैसे कोई परवाह ही नहीं है । हालाँकि इस बात का इनसे कोई जवाब देते हुए नहीं बनता है कि डिस्ट्रिक्ट और रोटरी की आपको यदि सचमुच में परवाह है तो आप शरत जैन की उम्मीदवारी को वापस क्यों नहीं करवा देते ? शरत जैन की उम्मीदवारी वापस हो जायेगी तो चुनाव नहीं होगा और तब न लोगों के बीच मनमुटाव होगा और न डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का नाम खराब होगा ।
जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा ने अपने किए-धरे को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के समर्थन का भी दावा करना शुरू कर दिया है । दरअसल उन्हें पता है कि डिस्ट्रिक्ट में 'अपने' उम्मीदवार को चुनवाने/जितवाने के लिए उन्होंने जिस जिस तरह की कारस्तानियाँ की हुई हैं, उसकी जानकारी रोटरी के बड़े नेताओं तक पहुँच रही है; और रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट केआर रवींद्रन, इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर और इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट मनोज देसाई जैसे लोगों को उनकी हरकतें खराब लग रही हैं । ऐसे में, जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा को लग रहा है कि वह सुशील गुप्ता के समर्थन का दावा करेंगे तो केआर रवींद्रन, पीटी प्रभाकर और मनोज देसाई आदि भी चुप रहेंगे - और उन्हें 'अपने' उम्मीदवार को चुनवाने/जितवाने के लिए कुछ भी हरकतें करने का मौका मिलता रहेगा ।