Friday, December 6, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए पंकज बिजल्वान को कमजोर व कंजूस उम्मीदवार बता कर मुकेश गोयल खेमे ने मुकुल अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया और पंकज बिजल्वान को धोखा दिया

गाजियाबाद । लायंस क्लब गाजियाबाद के पूर्व प्रेसीडेंट मुकुल अग्रवाल को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बना कर मुकेश गोयल खेमे ने पंकज बिजल्वान से पीछा छुड़ाने की कार्रवाई शुरू कर दी है और इस तरह पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी को तगड़ा झटका दिया है । मुकेश गोयल खेमे के दो पूर्व गवर्नर सदस्यों - अजय सिंघल तथा सुनील जैन ने मुकुल अग्रवाल को 'अपने' उम्मीदवार के रूप में संबोधित किया है तथा दावा किया है कि अनीता गुप्ता व खेमे के अन्य कुछेक पूर्व गवर्नर्स भी जल्दी ही मुकुल अग्रवाल को अपना समर्थन घोषित कर देंगे । खेमे के लोगों का ही कहना/बताना है कि इस नाटक के वास्तविक सूत्रधार मुकेश गोयल ही हैं, लेकिन अभी वह पर्दे के पीछे हैं ताकि वह पंकज बिजल्वान को धोखा देते हुए न 'दिखें' । खेमे के लोगों का कहना/बताना है कि पंकज बिजल्वान उम्मीदवार तो बन गए, लेकिन वह एक 'उम्मीदवार के रूप में' व्यवहार नहीं कर पाए और खर्चा करने में भी कंजूसी दिखाने लगे, जिस कारण वह मुकेश गोयल तथा दूसरे नेताओं की 'डिमांड्स' पूरी नहीं कर पाए । इसके चलते मुकेश गोयल व खेमे के दूसरे नेता कोई और उम्मीदवार खोज कर पंकज बिजल्वान से पीछा छुड़ाने की कोशिश में थे । मुकुल अग्रवाल की खोज के साथ उनकी कोशिश अंततः पूरी हुई है । पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी थोड़ा सम्मानजनक तरीके से वापस करने का मौका 'बनाने' के लिए मुकेश गोयल अभी मुकुल अग्रवाल की उम्मीदवारी से थोड़ा 'छिपे' हुए हैं । खेमे के लोगों के अनुसार, अजय सिंघल ने मुकेश गोयल से कहा है कि वह पंकज बिजल्वान से बात कर लें - उम्मीदवारी के चक्कर में पंकज बिजल्वान का अभी तक जो पैसा खर्च हुआ है, वह मुकुल अग्रवाल से उन्हें दिलवा दिया जायेगा ।
मुकुल अग्रवाल की अचानक प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार रजनीश गोयल को भी झटका दिया है । दरअसल लायंस क्लब गाजियाबाद के पदाधिकारियों व प्रमुख सदस्यों ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में उन्हें समर्थन देने की घोषणा की हुई थी; मुकुल अग्रवाल की उम्मीदवारी आने से वह घोषणा लेकिन अब सवालों के घेरे में आ गई है । हालाँकि इस समस्या को इसलिए ज्यादा गंभीर नहीं माना जा रहा है, क्योंकि लायंस क्लब गाजियाबाद के बारे में यह प्रसिद्धी है कि उसके वोट कभी भी एक तरफ नहीं पड़ते हैं और वह बँटते ही हैं । रजनीश गोयल और उनके समर्थकों को भी यह विश्वास नहीं था कि समर्थन घोषित होने के बाद भी उन्हें क्लब के सभी वोट मिल जायेंगे । इसलिए वोटों के मामले में रजनीश गोयल और उनके समर्थकों को ज्यादा नुकसान होने की चिंता नहीं हुई है । मुकुल अग्रवाल को उम्मीदवार बना कर मुकेश गोयल को सबसे बड़ा फायदा यह नजर आ रहा है कि इससे निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय मित्तल तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीवा अग्रवाल के सामने यह समस्या खड़ी होगी कि वह अपने क्लब के उम्मीदवार की बजाये दूसरे उम्मीदवार का समर्थन कैसे करें ? किंतु यह समस्या अन्य कई गवर्नर्स के साथ है । खुद मुकेश गोयल का अपने क्लब के पदाधिकारियों के साथ ऐसा झगड़ा है, कि अभी तक उनके क्लब का अधिष्ठापन समारोह ही नहीं हो सका है ।
इस तरह, लग यह रहा है कि मुकुल अग्रवाल की उम्मीदवारी के जरिये भी मुकेश गोयल खेमे को कोई फायदा नहीं होने जा रहा है । चुनावी लड़ाई के बीच में उम्मीदवार बदलने की कार्रवाई से बल्कि उनकी अपनी कमजोरी ही साबित हुई है । दरअसल लायन राजनीति में यह माना/समझा जाता है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो खेमों के बीच होता है । बीच लड़ाई में उम्मीदवार बदलने से लोगों के बीच मुकेश गोयल खेमे की 'ताकत' को लेकर जो नकारात्मक संदेश गया है, पहले तो उन्हें उससे निपटना होगा और फिर मुकुल अग्रवाल को लेकर अपनी व्यूह रचना जमाने के लिए नए सिरे से उन्हें जुटना होगा । मुकेश गोयल खेमे के नेता पर्याप्त समर्थन न मिलने के लिए ठीकरा भले ही पंकज बिजल्वान के सिर फोड़ने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन वास्तव में इसके लिए पंकज बिजल्वान की बजाये खेमे के नेता जिम्मेदार हैं । ऐसे में सवाल यही है कि जो मुकेश गोयल और उनके खेमे के नेता पंकज बिजल्वान के लिए समर्थन नहीं जुटा पाए, वह मुकुल अग्रवाल के लिए कैसे जुटा लेंगे - पंकज बिजल्वान डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच पहचाने जाने लगे थे और उनके साथ फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्विनी भारद्वाज का समर्थन था; मुकुल अग्रवाल के मामले में तो ऐसी कोई पॉजिटिव बात भी नहीं है । मजे की बात यह भी है कि मुकेश गोयल तथा खेमे के दूसरे नेता पंकज बिजल्वान की जगह संजीव गुप्ता को पटाने में लगे थे, लेकिन संजीव गुप्ता उनकी बातों में नहीं आए और तब मुकुल अग्रवाल को उम्मीदवार बनाने के लिए वह मजबूर हुए । इसलिए लग रहा है कि उम्मीदवार बदलने की कार्रवाई से मुकेश गोयल खेमा अपने ही जाल में खुद फँस गया है ।