Sunday, December 1, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में होने वाले शेखर मेहता के सम्मान समारोह में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा को पटा-पटू कर राजा साबू ने अपना काम तो बना लिया, लेकिन पूर्व गवर्नर कवल बेदी को फजीहत से बचाने के लिए कोई कोशिश नहीं की

चंडीगढ़ । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कवल बेदी डिस्ट्रिक्ट में होने वाले इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के सम्मान-समारोह की तैयारी कमेटी के चेयरपरसन पद से हटाये जाने के कारण निराश और नाराज हैं । मजे की बात यह है कि अपनी निराशा व नाराजगी पर वह तो ज्यादा कुछ नहीं बोल रही हैं, लेकिन उनके साथ हमदर्दी रखने वाले लोग उन्हें चेयरपरसन के पद से हटाये जाने के लिए राजा साबू को कोस रहे हैं । उनका कहना है कि राजा साबू ने अपने स्वार्थ में डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के नेताओं के साथ सौदा/समझौता कर लिया है, और अपने साथी गवर्नर्स के मान/अपमान व हितों की परवाह करना छोड़ दिया है । उल्लेखनीय है कि इससे पहले, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनप्रीत सिंह की तरफ से भी उस समय राजा साबू के लिए इसी तरह के विचार सुनने को मिले थे, जब कॉलिज ऑफ गवनर्स की मीटिंग में मनप्रीत सिंह को उक्त रकम वापस करने का फैसला सुनाया गया था - जो पिछले रोटरी वर्ष में तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल के साथ मिलकर धोखाधड़ी से डिस्ट्रिक्ट एकाउंट से उन्होंने निकाल ली थी । मनप्रीत सिंह तथा अन्य लोगों का मानना और कहना था कि राजा साबू की सहमति नहीं होती तो कॉलिज और गवर्नर्स की मीटिंग में मनप्रीत सिंह को झटका देने वाला फैसला न हो पाता । इस मामले में राजा साबू के रंग बदलने का 'सुबूत' यह भी है कि पिछले वर्ष मनप्रीत सिंह को डिस्ट्रिक्ट एकाउंट से मोटी रकम दिए जाने वाले फैसले में भी राजा साबू की 'सहमति' थी, और अब उक्त रकम मनप्रीत सिंह से वापस माँगने वाले फैसले में भी राजा साबू की रजामंदी है । राजा साबू के नजदीकी रहे लोगों का ही मानना और कहना है कि अपने निजी स्वार्थ पूरे करने के चक्कर में राजा साबू सत्ता खेमे के पदाधिकारियों और नेताओं के सामने समर्पण कर रहे हैं और वर्षों से अपने साथी/सहयोगी रहे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को छोड़ते जा रहे हैं ।
राजा साबू के रंग बदलने के चलते कवल बेदी की होने वाली फजीहत का मामला खासा दिलचस्प है । उल्लेखनीय है कि राजा साबू ने अपनी पहल से शेखर मेहता से बात करके उनके सम्मान समारोह के लिए 2 नवंबर की तारिख तय की थी और चंडीगढ़ में होने वाले उस समारोह की जिम्मेदारी कवल बेदी को सौंप दी थी । उन्होंने कवल बेदी को समारोह की तैयारी कमेटी का चेयरपरसन बना दिया था । राजा साबू ने जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा को विश्वास में लिए बिना, मनमाने तरीके से शेखर मेहता के सम्मान समारोह का कार्यक्रम तय कर लिया, उसका जितेंद्र ढींगरा और उनके साथियों ने बुरा माना और साफ घोषणा कर दी कि उक्त समारोह राजा साबू ही कर लें, उनका उक्त समारोह से कोई मतलब नहीं है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अजय मदान, जो शेखर मेहता के प्रेसीडेंट वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे, ने उक्त समारोह में शामिल होने में अपनी असमर्थता जता दी । सत्ता खेमे के पदाधिकारियों और नेताओं की इस प्रतिक्रिया ने राजा साबू को असमंजस में डाल दिया । सहयोगियों/साथियों ने हालाँकि राजा साबू को समझाया कि उन्हें किसी की परवाह नहीं करना चाहिए और 2 नवंबर को समारोह करना चाहिए । राजा साबू को लेकिन सत्ता खेमे के पदाधिकारियों से 'लाभ' लेने हैं, इसलिए वह उनके साथ कोई पंगा नहीं लेना चाहते हैं - और इसी कारण से सत्ता खेमे के पदाधिकारियों व नेताओं के सामने समर्पण करते हुए राजा साबू ने 2 नवंबर का कार्यक्रम रद्द कर दिया और सत्ता खेमे के नेताओं से कह दिया कि वह जब चाहें, तब शेखर मेहता का सम्मान समारोह कर लें । सत्ता खेमे के नेताओं ने 20 दिसंबर को शेखर मेहता का सम्मान समारोह करने का फैसला किया, और समारोह के लिए चंडीगढ़ की बजाये कुरुक्षेत्र को चुना ।
कवल बेदी को लेकिन जोर का झटका यह देख कर लगा कि 2 नवंबर के समारोह में तो वह तैयारी कमेटी की चेयरपरसन थीं, जबकि 20 दिसंबर के कार्यक्रम में उनका कहीं कोई नाम ही नहीं है । इस बात पर उन्हें जोर का झटका दरअसल यह जान कर लगा कि राजा साबू ने अपने घर पर शेखर मेहता को चायपान करवाने के लिए तो जितेंद्र ढींगरा को राजी कर लिया, लेकिन कवल बेदी के चेयरपरसन मामले में जितेंद्र ढींगरा से बात तक नहीं की । उल्लेखनीय है कि राजा साबू को बड़े पदाधिकारियों को अपने घर बुलाने का बड़ा शौक है । अभी तक तो उनका यह शौक बड़ी सहजता से पूरा होता रहा है, किंतु डिस्ट्रिक्ट में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद उनके लिए अपने इस शौक को पूरा करने के लिए सत्ताधारियों का सहयोग लेना जरूरी हुआ है । इसीलिए कुरुक्षेत्र में शेखर मेहता के सम्मान समारोह होने की जानकारी मिलने पर राजा साबू को पहली चिंता यही हुई कि अब शेखर मेहता उनके घर चायपान के लिए कैसे आ पायेंगे ? डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा को इसके लिए राजी करके राजा साबू ने अपना काम तो बना लिया, लेकिन कवल बेदी के मामले में उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं ली । कुछ ही दिन पहले मनप्रीत सिंह के मामले में तथा अब कवल बेदी के मामले में राजा साबू के रवैये को देख/जान कर हर किसी ने समझ लिया है कि राजा साबू ने अपने स्वार्थ में और अपने काम निकालने के लिए सत्ता खेमे के पदाधिकारियों तथा नेताओं के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है और अपने सहयोगी/साथी रहे गवर्नर्स को अकेला छोड़ दिया है ।