नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता के साथ हाल ही के दिनों में कुछेक आयोजनों में श्वेता पाठक की भागीदारी होने और 'दिखने' के कारण इस चर्चा को हवा मिली है कि अतुल गुप्ता की तरफ से श्वेता पाठक को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का अगला चेयरपरसन बनाने की संभावनाएँ देखी/पहचानी जा रही हैं । मजे की बात यह है कि कई लोगों का यह भी कहना है कि इस चर्चा को खुद श्वेता पाठक तथा उनके नजदीकियों की तरफ से हवा दी जा रही है और इस तरीके से वह अतुल गुप्ता के नाम पर अगले वर्ष की टीम में अपनी जगह बनाने के जुगाड़ खोज रहे हैं । मजे की बात यह भी है कि अगले वर्ष के लिए बनने वाले पॉवर ग्रुप में जगह पाने के जुगाड़ में लगे कुछेक दूसरे काउंसिल सदस्य भी तरह तरह से अतुल गुप्ता के नजदीक होने तथा 'दिखने' के प्रयासों में लगे हैं । अगले वर्ष अतुल गुप्ता चूँकि इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट होंगे, इसलिए माना/समझा जा रहा है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में वह ऐसी टीम चाहेंगे जो बिना किसी झगड़े-झंझट के अपना काम करे और प्रेसीडेंट के रूप में अतुल गुप्ता का नाम खराब न करे । यह मानने/समझने के चलते कयास यह लगाया जा रहा है कि रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों का चयन अतुल गुप्ता अपनी पसंद से करेंगे; और इसी कयास के कारण रीजनल काउंसिल के कई सदस्य अतुल गुप्ता की गुडबुक में आने/रहने की कोशिशों में जुटे हैं । अतुल गुप्ता के समर्थन के सहारे श्वेता पाठक के चेयरपरसन बनने की चर्चा, इसे चाहें दूसरों ने छेड़ा हो और या इसे श्वेता पाठक की तरफ से हवा मिली हो, को लोगों के बीच ऐसी ही कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।
गौर करने की बात लेकिन यह भी है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों के बीच बनी खेमेबाजी को देखते हुए कई लोगों को लगता है कि अगले वर्ष के लिए पॉवर ग्रुप के सदस्यों को राजी करना मेंढकों को तराजु में तौलने जैसा काम होगा । यह इसलिए भी होगा क्योंकि जो छोटी छोटी खेमेबाजियाँ बनी हुई हैं, उनके बीच आपस में बैर के संबंध ज्यादा हैं । 'ए' को 'बी' के साथ नहीं बैठना है, वह 'सी' के साथ मिलकर 'डी' को जोड़ने की कोशिश कर रहा है, लेकिन 'डी' को 'सी' फूटी आँख नहीं भाता है और वह 'बी' के साथ मिलकर 'ए' को पटाने में लगा है - ऐसे में कोई किसी से पटता दिख नहीं रहा है । रतन सिंह यादव काफी समय से दावा कर रहे हैं कि वह काउंसिल सदस्यों से बात कर रहे हैं और कामकाज को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं । उनके इस दावे की लेकिन एक मौके पर काउंसिल सदस्य अविनाश गुप्ता ने यह कहते/बताते हुए पोल खोल दी कि उन्होंने उनसे तो कभी बात नहीं की; तब रतन सिंह यादव को सफाई देनी पड़ी कि अभी वह (निलंबित) पदाधिकारियों से बात कर रहे हैं, बाकी सदस्यों से बाद में बात करेंगे । खासी मशक्कत के बाद मीटिंग तय भी हुई, लेकिन (निलंबित) पदाधिकारियों ने मीटिंग में साथ बैठने से ही इंकार कर दिया - और मामला जहाँ का तहाँ ही बना रह गया ।
गौरव गर्ग एक अलग ही राग छेड़ चुके हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मौजूदा शर्मनाक दशा के लिए वह चारों (निलंबित) पदाधिकारियों की हरकतों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । इस पर लोगों का पूछना है कि चारों पदाधिकारी जब हरकतें कर रहे थे, तब गौरव गर्ग के मुँह में छाले हो रखे थे क्या - जो उस समय वह कुछ न बोल पाए । गौरव गर्ग ने एक मौके पर हालाँकि धरने की घोषणा की थे, लेकिन उनकी वह घोषणा तमाशे से ज्यादा कुछ न हुई । गौरव गर्ग एक मौके पर श्वेता पाठक के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करके भी विवाद खड़ा कर चुके हैं । इसी के चलते रतन सिंह यादव कई मौकों पर गौरव गर्ग को सलाह दे चुके हैं कि तुम यदि अपना मुँह बंद रखोगे तो काउंसिल में हालात सामान्य बनाने में बड़ा योगदान दोगे । मजे की बात यह है कि इसी तरह की सलाह कई लोग रतन सिंह यादव को देते रहते हैं । रतन सिंह यादव औरों की नहीं सुनते, गौरव गर्ग उनकी नहीं सुनते । लोगों का कहना है कि अपने को सक्रिय दिखा कर यह दोनों दरसअल अगले वर्ष के पॉवर ग्रुप में अपनी जगह बनाने की जुगाड़ में हैं । इस समय लेकिन नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सत्ता-संघर्ष में अतुल गुप्ता के भाव ऊँचे हैं; सत्ता के आकाँक्षी किसी न किसी बहाने और तरीके से अतुल गुप्ता के साथ नजदीकी बनाने और 'दिखाने' में लगे हैं । अतुल गुप्ता के साथ नजदीकी बनाने और 'दिखाने' के खेल में इस समय श्वेता पाठक का पलड़ा भारी लग रहा है; कुछेक लोगों के अनुसार, उसे भारी 'दिखाया' जा रहा है - अब सच चाहें जो हो, 'दिखते' हुए परिदृश्य ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों और उनकी राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के बीच हलचल तो मचा ही दी है ।
गौर करने की बात लेकिन यह भी है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों के बीच बनी खेमेबाजी को देखते हुए कई लोगों को लगता है कि अगले वर्ष के लिए पॉवर ग्रुप के सदस्यों को राजी करना मेंढकों को तराजु में तौलने जैसा काम होगा । यह इसलिए भी होगा क्योंकि जो छोटी छोटी खेमेबाजियाँ बनी हुई हैं, उनके बीच आपस में बैर के संबंध ज्यादा हैं । 'ए' को 'बी' के साथ नहीं बैठना है, वह 'सी' के साथ मिलकर 'डी' को जोड़ने की कोशिश कर रहा है, लेकिन 'डी' को 'सी' फूटी आँख नहीं भाता है और वह 'बी' के साथ मिलकर 'ए' को पटाने में लगा है - ऐसे में कोई किसी से पटता दिख नहीं रहा है । रतन सिंह यादव काफी समय से दावा कर रहे हैं कि वह काउंसिल सदस्यों से बात कर रहे हैं और कामकाज को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं । उनके इस दावे की लेकिन एक मौके पर काउंसिल सदस्य अविनाश गुप्ता ने यह कहते/बताते हुए पोल खोल दी कि उन्होंने उनसे तो कभी बात नहीं की; तब रतन सिंह यादव को सफाई देनी पड़ी कि अभी वह (निलंबित) पदाधिकारियों से बात कर रहे हैं, बाकी सदस्यों से बाद में बात करेंगे । खासी मशक्कत के बाद मीटिंग तय भी हुई, लेकिन (निलंबित) पदाधिकारियों ने मीटिंग में साथ बैठने से ही इंकार कर दिया - और मामला जहाँ का तहाँ ही बना रह गया ।
गौरव गर्ग एक अलग ही राग छेड़ चुके हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मौजूदा शर्मनाक दशा के लिए वह चारों (निलंबित) पदाधिकारियों की हरकतों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । इस पर लोगों का पूछना है कि चारों पदाधिकारी जब हरकतें कर रहे थे, तब गौरव गर्ग के मुँह में छाले हो रखे थे क्या - जो उस समय वह कुछ न बोल पाए । गौरव गर्ग ने एक मौके पर हालाँकि धरने की घोषणा की थे, लेकिन उनकी वह घोषणा तमाशे से ज्यादा कुछ न हुई । गौरव गर्ग एक मौके पर श्वेता पाठक के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करके भी विवाद खड़ा कर चुके हैं । इसी के चलते रतन सिंह यादव कई मौकों पर गौरव गर्ग को सलाह दे चुके हैं कि तुम यदि अपना मुँह बंद रखोगे तो काउंसिल में हालात सामान्य बनाने में बड़ा योगदान दोगे । मजे की बात यह है कि इसी तरह की सलाह कई लोग रतन सिंह यादव को देते रहते हैं । रतन सिंह यादव औरों की नहीं सुनते, गौरव गर्ग उनकी नहीं सुनते । लोगों का कहना है कि अपने को सक्रिय दिखा कर यह दोनों दरसअल अगले वर्ष के पॉवर ग्रुप में अपनी जगह बनाने की जुगाड़ में हैं । इस समय लेकिन नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सत्ता-संघर्ष में अतुल गुप्ता के भाव ऊँचे हैं; सत्ता के आकाँक्षी किसी न किसी बहाने और तरीके से अतुल गुप्ता के साथ नजदीकी बनाने और 'दिखाने' में लगे हैं । अतुल गुप्ता के साथ नजदीकी बनाने और 'दिखाने' के खेल में इस समय श्वेता पाठक का पलड़ा भारी लग रहा है; कुछेक लोगों के अनुसार, उसे भारी 'दिखाया' जा रहा है - अब सच चाहें जो हो, 'दिखते' हुए परिदृश्य ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों और उनकी राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के बीच हलचल तो मचा ही दी है ।