Saturday, December 21, 2019

रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट के प्रमोशन के लिए बुलाई गई मीटिंग में अपनी राजनीति करते हुए अनूप मित्तल के खिलाफ मोर्चा खोलने की विनोद बंसल की कोशिश को अपने साथी गवर्नर्स को बेइज्जत करते रहने की उनकी प्रवृत्ति के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है

नई दिल्ली । रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट के प्रमोशन के लिए डिस्ट्रिक्ट्स की प्रमोशन कमेटी के पदाधिकारियों की रोटरी इंटरनेशनल के नई दिल्ली स्थित साउथ एशिया ऑफिस में हुई मीटिंग में विनोद बंसल ने जिस तरह से समिट के प्रमोशन की बजाये इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने का काम किया, उसकी चर्चा ने विनोद बंसल के लिए खासी फजीहत वाली स्थिति पैदा कर दी है । इस चर्चा ने उक्त मीटिंग में न पहुँचने वाले डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों को यह कहने का भी मौका दिया है कि अच्छा हुआ कि वह मीटिंग में नहीं गए, अन्यथा उनके समय और पैसे की बर्बादी ही होती । कई लोग कहने भी लगे हैं कि विनोद बंसल रोटरी के काम के बहाने से लोगों से मिलते-जुलते हैं और मीटिंग बुलाते/करते हैं, लेकिन रोटरी के काम की बातें कम करते हैं और अपनी राजनीति की बातें ज्यादा करते हैं । उक्त मीटिंग में आमंत्रित किए गए कुछेक लोगों ने कहा भी कि वह तो इसीलिए मीटिंग में नहीं गए । उल्लेखनीय है कि उक्त मीटिंग के लिए नौ डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों को बुलाया गया था, जिनमें से कुल चार डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारी ही मीटिंग में पहुँचे । इनमें भी विनोद बंसल के खुद के डिस्ट्रिक्ट के तो चार पदाधिकारी थे, जबकि बाकी डिस्ट्रिक्ट्स से एक एक पदाधिकारी ही उपस्थित था । इस मीटिंग में अपनी उम्मीदवारी की स्थिति पर बात करते हुए विनोद बंसल ने अपने डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल की यह कहते हुए आलोचना भी कि उनके अपने डिस्ट्रिक्ट में वैसे तो उनकी स्थिति अच्छी है, एक सिर्फ अनूप मित्तल ही उनके खिलाफ बातें करते रहते हैं ।
मजे की बात यह रही कि विनोद बंसल के इस दावे को झूठ बोल कर लोगों को भरमाने/बरगलाने के एक प्रयास के रूप में ही देखा/पहचाना गया है । डिस्ट्रिक्ट में विनोद बंसल की स्थिति कैसी है, यह इसी तथ्य से जाहिर है कि डिस्ट्रिक्ट में उनके अलावा रंजन ढींगरा तथा दीपक कपूर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार हैं; इन दोनों का भी उम्मीदवार होना क्या विनोद बंसल की स्थिति के अच्छे होने का सुबूत है ? इन दोनों को उम्मीदवार क्या अनूप मित्तल ने बनाया है ? यदि ऐसा नहीं है - और जो नहीं ही है - तो डिस्ट्रिक्ट में सिर्फ अनूप मित्तल को ही विनोद बंसल अपने विरोधी के रूप में क्यों देखते/बताते हैं ? अभी हाल ही में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के सम्मान में हुए डिस्ट्रिक्ट समारोह में चेयरमैन होने के बावजूद विनोद बंसल को अलग-थलग रखा गया, जिससे नाराज होकर समारोह से संबद्ध एक मीटिंग का विनोद बंसल ने 'ऑय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' कहते हुए बहिष्कार किया; समारोह की तैयारी कमेटी में कन्वेनर रंजन ढींगरा थे, एडवाइजर मंजीत साहनी तथा सुरेश जैन थे और को-चेयरमैन रमेश चंद्र थे - तब फिर उक्त कार्यक्रम की तैयारी से अलग-थलग किए जाने के लिए अनूप मित्तल कैसे जिम्मेदार हुए ? विनोद बंसल की निगाह में अनूप मित्तल क्या डिस्ट्रिक्ट के इतने बड़े नेता हो गए हैं कि डिस्ट्रिक्ट और डिस्ट्रिक्ट के सभी बड़े पदाधिकारी व नेता उनके इशारों पर चल रहे हैं ? अपनी हर मुसीबत और फजीहत के लिए अनूप मित्तल को जिम्मेदार ठहराने की विनोद बंसल की कोशिशों को डिस्ट्रिक्ट में हमेशा ही किसी एक को निशाना बनाने की विनोद बंसल की पुरानी प्रवृत्ति के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट में लोगों को याद है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में पीटी प्रभाकर के साथ तिकड़म करके और डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों व नेताओं को अँधेरे में रख कर विनोद बंसल ने उनकी एक इंस्टीट्यूट का चेयरमैन कर दिल्ली में इंस्टीट्यूट करने की योजना के फेल हो जाने के लिए विनोद बंसल ने तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना को लेकर रोना-धोना मचाया था । विनय भाटिया के चुनाव में सक्रियता दिखा कर 'बेईमानी' करने के मामले में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में 'चुनावी अपराधी' के रूप में चिन्हित होने के मामले में विनोद बंसल ने आशीष घोष को लपेटे में लिया था । विनोद बंसल की यह पुरानी प्रवृत्ति है कि वह स्वार्थपूर्ण हरकतें करेंगे, तिकड़में करेंगे और उनके चलते जब मुसीबत में फँसेंगे और फजीहत का शिकार होंगे तो किसी दूसरे को जिम्मेदार ठहरा देंगे । उनकी इस प्रवृत्ति का शिकार मंजीत साहनी, अशोक घोष, राजेश बत्रा जैसे वरिष्ठ पूर्व गवर्नर तक हो चुके हैं । विनोद बंसल की इस प्रवृत्ति के नए शिकार अनूप मित्तल हैं । विनोद बंसल किस तरह से अपने साथी पूर्व गवर्नर्स को बेइज्जत करते हैं, इसका ताजा उदाहरण पूर्व गवर्नर सुधीर मंगला के साथ किए जाने वाले उनके व्यवहार में देखा/पहचाना/समझा जा सकता है । उल्लेखनीय है कि सुधीर मंगला को विनोद बंसल ने ही सेन्टेंनियल समिट के लिए डिस्ट्रिक्ट की प्रमोशन कमेटी का चेयरमैन बनाया है; और कमेटी का काम शुरू होने से पहले ही उन्होंने लोगों के बीच रोना शुरू कर दिया है कि सुधीर मंगला तो कुछ करते ही नहीं हैं, और वह तो किसी लायक ही नहीं हैं । सुधीर मंगला को विनोद बंसल कई वर्षों से जानते/पहचानते हैं, कुछ वर्ष पहले तक दोनों एक ही क्लब के सदस्य थे; इस नाते उम्मीद कर सकते हैं कि विनोद बंसल जानते/समझते होंगे कि सुधीर मंगला किस लायक हैं; यह जानते/समझते हुए ही विनोद बंसल ने उन्हें प्रमोशन कमेटी का चेयरमैन बनाया और साथ ही साथ यह कहना/बताना शुरू कर दिया कि सुधीर मंगला तो किसी लायक ही नहीं हैं । दरअसल इसी तरह के व्यवहार व रवैये के चलते विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अपने खिलाफ किया हुआ है; लेकिन जाहिर वह यह करते हैं जैसे डिस्ट्रिक्ट में सभी लोग उनके साथ हैं, सिर्फ दो/एक लोग ही उनके खिलाफ हैं; समयानुसार इन दो/एक लोगों का चेहरा बदलता रहता है - कभी यह चेहरा संजय खन्ना का हो जाता है, तो कभी आशीष घोष का, कभी मंजीत साहनी का, कभी अशोक घोष का, कभी राजेश बत्रा का, कभी रमेश चंद्र का, कभी सुरेश जैन का, कभी रंजन ढींगरा का - आजकल यह चेहरा अनूप मित्तल का है । देखना दिलचस्प होगा कि विनोद बंसल अगला नंबर किसका लगाते हैं ?