Friday, December 27, 2019

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट का वाइस प्रेसीडेंट बनने के लिए जय छैरा ने प्रेसीडेंट प्रफुल्ल छाजेड़ के सूरत में आने को लेकर लगाया 'कर्फ्यू' उठाया और इस तरह प्रेसिडेंट बनने के ग्यारहवें महीने में प्रफुल्ल छाजेड़ का सूरत में सम्मान होने का मौका बना

सूरत । जय छैरा की 'कृपा' से इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट प्रफुल्ल छाजेड़ को सूरत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच होने/पहुँचने का मौका आखिरकार मिल रहा है । इस 'कृपा' के पीछे जय छैरा की वाइस प्रेसीडेंट पद की उम्मीदवारी से जुड़ी 'मजबूरी' को देखा/समझा जा रहा है । जय छैरा की इस मजबूरी के चलते सूरत ब्रांच के पदाधिकारियों को अब, जब प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए प्रेसीडेंट पद की कुर्सी से उतरने का समय नजदीक आ गया है, ध्यान आया कि उन्हें प्रेसीडेंट के रूप में प्रफुल्ल छाजेड़ का सम्मान कर लेना चाहिए । उल्लेखनीय है कि सूरत ब्रांच वेस्टर्न रीजन में इंस्टीट्यूट की एक बड़ी और प्रमुख ब्रांच है, जिस नाते ब्रांच के सदस्यों व पदाधिकारियों के साथ-साथ प्रत्येक प्रेसीडेंट की भी इच्छा होती है कि वह सूरत अवश्य ही आए । प्रफुल्ल छाजेड़ तो इंस्टीट्यूट में वेस्टर्न रीजन का ही प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन प्रेसीडेंट के रूप में उन्हें सूरत आने का 'मौका' नहीं मिला । यहाँ तक कि वाइस प्रेसीडेंट के रूप में भी उन्हें यह मौका नहीं मिला था । इसके लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्य जय छैरा को जिम्मेदार माना/पहचाना जाता है । दरअसल सूरत में ही नहीं, वेस्टर्न रीजन में चर्चा यह है कि सूरत में कौन आयेगा, या नहीं आएगा - इसका फैसला जय छैरा ही करते हैं । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य जय छैरा सूरत को अपनी कोंस्टीटुयेंसी के रूप में देखते/समझते हैं, और यह पसंद नहीं करते हैं कि इंस्टीट्यूट की राजनीति से जुड़े दूसरे नेता सूरत में नजर आएँ; इसके लिए वह सूरत ब्रांच के पदाधिकारियों पर भी दबाव बना कर रखते हैं । यही कारण है कि सूरत में होने वाले आयोजनों में वेस्टर्न रीजन के 'छोटे' 'बड़े' सदस्यों की उपस्थिति काफी कम रह गई है । प्रफुल्ल छाजेड़ के साथ तो जय छैरा के राजनीतिक खेमेबाजी वाले विरोध के झंझट भी हैं, जिनके कारण प्रेसीडेंट होने के बावजूद प्रफुल्ल छाजेड़ को जय छैरा ने सूरत आने का मौका नहीं मिलने दिया ।
वेस्टर्न रीजन की राजनीतिक खेमेबाजी में जय छैरा को पूर्व प्रेसीडेंट उत्तम अग्रवाल के नजदीकियों में देखा/पहचाना जाता है, जिनका प्रफुल्ल छाजेड़ के साथ छत्तीस का रिश्ता देखा/समझा जाता है । माना जाता है कि इसी 'रिश्ते' को निभाते हुए जय छैरा ने प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए सूरत आने का मौका नहीं बनने दिया । सिर्फ इतना ही नहीं, सूरत ब्रांच की नई बिल्डिंग के उद्घाटन का मौका प्रफुल्ल छाजेड़ से 'छीनने' के लिए बिल्डिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में जय छैरा ने पिछले वर्ष ही आधी-अधूरी बिल्डिंग का उद्घाटन तत्कालीन प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता से करवा दिया था । नवीन गुप्ता के पास सूरत आने का समय नहीं था, लेकिन जय छैरा ने आनन-फानन में लगभग गुपचुप तरीके से बिल्डिंग का ई-उद्घाटन करवा दिया था । मजे की बात यह है कि पिछले वर्ष उद्घाटित हुई बिल्डिंग का काम अभी तक भी पूरा नहीं हुआ है और सूरत ब्रांच अभी भी करीब दो लाख रुपए प्रति माह के किराए वाली बिल्डिंग में ही चल रही है । यह किस्सा जय छैरा की प्रशासनिक क्षमताओं पर तो सवाल खड़े करता ही है, साथ ही यह भी बताता/दिखाता है कि जय छैरा राजनीतिक खेमेबाजी में विरोध के उस स्तर तक भी पहुँच जाते हैं, जहाँ प्रशासनिक फैसले भी मजाक बन कर रह जाते हैं । सूरत ब्रांच की अपनी बिल्डिंग का उद्घाटन करने का मौका वेस्टर्न रीजन का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रफुल्ल छाजेड़ को न मिले, इसके लिए मनमाने व गुपचुप तरीके से, चलताऊ रूप में नवीन गुप्ता से आधी-अधूरी बिल्डिंग का ई-उद्घाटन करवा कर जय छैरा ने आखिर अपनी किस 'समझ' का परिचय दिया है ?
जय छैरा की उक्त समझ लेकिन अब वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव के चलते 'ढीली' पड़ रही है । माना जा रहा है कि इसीलिए जय छैरा को प्रफुल्ल छाजेड़ का सूरत ब्रांच में सम्मान करवाना जरूरी लगा है । जय छैरा के नजदीकियों के अनुसार, जय छैरा को यह उम्मीद तो नहीं है कि सूरत ब्रांच में सम्मान हो जाने के बाद प्रफुल्ल छाजेड़ वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने लगेंगे, लेकिन उन्हें यह उम्मीद जरूर है कि इसके बाद वेस्टर्न रीजन के वोटरों के बीच उनके विरोध की तल्खी कुछ कम जरूर हो जायेगी । जय छैरा ने दरअसल अपने रवैये और व्यवहार से वेस्टर्न रीजन के नेताओं के बीच अपने लिए विरोध का खासा घना माहौल बनाया हुआ है; उनके लिए बदकिस्मती की बात यह भी है कि उत्तम अग्रवाल खेमे में भी उनकी कोई अच्छी स्थिति नहीं है । जय छैरा ने वाइस प्रेसीडेंट पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए इसीलिए दूसरे रीजंस के वोटरों पर ध्यान देना शुरू किया है और उन्हें पटाने की मुहिम में वह जुटे हैं । अभी हाल ही में सूरत में हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस में कॉन्फ्रेंस चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से वेस्टर्न रीजन की बजाये दूसरे रीजंस के कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों - देवाशीष मित्रा, चनरजोत सिंह नंदा, प्रमोद जैन को बुलाया । वेस्टर्न रीजन से एक अकेले अनिकेत तलति के पिता पूर्व प्रेसीडेंट सुनील तलति को उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस में बुलाया । इससे पहले एक आयोजन में मौजूदा वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता भी बुलाए जा चुके हैं । वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में जय छैरा की क्या स्थिति बनेगी, यह तो आगे आने/होने वाली 'घटनाओं' पर निर्भर करेगा - अभी लेकिन जय छैरा की उम्मीदवारी के कारण प्रफुल्ल छाजेड़ को सूरत में आने का जो मौका मिला है, वह 'बड़ी बात' है ।