Friday, August 22, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3011 में सुधीर मंगला की ढील-ढाल और निष्क्रियता ने एक नए डिस्ट्रिक्ट के 'बनने' और उसे बनाने से जुड़ी स्थितियों और जरूरतों को लेकर लोगों को निराश किया हुआ है

नई दिल्ली । सुधीर मंगला के रवैये ने डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3011 के प्रमुख लोगों को प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट के भविष्य को लेकर चिंतित किया हुआ है । चिंता का कारण यह है कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट को बदली हुई परिस्थितियों में जिन नई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ेगा - उन्हें पहचानने, समझने और उन्हें हल करने को लेकर किसी भी तरह की सोच या सक्रियता किसी भी स्तर पर दिखाई नहीं दे रही है । प्रतीकात्मक अर्थों में इस स्थिति को प्रस्तावित नए डिस्ट्रिक्ट की नींव के कमजोर पड़ने/रहने के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । इस स्थिति के लिए सुधीर मंगला को जिम्मेदार माना/ठहराया जा रहा है । प्रस्तावित नए डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार चूँकि सुधीर मंगला को ही संभालना है, इसलिए नए डिस्ट्रिक्ट के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों से निपटने का काम उनके ही नेतृत्व में होगा - लेकिन सुधीर मंगला को लगता है कि इस बात का आभास ही नहीं है कि उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाह करना है । कुछेक लोग मजाक में कहते भी हैं कि सुधीर मंगला को तो बस गवर्नर बनना था, जो वह बन ही जायेंगे - लेकिन यह तो उनके ख्याल में ही नहीं होगा कि गवर्नर के रूप में कुछ काम भी करना होता है, जो उन्हें भी करना होगा । समस्या दरअसल इसीलिए गंभीर है क्योंकि लोग यह देख/पा रहे हैं कि सुधीर मंगला अपनी जिम्मेदारियों को लेकर जरा भी गंभीर नहीं हैं ।
सुधीर मंगला के नजदीक और विश्वास के लोगों का भी कहना है कि सुधीर मंगला उनसे लगातार बात तो करते रहते हैं लेकिन उनकी बातों से यह नहीं लगता कि वह स्थिति की और अपनी जिम्मेदारी की गंभीरता को पहचान या समझ रहे हैं । समस्या की बात यह है कि सुधीर मंगला के नजदीकी और उनके विश्वास के लोग भी चूँकि यह जानते हैं कि वह करते अपने मन की ही हैं और दूसरे किसी की नहीं सुनते हैं - इसलिए कोई उन्हें उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने का भी प्रयत्न नहीं करता है । वह जानते हैं कि उसका कोई फायदा नहीं होगा - सुधीर मंगला सुनेंगे/मानेंगे हैं नहीं, इसलिए उनसे कुछ कहने का या उन्हें कोई सलाह देने का कोई लाभ नहीं होगा । सलाह देने वाले को ही बेइज्जत होना पड़ेगा - इसलिए सभी चुप हैं और प्रस्तावित डिस्ट्रिक्ट के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त करके ही रह जा रहे हैं ।
जो लोग सुधीर मंगला के नजदीक और खास देखे/समझे जाते हैं उनका उदारतारूपी एक तर्क यह जरूर है कि सुधीर मंगला पर जिम्मेदारी जल्दी ही आ पड़ी है जिसके लिए वह अभी तैयार नहीं थे; और दूसरी बात यह कि अभी भी औपचारिक से यह तय नहीं हुआ है कि सुधीर मंगला को अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी संभालनी ही है - इसलिए सुधीर मंगला के सामने भी असमंजस की स्थिति है । लेकिन यह तर्क देने वाले लोगों का ही यह भी कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को लेकर बात जितना आगे बढ़ चुकी है और जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं उसे देखते हुए सुधीर मंगला को जितना और जिस तरह से सक्रिय होना चाहिए था, वह नहीं हुए हैं और इसका प्रतिकूल असर नए प्रस्तावित डिस्ट्रिक्ट के कामकाज तथा उसकी प्रतिष्ठा पर पड़ेगा । सुधीर मंगला की समस्या यह है कि जिन लोगों को वह अपने नजदीक मानते, समझते और बताते भी हैं उन पर भी वह भरोसा नहीं करते हैं और उनके साथ भी खेल-सा खेलते हैं; जिस कारण दूसरे लोग भी अपने आप को छला हुआ और अपमानित-सा महसूस करते हैं और सुधीर मंगला के नजदीक व खास होने के बावजूद उनसे 'बच' कर रहते हैं । यही कारण है कि सुधीर मंगला के डिस्ट्रिक्ट में किसी के साथ विश्वास के संबंध शायद ही हों ।
डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को लेकर जो स्थिति है, उसमें यही विश्वास किया जा रहा है कि सुधीर मंगला को अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभानी पड़ सकती है । यानि अभी उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में काम करना शुरू कर देना पड़ेगा और जल्दी ही पेम का आयोजन करना होगा । इसके लिए सबसे पहला काम उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के चयन का करना है । लोगों के बीच चर्चा तो है कि सुधीर मंगला के गवर्नर-काल का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर अमित जैन या रमेश चंद्र में से किसी एक को होना चाहिए - लेकिन इन दोनों से सुधीर मंगला ने इस बारे में कोई बात तक नहीं की है । जो कोई भी इनसे पूछता है उसे इनसे यही जबाव सुनने को मिलता है कि इस बारे में बात करना तो दूर की बात है - इन्हें तो यह भी नहीं पता कि सुधीर मंगला कुछ करने के बारे में सोच भी रहे हैं क्या ? इनका यह जबाव लोगों को सच भी लग रहा है क्योंकि लोगों को 'पता' है कि सुधीर मंगला ने यदि कोई बात की होती तो रमेश चंद्र तो डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद अभी तक झटक भी चुके होते । सुधीर मंगला ने रमेश चंद्र से बात नहीं की है, यह समझ में आता है : सुधीर मंगला के चुनाव में रमेश चंद्र का ढुलमुल-सा रवैया था - वह अक्सर ही रवि भाटिया के साथ होने का आभास देते थे; सुधीर मंगला के साथ 'होने' की बात तो उन्होंने तब करना शुरू किया था जब सुधीर मंगला का जीतना लगभग पक्का हो गया था । अमित जैन तो लेकिन दोनों बार सुधीर मंगला के समर्थन में थे और दोनों बार 'खुल' कर उनके साथ थे, फिर भी सुधीर मंगला अपने गवर्नर-काल की तैयारी को लेकर उन्हें विश्वास में क्यों नहीं ले रहे हैं - यह समझना थोड़ा मुश्किल है । हालाँकि पिछले वर्ष दीवाली के मौके पर सुधीर मंगला ने अपने घनघोर समर्थक जितेंद्र गुप्ता को जिस तरह उपेक्षित किया था, उसका संदर्भ लें तो अमित जैन के साथ किए जा रहे उनके व्यवहार को समझना कोई मुश्किल भी नहीं है ।
प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3011 में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों के प्रति उपेक्षा का जो भाव है, उसके लिए एक अकेले सुधीर मंगला को ही दोषी ठहराना उचित नहीं होगा; क्योंकि कोई अन्य भी इस बारे में कुछ सोचता/करता हुआ नहीं दिख रहा है । सुधीर मंगला के बाद जिन लोगों को गवर्नर बनना है, उनमें से भी किसी ने एक नए डिस्ट्रिक्ट के सामने आने वाली चुनौतियों और समस्याओं पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं समझी है । उनके होने वाले पड़ोसी डिस्ट्रिक्ट - प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार प्रसून चौधरी ने इस मामले में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है । उन्होंने एक नए डिस्ट्रिक्ट के सामने आने वाली चुनौतियों और समस्याओं को लेकर एक पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया है और उसे अलग अलग लोगों के बीच इस तरह प्रस्तुत किया है जिससे कि एक नए डिस्ट्रिक्ट के 'बनने' और उसे बनाने से जुड़ी स्थितियों और जरूरतों को लेकर लोगों के बीच जागरूकता पैदा हो तथा उनके बीच चर्चा हो । प्रसून चौधरी की इस प्रस्तुति ने नए डिस्ट्रिक्ट के गठन से उत्साहित हुए लोगों को अपनी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर होने तथा सक्रिय होने के लिए प्रेरित करने का काम किया है । प्रसून चौधरी की इस प्रस्तुति से प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3011 के जो लोग परिचित हुए हैं उनका बड़ी निराशा के साथ कहना यह है कि उनके डिस्ट्रिक्ट में बातों और स्थितियों को गंभीरता से लेने/देखने वाला प्रसून चौधरी जैसा कोई क्यों नहीं है ? प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3011 में अपनी निराशा और असमंजसता का ठीकरा हर कोई सुधीर मंगला के सिर पर ही फोड़ने पर आमादा है । सुधीर मंगला को भी समझ में आ रहा होगा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव जीतने का काम तो तीन-तिकड़म से किया जा सकता है, किंतु डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का काम करने के लिए तो काम करना ही होगा । लोगों को इंतजार है कि सुधीर मंगला नई बनी परिस्थितियों के अनुरूप काम करना कब शुरू करेंगे ?