Thursday, August 7, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को प्रमोट करने की आड़ में राजीव गुप्ता ने जिस तरह से अगले वर्षों में संभावित अपनी उम्मीदवारी के लिए जमीन तैयार का काम किया, उससे रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार के दो खेमों में बँटने का खतरा पैदा हुआ है

नई दिल्ली । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के बहाने राजीव गुप्ता जिस तरह अपने आप को लोगों के बीच पहचनवाने का काम कर रहे हैं, उससे उनके क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार में खासा बबाल पैदा हो गया है । क्लब के कई लोगों का कहना है कि दूसरे क्लब के लोगों के सामने राजीव गुप्ता जिस तरह की बातें करते हैं और अपने आप को जिस तरह से 'पोज' करते हैं उससे वह यह जताने/दिखाने का प्रयास करते हैं कि जैसे क्लब वही चला रहे हैं और क्लब में जो कुछ भी होता है वह उनसे पूछ कर और उनके 'सहारे' से ही होता है - इससे क्लब की तो बदनामी होती ही है, साथ ही क्लब के दूसरे जो लोग सक्रिय रहते हैं उनकी हेठी भी होती है । क्लब में संजीव सिंघल, विनीत विद्यार्थी, अनूप मित्तल आदि भी हैं जिन्होंने अपनी सक्रियता और अपने कामकाजी रवैये से डिस्ट्रिक्ट में अपनी पहचान बनाई है । पिछले रोटरी वर्ष में, विनोद बंसल के गवर्नर-काल में प्रकाशित डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में अनूप मित्तल का नाम पाँच बार छपा है । अनूप मित्तल के अलावा उक्त डायरेक्टरी में पाँच और उससे ज्यादा बार छपने वाले नाम राजेश बत्रा, आशीष घोष, संजय खन्ना, जेके गौड़, नवदीप चावला और पप्पूजीत सिंह सरना के हैं । इनमें पहले चार नाम तो गवर्नर कैटेगरी वाले हैं - यानि विनोद बंसल के गवर्नर-काल में जिन तीन लोगों को सबसे ज्यादा जिम्मेदारियाँ मिलीं उनमें एक नाम रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार के अनूप मित्तल का था । विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर जैसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी वाले पद के लिए रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार के संजीव सिंघल को उपयुक्त पाया । क्लब के लोगों का कहना है कि इन तथ्यों से जाहिर है कि क्लब के किन लोगों की डिस्ट्रिक्ट में ऊँची पहचान और हैसियत है; अब ऐसे में राजीव गुप्ता जब अपने आप को क्लब का सर्वेसर्वा दिखाने/जताने का प्रयास करते हैं तो डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को क्लब में उठापटक होने का अंदेशा होता है और इससे क्लब की छवि और पहचान पर प्रतिकूल असर पड़ता है ।
राजीव गुप्ता की अति-सक्रियता के पीछे उनके क्लब के लोग उनकी महत्वाकांक्षा को देखते/पहचानते हैं । क्लब के लोगों का कहना है कि राजीव गुप्ता अगले वर्षों में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार होना चाहते हैं और इसके लिए दूसरे क्लब्स के लोगों की निगाह में चढ़ना चाहते हैं । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थन में वह बढ़चढ़कर जो सक्रियता दिखा रहे हैं, उसके पीछे उनका उद्देश्य दरअसल अगले वर्षों में प्रस्तुत होने वाली अपनी उम्मीदवारी के लिए जमीन तैयार करना है । वास्तव में, उनके इसी 'उद्देश्य' ने क्लब में बबाल खड़ा कर दिया है । क्लब में दरअसल अनूप मित्तल को भी संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है; इसीलिए समझा गया है कि राजीव गुप्ता अपनी सक्रियता के सहारे अनूप मित्तल को पीछे धकेल कर आगे आने का जुगाड़ लगा रहे हैं । क्लब के कुछेक लोग हालाँकि इसमें कोई बुराई भी नहीं समझते हैं । बातचीत में उनकी 'टोन' से ऐसा नहीं लगता कि वह कोई राजीव गुप्ता के समर्थक हैं, लेकिन फिर भी वह राजीव गुप्ता की आगे आने की कोशिश को सही ठहराते हुए तर्क देते हैं कि अनूप मित्तल उम्मीदवार होने की बात तो करते हैं, लेकिन उम्मीदवार बनते हुए 'दिखते' नहीं हैं, ऐसे में राजीव गुप्ता यदि आगे आने का प्रयास कर रहे हैं तो उसमें क्या गलत है ? इनका कहना है कि 'आ रहे हैं' 'आ रहे हैं' कहते हुए अनूप मित्तल को दूसरों का रास्ता रोके रखने का अधिकार तो नहीं मिल जाता है न ?
राजीव गुप्ता के तरीके को गलत मानने वाले क्लब के दूसरे कुछेक सदस्यों का कहना लेकिन यह है कि राजीव गुप्ता को जब पता है कि अनूप मित्तल पहले से ही उम्मीदवारी की लाइन में हैं और अपने तरीके से उसके लिए काम भी कर रहे हैं और बदले में डिस्ट्रिक्ट लीडरशिप के बीच पहचान और स्वीकार्यता भी प्राप्त कर रहे हैं, तब उन्हें अनूप मित्तल के साथ बात करके अपना 'कार्यक्रम' तय करना चाहिए । वह यदि ऐसा नहीं करते हैं तो यही माना जायेगा कि वह चालबाजी खेल रहे हैं और इससे क्लब के लोगों के बीच खटराग पैदा होगा । वास्तव में, यही हुआ भी है । क्लब के वरिष्ठ और अनुभवी लोगों का मानना और कहना है कि राजीव गुप्ता ने जो कुछ भी किया है, या करने का प्रयास किया है उसमें गलत कुछ भी नहीं है - बस उनका अंदाज कुछ ऐसा रहा जिससे बात का बतंगड़ बन गया और उँगलियाँ उन्हीं की तरफ उठ गईं ।
राजीव गुप्ता ने जो किया और या जो 'दिखाने' का प्रयास किया - उसे उनके उतावलेपन का सुबूत मानने वाले लोगों का कहना है कि सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के प्रमोशन की आड़ में अपना प्रमोशन करने की तरकीब जुटा कर राजीव गुप्ता ने मौके को पहचानने में तथा उसका इस्तेमाल करने में तो कोई गलती नहीं की, लेकिन उन्होंने जो तरीका अपनाया उससे उन्होंने अपने लिए भी और सतीश सिंघल के लिए भी मुश्किल खड़ी कर ली हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार के प्रमुख लोगों के रोटरी क्लब नोएडा के प्रमुख लोगों के साथ नजदीकी और व्यावहारिक दोस्ती के संबंध रहे हैं और इस नाते से सतीश सिंघल को रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार का समर्थन मिलना लगभग तय माना जा रहा है । राजीव गुप्ता लेकिन जिस तरह से सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के झंडावरदार बन कर अपना काम बनाने की जुगत में लगे हैं उससे रोटरी क्लब दिल्ली मयूर विहार दो खेमों में बँटने की कगार पर बढ़ता दिखने लगा है - और इसके चलते सतीश सिंघल के इस मजबूत किले में प्रसून चौधरी के लिए सुरंग बनने की आहट सुनाई देने लगी है । राजीव गुप्ता को नजदीक से जानने वाले लोगों को हैरानी इस बात की है कि राजीव गुप्ता तो बहुत सुलझे हुए और व्यवहारकुशल व्यक्ति हैं - तब फिर उन्होंने ऐसी चूक आखिर क्यों कर दी जिसके चलते उन्हें अपने नजदीकियों और समर्थकों की आलोचना तक का शिकार होना पड़ रहा है ।