नई दिल्ली । लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में चल रहे झगड़े में अचानक से देश भर के लायन नेताओं की दिलचस्पी बढ़ गई है । मजे
की बात लेकिन यह है कि इस दिलचस्पी के बावजूद कोई भी यह नहीं जानना चाहता
कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में झगड़ा क्या है; हर किसी की कोशिश सिर्फ यह
जानने की है कि इस झगड़े में नरेश अग्रवाल की भूमिका क्या है ?
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर बढ़ रहे नरेश अग्रवाल के लिए मुसीबत की
बात यह हुई है कि वह जितना ज्यादा लोगों को यह जताने/बताने की कोशिश कर
रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के झगड़े से उनका कुछ भी लेना/देना नहीं
है, उतना ही उनका नाम उक्त झगड़े में फँसता जा रहा है । नरेश अग्रवाल उक्त
झगड़े में अपनी संलग्नता की चर्चा से परेशान तो हैं, लेकिन चूँकि यह परेशानी
उन्होंने खुद ही मोल ली है - इसलिए इस परेशानी को लेकर वह किसी अन्य लायन सदस्य की हमदर्दी
भी नहीं जुटा पा रहे हैं । नरेश अग्रवाल इस परेशानी में अचानक से नहीं
पड़े हैं - डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में के झगड़े के एक पक्ष के मुखिया हर्ष
बंसल लगातार नरेश अग्रवाल से मदद मिलने के दावे करते रहे हैं, लेकिन नरेश
अग्रवाल ने कभी भी न तो उनके दावों का खंडन ही किया और न ही हर्ष बंसल को
इस तरह के दावे करने से रोका ।
नरेश अग्रवाल से मदद मिलने के हर्ष बंसल के दावे पर पहले तो अधिकतर लोग
विश्वास नहीं करते थे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर
मामले में हर्ष बंसल के दावे को लोगों ने जिस तरह सच होते हुए देखा - उससे उन्हें लगा कि तमाम मामलों में हर्ष बंसल भले ही झूठ बोलते हों, किंतु नरेश अग्रवाल से मदद मिलने के उनके दावे में सच्चाई है ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर में
कॉन्सीलेटर-चेयरपरसन
के रूप में जगदीश गुलाटी ने शिकायती पक्ष की तरफ से कॉन्सीलेटर के रूप में
दिए गए हर्ष बंसल के नाम को स्वीकार करने से पहले इंकार कर दिया था । इस
इंकार पर हर्ष बंसल ने पहले तो जगदीश गुलाटी को जमकर गलियाया और फिर लोगों
को बताया कि जगदीश गुलाटी के इंकार करने से क्या होता है, उनकी नरेश
अग्रवाल से बात हो चुकी है और नरेश अग्रवाल उन्हें शिकायती पक्ष की तरफ से
कॉन्सीलेटर के रूप में उनकी उपस्थिति को मंजूर करवायेंगे । किसी को भी
हर्ष बंसल के इस दावे पर भरोसा नहीं हुआ । किसी के लिए भी यह विश्वास
करना मुश्किल हुआ कि नियमों का हवाला देकर शिकायती पक्ष की तरफ से
कॉन्सीलेटर के रूप में
हर्ष बंसल के नाम को स्वीकार करने से इंकार करने वाले जगदीश गुलाटी - हर्ष
बंसल की गालियाँ सुनने के बाद उनके नाम को स्वीकार कर लेंगे । लेकिन जब
मीटिंग में हर्ष बंसल को शिकायती पक्ष की तरफ से बैठे देखा गया, तो लोगों
ने जान लिया कि हर्ष बंसल के साथ नरेश अग्रवाल के कुछ ज्यादा ही गहरे
रिश्ते हैं ।
नरेश अग्रवाल के साथ अपने गहरे रिश्ते का परिचय हर्ष बंसल ने
विजय शिरोहा के मल्टीपल काउंसिल सेक्रेटरी बनने की संभावना में रोड़ा डाल कर
भी दिया था । उल्लेखनीय है कि मल्टीपल काउंसिल के पदों के बँटवारे को लेकर
पकने वाली खिचड़ी में एक मौके पर डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के तत्कालीन
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के सेक्रेटरी बनने की बात चली थी । तत्कालीन
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन जितेंद्र सिंह चौहान द्धारा विजय शिरोहा की
वकालत करने का जिक्र सुना गया था । इस जिक्र से हर्ष बंसल के नेतृत्व वाले
विजय शिरोहा विरोधी खेमे के लोगों के तो तोते उड़ गए थे । हर्ष बंसल ने
उस समय भी दावा किया था कि वह नरेश अग्रवाल से कहेंगे कि विजय शिरोहा को
मल्टीपल काउंसिल में कोई पद नहीं मिलना चाहिए । मल्टीपल काउंसिल के पदों की
बंदरबाँट में जितेंद्र सिंह चौहान की चौधराहट चलने की चर्चा तो खूब सुनी
गई थी, किंतु जितेंद्र सिंह चौहान के चाहने के बावजूद विजय शिरोहा को
मल्टीपल काउंसिल में कोई पद नहीं मिल पाया । हर्ष बंसल ने ही लोगों को
बताया कि विजय शिरोहा के सेक्रेटरी बनने की राह में नरेश अग्रवाल ने ही
रोड़ा अटकाया और ऐसा उनके कहने पर ही किया ।
लेकिन जो हर्ष बंसल, नरेश अग्रवाल से कोई भी काम करवा लेने का दावा अभी हाल तक करते रहे हैं - और काम करवा कर 'दिखाते' भी
रहे हैं; वही हर्ष बंसल अब विक्रम शर्मा की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट
गवर्नरी को लायंस इंटरनेशनल से हरी झंडी न मिल पाने के लिए नरेश अग्रवाल को
कोस रहे हैं । हालाँकि विक्रम शर्मा की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट
गवर्नरी पर जो संकट छाया, वह अचानक से ही आया और विक्रम शर्मा तथा उनके
समर्थकों को सँभलने का वास्तव में मौका तक नहीं मिला; किंतु हर्ष बंसल का
रोना है कि नरेश अग्रवाल ने मामले में पर्याप्त दिलचस्पी नहीं ली ।
हर्ष बंसल के अनुसार, सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में लायंस
इंटरनेशनल के इंग्लिश लैंग्वेज डिपार्टमेंट में नाम चढ़वाने का आईडिया नरेश
अग्रवाल ने ही दिया था । हर्ष बंसल की शिकायत है कि आईडिया तो नरेश अग्रवाल
ने दिया किंतु आईडिया को सफल बनवाने में उन्होंने कोई मदद नहीं की । नरेश
अग्रवाल की तरफ से हालाँकि उनसे कहा गया है कि उन्हें इस बात का आभास नहीं
था कि इंग्लिश लैंग्वेज डिपार्टमेंट में उक्त काम नहीं हो पायेगा;
अन्यथा वह जरूर तैयारी करते । यानि नरेश अग्रवाल के ओवर-कॉन्फीडेंस ने
विक्रम शर्मा का काम बिगाड़ दिया और इसीलिए हर्ष बंसल, नरेश अग्रवाल को कोस
रहे हैं ।
नरेश अग्रवाल के लिए ऐसे में दोहरी मुसीबत हो गई है - एक तरफ तो
उन्हें यह सोचना पड़ रहा है कि वह कैसे विक्रम शर्मा की सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर ताजपोशी करवाएँ और दूसरी तरफ वह लोगों को यह
विश्वास दिलाने में लगे हैं कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को लेकर मचे झगड़े में उनका कुछ भी लेना देना नहीं है । नरेश
अग्रवाल की मुसीबत इससे भी बड़ी यह है कि जिन लोगों को उनके 'कुछ भी नहीं
लेने देने' वाले दावे पर विश्वास है भी, उनका कहना/पूछना यह है कि उन्हें
उक्त मामले से लेना देना आखिर क्यों नहीं है ? इन लोगों का ही
कहना/पूछना है कि नरेश अग्रवाल लायंस आंदोलन के मुखिया होने की जुगाड़ में
हैं और अपने ही मल्टीपल के एक डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से झगड़े को सुलटवाने
में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । ऐसे में उनसे लीडरशिप की क्या उम्मीद
की जाये भला ? देश भर के लायन नेताओं की दिलचस्पी दरअसल इसीलिए यह जानने
को लेकर पैदा हुई है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में मचे झगड़े में नरेश
अग्रवाल की भूमिका आखिर है क्या ? झगड़े में उनकी कोई भूमिका सचमुच में है या नहीं - और अगर नहीं है, तो क्यों नहीं है ? भूमिका न होने के पीछे, मामले को हल करने/करवाने में दिलचस्पी न लेने के पीछे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की जुगाड़ में लगे नरेश अग्रवाल की मजबूरी आखिर क्या है ?