Tuesday, August 5, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में '24 घंटे वाले' सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन कर विक्रम शर्मा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर बढ़ रहे नरेश अग्रवाल की खासी फजीहत कराई है

नई दिल्ली । विक्रम शर्मा ने '24 घंटे वाले' सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का लायंस इंटरनेशनल में अनोखा रिकॉर्ड बनाया है । उल्लेखनीय है कि तीन अगस्त को डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री की कैबिनेट मीटिंग में उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुना गया था, लेकिन चार अगस्त को लायंस इंटरनेशनल ने इस चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया । इस प्रकरण ने एक तरफ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता की और दूसरी तरफ इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर बढ़ रहे नरेश अग्रवाल की खासी किरकिरी करवाई है । तीन अगस्त को दिल्ली में आयोजित हुई कैबिनेट मीटिंग में लायनिज्म के नैतिकता और व्यावहारिकता के उच्च आदर्शों की धज्जियाँ उड़ाते हुए विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनने का जो 'नाटक' किया गया उसे लायंस इंटरनेशनल ने स्वीकार करने से इंकार करते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता को लिखित में हिदायत दी है कि उनके अगले आदेश तक सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी पर किसी को बैठाने की कवायद वह न करें । लायंस इंटरनेशनल द्धारा दिए गए इस आदेश के कारण विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की सारी कसरत बेकार हो गई है । इस कवायद के रचयिता और सूत्रधार हर्ष बंसल तो हालाँकि पहले से ही बदनाम हैं - लेकिन इस कवायद को संभव होने देने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट में और डिस्ट्रिक्ट के बाहर के लायन नेताओं के बीच अपने मुँह पर जो कालिख पुतवाई है, वह बड़ी अनोखी घटना है । नरेश गुप्ता और हर्ष बंसल की जोड़ी लायंस इंटरनेशनल के इस फैसले के लिए नरेश अग्रवाल को कोस रहे हैं ।
नरेश अग्रवाल की शह पर हर्ष बंसल और नरेश गुप्ता की जोड़ी ने विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी को दिलवाने की व्यवस्था तो ठीक की थी, किंतु लायंस इंटरनेशनल ने उनकी व्यवस्था का कबाड़ा कर दिया है । इस खेल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता की जैसी फजीहत हुई है, वह अपने आप में खासा मजेदार किस्सा है । नरेश गुप्ता के अलावा लायन राजनीति के इतिहास में ऐसा उदाहरण दूसरा नहीं मिलेगा जिसमें एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने अपनी कैबिनेट का गठन यह ध्यान में रखकर नहीं किया कि कौन कौन उसके गवर्नर-काल को अच्छे से संचालित करने में मददगार होगा, बल्कि इस आधार पर किया कि कौन कौन सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी पर उनकी मर्जी के व्यक्ति को बैठाने में कठपुतली की तरह उनके मददगार साबित होंगे । अब लायनिज्म में राजनीति होती है तो वह होगी ही और नरेश गुप्ता को भी यह हक़ है कि वह अपनी राजनीति करें - और खूब करें । उनसे यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि वह राजनीति न करें - लेकिन उनसे यह उम्मीद भी की ही जायेगी कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी का भी निर्वाह करें । नरेश गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जिस तरह डिस्ट्रिक्ट के धंधेबाज नेताओं के सामने घुटने टेक दिए हैं और सिर्फ एक कठपुतली बन कर रह गए हैं - उससे लायनिज्म को, डिस्ट्रिक्ट को और अपने आप को उन्होंने कलंकित ही किया है । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली जगह का मामला चूँकि अदालत में चला गया है, इसलिए नरेश गुप्ता को उस जगह के लिए चुनाव करवाना ही नहीं चाहिए था । नरेश गुप्ता ने फिर भी चुनाव करवा दिया, तब लायंस इंटरनेशनल को उनके कान उमेठने के लिए आगे आना पड़ा ।
कैबिनेट के लिए सदस्यों का चुनाव करना यूँ तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का विशेषाधिकार है और इसके तहत वह जिसे चाहे उसे कैबिनेट में ले सकता है; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आमतौर पर ऐसे लोगों को ही अपनी कैबिनेट के लिए चुनता है जो उसकी राजनीति को सहारा देते हैं - इस 'स्थिति' को व्यापक स्वीकार्यता मिली हुई है; लेकिन नरेश गुप्ता ने तो सारी हदें ही पार कर दीं । नरेश गुप्ता ने कैबिनेट में ऐसे ऐसे लोगों को लिया जिन्हें डिस्ट्रिक्ट में या कोई जानता तक नहीं और या जो किसी की पत्नी, किसी के बेटे के रूप में जाने/पहचाने जाते हैं । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हर्ष बंसल की पत्नी और बेटे को कैबिनेट में लिया गया; एक और पूर्व गवर्नर पुरुषोत्तम गोयल के क्लब में सदस्य तो कुल पाँच हैं लेकिन इन पाँच में एक उनकी पत्नी को भी कैबिनेट में लिया गया । एक कठपुतली कैबिनेट का हिस्सा बनने में ओंकार सिंह रेनु ने अपनी जैसी जो फजीहत कराई है, वह भी एक दिलचस्प उदाहरण है । लायंस क्लब दिल्ली राजौरी गॉर्डन के सदस्य ओंकार सिंह रेनु की पहचान डिस्ट्रिक्ट के एक अच्छे और सक्रिय लायन के रूप में है; पिछले लायन वर्ष में वह रीजन चेयरपरसन थे - इस वर्ष उन्हें जोन चेयरपरसन बना दिया गया । डिस्ट्रिक्ट में इससे पहले के वर्षों में रीजन चेयरपरसन रहे लायन सदस्य की ऐसी बेइज्जती कभी नहीं हुई । अब यह सिर्फ इसलिए हुई ताकि कैबिनेट में कठपुतलियों की संख्या को पूरा किया जा सके । कई लोगों को ओंकार सिंह रेनु के इस रवैये पर हैरानी हुई है । उनका कहना है कि उन्हें विश्वास नहीं था कि ओंकार सिंह रेनु इस हद तक गिर सकते हैं और अपनी ऐसी बेइज्जती कराने के लिए तैयार हो सकते हैं ?
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजिंदर बंसल ने इस मामले को जिस नजरिये से देखा है उसने तो नरेश गुप्ता के लिए मुँह छिपाने तक के लिए जगह नहीं छोड़ी है । राजिंदर बंसल ने सवाल उठाया है कि खुद नरेश गुप्ता जिस 'तरह' से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी पर आये थे, उसी 'तरह' से उन्होंने अब सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी को भरने का काम क्यों नहीं किया ? राजिंदर बंसल ने जो तर्क दिया है उसके संदर्भ में याद करना प्रासंगिक होगा कि दो वर्ष पहले जब सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी को भरने का मौका आया था तब अलग-अलग खेमों के पूर्व गवर्नर्स ने मिल बैठ कर नरेश गुप्ता के नाम पर सहमति बना ली थी । हालाँकि राजनीति तब भी बहुत हुई थी और ओंकार सिंह रेनु को उक्त खाली कुर्सी पर बैठाने के लिए पर्दे के आगे-पीछे कई कुटिल चालें चली गईं थीं; लेकिन अंततः लायनिज्म की मूल भावना तथा उसके उच्च नैतिक आदर्शों व व्यावहारिकताओं को खंडित नहीं होने दिया गया था । राजिंदर बंसल का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते नरेश गुप्ता की यह जिम्मेदारी थी कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली जगह को भरने के लिए वह ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे डिस्ट्रिक्ट की, लायनिज्म की और खुद उनकी बदनामी हो । अन्य कई लोगों को भी लगता है कि नरेश गुप्ता और हर्ष बंसल की जोड़ी जो भी कुछ करना चाहती, उसे कर ही लेती - पूर्व गवर्नर्स समूह में भी उन्हें बहुमत प्राप्त है और कैबिनेट में भी वह अपना बहुमत बना सकते थे; और उन्हें वह छिछोरपन करने की जरूरत ही नहीं थी जो उन्होंने किया ।
नरेश गुप्ता और हर्ष बंसल की जोड़ी ने डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में जो छिछोरपन किया, उसने नरेश अग्रवाल की और फजीहत कराई है । मल्टीपल 321 के तथा दूसरे मल्टीपल्स के लोगों को कहने का मौका मिला है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर बढ़ रहे नरेश अग्रवाल कैसे लीडर हैं, जो अपने मल्टीपल के एक डिस्ट्रिक्ट में एक छोटे से झगड़े को ख़त्म नहीं करवा पा रहे हैं जिसके चलते लायनिज्म का एक मामूली-सा विवाद कोर्ट-कचहरी तक जा पहुँचा है । डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के झगड़े ने नरेश अग्रवाल की लीडरशिप पर ही सवाल खड़े करने के हालात बना दिए हैं । कुछेक लोगों को लगता है कि इस झगड़े की जड़ में नरेश अग्रवाल ही हैं; जिन्होंने अपने प्रयत्नों से झगड़ा तो इसलिए पड़वाया ताकि दोनों खेमों के लोग उनके आगे-पीछे रहे, लेकिन अब यह झगड़ा उनकी पकड़ से बाहर जा पहुँचा है और उनकी भी किरकिरी करवा रहा है ।