Saturday, November 19, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में मुकेश गोयल को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का उम्मीदवार बनाने की आड़ में चौधराहट दिखाने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग की कोशिश में इंदरजीत सिंह ने अड़ंगा डाला

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग ने यशपाल अरोड़ा के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी से पीछे हटते ही जिस फुर्ती के साथ उनकी जगह मुकेश गोयल को उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है, उस पर फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंदरजीत सिंह द्धारा अपनी नाराजगी दिखाए जाने के कारण सत्ता खेमे में मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर असमंजस पैदा हो गया है । सत्ता खेमे के एक बड़े नेता ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि इंदरजीत सिंह की तरफ से कहा गया है कि मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर लोगों के बीच जो सवाल उठ रहे हैं, उन पर विचार किए बिना उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने से लोगों के बीच गलत संदेश जायेगा और उसका नुकसान उठाना पड़ सकता है । इंदरजीत सिंह चाहते हैं कि मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर उठने वाले सवालों पर खुले मन से विचार-विमर्श करके तथा संभावित लाभ-हानी का आकलन करके ही मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को प्रोजेक्ट करने का काम शुरू किया जाए । इंदरजीत सिंह के इस रवैये से सत्ता खेमे के लोगों में ही मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर असमंजसता पैदा हो गई है । सत्ता खेमे के ही कुछेक लोगों का कहना हालाँकि यह भी है कि इंदरजीत सिंह दरअसल अपनी इंपोर्टेंस दिखाने/जताने के लिए यह नाटक कर रहे हैं, और सभी जल्दी ही देखेंगे कि उनके हाथ में भी मुकेश गोयल की उम्मीदवारी का झंडा होगा । इंदरजीत सिंह के नजदीकियों का कहना है कि वास्तव में मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर इंदरजीत सिंह को कोई समस्या या शिकायत नहीं है; उनका दुःख और विरोध सिर्फ इस बात को लेकर है कि उन्हें अलग-थलग रख कर विनय गर्ग ने अकेले ही मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को प्रमोट करना शुरू कर दिया । विनय गर्ग की इस कार्रवाई में इंदरजीत सिंह को अपनी तौहीन लगी, जिसकी प्रतिक्रिया में उन्हें यह दिखाना/जताना जरूरी लगा कि विनय गर्ग उन्हें अलग-थलग करके अकेले ही कोई फैसला नहीं ले सकते हैं ।
इस कारण से इंदरजीत सिंह के अड़ंगा डालने के रवैये को मुकेश गोयल के लिए नहीं, बल्कि विनय गर्ग के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है । सत्ता खेमे के दूसरे कई लोगों का भी मानना/कहना है कि विनय गर्ग को अकेले ही मनमाने तरीके से मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को हरी झंडी नहीं दे देनी चाहिए थी - और मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को सत्ता खेमे के सामूहिक फैसले के रूप में ही 'दिखना' चाहिए था । विनय गर्ग ने मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को घोषित करने में जो जल्दीबाजी व मनमानी की, उसके लिए दो कारणों को पहचाना गया है : ऐसा करके विनय गर्ग एक तो डिस्ट्रिक्ट में अपनी चौधराहट दिखाना चाहते थे, और दूसरे उन्हें 27 नवंबर को करनाल में होने वाली सेकेंड कैबिनेट मीटिंग के लिए 'मददगार' जुटाने की जल्दी थी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मददगार के रूप में सबसे पहले उम्मीदवार को ही 'पकड़ता' है । अभी तक यशपाल अरोड़ा ने विनय गर्ग के मददगार की भूमिका निभाई हुई थी, किंतु अचानक से स्वास्थ्य बिगड़ जाने से उनके उम्मीदवारी छोड़ देने से विनय गर्ग के सामने एक अदद मददगार की जरूरत आन पड़ी । लिहाजा जैसे ही मुकेश गोयल ने मददगार 'बनने' का ऑफर दिया, विनय गर्ग ने आव देखा न ताव - फौरन से मुकेश गोयल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया । जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि विनय गर्ग के इस रवैये में इंदरजीत सिंह को अपनी तौहीन दिखी, फलस्वरूप उन्होंने इसमें अड़ंगा डाल दिया ।
इंदरजीत सिंह को अड़ंगा डालने का मौका भी आसानी से मिल गया । मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर मुख्यतः दो आपत्तियाँ चर्चा में रहीं - गंभीर आपत्ति यह रही कि उम्मीदवार बनने के लिए उन्होंने हरियाणा के क्लब से दिल्ली के क्लब में ट्रांसफर लिया है, और इस तरह डिस्ट्रिक्ट में बने हरियाणा व दिल्ली के बीच बारी बारी से गवर्नर बनने के फार्मूले के साथ उन्होंने धोखा किया । मुकेश गोयल की तरफ से जो तथ्य दिए/बताए गए, उन्होंने इस आरोप की धार को हालाँकि कुंद कर दिया है । बताया गया कि मुकेश गोयल करीब डेढ़ वर्ष पहले ही सोनीपत से दिल्ली आ गए थे, और सोनीपत की बजाए, दिल्ली में ज्यादा सक्रिय थे । दिल्ली में उनकी सक्रियता के कारण ही वह लायंस ब्लड बैंक के ट्रेजरार बने/बनाए गए । दिल्ली में सक्रियता के कारण ही उन्होंने लायंस क्लब दिल्ली नॉर्थ एक्स में ट्रांसफर ले लिया था, और यह तभी ले लिया था जब यशपाल अरोड़ा ही उम्मीदवार थे । इन तथ्यों का हवाला देते हुए मुकेश गोयल की तरफ से कहा गया कि इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि उन्होंने उम्मीदवार बनने के लिए क्लब बदला है । दूसरी आपत्ति यह रही कि लायंस ब्लड बैंक के ट्रेजरार पद की जिम्मेदारी संभालते हुए वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की भी जिम्मेदारी कैसे सँभालेंगे ? इसका जबाव मुकेश गोयल के नजदीकियों की तरफ से आया; जिनका कहना रहा कि उन्होंने मुकेश गोयल की क्षमताओं को नजदीक से देखा/पहचाना है, और जानते हैं कि मुकेश गोयल ने अपना जीवन जिस तरह से सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित किया हुआ है - उसके कारण उनके लिए दोनों पदों की जिम्मेदारी सँभालना उनके लिए मुश्किल नहीं होगा । अन्य कई लोगों का यह भी कहना रहा कि मुकेश गोयल दोनों पदों को एक दूसरे के पूरक के रूप में इस्तेमाल करने की काबिलियत भी रखते हैं, और उनके गवर्नर होने से लायंस ब्लड बैंक का काम बढ़ेगा भी और व्यवस्थित भी होगा । इस तरह, मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर जो दो प्रमुख आपत्तियाँ चर्चा में आईं - वह ज्यादा समय टिक तो नहीं पाईं; लेकिन विनय गर्ग को झटका देने के लिए इंदरजीत सिंह ने उनका बेहतर इस्तेमाल जरूर कर लिया ।
सत्ता खेमे के लोगों का भी मानना और कहना है कि इंदरजीत सिंह के रवैये से सत्ता खेमे में मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर थोड़ा असमंजस जरूर पैदा हुआ है, लेकिन इस असमंजस को जल्दी ही दूर कर लिया जाएगा । सत्ता खेमे के लोगों का ही मानना और कहना है कि इंदरजीत सिंह के निशाने पर चूँकि मुकेश गोयल की उम्मीदवारी नहीं, बल्कि विनय गर्ग की चौधराहट है - और विनय गर्ग की तरफ से भी इंदरजीत सिंह के रवैये को लेकर कोई तीखी टिप्पणी नहीं आई है, इसलिए उम्मीद की जाती है कि मामले को जल्दी ही हल कर लिया जाएगा । दरअसल विनय गर्ग भी इस मामले को बढ़ाना/बढ़वाना नहीं चाहते हैं और वह इंदरजीत सिंह की इस बात को मानने के लिए राजी हैं कि मुकेश गोयल की उम्मीदवारी को लेकर जो सवाल हैं, उन पर सामूहिक रूप से बात कर ली जाए । असल में, विनय गर्ग मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की अपनी उम्मीदवारी के चक्कर में इंदरजीत सिंह से ज्यादा पंगा लेने की स्थिति में हैं भी नहीं, और वह खुशी खुशी इंदरजीत सिंह की बात को मान ही लेंगे । इससे सत्ता खेमे के लोगों के साथ-साथ मुकेश गोयल की उम्मीदवारी के समर्थकों को भी विश्वास हो चला है कि मुकेश गोयल की उम्मीदवारी पर छाए असमंजसता के बादल जल्दी ही छंट जायेंगे । लोगों का यह भी कहना है कि विनय गर्ग जल्दीबाजी न करते और चतुराई न दिखाते, तो मामला बिगड़ता भी नहीं ।