Wednesday, November 30, 2016

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में मुकेश गोयल के नेतृत्व में आयोजित हुए लीडरशिप सेमीनार की कामयाबी ने डिस्ट्रिक्ट, मल्टीपल और लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों व नेताओं तक को प्रभावित किया

गाजियाबाद । मुकेश गोयल की प्रेरणा से और उनके नेतृत्व में संपन्न हुए लीडरशिप सेमीनार की सफलता की लगातार फैलती खबरों ने लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों तक को जिस तरह से चौंकाया और प्रभावित किया है - उसके चलते लायन लीडर के रूप में अजय सिंघल, विनय मित्तल तथा संजीवा अग्रवाल की पहचान व साख में गुणात्मक वृद्धि हुई है । अजय सिंघल व विनय मित्तल क्रमशः फर्स्ट व सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, जबकि संजीवा अग्रवाल इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार हैं । इन तीनों ने मुकेश गोयल के दिशा-निर्देशन में जिस तरह से लीडरशिप सेमीनार की व्यवस्था को अंजाम दिया और तमाम प्रतिकूल चुनौतियों के बावजूद उसे कामयाब बनाया, उसे देख/जान कर लायंस इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारी व लीडर्स डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के भविष्य के प्रति आश्वस्त हुए हैं । लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों व लीडर्स के लिए चौंकने व प्रभावित होने का कारण दरअसल यह रहा कि जिस परिस्थिति में मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के पदाधिकारियों को अपनी मीटिंग को कर सकना मुश्किल हुआ, और मुश्किलों के कारण जिन्हें मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग को स्थगित कर देने के लिए मजबूर होना पड़ा - ठीक उसी परिस्थिति में डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में मुकेश गोयल तथा डिस्ट्रिक्ट के भावी पदाधिकारियों ने एक बड़ा सेमीनार पूरी गरिमा, व्यवस्था तथा लोगों की सक्रिय संलग्नता के साथ संभव कर लिया । मजे की बात यह भी रही कि डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में ही, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के आयोजनों में जहाँ उपस्थिति कभी भी डेढ़ सौ - दो सौ से ज्यादा नहीं हो पाई, वहाँ लीडरशिप सेमीनार में 407 लोग शामिल हुए - और अपनी जेब से पैसा देकर शामिल हुए ।
दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स, दूसरे मल्टीपल्स तथा लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के सामने यही सवाल चुनौती बना हुआ है कि जिस परिस्थिति में मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग कर पाना संभव नहीं हो सका, ठीक उसी परिस्थिति में मुकेश गोयल और उनके सहयोगियों ने इतना बड़ा आयोजन कैसे कर लिया ? कार्यक्रम हुए दस दिन होने जा रहे हैं, लेकिन उसकी कामयाबी के चर्चे थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं - बल्कि हो यह रहा है कि चर्चे रोज़ नई नई जगह तथा नए नए लोगों के पास पहुँच रहे हैं । दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स व दूसरे मल्टीपल्स के प्रमुख लोगों का कहना है कि उन्होंने लायन-व्यवस्था में बड़े बड़े आयोजन होते हुए देखे/सुने हैं, लेकिन मसूरी में आयोजित हुए लीडरशिप सेमीनार को जैसी कामयाबी मिली है - वह लायनिज्म के इतिहास का अनोखा और ऐतिहासिक उदाहरण है । लायंस इंटरनेशनल के बड़े और प्रमुख पदाधिकारियों ने इस कामयाबी को लायनिज्म के प्रति लोगों के लगाव व जुड़ाव से जोड़ कर देखा/पहचाना है । उनके अनुसार, 19/20 नवंबर को मसूरी में हुए लीडरशिप सेमीनार की सफलता का आधार सिर्फ यह नहीं है कि इंतजाम अच्छा था और वहाँ बहुत से लोग जुटे/पहुँचे; बल्कि सफलता का आधार यह है कि लीडरशिप के मुद्दों पर बात करने के लिए दो दिवसीय आवासीय कार्यक्रम करने के बारे में पहले तो सोचा गया, और फिर इस सोच को क्रियान्वित किया गया - यह बात इसलिए बड़ी है क्योंकि अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में इस तरह के उपयोगी व प्रासंगिक विषयों पर चर्चा के लिए दो-तीन घंटे के कार्यक्रम ही होते देखे/सुने गए हैं ।
लोगों को इससे भी बड़ी बात यह लगी है कि इस लीडरशिप सेमीनार के आयोजन से जुड़े लोगों ने अपनी अपनी मुश्किलों के बीच इस तरह के आयोजन के बारे में सोचा और फिर उसे संभव बनाया : आयोजन के प्रेरणास्रोत मुकेश गोयल गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं; फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल को सात महीने में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी सँभालनी है, जिसके लिए उन्हें अभी से तैयारी में जुटना है; लायन-व्यवस्था में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कोई खास भूमिका न होने के कारण विनय मित्तल के पास न कोई अधिकार हैं और न  जिम्मेदारी; इस वर्ष के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में संजीवा अग्रवाल के सामने चुनौती बिलकुल अलग तरह की है । अलग अलग तरह की चुनौतियों व मुश्किलों का सामना करते हुए भी इन चारों का 'लीडरशिप' जैसे महत्त्वपूर्ण व गूढ़ विषय पर सेमीनार करने के बारे में सोचना, विषय पर गंभीरता से बात हो सके इसके लिए दो दिन का समय निर्धारित करना, आयोजन के खर्चे में भागीदारों की हिस्सेदारी तय करना, आदि बड़े 'खतरे' के काम थे । 'खतरे' का यह काम ऐसे समय करने के बारे में सोचना - जबकि डिस्ट्रिक्ट में पैसे उगाहने और बकलोली करने को ही लायनिज्म समझा और बनाया हुआ है । डर यही था कि डिस्ट्रिक्ट में लायनिज्म के नाम पर ठगे जा रहे तथा लफंगई का शिकार बन रहे लोग एक गंभीर किस्म के आयोजन में शामिल होना भी चाहेंगे क्या ? लीडरशिप सेमीनार में 407 लोगों की उपस्थिति यह बताने के लिए पर्याप्त है कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने न सिर्फ मुकेश गोयल, अजय सिंघल, विनय मित्तल और संजीवा अग्रवाल पर भरोसा किया/दिखाया - बल्कि यह भी साबित किया कि लायनिज्म की बुनियादी व वास्तविक पहचान के प्रति उनमें गहरी आस्था है ।
खास बात यह रही कि लायनिज्म के प्रति लोगों की इस आस्था को डिगाने के प्रयास भी खूब हुए और खुद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी ने झूठ और फरेब का सहारा लेकर लोगों को लीडरशिप सेमीनार में जाने से रोकने की कोशिश की । लीडरशिप सेमीनार में लोगों को जाने से रोकने के लिए डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर योगेश सोनी के नाम पर फर्जीवाड़ा करके उन्हीं तारीखों में ताशकंद/उज़्बेकिस्तान के एक फेलोशिप टूर की योजना बना डाली । शिव कुमार चौधरी की कोशिश तो सफल नहीं ही हुई, अपनी धोखाधड़ी की योजना में अपने एक कलीग डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के नाम को इस्तेमाल करने के कारण मल्टीपल के पदाधिकारियों तथा अन्य लोगों के बीच उनकी फजीहत हुई - सो अलग ।
तमाम प्रतिकूल दबावों के बावजूद लीडरशिप सेमीनार को जो सफलता मिली, उसकी चर्चा में संजीवा अग्रवाल की भूमिका को भी खासी दिलचस्पी के साथ देखा/पहचाना जा रहा है । लायन राजनीति में आमतौर पर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार को लोगों के बीच 'गुडी गुडी' बने रहने का प्रयास करते हुए देखा जाता है, जो लायनिज्म के बुनियादी व वास्तविक सरोकार से दूर रहने में ही अपनी 'भलाई' देखता है - लेकिन इसके ठीक विपरीत आचरण करते/दिखाते हुए संजीवा अग्रवाल ने लीडरशिप सेमीनार में अपनी सक्रिय संलग्नता का उदाहरण प्रस्तुत किया । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में संजीवा अग्रवाल ने चूँकि शुरू से ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी उपस्थिति व सक्रियता को दिखाया हुआ है, इसलिए लीडरशिप सेमीनार के आयोजन में उनकी संलग्नता पर डिस्ट्रिक्ट में तो किसी को हैरानी नहीं हुई - किंतु लीडरशिप सेमीनार की सफलता से परिचित होने वाले दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों तथा लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने उनकी संलग्नता को विशेष रूप से रेखांकित किया है । संजीवा अग्रवाल दूसरे कुछेक डिस्ट्रिक्ट्स के अधिष्ठापन समारोहों में भी चूँकि शामिल हुए हैं, इसलिए मल्टीपल के लोगों के बीच वह सक्रिय लायन के रूप में पहले से भी पहचाने जाते हैं । लीडरशिप सेमीनार में उनकी सक्रिय संलग्नता ने उनकी पहचान को और गाढ़ा बनाने का ही काम किया है ।
लीडरशिप सेमीनार की जोरदार और बहुआयामी कामयाबी ने डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक परिदृश्य में भी खासी हलचल मचाई है । इसकी कामयाबी को लेकर सशंकित रहने के चलते जो नेता इस आयोजन से दूर रहे, उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ है । इसे मिली कामयाबी के राजनीतिक 'संदेश' को पढ़ते/समझते हुए कई नेताओं के बीच पाला बदलने की सरसराहट सुनी जा रही है । लायन व्यवस्था में कम ही आयोजन हुए हैं, जिन्होंने चौतरफा अपना प्रभाव बनाया/छोड़ा हो । लीडरशिप सेमीनार की कामयाबी को डिस्ट्रिक्ट में, मल्टीपल में और लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों व नेताओं के बीच जिस प्रकार की चर्चा मिली है - उससे जाहिर/साबित है कि लीडरशिप सेमीनार की सफलता ने डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की सीमाओं से परे भी लोगों को प्रभावित किया है ।