गाजियाबाद ।
निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को अपनी तरफ करने के लिए मुकेश
अरनेजा ने जिस तरह जमीन-आसमान एक किया हुआ है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट की
चुनावी राजनीति में जेके गौड़ के भाव यकायक बहुत बढ़ गए हैं । दरअसल
मुकेश अरनेजा ने पाया है कि खासतौर से गाजियाबाद तथा आमतौर से उत्तर
प्रदेश में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन कुछेक गिने-चुने
क्लब्स तक ही सीमित है; यहाँ सुभाष जैन ने जो फील्डिंग सजाई हुई है, उसके
चलते मुकेश अरनेजा को यहाँ दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन बढ़ाना
मुश्किल नज़र आ रहा है । ऐसे में, मुकेश अरनेजा की निगाह जेके गौड़ पर पड़ी है
। प्रतिद्धंद्धी खेमे में वह जेके गौड़ को एक ऐसी कमजोर कड़ी के रूप में देख
रहे हैं, जिसे आसानी से तोड़ा जा सकता है । मुकेश अरनेजा को उम्मीद है कि
जेके गौड़ यदि उनके साथ आ जाते हैं, तो दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए
दो-तीन क्लब्स के समर्थन का इजाफ़ा हो जायेगा । इस मामले में विडंबना की बात
लेकिन यह है कि मुकेश अरनेजा जिन दीपक गुप्ता के लिए जेके गौड़ को पटाने की
कोशिश कर रहे हैं, वही दीपक गुप्ता - जेके गौड़ के 'पटने' में बाधा बने हुए
हैं । दरअसल जेके गौड़ इस बात को अभी तक भूले नहीं हैं कि जब वह उम्मीदवार
थे, तब दीपक गुप्ता ने उन्हें बार-बार लगातार किस तरह से अपमानित किया था ।
उस समय के अपने व्यवहार के लिए दीपक गुप्ता हालाँकि जेके गौड़ से हाल के
दिनों में कई बार माफी माँग चुके हैं, लेकिन जेके गौड़ की तरफ से उन्हें माफ़
कर देने वाला संदेश मिला नहीं है । इसलिए, एक अच्छे पैकेज के ऑफर के साथ
जेके गौड़ को 'खरीदने' का जिम्मा अब मुकेश अरनेजा ने संभाला है ।
मुकेश अरनेजा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए जेके गौड़ के समर्थन का ऑफर देकर जेके गौड़ को अपनी तरफ करने का दाँव चला है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा के पास जेके गौड़ को उक्त सदस्यता 'दिलवाने' के लिए आवश्यक समर्थन है ही नहीं । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में मुकेश अरनेजा को सतीश सिंघल और रूपक जैन का समर्थन है; जबकि एमएल अग्रवाल, केके गुप्ता, रमेश अग्रवाल, शरत जैन और सुभाष जैन के विरोध का सामना करना पड़ेगा । एसपी सचदेवा बीमार होने के कारण कहीं आने-जाने में समर्थ नहीं हैं; और एसपी मैनी वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स एमएल अग्रवाल व केके गुप्ता के साथ 'बैठना' चाहेंगे - या जीतते दिख रहे खेमे के साथ रहना चाहेंगे । जाहिर है कि मुकेश अरनेजा ने जेके गौड़ को इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के ऑफर की आड़ में वास्तव में उन्हें बलि का बकरा बनाने की चाल चली है । मुकेश अरनेजा को लगता है कि उक्त सदस्यता पर चूँकि रमेश अग्रवाल की भी निगाह है, इसलिए वह अवश्य ही जेके गौड़ की उम्मीदवारी का विरोध करेंगे - और तब जेके गौड़ चाहें हारें या जीतें, रमेश अग्रवाल से तो निश्चित ही और 'दूर' होंगे; और तब रमेश अग्रवाल से 'बनने' वाली यह दूरी जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा के नजदीक लाने का काम करेगी ।
मुकेश अरनेजा ने यह 'ख्याली पुलाव' बना तो लिया है, पर यह 'पकेगा' कैसे - यह उन्हें खुद भी मालूम नहीं है; तिस पर मजे की बात यह है कि उन्हें विश्वास है कि जेके गौड़ उनके इस ख्याली पुलाव को खाने के लिए जरूर बैठेंगे । जेके गौड़ के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा की हवाबाजियों की अच्छी पहचान है, और मुकेश अरनेजा की 'राजनीतिक हैसियत' से भी वह अच्छी तरह परिचित हैं; उन्हें इस बात का भी खूब अहसास है कि मुकेश अरनेजा इस समय यदि उनकी खुशामद में लगे हैं, तो सिर्फ अपना मतलब निकालने के लिए लगे हैं । यूँ तो राजनीति में जो भी समीकरण बनते/बिगड़ते हैं, वह 'मतलब' से ही संचालित होते हैं - लेकिन मुकेश अरनेजा ने तो इस 'मतलब' को भी निर्लज्ज किस्म का मतलबी बना दिया है । जेके गौड़ के नजदीकियों का यह भी कहना है कि जेके गौड़ एक बार को मुकेश अरनेजा के साथ तो मतलब वाला संबंध जोड़ भी सकते हैं, लेकिन दीपक गुप्ता को लेकर वह मुकेश अरनेजा के झाँसे में हरगिज नहीं फँसेंगे । ऐसे में तो बिलकुल भी नहीं, जबकि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के संदर्भ में वह बेहतर स्थिति में हैं, और मुकेश अरनेजा के समर्थन और या उनकी मदद पर बिलकुल भी निर्भर नहीं हैं ।
जेके गौड़ के नजदीकियों का कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए वह किसी खेमे के उम्मीदवार की बजाए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे - उस स्थिति में उन्हें एमएल अग्रवाल, केके गुप्ता व एसपी मैनी का समर्थन मिल सकता है; और तब झक मार कर मुकेश अरनेजा या रमेश अग्रवाल में से कोई भी एक खेमा उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मजबूर होगा ही । जाहिर है कि इस संभावित कामयाबी की स्थिति में जेके गौड़ का समर्थन करने के बदले में मुकेश अरनेजा उनके साथ कोई सौदेबाजी नहीं कर सकेंगे । इस तरह इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता की आड़ में जेके गौड़ को रमेश अग्रवाल से और दूर करने की मुकेश अरनेजा की चालबाजियाँ सफल होती नजर नहीं आ रही हैं । मुकेश अरनेजा दरअसल रमेश अग्रवाल के साथ जेके गौड़ की नाराजगी की ख़बरों से खासे उत्साहित हैं; वह दोनों के बीच के झगड़े को और बढ़वा कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं । सुभाष जैन यहाँ लेकिन उनका काम बिगाड़ रहे हैं । जेके गौड़ की रमेश अग्रवाल के साथ नाराजगी हो सकती है, लेकिन सुभाष जैन के कारण वह अशोक जैन की उम्मीदवारी के खिलाफ जाने से पहले सौ बार जरूर सोचेंगे । जेके गौड़ के नजदीकियों का मानना और कहना है कि जेके गौड़ अच्छी तरह समझ रहे हैं कि दीपक गुप्ता यदि चुनाव जीते, तो दीपक गुप्ता और सतीश सिंघल तो उन्हें गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश में साँस भी नहीं लेने देंगे - इसलिए उन्हें सुभाष जैन के साथ रहने में ही अपनी भलाई दिख रही है । बीते हुए कल में दीपक गुप्ता से मिले निरंतर अपमान को याद करें, और आने वाले कल में दीपक गुप्ता के हाथों होने वाली फजीहत का अनुमान लगाए - तो जेके गौड़ को सुभाष जैन के साथ रहने में ही अपना भविष्य सुरक्षित नज़र आ रहा है ।
इसके अलावा, रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों के बीच मुकेश अरनेजा की जैसी बदनामीभरी फजीहत है - जिसके चलते रोटरी जोन इंस्टीट्यूट की भारी-भरकम कमेटी में उन्हें जगह तक नहीं मिली; उसे देखते हुए जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा की छाया से भी दूर रहने की जरूरत समझ में आ रही है । जेके गौड़ जान/समझ रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट से ऊपर की रोटरी की व्यवस्था में उन्हें यदि कुछ पाना है, तो मुकेश अरनेजा से उन्हें दूर सिर्फ रहना ही नहीं, बल्कि 'दिखना' भी होगा । मजे की और मुकेश अरनेजा के लिए धक्का पहुँचाने वाली बात यह रही है कि रोटरी जोन इंस्टीट्यूट की जिस कमेटी में तमाम तिकड़मों और खुशामदभरी सिफारिशों के बाद भी मुकेश अरनेजा को जगह नहीं मिली, उस कमेटी में जेके गौड़ का नाम है । इस कारण से, मुकेश अरनेजा के साथ 'दिखने' को लेकर जेके गौड़ बहुत ही सावधान हैं । जेके गौड़ की यह सावधानी गाजियाबाद तथा उत्तर प्रदेश में दीपक गुप्ता को समर्थन दिलवाने की मुकेश अरनेजा की कोशिशों में बड़ी रुकावट बनी हुई है, जो इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए समर्थन के ऑफर से भी दूर होती नहीं दिख रही है ।
मुकेश अरनेजा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए जेके गौड़ के समर्थन का ऑफर देकर जेके गौड़ को अपनी तरफ करने का दाँव चला है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा के पास जेके गौड़ को उक्त सदस्यता 'दिलवाने' के लिए आवश्यक समर्थन है ही नहीं । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में मुकेश अरनेजा को सतीश सिंघल और रूपक जैन का समर्थन है; जबकि एमएल अग्रवाल, केके गुप्ता, रमेश अग्रवाल, शरत जैन और सुभाष जैन के विरोध का सामना करना पड़ेगा । एसपी सचदेवा बीमार होने के कारण कहीं आने-जाने में समर्थ नहीं हैं; और एसपी मैनी वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स एमएल अग्रवाल व केके गुप्ता के साथ 'बैठना' चाहेंगे - या जीतते दिख रहे खेमे के साथ रहना चाहेंगे । जाहिर है कि मुकेश अरनेजा ने जेके गौड़ को इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के ऑफर की आड़ में वास्तव में उन्हें बलि का बकरा बनाने की चाल चली है । मुकेश अरनेजा को लगता है कि उक्त सदस्यता पर चूँकि रमेश अग्रवाल की भी निगाह है, इसलिए वह अवश्य ही जेके गौड़ की उम्मीदवारी का विरोध करेंगे - और तब जेके गौड़ चाहें हारें या जीतें, रमेश अग्रवाल से तो निश्चित ही और 'दूर' होंगे; और तब रमेश अग्रवाल से 'बनने' वाली यह दूरी जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा के नजदीक लाने का काम करेगी ।
मुकेश अरनेजा ने यह 'ख्याली पुलाव' बना तो लिया है, पर यह 'पकेगा' कैसे - यह उन्हें खुद भी मालूम नहीं है; तिस पर मजे की बात यह है कि उन्हें विश्वास है कि जेके गौड़ उनके इस ख्याली पुलाव को खाने के लिए जरूर बैठेंगे । जेके गौड़ के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा की हवाबाजियों की अच्छी पहचान है, और मुकेश अरनेजा की 'राजनीतिक हैसियत' से भी वह अच्छी तरह परिचित हैं; उन्हें इस बात का भी खूब अहसास है कि मुकेश अरनेजा इस समय यदि उनकी खुशामद में लगे हैं, तो सिर्फ अपना मतलब निकालने के लिए लगे हैं । यूँ तो राजनीति में जो भी समीकरण बनते/बिगड़ते हैं, वह 'मतलब' से ही संचालित होते हैं - लेकिन मुकेश अरनेजा ने तो इस 'मतलब' को भी निर्लज्ज किस्म का मतलबी बना दिया है । जेके गौड़ के नजदीकियों का यह भी कहना है कि जेके गौड़ एक बार को मुकेश अरनेजा के साथ तो मतलब वाला संबंध जोड़ भी सकते हैं, लेकिन दीपक गुप्ता को लेकर वह मुकेश अरनेजा के झाँसे में हरगिज नहीं फँसेंगे । ऐसे में तो बिलकुल भी नहीं, जबकि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के संदर्भ में वह बेहतर स्थिति में हैं, और मुकेश अरनेजा के समर्थन और या उनकी मदद पर बिलकुल भी निर्भर नहीं हैं ।
जेके गौड़ के नजदीकियों का कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए वह किसी खेमे के उम्मीदवार की बजाए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे - उस स्थिति में उन्हें एमएल अग्रवाल, केके गुप्ता व एसपी मैनी का समर्थन मिल सकता है; और तब झक मार कर मुकेश अरनेजा या रमेश अग्रवाल में से कोई भी एक खेमा उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मजबूर होगा ही । जाहिर है कि इस संभावित कामयाबी की स्थिति में जेके गौड़ का समर्थन करने के बदले में मुकेश अरनेजा उनके साथ कोई सौदेबाजी नहीं कर सकेंगे । इस तरह इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता की आड़ में जेके गौड़ को रमेश अग्रवाल से और दूर करने की मुकेश अरनेजा की चालबाजियाँ सफल होती नजर नहीं आ रही हैं । मुकेश अरनेजा दरअसल रमेश अग्रवाल के साथ जेके गौड़ की नाराजगी की ख़बरों से खासे उत्साहित हैं; वह दोनों के बीच के झगड़े को और बढ़वा कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं । सुभाष जैन यहाँ लेकिन उनका काम बिगाड़ रहे हैं । जेके गौड़ की रमेश अग्रवाल के साथ नाराजगी हो सकती है, लेकिन सुभाष जैन के कारण वह अशोक जैन की उम्मीदवारी के खिलाफ जाने से पहले सौ बार जरूर सोचेंगे । जेके गौड़ के नजदीकियों का मानना और कहना है कि जेके गौड़ अच्छी तरह समझ रहे हैं कि दीपक गुप्ता यदि चुनाव जीते, तो दीपक गुप्ता और सतीश सिंघल तो उन्हें गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश में साँस भी नहीं लेने देंगे - इसलिए उन्हें सुभाष जैन के साथ रहने में ही अपनी भलाई दिख रही है । बीते हुए कल में दीपक गुप्ता से मिले निरंतर अपमान को याद करें, और आने वाले कल में दीपक गुप्ता के हाथों होने वाली फजीहत का अनुमान लगाए - तो जेके गौड़ को सुभाष जैन के साथ रहने में ही अपना भविष्य सुरक्षित नज़र आ रहा है ।
इसके अलावा, रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों के बीच मुकेश अरनेजा की जैसी बदनामीभरी फजीहत है - जिसके चलते रोटरी जोन इंस्टीट्यूट की भारी-भरकम कमेटी में उन्हें जगह तक नहीं मिली; उसे देखते हुए जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा की छाया से भी दूर रहने की जरूरत समझ में आ रही है । जेके गौड़ जान/समझ रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट से ऊपर की रोटरी की व्यवस्था में उन्हें यदि कुछ पाना है, तो मुकेश अरनेजा से उन्हें दूर सिर्फ रहना ही नहीं, बल्कि 'दिखना' भी होगा । मजे की और मुकेश अरनेजा के लिए धक्का पहुँचाने वाली बात यह रही है कि रोटरी जोन इंस्टीट्यूट की जिस कमेटी में तमाम तिकड़मों और खुशामदभरी सिफारिशों के बाद भी मुकेश अरनेजा को जगह नहीं मिली, उस कमेटी में जेके गौड़ का नाम है । इस कारण से, मुकेश अरनेजा के साथ 'दिखने' को लेकर जेके गौड़ बहुत ही सावधान हैं । जेके गौड़ की यह सावधानी गाजियाबाद तथा उत्तर प्रदेश में दीपक गुप्ता को समर्थन दिलवाने की मुकेश अरनेजा की कोशिशों में बड़ी रुकावट बनी हुई है, जो इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए समर्थन के ऑफर से भी दूर होती नहीं दिख रही है ।