Thursday, November 17, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में जेके गौड़ इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के सहारे रमेश अग्रवाल को सबक सिखाने का काम करेंगे क्या ?

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल के साथ समय बड़ा क्रूर मज़ाक कर रहा है - जिन जेके गौड़ को उन्होंने कभी भी पैर की जूती से ज्यादा तवज्जो नहीं दी, उन्हीं जेके गौड़ के कारण उनका राजनीतिक भविष्य चौपट होने की कगार पर आ पहुँचा है और जिसे बचाने के लिए उन्हें जेके गौड़ को मनाने/फुसलाने में 'लगना' पड़ रहा है । रमेश अग्रवाल अगले रोटरी वर्ष में रोटरी जोन 4 और 6ए में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के इस वर्ष होने वाले चुनाव में उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं; किंतु उनकी इस तैयारी को जेके गौड़ ने तगड़ा झटका दिया हुआ है । दरअसल जेके गौड़ ने भी उक्त नोमीनेटिंग कमेटी के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी दिखाई है । नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता का फैसला पहले काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में होगा, जहाँ लेकिन जेके गौड़ के मुकाबले रमेश अग्रवाल की हालत बहुत ही पतली है । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के दस प्रभावी सदस्यों में रमेश अग्रवाल को कुल दो सदस्यों - शरत जैन और सुभाष जैन का ही समर्थन मिल सकता है । जाहिर तौर पर इससे तो उनकी दाल गलेगी नहीं । इसके बाद, रमेश अग्रवाल के पास सीधे चुनाव में जाने का विकल्प ही बचता है । रमेश अग्रवाल को लोगों के बीच अपनी स्थिति/हैसियत का अंदाजा है, इसलिए उक्त विकल्प अपनाने का दुस्साहस वह नहीं करेंगे । इस तरह का दुस्साहस करने का मजा वह पहले एक बार चख चुके हैं । पैतृक डिस्ट्रिक्ट 3010 में सीओएल के चक्कर में वह आशीष घोष से जा भिड़े थे और अपनी नाक कटवा बैठे थे । उनके नजदीकियों का कहना है कि उस तरह की शेख़ीबाजी में वह इस बार नहीं पड़ेंगे; और प्रयास सिर्फ यह करेंगे कि किसी तरह जेके गौड़ को फुसला/समझा कर वह रास्ते से हटा/हटवा दें ।
रमेश अग्रवाल के लिए इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में जाना दरअसल रोटरी में अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने/सँवारने के लिए बहुत ही जरूरी है । तमाम तिकड़मों व जुगाड़ों के बावजूद रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट के ऊपर की रोटरी की व्यवस्था व राजनीति में अपनी जगह नहीं बना सके हैं । ले दे कर रोटरी विन्स में उन्हें 'मजदूरी' करने का मौका भर मिला हुआ है, जिसमें भी कुछ करते दिखने की तस्वीरें खिंचवाने के लिए उन्हें विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के गवर्नर्स की खुशामद और करना पड़ती हैं । अपने अपने डिस्ट्रिक्ट में बुलाने की ऐवज में गवर्नर्स उन्हें जिस तरह से खिजाते और अपमानित करते हैं, इसे सिर्फ वही जानते हैं । दूसरों ने तो इसे तब जाना, जब पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट 3011 के तत्कालीन गवर्नर सुधीर मंगला ने कई लोगों के सामने उन्हें बुरी तरह फटकारा था । रमेश अग्रवाल के नजदीकी बताते हैं कि रोटरी विन्स का काम तो वह इस मजबूरी में कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास और कोई असाइनमेंट ही नहीं है । ऐसे में, रमेश अग्रवाल को लगता है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता उनके सारे संकट दूर कर देगी और रोटरी में उनके 'भविष्य' को सुरक्षित कर देगी । उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव एक बड़ा चुनाव होता है, और उसमें रोटरी के तमाम बड़े नेता इन्वॉल्व होते हैं । रमेश अग्रवाल को लगता है - और स्वाभाविक रूप से ठीक ही लगता है कि वह नोमीनेटिंग कमेटी में होंगे तो रोटरी के तमाम बड़े नेताओं के साथ असाइनमेंट के लिए सौदेबाजी कर सकेंगे; और इस तरह से रोटरी की ऊपर की 'व्यवस्था' में उनकी गाड़ी चल निकलेगी ।
रमेश अग्रवाल के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि जैसा वह सोच रहे हैं, ठीक वैसा ही जेके गौड़ भी सोच रहे हैं । जेके गौड़ रोटरी में कोई घास छीलने ही - या रमेश अग्रवाल की 'गुलामी' करने ही थोड़े ही आए हैं । उनका भी 'आगे बढ़ने' का मन होगा ही । यह जेके गौड़ की खुशकिस्मती है कि उन्हें एक ऐसा सुनहरा मौका मिला है, जिसमें कुछ किए बिना ही इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता खुद-ब-खुद उनकी जेब में आ रही है । जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट की राजनीतिक खेमेबाज़ी में हालाँकि अभी भी हैं तो उसी खेमे में, जिसे रमेश अग्रवाल के खेमे के रूप में देखा/पहचाना जाता है - लेकिन रमेश अग्रवाल के लिए वह रास्ता छोड़ेंगे, इसकी उम्मीद कम देखी जा रही है । वास्तव में इस स्थिति के लिए रमेश अग्रवाल खुद ही जिम्मेदार हैं । रमेश अग्रवाल ने जेके गौड़ को हर कदम पर इतना सताया और बार बार अपमानित किया है कि जेके गौड़ उनके लिए अपने हाथ में आए सुनहरे मौके को छोड़ने के लिए शायद ही तैयार होंगे । लोगों को लगता है कि जेके गौड़ को रोटरी की ऊपर की व्यवस्था व राजनीति में बड़ी भूमिका ही पाने का मौका नहीं मिला है, बल्कि रमेश अग्रवाल से मिले अपमान का बदला लेने का अवसर भी मिला है । यूँ तो रमेश अग्रवाल राजनीतिक हैसियत और चतुराई के मामले में जेके गौड़ को अपने सामने कुछ नहीं समझते, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें जेके गौड़ के सामने मजबूर व असहाय बना दिया है ।
रमेश अग्रवाल ने हालाँकि अभी हिम्मत नहीं हारी है, और उनकी तरफ से तरह तरह से जेके गौड़ को पटाने/फुसलाने के प्रयास किए जा रहे हैं; तथा उनके साथ सौदेबाजी करने के 'मौके' खोजे/बनाए जा रहे हैं - लेकिन जेके गौड़ की तरफ से अभी पीछे हटने का संकेत उन्हें नहीं मिला है । जेके गौड़ के नजदीकियों का कहना है कि जेके गौड़ के मन में अभी रमेश अग्रवाल के प्रति जो नाराजगी है, उसे देखते हुए तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह रमेश अग्रवाल के लिए रास्ता छोड़ेंगे । उनका कहना है कि बात यदि सिर्फ एक पद पाने की होती, तो जेके गौड़ से उम्मीद की जा सकती थी कि  वह रमेश अग्रवाल की राह का रोड़ा न बनते; किंतु जेके गौड़ के सामने चूँकि रमेश अग्रवाल से बदला लेने और उन्हें सबक सिखाने का मौका है - इसलिए उम्मीद नहीं है कि जेके गौड़ मौका छोड़ेंगे । जेके गौड़ चूँकि यह भी अच्छे से जानते/समझते हैं कि रमेश अग्रवाल का स्वभाव कुत्ते की उस दुम की तरह है जिसे सीधा करने का चाहें जितना प्रयास करो, वह सीधी नहीं होती है; पटाने/फुसलाने की कोशिशों तथा सौदेबाजी के चक्कर में वह यदि रमेश अग्रवाल के लिए मौका यदि छोड़ भी देते हैं, तो भी रमेश अग्रवाल आगे उन्हें अपमानित करने की हरकतों से बाज नहीं आयेंगे - लिहाजा जेके गौड़ उन्हें सबक सिखाना ही चाहेंगे । तमाम प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद रमेश अग्रवाल चूँकि अभी भी जेके गौड़ को रास्ते से हटाने की मुहिम में लगे हुए हैं, इसलिए देखना दिलचस्प होगा कि जेके गौड़ उनकी मुहिम में फँसने से अपने आपको बचा पाते हैं या नहीं ?