Saturday, April 6, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को स्वीकार करने तथा प्रस्तुत करने के लिए बड़े धूमधाम से हुई उनके क्लब की मीटिंग ने अशोक कंतूर व अजीत जालान के मुकाबले उनकी उम्मीदवारी को खासा महत्त्वपूर्ण बना दिया है

नई दिल्ली । महेश त्रिखा को लंबे इंतजार के बाद अंततः अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ ईस्ट से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए हरी झंडी मिल गई है । उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी देने के लिए हुए आयोजन में क्लब के सदस्य - दोनों पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स सुरेश जैन और संजय खन्ना के साथ-साथ क्लब के कई पूर्व प्रेसीडेंट्स भी जिस उत्साह के साथ शामिल हुए, उससे लोगों को महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को खासा 'दम' मिलता नजर आया है । उल्लेखनीय है कि जब से अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों की दौड़ शुरू हुई है, तभी से महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को लेकर संशय बना हुआ था । हालाँकि महेश त्रिखा खुद तो उम्मीदवार के रूप में खासे सक्रिय थे, लेकिन उनकी उम्मीदवारी की चूँकि कोई 'वकालत' करता हुआ नजर नहीं आ रहा था - इसलिए उनकी उम्मीदवारी को ज्यादा गंभीरता से नहीं देखा/पहचाना जा रहा था । दरअसल, महेश त्रिखा की उम्मीदवारी के जो स्वाभाविक सहयोगी/समर्थक हो सकते थे, उन्हें रविंदर उर्फ रवि गुगनानी की उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था; और इस कारण महेश त्रिखा के लिए 'अपने' लोगों के बीच ही अपनी उम्मीदवारी की दाल गलाना मुश्किल बना हुआ था । रवि गुगनानी के चुनावी मैदान छोड़ने के बाद बनी स्थिति में महेश त्रिखा के लिए रास्ता आसान तो हो गया था, लेकिन फिर भी नेता लोगों ने महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को हरी झंडी देने से पहले स्थितियों को - खासतौर से उम्मीदवार के रूप में महेश त्रिखा की 'क्षमताओं' को ठीक से समझ लेना जरूरी समझा; और आश्वस्त हो जाने के बाद उन्होंने महेश त्रिखा की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है ।
माना/समझा जाता है कि महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को उन नेताओं का समर्थन स्वाभाविक रूप से मिल सकेगा, जो पिछले चुनाव में अनूप मित्तल की उम्मीदवारी के साथ थे और जिन्होंने अपने अपने तरीके से अनूप मित्तल की चुनावी जीत में भूमिका निभाई थी । महेश त्रिखा ने शायद अपनी उम्मीदवारी को लेकर पहले से ही मन बना लिया था, और इसीलिए अनूप मित्तल के समर्थन में सक्रिय पूर्व गवर्नर्स के साथ वह किसी न किसी तरह संपर्क में रहे - ताकि अनूप मित्तल के बाद जब वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करें, तो उन पूर्व गवर्नर्स का समर्थन जुटाने में उनके सामने कोई समस्या खड़ी न हो । लगता है कि महेश त्रिखा का उक्त 'फार्मूला' काम कर गया है; क्योंकि क्लब से हरी झंडी मिलने के बाद उनकी उम्मीदवारी के स्वाभाविक सहयोगियों व समर्थकों ने उनकी उम्मीदवारी के प्रति जो उत्साह प्रकट किया है - उससे लगता है कि जैसे वह क्लब से महेश त्रिखा की उम्मीदवारी के क्लियर होने का ही इंतजार कर रहे थे । क्लब से महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को हरी झंडी मिलने का उतना महत्त्व नहीं है; वह तो मिल ही जाती - हर उम्मीदवार को अपने क्लब से क्लियरेंस तो मिल ही जाती है; महत्त्व की ज्यादा बड़ी बात यह है कि महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को स्वीकार करने तथा प्रस्तुत करने के लिए क्लब की बड़े धूमधाम से मीटिंग हुई और उसमें क्लब के आम व खास लोगों ने खासे जोशोखरोश के साथ हिस्सा लिया । यह बात इसलिए और भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के बाकी दोनों संभावित उम्मीदवारों - अशोक कंतूर व अजीत जालान को अपने अपने क्लब में वैसा एकजुट व उत्साहपूर्ण समर्थन नहीं है, जैसा कि महेश त्रिखा के लिए उनके क्लब में दिखा है ।
उल्लेखनीय है कि अशोक कंतूर ने तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के पिछले चुनाव में मिली हार के लिए अपने क्लब के सदस्य - पूर्व गवर्नर रमेश चंदर को भी जिम्मेदार ठहराया था । लगता नहीं है कि अगले चुनाव में भी उन्हें रमेश चंदर का सहयोग/समर्थन मिल पायेगा । अजीत जालान की तो अपने क्लब में हालत और भी पतली है । अजीत जालान खुद लोगों से कहते/बताते रहे हैं कि मौजूदा प्रेसीडेंट विनोद कुमार बंसल उनकी उम्मीदवारी में रोड़ा अटका कर खुद उम्मीदवार बनने के चक्कर में हैं, और उन्होंने बड़ी मुश्किल से घेराबंदी कर/करवा कर उन्हें रोका/संभाला हुआ है तथा अपनी उम्मीदवारी को बचाया हुआ है । अशोक कंतूर और अजीत जालान को अपने अपने क्लब में जिन चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, उसके चलते उन्हें अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए हरी झंडी मिलने में तो कोई समस्या नहीं आयेगी; जैसा कि पहले ही कहा/बताया जा चुका है कि वह तो हर उम्मीदवार को मिल ही जाती है - लेकिन क्लब में ही उम्मीदवारी को लेकर झगड़े/टंटे हों, तो उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान पर प्रतिकूल असर तो पड़ता ही है । अशोक कंतूर और अजीत जालान को इस मुश्किल से तो दो-चार होना ही पड़ेगा; महेश त्रिखा ने लेकिन इस समस्या से निजात पा ली है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनकी उम्मीदवारी की प्रस्तुति के कार्यक्रम में क्लब के हर आम और खास सदस्य की जैसी भूमिका और सक्रियता रही तथा 'दिखी', उससे महेश त्रिखा की उम्मीदवारी खासी महत्त्वपूर्ण हो उठी है ।