Sunday, April 21, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल एकेएस सदस्यता को लेकर तो फजीहत का शिकार हैं ही, अपनी हरकतों से उन्होंने अपने ही क्लब के एक बड़े प्रोजेक्ट को भी मुसीबत में फँसा दिया है

नई दिल्ली । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की हरकतों के चलते रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के बड़े प्रोजेक्ट की नींव खुदने के साथ ही क्लब में झगड़ों और विवादों की भी शुरुआत हो गई है, जिसके चलते उक्त प्रोजेक्ट के खतरे में पड़ने की आशंका पैदा हो गई है । रमेश अग्रवाल एकेएस (ऑर्च क्लम्प सोसायटी) की सदस्यता का पैसा न देने के बाद भी एकेएस सदस्य के रूप में जगह जगह अपना स्वागत करवाने को लेकर भी इन दिनों फजीहत का शिकार बन रहे हैं; ऐसे में क्लब में पैदा हुआ नया झगड़ा उनकी मुश्किलों को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली अशोका ने अभी हाल ही में 'रोटरी हेल्थ एंड वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर' नाम से एक बड़े प्रोजेक्ट की आधारशिला रखने का कार्यक्रम आयोजित किया । करीब सात करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के बारे में जिसने भी सुना, उसने क्लब और क्लब के पदाधिकारियों तथा सदस्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की; लेकिन प्रशंसा के दौर के बीच ही उक्त प्रोजेक्ट को लेकर क्लब के सदस्यों के बीच विवाद और झगड़े के स्वर भी सुनाई देने लगे । पता चला कि क्लब के पदाधिकारी और सदस्य आधारशिला रखने की पूजा में यजमान के रूप में रमेश अग्रवाल के बैठने को लेकर खासे खफा हैं । उनका कहना है कि प्रोजेक्ट चूँकि क्लब का है, इसलिए उक्त अधिकार क्लब के मौजूदा प्रेसीडेंट और या प्रेसीडेंट इलेक्ट को मिलना चाहिए था । रमेश अग्रवाल ने लेकिन जिस मनमाने तरीके से प्रेसीडेंट और प्रेसीडेंट इलेक्ट को किनारे धकेल कर अपनी पत्नी के साथ मुख्य भूमिका हथिया ली, उसके कारण क्लब के पदाधिकारियों तथा सदस्यों के बीच भारी नाराजगी है । मजे की बात यह रही कि उक्त मौके पर रमेश अग्रवाल ने क्लब के सदस्य - दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन को भी कोई तवज्जो देने की जरूरत नहीं समझी ।
क्लब के सदस्यों का आपसी बातचीत में कहना है कि उक्त प्रोजेक्ट के लिए क्लब के प्रायः सभी सदस्यों ने पैसे दिए हैं या देने की घोषणा की है; कई सदस्यों ने तो रमेश अग्रवाल से ज्यादा पैसे दिए हैं या देने की घोषणा की है - और इस आधार पर आधारशिला रखने की पूजा में उन्हें और या प्रेसीडेंट या प्रेसीडेंट इलेक्ट को बैठना चाहिए था; रमेश अग्रवाल आखिर किस हैसियत से अपनी पत्नी के साथ पूजा में बैठ गए । क्लब के सदस्यों की तरफ से इस तरह की बातें सुनकर रमेश अग्रवाल ने तुनक कर कह दिया है कि क्लब के सदस्यों को उनसे यदि इतनी ही चिढ़ है, तो वह प्रोजेक्ट से अलग हो जाते हैं और प्रोजेक्ट में पैसे का कोई सहयोग नहीं करेंगे । रमेश अग्रवाल की इस तुनकमिजाजी ने क्लब के कुछेक सदस्यों को भड़काने का काम किया और उनकी तरफ से सुना गया कि आधारशिला की पूजा में बैठ कर रमेश अग्रवाल ने अपने आप को प्रोजेक्ट का मुख्य कर्ता-धर्ता 'दिखा' ही दिया है, तो अब वही इस प्रोजेक्ट को पूरा करें और इसका पूरा पैसा दें । इस तरह की बातें प्रोजेक्ट को लेकर क्लब के सदस्यों के उत्साह पर पानी फेरती नजर आ रही हैं; और क्लब के संजीदा सदस्यों को लग रहा है कि रमेश अग्रवाल की मनमानी तथा तुनकभरी हरकतें कहीं प्रोजेक्ट को न ले डूबें ? क्लब के कई एक सदस्यों का स्पष्ट कहना है कि रमेश अग्रवाल यदि अपनी हरकतों से बाज नहीं आए, और क्लब के सभी सदस्यों के सहयोग से बनने वाले प्रोजेक्ट का अकेले श्रेय लेने की कोशिश करते रहे, तो फिर क्लब के कई सदस्य प्रोजेक्ट में सहयोग करने की घोषणा से पीछे हट जायेंगे ।
रमेश अग्रवाल इन्हीं दिनों एकेएस सदस्यता को लेकर भी विवादों की चपेट में हैं । दरअसल रमेश अग्रवाल ने तीन वर्ष पहले जेके गौड़ और सुभाष जैन के साथ एकेएस सदस्य बनने की घोषणा की थी और संकल्प-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत तीन रोटरी वर्षों में - यानि 30 मार्च 2019 तक उन्हें पूरी रकम रोटरी फाउंडेशन में जमा करना थी । जेके गौड़ और सुभाष जैन तो अपनी अपनी रकम जमा कर चुके हैं, लेकिन रमेश अग्रवाल ने करीब एक लाख अमेरिकी डॉलर की रकम रोकी हुई है । तथ्य बल्कि यह है कि पिछले रोटरी वर्ष में तथा मौजूदा रोटरी वर्ष में रमेश अग्रवाल ने एकेएस की सदस्यता का कोई पैसा जमा नहीं कराया है । रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारी उनसे तकादा भी कर चुके हैं, लेकिन फिर भी रमेश अग्रवाल के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी है । यह बात यूँ तो ऐसी बात नहीं है जिसके लिए रमेश अग्रवाल की फजीहत की जाए - किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में ऊँच-नीच हो सकती है जिसके कारण उसके लिए पहले से की गई घोषणाओं और या वायदों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है; लेकिन रमेश अग्रवाल के मामले में शर्मनाक स्थिति और फजीहत की बात इसलिए है कि समय से पूरा पैसा न दे पाने के बाद भी रमेश अग्रवाल एकेएस सदस्य के रूप में जगह जगह अपना स्वागत करवाते रहे हैं । पिछले दिनों ही, मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली में रोटरी फाउंडेशन ट्रस्ट के चेयरमैन रॉन बुर्टन के सामने रमेश अग्रवाल ने एकेएस सदस्य के रूप में अपना स्वागत करवाया और उनके साथ फोटो खिंचवाई । उस समय रमेश अग्रवाल को यह तो पता था ही कि संकल्पित समय-सीमा में वह पूरा पैसा नहीं दे रहे हैं और इसलिए उन्हें अपने आपको एकेएस सदस्य कहने का 'हक' नहीं है - फिर भी रमेश अग्रवाल ने अपनी फजीहत करवाने वाला काम किया । इसके साथ ही, क्लब के प्रोजेक्ट में खुद को सर्वे-सर्वा दिखलाने की रमेश अग्रवाल की कोशिश के चलते क्लब में मचे बबाल ने रमेश अग्रवाल की मुसीबतों को बढ़ाने का ही काम किया है ।