Wednesday, April 24, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल ने अशोक जैन के साथ मिल कर अपने ही क्लब के प्रेसीडेंट इलेक्ट राकेश जैन को 'धमकाने' तथा दबाव में लेने के लिए उन्हें प्रेसीडेंट न बनने देने की मुहिम शुरू की

नई दिल्ली । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल ने अपने ही क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका - के एक बड़े प्रोजेक्ट को विवाद व खतरे में डालने के बाद क्लब के प्रेसीडेंट इलेक्ट राकेश जैन को पद से हटाने की मुहिम छेड़ दी है । इस मुहिम में उन्हें अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी की तैयारी करते सुने जा रहे क्लब के वरिष्ठ सदस्य अशोक जैन का भी समर्थन मिल रहा है । दरअसल रमेश अग्रवाल और अशोक जैन की जोड़ी को लग रहा है कि 'रोटरी हेल्थ एंड वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर' नाम से एक बड़े प्रोजेक्ट की आधारशिला रखने के कार्यक्रम को लेकर जो बखेड़ा खड़ा हुआ है, उसके पीछे राकेश जैन ही हैं; और राकेश जैन यदि अगले रोटरी वर्ष में क्लब के प्रेसीडेंट बनते हैं तो अशोक जैन की उम्मीदवारी के लिए वह तरह तरह से मुसीबतें खड़ी करते रहेंगे - इसलिए किसी भी तरह से ऐसा कुछ करना है जिससे प्रेसीडेंट की कुर्सी की तरफ राकेश जैन के बढ़ते कदमों को रोका जाए । उल्लेखनीय है कि राकेश जैन कई लोगों के बीच यह शिकायत कर चुके हैं कि वह प्रेसीडेंट इलेक्ट हैं, उन्हें अगले रोटरी वर्ष में प्रेसीडेंट बनना है और फिर भी अशोक जैन ने इसकी कोई जरूरत ही नहीं समझी कि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी की वह उन्हें सूचना भी दे दें - यह सूचना उन्हें क्लब के बाहर  के लोगों से मिली है । राकेश जैन ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि पेट्स (प्रेसीडेंट्स इलेक्ट ट्रेनिंग सेमीनार) में अशोक जैन लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी की संभावना से लगातार इंकार कर रहे थे, और सुनील मल्होत्रा व ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए शुभकामनाएँ व्यक्त कर रहे थे - फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ कि क्लब के पदाधिकारियों से बात किए बिना ही वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की बात करने/कहने लगे ?
क्लब के प्रेसीडेंट इलेक्ट राकेश जैन की इन बातों को गंभीरता से लेने, जो गलती हुई उसे सुधारने तथा सभी कोआश्चर्य में डाल कर पलटी खाते हुए अचानक से प्रस्तुत की गई अपनी उम्मीदवारी से क्लब के पदाधिकारियों के बीच पैदा हुई नाराजगी को दूर करने की बजाये - अशोक जैन ने रमेश अग्रवाल के साथ मिलकर राकेश जैन को प्रेसीडेंट न बनने देने का जो बीड़ा उठाया है, उसने क्लब के सदस्यों के बीच खासी गर्मी पैदा कर दी है । क्लब के सदस्यों का ही बताना/कहना है कि राकेश जैन की जगह 'अपने' किसी आदमी को प्रेसीडेंट बनवाने की रमेश अग्रवाल व अशोक जैन की 'बातों' के पीछे वास्तव में राकेश जैन को दबाव में लेने की रणनीति है । इन दोनों को विश्वास है कि यह प्रेसीडेंट इलेक्ट को प्रेसीडेंट न बनने देने की बात करेंगे, तो राकेश जैन अपना प्रेसीडेंट पद बचाने के लिए इनके सामने समर्पण कर देंगे । हालाँकि राकेश जैन की तरफ से अभी तक ऐसा कोई काम नहीं हुआ है, जिसे रमेश अग्रवाल के विरोध के रूप में देखा/पहचाना जाए; लेकिन राकेश जैन ने अपने कार्य-व्यवहार और अपने तरीकों से यह अहसास जरूर करवा दिया है कि वह रमेश अग्रवाल की कठपुतली बन कर नहीं रहेंगे । इंकार करते करते अचानक से प्रस्तुत हो गई अशोक जैन की उम्मीदवारी और उस फैसले से प्रेसीडेंट इलेक्ट होने के बावजूद उन्हें अवगत न करवाए जाने से राकेश जैन को जो झटका लगा, उसे व्यक्त करके राकेश जैन ने यह जता भी दिया है कि उन्हें इग्नोर करने की कोशिशों को वह चुपचाप बर्दाश्त नहीं करेंगे । राकेश जैन के इसी 'व्यवहार' ने रमेश अग्रवाल और अशोक जैन को भड़का दिया है, और वह राकेश जैन को प्रेसीडेंट इलेक्ट के पद से हटवाने की धमकी दे कर कर दबाव में लेने की कार्रवाई पर उतर आए हैं । 
दरअसल, इसी बीच क्लब में प्रोजेक्ट वाला विवाद पैदा हो गया, जिसने रमेश अग्रवाल के लिए खासी फजीहत वाली स्थिति पैदा कर दी । उक्त विवाद को होशियारी व शालीनता से हल करने की बजाये रमेश अग्रवाल ने जिस तरह की धमकीबाजी वाला 'रास्ता' अपनाया, उसमें अशोक जैन भी जुड़ गए । इन दोनों का यह भी मानना/समझना है कि उक्त विवाद की जड़ राकेश जैन ने ही रोपी है । प्रोजेक्ट वाले मामले में और अचानक तरीके से आई अशोक जैन की उम्मीदवारी के किस्से में राकेश जैन की भूमिका को रमेश अग्रवाल व अशोक जैन ने अपने लिए एक 'चुनौती' के रूप में देखा/पहचाना है और समझ लिया है कि राकेश जैन को वह एक कठपुतली की तरह से इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे - इसीलिए उन्होंने राकेश जैन को प्रेसीडेंट बनने से रोकने की मुहिम शुरू की है । क्लब के सदस्यों के अनुसार, रमेश अग्रवाल और अशोक जैन की राकेश जैन के खिलाफ शुरू की गई मुहिम को क्लब में समर्थन नहीं मिलेगा और इस मामले में उन्हें मुँहकी ही खानी पड़ेगी । क्लब में चार/पाँच सदस्य जरूर ऐसे हैं, जो रमेश अग्रवाल की बात का आँख बंद करके समर्थन करते हैं - लेकिन क्लब के अधिकतर सदस्य रमेश अग्रवाल की मनमानी व बदतमीजी को पसंद नहीं करते हैं और जरूरत पड़ने पर विरोध भी करते हैं । क्लब के सदस्यों का ही कहना/बताना है कि रमेश अग्रवाल और अशोक जैन भी इस बात को जानते/समझते हैं कि राकेश जैन को उनके पद से हटाने/हटवाने की उनकी मुहिम सफल नहीं होगी; लेकिन फिर भी वह मुहिम चला रहे हैं तो इसलिए ताकि वह राकेश जैन को अपने सामने 'समर्पण' के लिए मजबूर कर सकें । रमेश अग्रवाल और अशोक जैन की अपने ही क्लब के प्रेसीडेंट इलेक्ट के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम से यह आभास लेकिन जरूर मिलता है कि उनके क्लब में घमासान अभी जारी रहेगा ।