Thursday, April 25, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन हरीश चौधरी जैन को चेतावनी मिली कि वह अविनाश गुप्ता को पदाधिकारियों व महिलाओं के साथ सही व्यवहार करना सिखाएँ और अविनाश गुप्ता व नितिन कँवर को रीजनल काउंसिल 'ठेके' पर देने की कोशिश न करें


नई दिल्ली । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में लगातार दूसरे टर्म सरकार द्वारा नोमीनेट किए गए सदस्य विजय झालानी का यह चार लाइनों का संदेश नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सूरते-हाल और उसके चेयरमैन की दशा को खुद-ब-खुद बयाँ कर देता है । जिस किसी को इस मेल-संदेश की जानकारी है, उसका यही कहना है कि हरीश चौधरी जैन में यदि जरा सा भी आत्मसम्मान है, तो उन्हें तुरंत चेयरमैन पद से इस्तीफा दे देना चाहिए । विजय झालानी का यह मेल-संदेश इस बात का पुख्ता सुबूत है कि हरीश चौधरी जैन रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद की जिम्मेदारी निभाने में तो विफल हो ही रहे हैं, चेयरमैन पद की गरिमा को भी बनाये/बचाये रखने में फेल साबित हुए हैं । रीजनल काउंसिल के कामकाज को उन्होंने जिस तरह से अविनाश गुप्ता और नितिन कँवर को 'ठेके' पर देने की कोशिश की है, जिसके कारण विजय झालानी ने डीसी में उनकी शिकायत करने की बात की है - इंस्टीट्यूट और रीजनल काउंसिल के इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल ने यूँ तो एक से बढ़ एक घटिया सोच व व्यवहार के नाकारा चेयरमैन देखे/झेले हैं, लेकिन हरीश चौधरी जैन तो उन सब के गुरु साबित हो रहे हैं । पिछले टर्म में भी खूब खूब घटियापन हुआ था, और चेयरमैन्स की भूमिकाएँ आरोपों के घेरे में रही थीं, लेकिन किसी भी चेयरमैन ने अपने 'अधिकार' हरीश चौधरी जैन की तरह किसी और को दे दिए हों - यह देखने को नहीं मिला था । लोगों को हैरानी इस बात पर है कि हरीश चौधरी जैन को चेयरमैन के अधिकार जब दूसरों को ही देने थे और खुद कठपुतली बन कर ही रहना था, तो चेयरमैन बनने के लिए धोखाधड़ीभरी तिकड़म करने की उन्हें क्या जरूरत थी ?
इसे हरीश चौधरी जैन के नाकारापन के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा है कि रीजनल काउंसिल में किसी भी पद पर न होते हुए भी अविनाश गुप्ता वाइस चेयरपरसन से बदतमीजी करते रहते हैं, और अभद्र व अशालीन भाषा में उन्हें लिखित में जबाव देते हैं । अविनाश गुप्ता इस बात का भी ख्याल नहीं रखते हैं कि वाइस चेयरपरसन के पद पर एक महिला है, और कम से कम एक महिला के साथ संवाद करते हुए तो उन्हें शालीन शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए । समझा जा सकता है कि अविनाश गुप्ता जब लिखित में अभद्र व अशालीन शब्दों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकते हैं, तो बोलचाल में तो और भी गंदे शब्दों का इस्तेमाल करते होंगे । इसके साथ ही, अविनाश गुप्ता जब रीजनल काउंसिल की चेयरपरसन के साथ अभद्र व अशालीन भाषा में बात कर सकते हैं, तो फिर स्टाफ की महिलाओं तथा काउंसिल में अपने अपने काम से आने वाली छात्राओं को भी कहाँ बख्शते होंगे ? रीजनल काउंसिल के पिछले टर्म में नितिन कँवर पर बदतमीजी करने के आरोप लगते थे, जिसके कारण दो-तीन बार तो पुलिस बुलाने की नौबत आ गई थी; इस टर्म में नितिन कँवर और अविनाश गुप्ता मिलकर दो नहीं, बल्कि 'ग्यारह' हो रहे हैं - और खास बात यह कि दोनों ही चेयरमैन हरीश चौधरी जैन के बड़े प्यारे हैं और हरीश चौधरी जैन रीजनल काउंसिल को इन्हें ही 'ठेके' पर सौंपने को तैयार हैं । यही कारण है कि वाइस चेयरपरसन श्वेता पाठक ने अविनाश गुप्ता के अभद्र व अशालीन व्यवहार की शिकायत पहले चेयरमैन से ही की थी, लेकिन जब उन्हें चेयरमैन सुनवाई करते हुए नहीं दिखे तब वह अपनी शिकायत ऊपर तक ले गईं और तब विजय झालानी को चेयरमैन हरीश चौधरी जैन को लिखना पड़ा कि वह अविनाश गुप्ता को पदाधिकारियों व महिलाओं के साथ सही व्यवहार करना सिखाएँ और अविनाश गुप्ता व नितिन कँवर को रीजनल काउंसिल 'ठेके' पर देने की कोशिश न करें ।
देखना दिलचस्प होगा कि विजय झालानी की इस चेतावनी का हरीश चौधरी जैन, अविनाश गुप्ता और नितिन कँवर के व्यवहार तथा रवैये पर कैसा क्या असर पड़ता है ? उनमें सचमुच कोई सुधार होता है, या वह अपने नाकारा व बदतमीजीभरे रवैये को ही बनाये रखते हैं ।